पुलिस का काम है जनता की सुरक्षा करना, अपराध को रोकना और कानून का पालन सुनिश्चित करना। लेकिन जब वही पुलिस किसी नागरिक के साथ दुर्व्यवहार करे, झूठे आरोप लगाए या अपने पद का दुरुपयोग करे — तब आपको डरने की नहीं, बल्कि कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से बताएंगे कि भारत में पुलिस के खिलाफ कैसे शिकायत की जा सकती है, किन अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं, और प्रक्रिया क्या होती है।
पुलिस के खिलाफ शिकायत क्यों जरूरी है?
हर नागरिक को संविधान द्वारा गरिमा और न्याय का अधिकार मिला है। जब कोई पुलिस अधिकारी:
- बिना कारण आपको गिरफ्तार करे
- झूठे केस लगाए
- शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न करे
- सबूत छुपाए या गुमराह करे
तब आप उसके खिलाफ कानूनी रूप से शिकायत कर सकते हैं।
किन आधारों पर कर सकते हैं पुलिस के खिलाफ शिकायत?
- शक्ति का दुरुपयोग: जैसे – बिना जरूरत बल प्रयोग करना, धमकाना या गाली देना।
- गैरकानूनी गिरफ्तारी: बिना वारंट या वैध कारण के गिरफ्तार करना।
- झूठे आरोप: ऐसे केस में फंसाना जो आपने किया ही नहीं।
- लापरवाही: केस की सही जांच ना करना या सबूत नष्ट करना।
- मानवाधिकार का उल्लंघन: जैसे – धमकी देना, बिना जानकारी हिरासत में रखना, महिला से पुरुष अफसर द्वारा पूछताछ।
पुलिस के खिलाफ शिकायत कैसे करें?
शिकायत दर्ज करने से पहले तैयारी करें
- संबंधित पुलिस अधिकारी का नाम या पहचान
- घटना की तिथि, स्थान और समय
- गवाहों के नाम (यदि हों)
- फोटो, मेडिकल रिपोर्ट या रिकॉर्डिंग जैसे सबूत
कहाँ-कहाँ शिकायत दर्ज की जा सकती है?
स्थानीय पुलिस स्टेशन में
सीधे उस थाने में जाकर शिकायत दर्ज करें जहां घटना हुई है। लिखित शिकायत देना बेहतर होता है।
SP या जिला पुलिस अधीक्षक को
अगर थाना स्तर पर कार्रवाई नहीं होती, तो आप SP को लिखित शिकायत दे सकते हैं।
ह्यूमन राइट कमीशन
अगर मामला मानवाधिकार उल्लंघन का है, तो राष्ट्रीय या राज्य मानवाधिकार आयोग से संपर्क करें।
ऑनलाइन कंप्लेंट पोर्टल
- www.pgportal.gov.in
- राज्य पुलिस वेबसाइटों पर भी ऑनलाइन शिकायत की सुविधा होती है।
मजिस्ट्रेट के समक्ष
BNSS की धारा 175(3) के तहत मजिस्ट्रेट को शिकायत दी जा सकती है ताकि वे FIR दर्ज करने का निर्देश दें।
शिकायत फाइल करने के तरीके
| तरीका | विवरण |
| व्यक्तिगत रूप से | थाने या पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जाकर |
| फोन द्वारा | संबंधित अधिकारी को कॉल करके घटना बताएं |
| ईमेल / पोस्ट | लिखित रूप में सभी डिटेल्स भेजें |
| ऑनलाइन | सरकारी पोर्टल पर शिकायत दर्ज करें |
शिकायत के बाद क्या करें?
- शिकायत की कॉपी और रिसीविंग अपने पास रखें
- रिमाइंडर भेजें अगर एक्शन नहीं हो रहा
- उच्च अधिकारियों या कोर्ट में एस्केलेट करें
- मीडिया या NGO की मदद ली जा सकती है अगर मामला गंभीर हो
निष्कर्ष
पुलिस भी कानून से ऊपर नहीं है। अगर कोई पुलिसकर्मी आपके साथ गलत व्यवहार करता है या कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करता है — तो डरें नहीं। भारत का कानून आपको पूरा अधिकार देता है कि आप शिकायत करें, न्याय मांगें और कार्यवाही करवाएं।
लीड इंडिया कैसे कर सकता है आपकी मदद?
लीड इंडिया की अनुभवी लीगल टीम:
- पुलिस के खिलाफ शिकायत का ड्राफ्ट तैयार करती है
- कानूनी प्रक्रिया का मार्गदर्शन देती है
- कोर्ट या आयोग में अपील करने में मदद करती है
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. पुलिस के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए कौन-कौन से डॉक्युमेंट चाहिए?
घटना का विवरण, संबंधित अधिकारी का नाम, सबूत (जैसे वीडियो/ऑडियो, मेडिकल रिपोर्ट), आपकी पहचान पत्र की कॉपी।
2. अगर पुलिस FIR दर्ज नहीं करती तो क्या करें?
BNSS की धारा 175(3) के तहत मजिस्ट्रेट के पास शिकायत दी जा सकती है, जो पुलिस को FIR दर्ज करने का आदेश दे सकता है।
3. क्या पुलिस के खिलाफ केस दर्ज कर सकता हूँ?
हां, यदि गंभीर दुर्व्यवहार, झूठे केस या अत्याचार साबित हो जाएं तो आप IPC के तहत केस कर सकते हैं।
4. पुलिस अधिकारी पर मानवाधिकार उल्लंघन का केस कैसे करें?
NHRC (National Human Rights Commission) या SHRC (State Human Rights Commission) के पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
5. क्या पुलिस के खिलाफ शिकायत गुप्त रखी जा सकती है?
हां, कई पोर्टल या हेल्पलाइन पर आप अपनी पहचान गोपनीय रख सकते हैं। विशेष रूप से महिला शिकायतों में यह सुविधा मिलती है।



एडवोकेट से पूछे सवाल