स्टार्टअप में ट्रेडमार्क से जुड़ी 10 आम गलतियाँ – जानिए ब्रांड को कानूनी रूप से सुरक्षित कैसे करें?

10 Common Trademark Mistakes in Startups – Learn How to Legally Protect Your Brand

स्टार्टअप की शुरुआत में नया बिज़नेस बनाना बहुत रोमांचक होता है, लेकिन इसी जोश में हम अक्सर अपने ब्रांड की कानूनी सुरक्षा को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। आपके पास एक आकर्षक नाम, अलग लोगो (Logo) या शानदार प्रोडक्ट हो सकता है लेकिन अगर आपने उसका ट्रेडमार्क रजिस्टर नहीं कराया, तो वो कानूनी रूप से आपका नहीं है।

सोचिए, आपने महीनों मेहनत करके अपना ब्रांड बनाया और फिर पता चला कि किसी और ने आपके नाम या लोगो को पहले ही रजिस्टर करवा लिया है। अब आपको अपना नाम बदलना पड़ेगा और सबकुछ फिर से शुरू करना होगा। ऐसा कई स्टार्टअप्स के साथ होता है, सिर्फ इसलिए क्योंकि उन्होंने समय पर ट्रेडमार्क नहीं कराया।

ट्रेडमार्क आपके बिज़नेस की पहचान होती है। यह आपको आपके ब्रांड नाम, लोगो या टैगलाइन पर कानूनी अधिकार देता है और किसी और को उसे कॉपी करने से रोकता है। अब आइए जानते हैं वो 10 आम गलतियाँ जो स्टार्टअप्स ट्रेडमार्क के मामले में करते हैं, और उनसे कैसे बचा जा सकता है।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

ब्रांड नाम तय करने से पहले ट्रेडमार्क सर्च न करना

कई स्टार्टअप्स जल्दबाज़ी में अपना ब्रांड शुरू कर देते हैं, लोगो बनाते हैं, विज़िटिंग कार्ड छपवाते हैं, सोशल मीडिया पेज शुरू कर देते हैं  लेकिन यह नहीं देखते कि उनका नाम पहले से किसी और के नाम पर तो रजिस्टर्ड नहीं है। यही गलती बाद में सबसे बड़ी और महंगी साबित होती है।

अगर आपका चुना हुआ नाम पहले से किसी और के नाम पर ट्रेडमार्क है, तो आपकी ट्रेडमार्क एप्लिकेशन रिजेक्ट हो सकती है या फिर असली मालिक आप पर कानूनी कार्रवाई भी कर सकता है।

कानूनी सलाह: ब्रांड का नाम या लोगो फाइनल करने से पहले हमेशा IP India की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ट्रेडमार्क सर्च करें। सही क्लास में सर्च करें और ऐसे नामों से बचें जो पहले से मौजूद नामों जैसे दिखते या सुनाई देते हों।

उदाहरण: अगर कोई “Urban Threads” नाम की कपड़ो की कंपनी पहले से रजिस्टर्ड है, तो आपकी “Urban Thredz” नाम की कंपनी भी कानूनी विवाद में फँस सकती है।

साधारण या सीधा बताने वाला नाम का इस्तेमाल करना

कई स्टार्टअप ऐसे नाम चुन लेते हैं जो उनके प्रोडक्ट या सर्विस को सीधे तरीके से बताते हैं, जैसे “Best Bakers,” “Pure Water,” या “Tech Solutions” । ऐसे नाम सुनने में आसान लगते हैं, लेकिन ये बहुत साधारण होते हैं और ट्रेडमार्क के लिए मान्य नहीं माने जाते।

ट्रेडमार्क एक्ट, 1999 के अनुसार, ब्रांड का नाम अलग और पहचान योग्य होना चाहिए, ऐसा जो ग्राहकों को आपकी पहचान कराए, न कि सिर्फ यह बताए कि आप क्या बेचते हैं।

कानूनी सलाह: ऐसा नाम चुनें जो नया या संकेत देने वाला हो। जैसे – “Swiggy” खाने से जुड़ा नाम लगता है, और “Ola” मूवमेंट (सफर) का अहसास कराता है, लेकिन दोनों सीधे अपनी सर्विस का ज़िक्र नहीं करते। ऐसे नाम मजबूत होते हैं और कोर्ट में आसानी से बचाव किए जा सकते हैं।

