क्या कोर्ट मैरिज को रद्द किया जा सकता है?
कई लोग सोचते हैं कि शादी रद्द करवाना एक सरल प्रक्रिया है, लेकिन असल में ऐसा नहीं है। कोर्ट मैरिज, यानी विशेष विवाह अधिनियम, 1954 (Special Marriage Act) के तहत हुई शादी, एक कानूनी वैवाहिक अनुबंध है। इसे रद्द करने या समाप्त करने के लिए भारतीय कानून में स्पष्ट प्रक्रियाएं और कानूनी प्रावधान मौजूद हैं।
क्या मैरिज सर्टिफिकेट को रद्द किया जा सकता है?
नहीं, एक बार जब विवाह विधिवत रूप से रजिस्टर्ड हो गया और शादी का प्रमाणपत्र (Marriage Certificate) जारी हो गया, तो इसे तकनीकी रूप से “रद्द” नहीं किया जा सकता।
लेकिन इस स्थिति में दो रास्ते होते हैं:
- शादी को शून्य घोषित कराना (Annulment)
- डाइवोर्स द्वारा विवाह समाप्त कराना
शादी को शून्य (null & void) घोषित कराने की स्थिति
अगर शादी के समय कोई पार्टी:
- मानसिक रूप से अस्वस्थ थी
- शादी के लिए स्वेच्छा से सहमति देने में असमर्थ थी
- धोखाधड़ी के आधार पर विवाह हुआ
- विवाह निषिद्ध रिश्ते में हुआ
तो ऐसी शादी को भारतीय कानून के अनुसार “शून्य” (null and void) घोषित किया जा सकता है।
प्रासंगिक धारा:
- स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 25(1) इसके लिए लागू होती है।
डाइवोर्स के ज़रिए कोर्ट मैरिज को रद्द करना
अगर पति-पत्नी दोनों सहमत हैं:
- आपसी सहमति से तलाक (Mutual Consent Divorce)
- लागू कानून:
- स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 – सेक्शन 28
- हिन्दू मैरिज एक्ट, 1955 – सेक्शन 13B
जरूरी शर्त:
- पति-पत्नी कम से कम एक साल से अलग रह रहे हों
- दोनों पक्षों की सहमति लिखित रूप में हो
अगर एक पक्ष तलाक के लिए तैयार नहीं है:
तब तलाक के लिए अलग-अलग कानूनी आधारों पर याचिका दायर की जा सकती है, जैसे:
- मानसिक और शारीरिक क्रूरता
- विवाह में धोखा
- परित्याग (Desertion)
- विवाह के संबंधों का टूटना
क्या केवल “अलग रहना” ही तलाक का आधार है?
नहीं, केवल अलग रहना तलाक लेने के लिए पर्याप्त नहीं है।
हालांकि अगर अलगाव अन्य कानूनी आधारों जैसे क्रूरता, धोखा या विवाह का अपरिवर्तनीय टूटना (Irretrievable Breakdown) के साथ जुड़ा हो, तो वह तलाक का आधार बन सकता है।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि केवल “irretrievable breakdown” कोई स्वतंत्र तलाक का आधार नहीं हो सकता।
क्या बिना तलाक के दूसरी शादी संभव है?
भारत में जब तक पहली शादी कानूनी रूप से समाप्त नहीं होती:
- दूसरी शादी करना अवैध और
- भारतीय न्याय संहिता की धारा 82 के तहत दंडनीय अपराध है।
कुछ विशेष समुदायों में धार्मिक मान्यता हो सकती है, लेकिन कानून की नजर में पहली शादी को कानूनी रूप से खत्म करना अनिवार्य है।
मैरिज सर्टिफिकेट कैसे हटाया जा सकता है?
मैरिज सर्टिफिकेट को हटाना/रद्द करना सीधे संभव नहीं है। सिर्फ तलाक की डिक्री (Divorce Decree) मिलने के बाद ही शादी को खत्म माना जाता है।
प्रक्रिया:
- वकील की सहायता लें
- तलाक याचिका तैयार कराएं
- कोर्ट में याचिका दायर करें
- सुनवाई, साक्ष्य, और निर्णय के बाद डिक्री प्राप्त करें
समय: केस की जटिलता, गवाहों और दस्तावेजों पर निर्भर करता है – इसमें 6 महीने से लेकर 2 साल तक लग सकते हैं।
निष्कर्ष:
कोर्ट मैरिज रद्द करवाने का एकमात्र रास्ता
- आप कोर्ट मैरिज को तकनीकी रूप से रद्द नहीं कर सकते, लेकिन
- उसे डाइवोर्स या Annulment के जरिए समाप्त किया जा सकता है।
- मैरिज सर्टिफिकेट भी कानूनी रूप से तभी अप्रभावी होता है जब तलाक कोर्ट द्वारा दिया जाए।
टिप: यदि आपका मामला जटिल है, तो किसी अनुभवी फैमिली लॉयर से सलाह ज़रूर लें।
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FAQs
1. क्या मैरिज सर्टिफिकेट को रद्द किया जा सकता है?
नहीं, शादी की वैधता तभी खत्म होती है जब कोर्ट तलाक की डिक्री जारी करता है।
2. कोर्ट मैरिज को शून्य घोषित करवाने के क्या आधार हैं?
मानसिक अस्वस्थता, धोखाधड़ी, गलत पहचान, निषिद्ध रिश्ते आदि।
3. क्या सिर्फ अलग रहने से तलाक हो जाता है?
नहीं, कानूनन तलाक के लिए कोर्ट से आदेश आवश्यक है।
4. तलाक प्रक्रिया में कितना समय लगता है?
आपसी सहमति से तलाक में 6 महीने से 1 साल और विवादास्पद मामलों में 1–2 साल तक लग सकते हैं।
5. बिना तलाक के दूसरी शादी करने पर क्या होगा?
यह कानूनन अपराध है और भारतीय न्याय संहिता की धारा 82के तहत सजा हो सकती है।



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