NRI प्रॉपर्टी फ्रॉड के सबसे आम 10 तरीके – कैसे बचें और क्या कानूनी उपाय हैं?

10 Most Common NRI Property Frauds – How to Avoid Them and What Are the Legal Remedies

कई NRIs के लिए भारत में प्रॉपर्टी खरीदना सुरक्षा, परिवार से जुड़ाव और लम्बे समय का इन्वेस्टमेंट माना जाता है। लेकिन भारत से दूर होने के कारण कुछ जोखिम भी जुड़े होते हैं। धोखेबाज़ इसका फायदा उठाते हैं क्योंकि NRI अक्सर प्रॉपर्टी का रूटीन इंस्पेक्शन नहीं कर सकते, दस्तावेज़ खुद से नहीं देख सकते और बार-बार भारत नहीं आ सकते।

प्रोपेर्ट फ्रॉड अक्सर धीरे-धीरे होता है – दस्तावेज़ फर्जी बनाए जाते हैं, प्रॉपर्टी गलत तरीके से बेची जाती है या बिना सहमति के कब्ज़ा ले लिया जाता है। जब NRI को इसका पता चलता है, तब तक कई साल बीत चुके होते हैं।

अच्छी बात यह है कि भारतीय कानून NRIs को मजबूत सुरक्षा देता है, अगर समय पर कार्रवाई की जाए। सामान्य फ्रॉड के तरीकों को समझना पहला कदम है रोकथाम और सुरक्षा के लिए।

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NRI प्रॉपर्टी फ्रॉड क्या है?

प्रॉपर्टी फ्रॉड का मतलब सिर्फ कब्ज़ा कर लेना नहीं होता। इसमें कई तरह की धोखाधड़ी शामिल हो सकती है, जैसे:

  • फ्रॉड – जानबूझकर गलत जानकारी देकर नुकसान पहुँचाना
  • अवैध कब्ज़ा – बिना कानूनी अधिकार के प्रॉपर्टी पर कब्ज़ा
  • ब्रीच ऑफ़ ट्रस्ट – भरोसे का गलत इस्तेमाल

NRI मामलों में ये केस ज़्यादा जटिल होते हैं क्योंकि मालिक दूर होता है और समय पर प्रतिक्रिया नहीं दे पाता। इसलिए सही समय पर कार्रवाई बेहद ज़रूरी है।

NRI प्रॉपर्टी फ्रॉड के कौन-कौन से प्रकार होते हैं?

1. फर्जी पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी (POA) धोखाधड़ी

कई बार धोखेबाज़ पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी का गलत इस्तेमाल करके बिना मालिक की अनुमति प्रॉपर्टी बेच देते हैं, बंधक रखते हैं या मालिकाना हक़ गलत तरीके से ट्रांसफर कर देते हैं। कभी-कभी रिश्तेदार या एजेंट भी अपनी सीमा से ज्यादा अधिकार ले लेते हैं या फर्जी POA का उपयोग करते हैं। इसे रोकने के लिए हमेशा सीमित और स्पष्ट POA जारी करें, इसे रजिस्टर कराएँ और इस्तेमाल के बाद तुरंत रद्द करें।

कानूनी उपाय: सेल डीड रद्द कराने के लिए सिविल केस दायर किया जा सकता है। धोखाधड़ी और फॉर्जरी की पुलिस शिकायत की जा सकती है। आगे के लेन-देन रोकने के लिए कोर्ट से इंस्ट्रक्शन लिया जा सकता है।

2. मालिक की जानकारी के बिना अवैध बिक्री

धोखेबाज़ अक्सर फर्जी दस्तावेज़, नकली सिग्नेचर और कभी-कभी स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से प्रॉपर्टी बेच देते हैं। इसे रोकने के लिए प्रॉपर्टी रिकॉर्ड नियमित चेक करें, SMS/ईमेल अलर्ट सेट करें और भरोसेमंद वकील नियुक्त करें।

कानूनी उपाय: मालिकाना हक़ की घोषणा के लिए सिविल केस दायर किया जा सकता है। धोखाधड़ी के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है। म्यूटेशन रद्द करने का आवेदन भी किया जा सकता है।

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3. फर्जी प्रॉपर्टी दस्तावेज़

कभी फर्जी सेल डीड, वसीयत या समझौते बनाकर धोखाधड़ी की जाती है। इसे रोकने के लिए दस्तावेज़ रजिस्ट्रार से जांच कराएँ, टाइटल सर्च करवाएँ और असली दस्तावेज़ सुरक्षित रखें।

कानूनी उपाय: फॉरेंसिक वेरिफिकेशन कराके दस्तावेज़ की सत्यता जांची जा सकती है। फॉर्जरी के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। दस्तावेज़ को अवैध घोषित कराने के लिए सिविल केस दायर किया जा सकता है।