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ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन में देरी करना

अक्सर स्टार्टअप सोचते हैं – “अभी तो नया बिज़नेस शुरू किया है, बाद में ट्रेडमार्क करवा लेंगे।” लेकिन यह सोच बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती है।

ट्रेडमार्क “पहले आवेदन करने वाले” को दिया जाता है, न कि उस व्यक्ति को जिसने नाम पहले इस्तेमाल किया हो। इसलिए अगर कोई दूसरा व्यक्ति आपके ब्रांड नाम को आपसे पहले रजिस्टर कर लेता है, तो आप अपना नाम कानूनी रूप से खो सकते हैं।

कानूनी सलाह: जैसे ही आपका ब्रांड नाम या लोगो तैयार हो, तुरंत ट्रेडमार्क के लिए आवेदन करें। आवेदन करते ही आप अपने नाम के साथ “™” चिन्ह लगा सकते हैं और तब तक सुरक्षा पा सकते हैं जब तक रजिस्ट्रेशन पूरा न हो जाए।

लोगो और टैगलाइन को अलग से रजिस्टर न करवाना

अधिकतर स्टार्टअप ये गलती करते हैं कि अगर ब्रांड नाम रजिस्टर हो गया, तो लोगो और टैगलाइन अपने आप सुरक्षित हो जाएंगे। लेकिन कानून में हर चीज़, नाम, लोगो और टैगलाइन को अलग पहचान (ट्रेडमार्क) माना जाता है।

अगर आपने सिर्फ नाम रजिस्टर कराया है और कोई आपका लोगो या टैगलाइन कॉपी कर लेता है, तो आपको उस पर पूरी कानूनी सुरक्षा नहीं मिलेगी।

कानूनी सलाह: हमेशा अलग-अलग ट्रेडमार्क आवेदन करें —

  • वर्ड मार्क (ब्रांड का नाम)
  • लोगो (डिज़ाइन या निशान)
  • टैगलाइन या स्लोगन जैसे “Just Do It”

इससे आपके ब्रांड की हर पहचान कानूनी रूप से सुरक्षित रहेगी।

ट्रेडमार्क क्लास का सही चयन न करना

ट्रेडमार्क को 45 अलग-अलग क्लासों (श्रेणियों) में बाँटा गया है, हर क्लास किसी खास सामान या सेवा से जुड़ी होती है। अगर आपने गलत क्लास में आवेदन कर दिया, तो आपका ट्रेडमार्क आपके असली बिजनेस को कानूनी सुरक्षा नहीं देगा।

  • उदाहरण: अगर आपकी कंपनी कपड़े बेचती है, लेकिन आपने ट्रेडमार्क क्लास 35 (रिटेल सर्विस) में कराया, तो आपकी सुरक्षा क्लास 25 (कपड़ा निर्माण) पर लागू नहीं होगी।
  • कानूनी सलाह: अपने बिजनेस मॉडल को समझकर सही क्लास में आवेदन करें। जैसे:
  • फैशन स्टार्टअप: क्लास 25 (कपड़े), क्लास 35 (ऑनलाइन स्टोर)
  • फूड डिलीवरी स्टार्टअप: क्लास 43 (रेस्टोरेंट सर्विस), क्लास 39 (डिलीवरी सर्विस)

हमेशा किसी विशेषज्ञ वकील से सलाह लेकर सही क्लास या कॉम्बिनेशन चुनें ताकि आपका ब्रांड पूरी तरह सुरक्षित रहे।

सोचना कि डोमेन नेम खरीदने से ट्रेडमार्क का मालिकाना हक़ मिल जाता है

कई लोग सोचते हैं कि अगर उन्होंने अपनी वेबसाइट का डोमेन, जैसे mybrand.com या brand.in खरीद लिया, तो अब वो उस नाम के कानूनी मालिक बन गए हैं। लेकिन यह गलत है।

डोमेन नेम केवल ऑनलाइन पता होता है, इसकी देखरेख डोमेन रजिस्ट्रार करते हैं, ट्रेडमार्क कार्यालय नहीं। अगर किसी और व्यक्ति के पास उस नाम का रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क है, तो वह आपका डोमेन कानूनी रूप से वापस ले सकता है।

