हम जमानत के लिए वकील कैसे रख सकते हैं?

हम जमानत के लिए वकील कैसे रख सकते हैं?

जब किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे जमानत पाने का कानूनी अधिकार होता है। जमानत पुलिस की हिरासत से एक व्यक्ति की कानूनी रिहाई है जिस पर कुछ अपराधों का आरोप लगाया गया है। किसी भी व्यक्ति को अपनी जमानत के लिए वकील की ज़रूरत होती है।  आइये आज के इस लेख …

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आरटीआई फाइल करने की पूरी प्रोसेस क्या है?

आरटीआई फाइल करने की पूरी प्रोसेस क्या है?

सूचना का अधिकार अधिनियम लागू करने का मुख्य उद्देश्य देश के नागरिकों को ज्यादा शक्ति देना है। ऐसा करने के लिए, राष्ट्र की सरकार को उनके द्वारा किए जाने वाले कामों के लिए जवाबदेह होना चाहिए, भ्रष्टाचार को खत्म करना चाहिए, और वास्तव में लोकतंत्र के लिए काम करना चाहिए। जिन नागरिकों को अपने देश, …

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लिव-इन में रहने वाले कपल्स किस प्रकार सुरक्षा प्राप्त कर सकते है?

लिव-इन में रहने वाले कपल्स किस प्रकार सुरक्षा प्राप्त कर सकते है?

लिव-इन रिलेशनशिप का मतलब होता है “शादी जैसा रिश्ता”। जब एक बालिग़(18+) लड़का और लड़की अपनी मर्जी से बिना शादी किये एक साथ शादीशुदा कपल की तरह एक ही छत्त के नीचे रहते है, तो उसे लिव-इन रिलेशनशिप कहा जाता है।  लेकिन भारत में लंबे समय से लिव-इन को वर्जित माना जाता था। इस रिश्ते …

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शादी के बाद सरनेम बदलने से क्या फायदे होते हैं?

शादी के बाद सरनेम बदलने से क्या फायदे होते हैं?

हमारे देश भारत में शादी के बाद अक्सर महिलाएं अपना सरनेम अपने पति के अनुसार रख लेती हैं। लेकिन कई बार अक्सर हम लोगों के मन में कुछ सवाल उठते हैं जैसे क्या यह अनिवार्य है कि भारतीय महिलाएं शादी के बाद अपना सरनेम अपने पति के अनुसार ही रखें ? शादी के बाद सरनेम …

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क्या शादी के बाद अपना सरनेम बदलना जरूरी है?

क्या शादी के बाद अपना सरनेम बदलना जरूरी है?

भारत परंपरा प्रधान देश है। इसलिए यहां आज भी महिलाएं शादी के बाद अपना सरनेम अपने पति के सरनेम के अनुसार रख लेती हैं, और ये बड़े बड़े सेलिब्रिटी भी करते है । नई शादी हुई लड़कियों को सरनेम बदलने के पीछे कई सामाजिक तर्क सुनने को मिलते हैं जैसे महिला को पति की जायदाद …

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पॉक्सो चार्ज के केस में दिल्ली हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

पॉक्सो चार्ज के केस में दिल्ली हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय

पॉक्सो चार्ज 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों अर्थात नाबालिगों के लिए यौन सुरक्षा प्रदान करता है । यह अधिनियम बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों यौन उत्पीड़न को कम करने के उद्देश्य तथा इसको बिल्कुल भी खत्म करने के उद्देश्य से बनाया गया है इस अपराध के तहत अपराधी को अन्य महिला …

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चेक बाउंस मामले में समझौता नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट का नवीनतम फैसला

Compromise in cheque bounce case cannot be ignored Latest Supreme Court judgement

हाल के समय में भारत में चेक बाउंस के मामले बहुत सामान्य हो गए हैं, और इनसे जुड़ी कानूनी जटिलताएँ अक्सर चर्चा का विषय बनती हैं। ये मामले आमतौर पर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत आते हैं, जब कोई व्यक्ति अपना कर्ज चुकाने के लिए चेक देता है, लेकिन चेक अदा …

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क्या नाबालिग पत्नी से मैरिटल रेप में POSCO लगेगी?

नाबालिग लड़की से जबरदस्ती शादी करके रेप करने पर पॉक्सो के तहत सज़ा के क्या प्रावधान है।

भारत के संविधान के अनुसार किसी भी 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नाबालिग माना जाता है । यदि किसी नाबालिग बच्चे के साथ किसी भी तरह का सेक्सुअल क्राइम होता है तो उसका निस्तारण पाक्सो कानून के अंतर्गत होता है । इस तरह के मुकदमों की स्पेशल कोर्ट सुनवाई करता है । …

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क्या केस में देरी होना आर्टिकल 21 का उल्लंघन है?

केस में देरी होना आर्टिकल 21 का उल्लंघन है।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी एक टिप्पणी के माध्यम से उच्च न्यायालयों से कहा है कि शीघ्रता से फैसला न आना अथवा निर्णय देने में देरी वास्तव में संविधान के आर्टिकल 21 का उल्लंघन है । इसलिए सभी न्यायालयों को चाहिए कि वे इससे बचें। सुप्रीम कोर्ट के इस टिप्पणी के अनुसार  “न्याय …

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दोबारा रिमांड के आदेश देना केस को लंबा खींचता है।

दोबारा रिमांड के आदेश देना केस को लंबा खींचता है।

हाल ही में यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में दी । उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द करने का आदेश दिया था जिसमें हाईकोर्ट द्वारा रिमांड को लेकर एक आदेश दिया गया था । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रीमांड का आदेश मुकदमे को और अधिक लंबा …

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