4. अतिक्रमण और अवैध कब्ज़ा

खाली या अप्रयुक्त प्रॉपर्टी पर धीरे-धीरे पड़ोसी या ज़मीन हड़पने वाले कब्ज़ा कर लेते हैं। इसे रोकने के लिए फेंसिंग, साइनबोर्ड और नियमित निरीक्षण जरूरी है।

कानूनी उपाय: अतिक्रमण हटाने के लिए निकासी का केस दायर किया जा सकता है। पुलिस से मदद ली जा सकती है और नागरिक अदालत में इंस्ट्रक्शन के लिए आवेदन किया जा सकता है।

5. बिल्डर धोखाधड़ी और प्रोजेक्ट में देरी

कई बिल्डर पैसे लेने के बाद प्रोजेक्ट की डिलीवरी में देरी करते हैं, लेआउट बदलते हैं या गायब हो जाते हैं। इसे रोकने के लिए RERA रजिस्ट्रेशन जांचें, बिल्डर का रिकॉर्ड देखें और पूरी राशि अग्रिम में न दें।

कानूनी उपाय: RERA शिकायत दर्ज कर सकते हैं। कंज्यूमर कोर्ट में दावा दायर कर रिफंड, ब्याज और क्षतिपूर्ति की मांग की जा सकती है।

6. रिश्तेदारों या परिवार के सदस्यों द्वारा धोखाधड़ी

कभी नजदीकी रिश्तेदार भरोसे का दुरुपयोग कर प्रॉपर्टी बेच देते हैं, मालिकाना दावा करते हैं या प्रॉपर्टी खाली करने से इंकार करते हैं। इससे बचने के लिए लिखित समझौते करें और स्पष्ट दस्तावेज़ रखें।

कानूनी उपाय: प्रॉपर्टी का विभाजन कराने के लिए केस दायर किया जा सकता है। विश्वास तोड़ने पर आपराधिक मामला दर्ज किया जा सकता है। प्रॉपर्टी की रिकवरी के लिए कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

7. फर्जी किरायेदार और किराया धोखाधड़ी

किरायेदार किराया बंद कर देते हैं, मालिकाना हक़ का दावा करते हैं या प्रॉपर्टी को अवैध रूप से सबलेट कर देते हैं। इसे रोकने के लिए रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट, पुलिस वेरिफिकेशन और नियमित किराया निगरानी जरूरी है।

कानूनी उपाय: निकासी का केस दायर किया जा सकता है। किराया वसूली के लिए केस किया जा सकता है। फर्जी दस्तावेज़ होने पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

8. प्रॉपर्टी की डबल बिक्री

कुछ विक्रेता एक ही प्रॉपर्टी कई लोगों को बेच देते हैं। इससे बचने के लिए टाइटल सर्च कराएँ, सेल डीड तुरंत रजिस्टर कराएँ और अनरजिस्टर्ड समझौते से बचें।

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कानूनी उपाय: डील रद्द करने के लिए सिविल केस दायर किया जा सकता है। धोखाधड़ी के लिए पुलिस में मामला दर्ज किया जा सकता है। पैसे वसूलने के लिए कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

9. फर्जी वसीयत के माध्यम से धोखाधड़ी

मालिक की मृत्यु के बाद कभी फर्जी वसीयत बनाकर प्रॉपर्टी ट्रांसफर कर दी जाती है। इससे बचने के लिए वसीयत रजिस्टर करें, परिवार को असली वसीयत के बारे में बताएं और इसे सुरक्षित रखें।

कानूनी उपाय: कोर्ट में फर्जी वसीयत को चुनौती दी जा सकती है। प्रॉबेट प्रक्रिया के तहत मामला उठाया जा सकता है। फॉर्जरी के लिए आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है।

10. प्रॉपर्टी डीलर और एजेंट द्वारा धोखाधड़ी

एजेंट कीमत बढ़ाते हैं, कानूनी दोष छुपाते हैं या भुगतान के बाद गायब हो जाते हैं। इससे बचने के लिए एजेंट की पहचान जांचें, नकद भुगतान से बचें और लिखित ब्रोकरेज एग्रीमेंट करें।

कानूनी उपाय: कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत दर्ज की जा सकती है। धोखाधड़ी के लिए पुलिस केस किया जा सकता है। पैसे की रिकवरी के लिए कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

NRI के महत्वपूर्ण कानूनी अधिकार

  1. POA धारकों के माध्यम से केस दायर करना: NRI अपने प्रतिनिधि या POA धारक के जरिए भारत में प्रॉपर्टी से जुड़े सिविल या आपराधिक मामलों में केस दायर कर सकते हैं।
  2. वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के माध्यम से हाजिरी: भारतीय अदालतों में NRI वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में हिस्सा लेकर अपने मामलों में उपस्थित हो सकते हैं।
  3. ऑनलाइन पुलिस शिकायत दर्ज करना: NRI भारत से दूर होने के बावजूद ऑनलाइन पोर्टल के जरिए धोखाधड़ी, चोरी या फॉर्जरी जैसी घटनाओं की पुलिस शिकायत कर सकते हैं।
  4. भारतीय अदालतों से दूर से संपर्क: NRI अपनी प्रॉपर्टी से जुड़े कानूनी मामलों में भारतीय अदालतों से दूर रहकर भी प्रतिनिधि या डिजिटल माध्यम से कार्रवाई कर सकते हैं।
  5. प्रॉपर्टी अधिकारों का समान और गंभीर दृष्टिकोण: भारतीय अदालतें NRI की प्रॉपर्टी संबंधी शिकायतों को समान रूप से गंभीरता से लेती हैं और उचित कानूनी सुरक्षा प्रदान करती हैं।

