पैसे वापस लेने की कानूनी प्रक्रिया क्या है?

What is the legal process for withdrawing money

जब कोई उधार की रकम वापस न करे

हम अक्सर भरोसे पर अपने जानने वालों को उधार पैसे दे देते हैं। पर जब वही व्यक्ति रकम वापस नहीं करता, तो स्थिति तनावपूर्ण और जटिल हो जाती है। रकम चाहे छोटी हो या बड़ी, उधार के पैसे न मिलने पर मानसिक, सामाजिक और आर्थिक दबाव बढ़ता है।

ऐसी परिस्थिति में यह जानना ज़रूरी है कि आप किन कानूनी तरीकों से अपनी रकम को वापस प्राप्त कर सकते हैं और कोर्ट में सफल केस कैसे दर्ज करा सकते हैं।

कानूनी तैयारी – उधार देने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें

क्या करें:

  • ₹10,000 से अधिक की रकम नगद न दें

बैंक ट्रांसफर, UPI या चेक के माध्यम से रकम ट्रांसफर करें।

  • साक्ष्य तैयार करें:

लेन-देन का स्क्रीनशॉट, बैंक स्टेटमेंट, चैट्स या ईमेल सेव करें

  • लेन-देन के समय गवाह रखें

भविष्य में विवाद की स्थिति में गवाह आपकी बात को साबित करने में मदद करेगा।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

सिक्योरिटी चेक – सुरक्षित तरीका रकम वसूलने का

जब आप किसी को उधार दे रहे हों, तो उससे दिनांक सहित एक भरा हुआ चेक अवश्य लें। यह चेक उस तारीख का हो, जिस दिन उसने रकम लौटाने का वादा किया हो।

ध्यान रखें:

  • केवल हस्ताक्षरित ब्लैंक चेक न लें।
  • चेक में रकम, तारीख, नाम पहले से भरा होना चाहिए।
  • यह “सिक्योरिटी चेक” कहलाता है।

प्रक्रिया:

  • तय तारीख तक रकम न लौटने की स्थिति में पहले एक लीगल नोटिस भेजें।
  • नोटिस के 15 दिन बीतने पर भी अगर रकम न मिले, तो NI Act की धारा 138 के तहत आपराधिक मामला दर्ज करें।
  • यह एक दंडनीय अपराध है, जिसमें 2 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
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अनुबंध (Contract) – उधार राशि का लिखित प्रमाण

यदि आपने उधार देते समय एक लिखित अनुबंध कर लिया हो, तो आपके पक्ष को और कानूनी मजबूती मिलती है।

अनुबंध में क्या होना चाहिए:

  • उधार देने और लौटाने की तारीख
  • रकम की पुष्टि
  • उधार लेने वाले का हस्ताक्षर
  • यह करार ₹500 स्टांप पेपर पर नोटरी से प्रमाणित होना चाहिए।

लाभ:

  • इस अनुबंध के आधार पर आप Order 37, CPC के तहत सिविल कोर्ट में केस कर सकते हैं।
  • यह प्रक्रिया अन्य सामान्य सिविल मुकदमों की तुलना में तेज और सरल होती है।

 चेक बाउंस हो जाए तो क्या करें?

अगर सिक्योरिटी चेक बैंक में लगाने पर बाउंस हो जाता है:

  • बैंक से मेमो लें – जिसमें बाउंस का कारण लिखा हो।
  • 15 दिन के अंदर लीगल नोटिस भेजें।
  • अगर नोटिस के बाद भी भुगतान नहीं होता, तो:
    • Negotiable Instruments Act, 1881 की धारा 138 के तहत अपराध माना जाएगा।
    • संबंधित व्यक्ति के खिलाफ क्रिमिनल केस दायर किया जा सकता है।

क्या काले धन का उधार वसूल किया जा सकता है?

नहीं। अगर आपने नकद में बिना दस्तावेज़ या बैंक ट्रेल के किसी को कालेधन (अनडिक्लेयर अमाउंट) के रूप में उधार दिया है, तो उसकी कानूनी वसूली संभव नहीं है। ऐसे लेन-देन को अदालत वैध नहीं मानती क्योंकि यह सरकार को धोखा देने की श्रेणी में आता है।

क्या हर कोई उधार दे सकता है?

