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पैसों की ऑनलाइन धोखाधड़ी की शिकायत ऑनलाइन कैसे की जा सकती है?

पैसों की ऑनलाइन धोखाधड़ी की शिकायत ऑनलाइन कैसे की जा सकती है?

प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, दुनिया ई-गवर्नेंस के डिजिटल रूपों की ओर बढ़ रही है। इंटरनेट ने जनता को तकनीक की अपार शक्ति दी है। साइबरस्पेस के विकास के माध्यम से पूरी दुनिया को जोड़ने के अलावा, इंटरनेट हर क्षेत्र में एक वरदान साबित हुआ है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई इस माध्यम …

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क्या कोर्ट द्वारा निर्धारित मेंटेनेंस की रकम को कम कराया जा सकता है?

क्या कोर्ट द्वारा आदेश दिए गए गुज़ारेभत्ते की रकम को कम कराया जा सकता है?

हमारे भारत देश में महिलाओं को बहुत सारे अधिकार दिए गए है। जिनमे से एक गुज़ारा भत्ता या मेंटेनेंस का अधिकार भी है। यह मेंटेनेंस डाइवोर्स केस के दौरान माँगा जा सकता है। साथ ही, एक और परिस्थिति में इसकी मांग की जा सकती है वह है कि अगर दोनों पार्टनर्स का डाइवोर्स हो चुका …

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सहमति से बने संबंध को रेप क्यों नहीं कहा जा सकता है?

सहमति से बने संबंध को बलात्कार क्यों नहीं कहा जा सकता है?

आजकल भारत में तेजी से नई सभ्यता बढ़ रही है। इस सभ्यता के अनुसार एक लड़के और लड़की के बीच का अंतर कम हुआ है। लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते है, एक सकरात्मक और एक नकारात्मक। कई बार एक पुरुष और महिलाओं के साथ में रहने की वजह से इसके काफी सारे नकारात्मक …

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वकील की मौजूदगी में ही अपना बयान क्यों दर्ज करना चाहिए।

वकील की मौजूदगी में ही अपना बयान क्यों दर्ज करना चाहिए।

जब भी आप किसी केस में शामिल होते हैं तो अक्सर आप से पुलिस द्वारा सवाल जवाब पूछे जाते हैं। ऐसे में आप अपने स्टेटमेंट या बयान दबाव में होने की वजह से या डर कर दे देते हैं। जिसका कभी कभी बाद में बहुत नुकसान झेलना पड़ता है। ऐसे में हमें यह सावधानी रखनी …

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जीवनसाथी द्वारा आपराधिक शिकायत होना क्रूरता और तलाक का आधार है।

जीवनसाथी द्वारा आपराधिक शिकायत होना क्रूरता और तलाक का आधार है।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एक विलग रह रहे जोड़े को तलाक देते हुए कहा गया कि एक जीवन साथी द्वारा दूसरे के प्रति एक भी झूठी आपराधिक शिकायत दर्ज करना वैवाहिक क्रूरता की श्रेणी में ही आएगा। और इस तरह यह दूसरे जीवनसाथी को इस आधार पर तलाक लेने का अधिकार प्रदान करता है। श्रीनिवास …

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पति भी वैवाहिक मामले ट्रांसफर करा सकते है।

आख़िर पति ही हमेशा कष्ट क्यों सहें

जुलाई 2015 में भारत की उच्चतम न्यायालय ने वैवाहिक मामलों के स्थानांतरण के मामले में और उस पर पतियों को होने वाले कष्ट को ले कर टिप्पणी की थी। यह टिप्पणी एक रूप से विशेष समझी जानी चाहिए। क्योंकि पिछले दो दशकों से भारत की उच्चतम न्यायालय ने पत्नियों के वैवाहिक मामलों के स्थानांतरण के …

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वैवाहिक मामलों का ट्रांसफर किस आधार पर किया जाता है?

वैवाहिक मामलों का ट्रांसफर किस आधार पर किया जाता है?

भारत के उच्चतम न्यायालय को पूर्ण न्याय प्रदान करने की व्यवस्था सौंपी गई है। और अपने इस कर्तव्य के पालन में, इसे एक राज्य में एक उच्च न्यायालय या किसी अन्य अदालत के समक्ष लंबित मामले को भारत के भीतर दूसरे राज्य के न्यायिक न्यायालय में स्थानांतरित करने का अधिकार भी मिला हुआ है। ऐसे …

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आंकड़ें बताते है कि भारत में दहेज की बुराई किस हद्द तक फैली हुई है?

आंकड़ें बताते है कि भारत में दहेज की बुराई किस हद्द तक फैली हुई है?

‘दहेज मृत्यु’ मतलब दहेज़ के लिए की जाने वाली मृत्यु को इंडियन पीनल कोड(आईपीसी) या भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 304बी (1) के तहत परिभाषित किया गया है। इस परिभाषा के अनुसार, अगर शादी होने के सात सालों के अंदर लड़की या औरत की इन कारणों से मृत्यु हो जाती है तो उसे  “दहेज मृत्यु” …

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लिव-इन रिलेशनशिप से जन्मे बच्चे जायज़ है?

लिव-इन-रिलेशनशिप से जन्मे बच्चे समन्यायी है

लिव-इन रिलेशनशिप बिल्कुल शादी के रिश्ते जैसा ही एक रिश्ता होता है। इस रिश्ते में दो लोग बिल्कुल एक शादीशुदा कपल की तरह एक ही घर में साथ रहते है। हालाँकि, भारत में इस रिश्ते को कुछ ख़ास अहमियत या इज़्ज़त नहीं दी जाती है और ना ही कानून के तहत लिव इन रिलेशनशिप को …

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अगर भरण पोषण का भुगतान ना किया जाए, तो क्या परेशानियां हो सकती है?

अगर गुज़ारे भत्ते का भुगतान ना किया जाए, तो क्या परेशानियां हो सकती है?

कानून द्वारा तलाक के बाद भरण जीविकोपार्जन में असक्षम जीवनसाथी के पोषण या मेंटनेंस की बात कही गई है। तलाक के केस के बाद न्यायालय अक्सर भरण पोषण का आदेश देती हैं जिन्हें दिया जाना ज़रूरी होता है। मगर क्या हो यदि गुज़ारा भत्ता का भुगतान नहीं किया जाए? आज इस आलेख के माध्यम से …

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