हर NRI को अपनाए जाने वाले रोकथाम कदम

  1. सालाना प्रॉपर्टी ऑडिट कराएँ: हर साल प्रॉपर्टी का ऑडिट कराना चाहिए ताकि किसी भी फर्जी बिक्री, कब्ज़ा या दस्तावेज़ी गड़बड़ी का समय रहते पता चल सके।
  2. सभी दस्तावेज़ों को डिजिटल बनाएँ: प्रॉपर्टी के सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों को स्कैन करके सुरक्षित डिजिटल फ़ाइल में रखकर आसानी से ट्रैक और सत्यापन संभव बनाएँ।
  3. सभी लेन-देन रजिस्टर कराएँ: प्रॉपर्टी से जुड़े हर प्रकार के बिक्री, किराया या ट्रांसफर के लेन-देन को रजिस्टर्ड और कानूनी रूप से सुनिश्चित करें।
  4. वकील नियुक्त करें: भारत में प्रॉपर्टी के मामलों के लिए हमेशा भरोसेमंद और स्वतंत्र वकील नियुक्त करें, जो समय-समय पर कानूनी सलाह दे सकें।
  5. भूमि रिकॉर्ड ऑनलाइन मॉनिटर करें: ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से जमीन और प्रॉपर्टी रिकॉर्ड को नियमित मॉनिटर करें ताकि किसी भी फर्जी बदलाव का तुरंत पता चल सके।
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निष्कर्ष

NRI के खिलाफ प्रॉपर्टी धोखाधड़ी का फायदा अक्सर दूरी, चुप्पी और देरी से उठाया जाता है। जब आप जानकार होंगे, दस्तावेज़ों की जांच करेंगे और समय पर कार्रवाई करेंगे, धोखेबाज़ों का फायदा खत्म हो जाएगा। भारतीय कानून में मजबूत उपाय हैं – सिविल, आपराधिक और नियामक लेकिन ये सबसे असरदार तभी होते हैं जब समय पर इस्तेमाल किए जाएँ।

आपकी प्रॉपर्टी सिर्फ़ निवेश नहीं, बल्कि आपका अधिकार है। इसे सावधानी, सही दस्तावेज़ और समय पर कानूनी सहायता के साथ सुरक्षित रखें। भारत से दूर होना असमर्थ होने का मतलब नहीं है, जानकारी और कार्रवाई से आपका मालिकाना हक़ हमेशा सुरक्षित रहता है।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

1. NRI को भारत में सबसे ज़्यादा किस तरह की प्रॉपर्टी धोखाधड़ी का सामना करना पड़ता है?

NRI अक्सर फर्जी पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी, अवैध बिक्री, फर्जी दस्तावेज़, बिल्डर धोखाधड़ी, अतिक्रमण और एक ही प्रॉपर्टी की डबल बिक्री जैसी धोखाधड़ी का सामना करते हैं।

2. NRI भारत में प्रॉपर्टी धोखाधड़ी से कैसे बच सकते हैं?

प्रॉपर्टी के टाइटल की जांच करें, POA रजिस्टर कराएँ, भूमि रिकॉर्ड ऑनलाइन मॉनिटर करें, भरोसेमंद वकील रखें और नकद या मौखिक समझौते से बचें।

3. अगर NRI की प्रॉपर्टी धोखाधड़ी से बेची जाए तो कानूनी उपाय क्या हैं?

NRI सिविल केस दायर कर सेल डीड रद्द करा सकते हैं, धोखाधड़ी या फॉर्जरी के लिए पुलिस शिकायत कर सकते हैं और आगे के लेन-देन रोकने के लिए इंस्ट्रक्शन मांग सकते हैं।

4. क्या NRI भारत में प्रॉपर्टी विवाद दूर से ही संभाल सकते हैं?

हाँ। NRI POA धारक नियुक्त कर सकते हैं, ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकते हैं, वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में हिस्सा ले सकते हैं और स्थानीय वकीलों की मदद ले सकते हैं।

5. क्या बिल्डर धोखाधड़ी वाले NRI मामलों में RERA लागू होती है?

हाँ। बिल्डर धोखाधड़ी, देरी या खराब निर्माण के मामलों में NRI RERA के पास जाकर रिफंड, ब्याज और मुआवजा मांग सकते हैं।

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