कानूनी सलाह: हमेशा अपने ब्रांड का डोमेन और ट्रेडमार्क दोनों रजिस्टर करें। डोमेन आपको डिजिटल पहचान देता है, और ट्रेडमार्क कानूनी सुरक्षा। अगर कोई आपकी वेबसाइट का नाम गलत इस्तेमाल कर रहा है, तो इंडियन डोमेन नाम डिस्प्यूट रेसोलुशन पालिसी (INDRP) के तहत शिकायत दर्ज करें।

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दूसरे ब्रांड की नकल या कॉपी करना (चाहे थोड़ा ही क्यों न हो)

कई स्टार्टअप्स मशहूर ब्रांड्स से “प्रेरित” होकर बस कुछ अक्षर या रंग बदल देते हैं — जैसे “Starbuks” की जगह “Starbucks” या “MekD” की जगह “McDonald’s” । यह सीधा ट्रेडमार्क उल्लंघन है और इस पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

कानूनी सलाह: हमेशा अपनी अलग पहचान बनाएं। अगर आपके ब्रांड का नाम या लोगो किसी पुराने ब्रांड से थोड़ा भी मिलता-जुलता है और ग्राहकों को भ्रम होता है, तो अदालत इसे उल्लंघन मान सकती है।

ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के बाद उसका सही उपयोग न करना

कई बार कंपनियां ट्रेडमार्क तो रजिस्टर कर लेती हैं, लेकिन बाद में लोगो, फॉन्ट या नाम की शैली बदल देती हैं। ध्यान रखें — ट्रेडमार्क सुरक्षा केवल उसी डिज़ाइन या नाम पर लागू होती है जो रजिस्टर्ड हुआ है। अगर आप इसे बदलते हैं और नया आवेदन नहीं करते, तो कानूनी सुरक्षा खत्म हो सकती है।

इसके अलावा, अगर आप 5 साल तक अपना ट्रेडमार्क उपयोग नहीं करते, तो यह रद्द भी हो सकता है।

कानूनी सलाह: हर जगह पैकेजिंग, सोशल मीडिया, विज्ञापन और बिलिंग में, एक ही ट्रेडमार्क का लगातार उपयोग करें। अगर कोई बदलाव करें, तो नए डिज़ाइन के लिए नया आवेदन ज़रूर करें।

ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के बाद उसकी निगरानी न करना

सिर्फ ट्रेडमार्क रजिस्टर कर लेना ही काफी नहीं है। कई स्टार्टअप्स बाद में यह नहीं देखते कि कोई और उनके ब्रांड का नाम या लोगो तो कॉपी नहीं कर रहा। अगर आप समय पर कदम नहीं उठाते, तो बाद में अपने अधिकार साबित करना मुश्किल हो जाता है।

कानूनी सलाह: अपने ब्रांड पर नज़र रखें, Google Alerts लगाएं या IP Monitoring Tools का इस्तेमाल करें।

अगर कोई आपकी पहचान का दुरुपयोग कर रहा हो, 

  • तो लीगल नोटिस भेजें (Cease & Desist)
  • अगर किसी ने समान नाम से आवेदन किया है, तो विरोध दर्ज करें
  • ज़रूरत पड़े तो सिविल या क्रिमिनल कार्रवाई करें।

लापरवाही करने से आपका ब्रांड कमजोर हो जाता है और भविष्य में कानूनी सुरक्षा घट जाती है।

ट्रेडमार्क को रिन्यू करना भूल जाना

भारत में ट्रेडमार्क की वैधता 10 साल होती है। अगर आप समय पर रिन्यू नहीं करते, तो यह समाप्त हो जाता है, और कोई और व्यक्ति आपके ब्रांड नाम पर दावा कर सकता है।

यह गलती कई स्टार्टअप्स इसलिए कर देते हैं क्योंकि वे बिज़नेस बढ़ाने की भागदौड़ में कानूनी औपचारिकताएँ नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

कानूनी सलाह: ट्रेडमार्क की वैधता खत्म होने से पहले Form TM-R के जरिए रिन्यू करें। अगर भूल जाएं, तो 6 महीने की अतिरिक्त अवधि में लेट फीस देकर भी रिन्यू किया जा सकता है।

ट्रेडमार्क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले

कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड बनाम कैडिला फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (2001)

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर दो ब्रांड नाम एक जैसे सुनाई देते हैं या दिखते हैं, तो इससे ग्राहक भ्रमित हो सकते हैं और यह ट्रेडमार्क उल्लंघन माना जाएगा।