जी हां, कोई भी व्यक्ति अपनी व्यक्तिगत हैसियत से किसी को रकम उधार दे सकता है। लेकिन धंधे के रूप में उधारी देना यानी सूद पर पैसा देना गैर-कानूनी है — जब तक कि आपके पास NBFC या मनीलेंडिंग का लाइसेंस न हो।

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पैसे वापस लेने के लिए कौन-कौन से कानून मदद करते हैं?

विधिक आधारसंबंधित कानून / प्रावधान
अनुबंध पर आधारित वसूलीइंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, 1872
चेक बाउंस पर कानूनी कार्रवाईएन आई एक्ट, धारा 138
जल्दी सिविल वसूली केसCPC आर्डर 37 (Summary Suit)
धोखाधड़ी से बचावBNS धारा 318
लीगल नोटिस का अधिकारCivil Procedure + Advocates Act

यहां हालिया महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय और समाचार प्रस्तुत हैं जो उधारी वसूली, चेक बाउंस और अनुबंध कानून से संबंधित हैं:

चेक बाउंस और उधारी वसूली से संबंधित नवीनतम निर्णय

सुप्रीम कोर्ट: चेक पर हस्ताक्षर की प्रमाणिकता की जांच

सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि चेक बाउंस मामलों में, आरोपी अपनी चेक पर हस्ताक्षर की प्रमाणिकता को भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 73 के तहत बैंक से प्राप्त प्रमाणित हस्ताक्षर के नमूने से जांच सकता है।

कर्नाटक उच्च न्यायालय: चेक बाउंस और वसूली मामलों की समानांतर सुनवाई

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि चेक बाउंस और वसूली के मामले एक ही कारण से संबंधित होते हुए भी अलग-अलग सुनवाई के योग्य हैं। 

दिल्ली उच्च न्यायालय: समझौते के बाद चेक बाउंस मामले की निरस्तीकरण

दिल्ली उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि यदि पक्षों के बीच समझौता हो चुका है, तो उसी समझौते के तहत जारी चेक के बाउंस होने पर ही नया मामला बनता है।

राजस्थान उच्च न्यायालय: 12 वर्षों तक गिरफ्तारी से बचने वाले व्यक्ति के खिलाफ चेक बाउंस मामले की निरस्तीकरण से इनकार

राजस्थान उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि 12 वर्षों तक गिरफ्तारी से बचने वाले व्यक्ति के खिलाफ चेक बाउंस मामले की निरस्तीकरण की याचिका को अस्वीकार किया।

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निष्कर्ष 

उधार देने से पहले ही सावधानी और साक्ष्य तैयार रखना उतना ही जरूरी है, जितना वसूली के समय सही कानूनी रास्ता अपनाना। चेक, अनुबंध और डिजिटल पेमेंट के जरिए आप अपने दावे को मजबूत बना सकते हैं और कोर्ट में आसानी से अपने पैसे वापस पा सकते हैं।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

1. क्या चेक के जरिए उधार देने पर कोर्ट मदद करेगा?

हां, आपके पास साक्ष्य होगा, जिससे मामला मजबूत बनता है।

2. उधार का कोई सबूत नहीं है, तो क्या केस बन सकता है?

मुश्किल है, लेकिन चैट्स, कॉल रिकॉर्डिंग, गवाह जैसी चीजें मदद कर सकती हैं।

3. क्या कोर्ट में केस बहुत लंबा चलेगा

अगर Order 37 (Summary Suit) लगाया जाए तो प्रक्रिया तेज होती है।

4. क्या लीगल नोटिस भेजना जरूरी है?

हां, खासकर चेक बाउंस या रिकवरी के केस में नोटिस जरूरी है।

5. क्या पर्सनल उधार का केस पुलिस में दर्ज हो सकता है?

नहीं, यह सिविल प्रकृति का मामला है, क्रिमिनल केस तभी बनता है जब धोखाधड़ी या चेक बाउंस हो।

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