क़ानून और धाराएं

उधार दिए पैसे वापस लेने की पूरी कानूनी प्रक्रिया: एक विस्तृत मार्गदर्शिका

The complete legal process for getting back the money you borrow: A detailed guide

उधार देना हमेशा एक विश्वास का संकेत होता है—चाहे वो दोस्ती का हो, व्यापार का या पारिवारिक रिश्ते का। लेकिन जब कोई समय पर पैसा वापस नहीं करता, तो यह भरोसा भारी चिंता और कानूनी झंझट में बदल सकता है। भारत में, यदि कोई व्यक्ति या संस्था उधार लिए पैसे लौटाने में असफल रहती है, …

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सूट डिक्लेरेशन के लिए केस कैसे फाइल करें?

How To File For Suit For Declaration?

भारतीय लॉयर्स द्वारा लाया गया सबसे पॉपुलर और इफेक्टिव तरीके का सिविल सूट/मुकदमा एक “डिक्लेरेशन सूट” है। कोर्ट के डिक्लेरेशन के आधार/बेस पर, यह डिक्लेरेशन और इंजक्शन रिलीफ दिया जाता है। एक सूट डिक्लेरेशन किसी भी मैटर पर कोर्ट द्वारा लिए गए फैसले के अगेंस्ट उच्च/हायर कोर्ट से की गई रिक्वेस्ट है। ज्यादातर सिचुऎशन्स में, …

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अनमैरिड महिला 20 हफ्तों की प्रेग्नेन्सी के बाद एबॉर्शन नहीं कर सकती है।

अनमैरिड महिला सहमति से प्रेग्नेंट होने पर 20 हफ्तों के बाद एबॉर्शन नहीं कर सकती

शादी के बाद प्रेग्नेंसी और शादी से पहले प्रेग्नेंट होने वाली महिलाओं को आमतौर पर देखा जाता है, लेकिन समाज में अन्य लोगों द्वारा इसे एक्सेप्ट और सपोर्ट नहीं किया जाता है। कई बार यह देखा गया है कि जो महिलाएं रेप, सेक्सुअल हेररेस्मेंट और अन्य सहमति के बिना सेक्सुअल रिलेशन्स बनने की वजह से …

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सीआरपीसी के सेक्शन 125 सामाजिक न्याय के लिए बनाई गई है।

सीआरपीसी के सेक्शन 125 सामाजिक न्याय के लिए बनाई गई है।

मुक्ति v यूपी राज्य के केस में फाइल की गयी एक क्रिमिनल रिविज़न से डील करने के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेक्शन 125 सीआरपीसी सामाजिक न्याय और स्पेशली बच्चों, महिलाएं और बूढ़े माता-पिता की सुरक्षा के लिए लाया गया है। कोर्ट ने आगे कहा कि यह सेक्शन आर्टिकल 15(3) के अंतर्गत आता है …

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स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 5 के तहत शादी की सूचना

स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 5 के तहत शादी की सूचना

हाल ही में, एस. सरथ कुमार v डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर और एक अन्य केस में, मद्रास हाई कोर्ट ने देखा कि स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 4 के तहत प्रदान की गई शर्तों और सेक्शन 5-13 में बताई गई प्रोसेस  जरूर फॉलो किया जाना चाहिए। इस प्रकार एक्ट के तहत शादी की रजिस्ट्रेशन के लिए एप्लीकेशन …

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डाइवोर्स के दौरान हस्बैंड के फाइनेंसियल अधिकार क्या है?

डाइवोर्स के दौरान हस्बैंड के फाइनेंसियल अधिकार क्या है?

हम में से ज्यादातर लोग इस फैक्ट को जानते हैं कि एक वाइफ को अपने हस्बैंड से अलग होने के दौरान या डाइवोर्स के बाद मेंटेनेंस का दावा करने का अधिकार है, लेकिन हस्बैंड के पास भी यह मेंटेनेंस का अधिकार है, जिसके बारे में  काफी लोगों को पता नहीं है। कानून के अनुसार, हस्बैंड …

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अगर कोई उधारी के पैसे वापस ना करे तो क्या करें?

What to do if someone does not return the borrowed money

भारत में उधारी देना एक आम सामाजिक व्यवहार है, जो अक्सर रिश्तों और विश्वास पर आधारित होता है। हालांकि, जब बात उधारी लौटाने की आती है, तो कई बार सामने वाला व्यक्ति बार-बार टालमटोल करता है या पैसे लौटाने से मना कर देता है। ऐसे में उधार देने वाले व्यक्ति को मानसिक दबाव और सामाजिक …

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नए एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल, 2021 के तहत एडवोकेट्स को अरेस्ट नहीं किया जा सकता

नए एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल, 2021 के तहत एडवोकेट्स को अरेस्ट नहीं किया जा सकता

सुप्रीम कोर्ट ने हरि शंकर रस्तोगी v गिरिधर शर्मा (1978) के केस में यह ऑब्ज़र्व किया कि ‘बार काउन्सि जुडीशियल सिस्टम का ही विस्तार/एक्सटेंशन है और एक एडवोकेट कोर्ट का एक ऑफ़िसर होता है। एक एडवोकेट कोर्ट के प्रति जवाबदेह होता है और हाई प्रोफेशनल एथिक्स के द्वारा चलाया जाता है। जुडीशियल सिस्टम की सफलता …

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हाई कोर्ट के जजों को उनके दौरे पर गिफ्ट्स ना दें: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट

हाई कोर्ट के जजों को उनके दौरे पर गिफ्ट्स ना दें: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट

हाल ही में एक दिलचस्प घटना तब हुई जब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने एक सर्कुलर जारी करयह कहा कि सबोर्डिनेट कोर्ट्स के जुडिशल ऑफिसर्स को हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस को अपने साथ लेकर आने और जाने, यात्रा करने, होटल में ठहरने, भोजन की व्यवस्था करने या गिफ्ट्स देने  आदि …

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सेक्शन 438 के तहत एंटीसिपेट्री बेल कैसे ले सकते है?

सेक्शन 438 के तहत एंटीसिपेट्री बेल कैसे ले सकते है?

बेसिकली जमानत या बेल सस्पेक्ट पर लगाई जाने वाली एक प्री-ट्रायल रीस्ट्रिक्शन होती है। इसे सस्पेक्ट मतलब जिस व्यक्ति पर कोई जुर्म करने का शक है उस पर इसीलिए लगाया जाता है ताकी वह कोर्ट की लीगल प्रोसीडिंग्स/कार्यवाही में कोई रुकावट ना डाल सके। आसान शब्दों में समझे तो किसी व्यक्ति को बेल या रिहाई …

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