अगर पार्टनर जान-बूझकर आपको छोड़ दे

अगर आपका पार्टनर जान-बूझकर आपको छोड़ दे तो क्या करें?

शादी की डोर बहुत नाज़ुक होती है। कई बार ये किसी कारण से टूट भी जाती है। लेकिन अगर किसी व्यक्ति का पार्टनर उसे बिना किसी गलती के ही हमेशा के लिए छोड़ कर चला जाये तो क्या इसके लिए कोई कानून है? जी हाँ। कानून की भाषा में इसे “डीज़रशन” या “परित्याग” कहते हैं। …

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डाइवोर्स के बाद महिलाओं के एलिमनी से जुड़े अधिकार क्या है?

डाइवोर्स के बाद महिलाओं के मेंटेनेंस से जुड़े अधिकार क्या है?

शादी एक ज़िन्दगी भर का कमिटमेंट होता है। जब दो लोगों की शादी होती है। तो एक दूसरे की तरफ उनके कुछ कर्तव्य भी होते है। दुर्भाग्यवश कुछ शादियां टूट जाती है। लेकिन शादी टूटने या डाइवोर्स होने पर भी सारे दायित्व ख़त्म नहीं होते है। जैसे की डाइवोर्स के बाद भी एलिमनी देना, बच्चों …

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भारत में चाइल्ड कस्टडी से जुड़े कानून क्या हैं?

What are the laws related to child custody in India

किसी भी परिवार में तलाक या विवाह विच्छेद की स्थिति बेहद नाजुक होती है, और जब इसमें बच्चों की कस्टडी का मुद्दा जुड़ता है, तो स्थिति और भी जटिल हो जाती है। बच्चों के साथ क्या सही होगा, इसका निर्णय किसी एक गार्डियन  पर नहीं छोड़ा जा सकता। इस अध्याय में यह बताया गया है …

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कोर्ट मैरिज सही प्रोसेस से परफॉर्म ना करने के परिणाम।

कोर्ट मैरिज सही प्रोसेस से ना करने के परिणाम।

आजकल, लोग कई कारणों से जल्दबाज़ी में कोर्ट मैरिज कर लेते है। कारण कुछ भी हो सकता है जैसे – समय की कमी, पैसों की बचत या फिर फैमिली की मर्जी के बिना अपने प्यार से शादी करना, आदि। लेकिन यह जानना जरूरी है कि कोर्ट मैरिज करने का सही प्रोसीजर क्या है? क्योंकि कानूनी …

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हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के तहत जुडीशियल सेपरेशन और डाइवोर्स का क्या दायरा है?

हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के तहत जुडीशियल सेपरेशन और डाइवोर्स का क्या दायरा है?

जुडीशियल सेपरेशन और डाइवोर्स दोनों अलग है। आईये जानते है कोर्ट के अनुसार इन दोनों के क्या दायरे है। जुडीशियल सेपरेशन और डाइवोर्स के दायरे:- (1) हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 के सेक्शन 13(1) के तहत जुडीशियल सेपरेशन और डाइवोर्स दोनों सेम आधारों पर मिलते है, लेकिन दोनों अलग-अलग तरह राहत पहुंचाते है। (2) जुडीशियल सेपरेशन …

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कोर्ट मैरिज का सही और लीगल तरीका क्या है?

What is the correct and legal way of court marriage

कोर्ट मैरिज क्यों और कब करें? कोर्ट मैरिज एक कानूनी और वैधानिक तरीका है, जिसमें दो बालिग व्यक्ति बिना किसी धार्मिक अनुष्ठान के, आपसी सहमति से विवाह करते हैं। यह प्रक्रिया भारत के स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 के तहत होती है, जो धर्म, जाति या राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना विवाह की अनुमति देता है। …

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भारत में तलाक के बाद दोबारा शादी कब कर सकते हैं? – पूरी कानूनी जानकारी

When can you remarry after divorce in India – Complete legal information

तलाक एक अंत नहीं, एक नई शुरुआत तलाक का फैसला किसी भी जोड़े के लिए आसान नहीं होता। यह एक दर्दनाक प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन तलाक का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि जीवन यहीं समाप्त हो गया। कई लोग तलाक के बाद एक नई शुरुआत करना चाहते हैं — चाहे वह दूसरी शादी …

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शादी के कितने समय बाद तलाक लिया जा सकता है? जानें पूरी कानूनी प्रक्रिया

How long after marriage can a divorce be taken Know the entire legal process

भारत में विवाह केवल एक सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि यह एक कानूनी अनुबंध भी है। यह एक ऐसी संस्था है, जो पति-पत्नी के बीच कई अधिकारों और जिम्मेदारियों का निर्धारण करती है।  जब यह संबंध बिगड़ते हैं और एक साथ रहना संभव नहीं होता, तो तलाक एक कानूनी उपाय बन जाता है। लेकिन, क्या शादी …

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इंटरकास्ट शादी करने पर सरकार की तरफ से कितने पैसे मिलते है।

कपल कोर्ट मैरिज करके रुपए प्राप्त कर सकते हैं।

भारतीय संविधान के अनुसार, सभी बालिग़ नागरिकों अधिकार है कि वह अपनी मर्जी से अपना लाइफ पार्टनर चुन सकते है। बशर्ते सभी कपल को कानून में बनाये गए शादी के सभी नियमों का पालन करना होगा। लेकिन ज्यादातर पेरेंट्स अपने बच्चों की शादी अपनी ही जाती या धर्म में करना चाहते है। जिससे युवाओं का …

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भारत में डाइवोर्स लेने के नियमों में आए ये बदलाव।

भारत में डाइवोर्स लेने के नियमों में आए ये बदलाव।

भारत के सभी डाइवोर्स लॉ का मेन मोटिव कपल के बीच सुलह कराना और उन्हें साथ लाने की कोशिश करना है। लेकिन, अगर कपल किसी भी सिचुएशन में अपनी शादी में एडजस्ट नहीं करना चाहते है, तो कोर्ट द्वारा डाइवोर्स दे दिया जाता है। डाइवोर्स के बाद कपल की शादी कानूनी तौर पर ख़त्म हो …

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