पति द्वारा मानसिक उत्पीड़न के खिलाफ कैसे करें पुलिस में शिकायत?

How to complain to police against mental harassment by husband

शादी का रिश्ता प्यार, सम्मान और बराबरी पर आधारित होता है। लेकिन जब पति खुद ही मानसिक उत्पीड़न का कारण बन जाए, जैसे ताने मारना, गालियां देना, धमकाना या भावनात्मक शोषण करना, तो यह महिला के लिए घातक हो सकता है।

आज हम विस्तार से जानेंगे कि अगर पति मानसिक उत्पीड़न करता है तो पुलिस में शिकायत कैसे करें, किन धाराओं में केस दर्ज होता है, और कानूनी रूप से महिला को क्या अधिकार प्राप्त हैं।

मानसिक उत्पीड़न: कानूनी रूप से क्या माना जाता है?

हालांकि भारतीय कानून में “Mental Harassment” की स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है, लेकिन इसके विभिन्न रूपों को अलग-अलग धाराओं के तहत दंडनीय माना गया है।

मानसिक उत्पीड़न में क्या-क्या आता है?

  • लगातार अपमान करना या ताने मारना
  • आत्महत्या के लिए उकसाना
  • गंदी भाषा या इशारे
  • आर्थिक नियंत्रण या दवाब
  • सामाजिक बेइज्जती करना
  • धमकी देना (जैसे तलाक, बच्चा छीनना या पुलिस केस)

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पति द्वारा मानसिक उत्पीड़न के खिलाफ कौन-कौन से कानून लागू होते हैं?

भारत में कुछ महत्वपूर्ण धाराएं हैं जिनके तहत मानसिक उत्पीड़न के मामलों में शिकायत की जा सकती है:

भारतीय न्याय संहिता की धारा 85– पति या ससुरालवालों द्वारा क्रूरता

  • पत्नी को मानसिक या शारीरिक रूप से परेशान करना
  • दहेज या पैसे की मांग करना
  • आत्महत्या के लिए उकसाना

यह एक गैर-जमानती अपराध है और दोषी पाए जाने पर 3 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 79– स्त्री की लज्जा भंग करना

  • पत्नी के लिए अपमानजनक शब्दों या इशारों का उपयोग करना
  • उसकी गरिमा को चोट पहुँचाना
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भारतीय न्याय संहिता की धारा 296 – सार्वजनिक स्थानों पर अभद्रता

  • पब्लिक प्लेस में पत्नी के साथ गाली-गलौच या अश्लील हरकतें

भारतीय न्याय संहिता की धारा 74– महिला की गरिमा पर हमला

  • यदि पति पत्नी को धमकाता है या उसे छूने का प्रयास करता है जिससे उसकी गरिमा प्रभावित होती है

पति द्वारा मानसिक उत्पीड़न की शिकायत कैसे करें?

सबसे नजदीकी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करें

  • पीड़िता सीधे थाने जाकर शिकायत दर्ज कर सकती है।
  • FIR में स्पष्ट रूप से मानसिक उत्पीड़न के उदाहरण और घटनाओं का विवरण देना चाहिए।

महिला हेल्पलाइन या महिला थाना से संपर्क करें

  • हर राज्य में महिला हेल्पलाइन नंबर होता है (जैसे 181)।
  • महिलाएं महिला आयोग या घरेलू हिंसा सेल से भी मदद ले सकती हैं।

यदि FIR दर्ज न हो तो मजिस्ट्रेट के पास जाएं

  • यदि पुलिस FIR दर्ज नहीं कर रही है, तो सीधा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) या महिला न्यायालय के पास शिकायत की जा सकती है।

क्या महिला को संरक्षण मिल सकता है?

घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत मानसिक उत्पीड़न को घरेलू हिंसा का एक रूप माना गया है। इसके तहत पीड़िता को मिल सकती है:

  • सुरक्षा आदेश (Protection Order)
  • निवास अधिकार (Right to Reside)
  • भरण-पोषण की मांग (Maintenance)
  • क्षतिपूर्ति (Compensation)

निष्कर्ष:

चुप्पी नहीं, कानून से जवाब दें

मानसिक उत्पीड़न एक धीमा ज़हर है जो आत्मविश्वास, गरिमा और जीवन को खत्म कर सकता है। अगर पति इस तरह का व्यवहार कर रहा है, तो चुप न रहें — बल्कि कानून का सहारा लें। भारत का संविधान और कानून हर महिला को गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार देता है।

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FAQs: 

1. मानसिक उत्पीड़न क्या होता है और इसे कैसे साबित किया जाए?

मानसिक उत्पीड़न में भावनात्मक शोषण, गालियां, धमकी, नीचा दिखाना आदि शामिल है। इसे व्हाट्सएप चैट, ऑडियो रिकॉर्डिंग, गवाहों, और डॉक्यूमेंट्स के माध्यम से साबित किया जा सकता है।

2. क्या केवल मानसिक उत्पीड़न पर भी FIR हो सकती है?

हां। अगर मानसिक उत्पीड़न IPC की धारा 85, 79, 74 या घरेलू हिंसा अधिनियम के दायरे में आता है तो FIR दर्ज की जा सकती है।

3. FIR दर्ज करने के लिए महिला को किन दस्तावेज़ों की जरूरत होती है?

महिला की पहचान (आधार, वोटर ID), घटनाओं की समय-रेखा, कोई डिजिटल सबूत (मैसेज, कॉल रिकॉर्डिंग), और गवाहों के नाम अगर हों।

4. अगर पुलिस FIR दर्ज न करे तो क्या करें?

महिला CJM (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट) के पास जाकर शिकायत दर्ज करवा सकती है या महिला आयोग या घरेलू हिंसा सेल से संपर्क कर सकती है।

5. क्या पति के खिलाफ केस के बाद महिला को घर में रहने और खर्च की सुरक्षा मिलती है?

जी हां, घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत महिला को निवास अधिकार और भरण-पोषण का आदेश मिल सकता है।

6. क्या मानसिक उत्पीड़न पर तलाक की याचिका डाली जा सकती है?

हां। मानसिक क्रूरता तलाक का वैध आधार है और इसे फैमिली कोर्ट में साबित कर विवाह समाप्ति की मांग की जा सकती है।

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