क्या मानहानि का कानून, अनुच्छेद 19 और प्रतिष्ठा के अधिकार के खिलाफ है?

क्या मानहानि का कानून, अनुच्छेद 19 और प्रतिष्ठा के अधिकार के खिलाफ है?

नहीं, मानहानि का कानून (जैसे कि भारतीय दंड संहिता में वर्णित धारा 499 और 500) अनुच्छेद 19 (स्वतंत्रता के अधिकार) और प्रतिष्ठा के अधिकार के खिलाफ नहीं है।

अनुच्छेद 19 भारतीय संविधान के तहत स्वतंत्रता के अधिकारों को संरक्षित करता है, जिसमें स्वतंत्रता की आज़ादी, विचारों की आज़ादी, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, प्रेस की आज़ादी, संघ का अधिकार, आपसी संबंधों की स्वतंत्रता आदि शामिल हैं। मानहानि का कानून स्वतंत्रता भीतर के अधिकारों को सीमित नहीं करता है, लेकिन यह उन व्यक्तियों के खिलाफ उठाए जा सकते हैं जिन्हें किसी दूसरे व्यक्ति की मानहानि की गंभीर आरोप है। यह कानून मानहानि के तत्वों को परिभाषित करता है और दण्ड प्रावधान संग्रहीत करता है।

प्रतिष्ठा के अधिकार भी भारतीय संविधान में उपलब्ध हैं, जो व्यक्तिगत गौरव और प्रतिष्ठा की संरक्षा का हक़ स्थापित करते हैं। मानहानि का कानून प्रतिष्ठा के अधिकार को नकारने या खतरे में डालने का अधिकार नहीं देता है। इसका उद्देश्य आपत्तिजनक और मानहानिकारक बयानों को रोकना और समाज में समझदारी और सम्मान को प्रशस्त करना है।

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मानहानि का कानून क्या है?

मानहानि का कानून एक आपराधिक कानून है जो दूसरे व्यक्ति के आत्मगौरव, अपमान या नाममात्र का उपयोग करके उसे नुकसान पहुंचाने को नियंत्रित करता है। यह कानून विभिन्न देशों में मानहानि या नाममात्र के तहत दर्ज किया जाता है। यह आपराधिक कार्य को परिभाषित करता है और दण्ड प्रावधान संग्रहीत करता है जो आपराधिक कार्य का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को सजा देता है।

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में धारा 499 और 500 मानहानि के लिए धाराएं प्रदान करती हैं। धारा 499 मानहानि के लिए आपराधिक आरोप को परिभाषित करती है और धारा 500 इस आपराधिक कार्य के लिए दंड प्रदान करती है। यदि किसी व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति के बारे में झूठी या अपमानजनक बातें कही हैं और इससे उसे नुकसान पहुंचाया गया है, तो मानहानि के तहत कार्यवाही की जा सकती है। धारा 500 के अनुसार, ऐसे कार्य करने वाले व्यक्ति को जुर्माना, जेल या दोनों में से किसी दंड से सजा दी जा सकती है। 

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संविधान का अनुच्छेद 19 का क्या महत्त्व है

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 महत्वपूर्णता के साथ मानवीय स्वतंत्रता और अधिकारों को संरक्षित करने का विशेष महत्त्व रखता है। यह अनुच्छेद स्वतंत्रता भीतर के अधिकारों को संबंधित करता है और निम्नलिखित महत्वपूर्ण स्वतंत्रता भीतर के अधिकारों को संरक्षित करता है:

स्वतंत्रता भीतर की आज़ादी

अनुच्छेद 19 स्वतंत्रता की आज़ादी को संरक्षित करता है, जिसमें विचारों, वाणी, सम्प्रेषण, संगठन करने, मीडिया के माध्यम से जानकारी प्राप्त करने और देने के स्वतंत्रता शामिल है।

व्यक्तिगत स्वतंत्रता

अनुच्छेद 19 व्यक्तिगत स्वतंत्रता को संरक्षित करता है, जिसमें व्यक्ति को अपने इच्छित माध्यम से जीने का अधिकार होता है।

प्रेस की स्वतंत्रता

अनुच्छेद 19 प्रेस की स्वतंत्रता को संरक्षित करता है और मीडिया को स्वतंत्रता के साथ वाणी बनाने और प्रसारित करने का अधिकार प्रदान करता है।

संघ का अधिकार

अनुच्छेद 19 संघ के सदस्यों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।

आपसी संबंधों की स्वतंत्रता

अनुच्छेद 19 आपसी संबंधों की स्वतंत्रता को संरक्षित करता है, जिसमें व्यक्ति को अपने विचारों, मतांशों और धर्मांतरण के अधिकार होते हैं।

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