डीएचएल इंटरनेशनल बनाम डीएलएच एक्सप्रेस (2016)

कोर्ट ने फैसला दिया कि अंतरराष्ट्रीय ब्रांडों को भारत में भी सुरक्षा मिलती है, भले ही उन्होंने अभी भारतीय बाजार में काम शुरू न किया हो।

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टोयोटा जिदोशा काबुशिकी बनाम प्रियस ऑटो इंडस्ट्रीज (2017)

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जो ब्रांड पहले से प्रसिद्ध है या पहले उपयोग में है, उसे ओनरशिप के विवादों में प्राथमिकता दी जाएगी।

ट्रेडमार्क उल्लंघन पर कानूनी उपाय

अगर कोई आपकी कंपनी का नाम, लोगो या टैगलाइन बिना अनुमति के इस्तेमाल करता है, तो आप ये कानूनी कदम उठा सकते हैं —

  • सीज एंड देसिस्ट नोटिस: यह एक कानूनी चेतावनी पत्र होता है जिसमें उल्लंघन करने वाले को तुरंत ब्रांड का उपयोग बंद करने के लिए कहा जाता है।
  • सिविल सूट: आप डिस्ट्रिक्ट कोर्ट या हाई कोर्ट में केस दर्ज कर सकते हैं ताकि वह व्यक्ति आपका ब्रांड इस्तेमाल न कर सके।
  • डेमेजिस या कंपनसेशन: अगर आपके ब्रांड की प्रतिष्ठा या बिक्री को नुकसान हुआ है, तो आप कंपनसेशन मांग सकते हैं।
  • क्रिमिनल कंप्लेंट: ट्रेडमार्क की नक़ल करना अपराध है। ट्रेडमार्क एक्ट की धारा 103 और 104 के तहत इसमें जेल और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।

स्टार्टअप्स के लिए प्रैक्टिकल टिप्स

  • ब्रांड लॉन्च करने से पहले किसी आईपी (IP) वकील से सलाह ज़रूर लें।
  • अपने ट्रेडमार्क सर्टिफिकेट और रिन्यूअल रिकॉर्ड्स सुरक्षित रखें।
  • अगर आप विदेश में व्यापार बढ़ाना चाहते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ट्रेडमार्क रजिस्टर करें।
  • लोगो या पैकिंग में बदलाव करने पर नया आवेदन फाइल करें ताकि कानूनी सुरक्षा बनी रहे।

निष्कर्ष

आज के दौर में आपका ब्रांड आपकी सबसे बड़ी पहचान है। अगर आपने ट्रेडमार्क को सही तरीके से सुरक्षित नहीं किया, तो किसी और के पास आपके नाम या लोगो के अधिकार जा सकते हैं। इन 10 आम गलतियों से बचकर और सही समय पर कानूनी कदम उठाकर, आप अपने स्टार्टअप का नाम, लोगो और प्रतिष्ठा सुरक्षित रख सकते हैं।

मजबूत ब्रांड केवल मार्केटिंग से नहीं बनता – उसे कानून से सुरक्षा भी चाहिए।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

1. क्या बिना रजिस्ट्रेशन के “™” इस्तेमाल कर सकते हैं?

हाँ, अगर आपने आवेदन फाइल किया है तो “™” इस्तेमाल किया जा सकता है, भले ही रजिस्ट्रेशन पूरा न हुआ हो।

2. “™” और “®” में क्या फर्क है?

“™” का मतलब है आवेदन फाइल हुआ है, जबकि “®” का मतलब है कि ट्रेडमार्क औपचारिक रूप से रजिस्टर्ड हो चुका है।

3. क्या एक ही ब्रांड को कई क्लास में रजिस्टर किया जा सकता है?

हाँ, अगर आपकी कंपनी अलग-अलग क्षेत्रों में काम करती है तो हर संबंधित क्लास में आवेदन करें।

4. अगर कोई मेरे बाद मिलता-जुलता नाम रजिस्टर करे तो क्या करूँ?

आप 4 महीने के अंदर उसकी एप्लिकेशन पर विरोध दर्ज कर सकते हैं।

5. भारत में ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन में कितना समय लगता है?

आमतौर पर 12 से 18 महीने लगते हैं, यह आपत्ति या विरोध पर निर्भर करता है।

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