अगर आपने किसी को पैसा उधार दिया—चाहे वो दोस्त हो, बिज़नेस पार्टनर या कोई क्लाइंट—तो आपने भरोसे से दिया होगा कि वो पैसा वापस करेगा। लेकिन अगर वो नहीं लौटाता तो क्या करें? क्या आपको बस इंतज़ार करना पड़ेगा या लंबी और थकाने वाली कोर्ट प्रक्रिया से गुजरना होगा?
नहीं, ज़रूरी नहीं है। भारतीय कानून में एक आसान और तेज़ तरीका है जिसे समरी सूट कहते हैं, जो ऑर्डर 37, कोड ऑफ़ सिविल प्रोसीजर (CPC) 1908 के तहत आता है। इस कानून के ज़रिए आप बिना सालों तक कोर्ट में केस चलाए, जल्दी से अपना पैसा वापस पा सकते हैं, बस आपके पास लिखित सबूत होना चाहिए।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि समरी सूट क्या है, यह किन मामलों में लगाया जा सकता है और इससे आपको उधारी की राशि कैसे जल्द प्राप्त हो सकती है।
समरी सूट क्या होता है?
समरी सूट एक खास तरह का दीवानी (सिविल) मुकदमा होता है, जो पैसों की वसूली से जुड़े मामलों को जल्दी निपटाने के लिए बनाया गया है। यह आम सिविल केस से अलग होता है।
कैसे अलग है?
- जिस व्यक्ति ने आपका पैसा देना है (डिफेंडेंट), वह सीधे कोर्ट में जवाब नहीं दे सकता।
- उसे पहले कोर्ट से इजाज़त लेनी होती है, जिसे “Leave to Defend” कहा जाता है।
- अगर कोर्ट को लगे कि उसके पास कोई मज़बूत वजह नहीं है, तो कोर्ट सीधे आपके पक्ष में फैसला दे सकती है।
आर्डर 37 और सामान्य दीवानी (सिविल) मुकदमा में अंतर: सामान्य दीवानी (सिविल) मुकदमा में प्रतिवादी को पूरी तरह से बचाव का अवसर मिलता है, जबकि समरी सूट में प्रतिवादी को केवल तभी बचाव की अनुमति मिलती है जब वह कोर्ट को उचित कारण बता दे।
इसका फायदा क्या है? इस प्रक्रिया से आपको सालों तक केस चलाने की ज़रूरत नहीं पड़ती और आपका पैसा जल्दी वापस मिल सकता है।
सीधी भाषा में कहें तो: अगर आपके पास किसी से पैसा लेने का लिखित सबूत है (जैसे एग्रीमेंट, बिल या प्रॉमिसरी नोट), तो आप इस आसान और तेज़ तरीके से अपना पैसा वापस पा सकते हैं, वो भी बिना ज़्यादा समय और खर्च किए।
समरी सूट कब फाइल कर सकते हैं?
सारांश वाद आप कुछ खास मामलों में फाइल कर सकते हैं, जब आपको मिलने वाला पैसा स्पष्ट रूप से साबित किया जा सके। यह तरीका उन मामलों के लिए है, जो सीधे और आसान तरीके से समझे जा सकें, जैसे कि लिखित दस्तावेज़ या समझौते के आधार पर। यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं जब आप सारांश वाद फाइल कर सकते हैं:
- लिखित समझौते: अगर आपने किसी से उधार लिया पैसा या किसी व्यापारिक समझौते में एक लिखित एग्रीमेंट किया है, और वह व्यक्ति पैसा लौटाने में विफल रहता है, तो आप सारांश वाद फाइल कर सकते हैं। उदाहरण: आपने एक दोस्त को उधार दिया और उसने एक लिखित समझौता किया कि वह पैसा लौटाएगा, लेकिन उसने नहीं किया।
- बिल ऑफ एक्सचेंज: बिल ऑफ एक्सचेंज एक कानूनी दस्तावेज़ होता है, जिसमें एक व्यक्ति किसी को भविष्य में निश्चित तारीख पर पैसे देने का वादा करता है। अगर वह समय पर पैसे नहीं देता, तो आप सारांश वाद फाइल कर सकते हैं।उदाहरण: आपसे किसी ने एक बिल ऑफ एक्सचेंज पर हस्ताक्षर किया, लेकिन उसने समय पर पैसे नहीं दिए।
- प्रॉमिसरी नोट: प्रॉमिसरी नोट एक लिखित वादा होता है, जिसमें कोई व्यक्ति एक निश्चित समय पर पैसे देने का वादा करता है। अगर वह भुगतान नहीं करता, तो आप सारांश वाद फाइल कर सकते हैं। उदाहरण: किसी ने आपको प्रॉमिसरी नोट दिया था, लेकिन वह वादा पूरा नहीं किया।
- लिखित दस्तावेज़ या समझौते जहां राशि निश्चित हो: अगर किसी लिखित समझौते में कोई निश्चित राशि उल्लिखित है और वह व्यक्ति भुगतान करने में विफल रहता है, तो आप सारांश वाद फाइल कर सकते हैं। उदाहरण: किसी क्लाइंट ने एक सेवा के बदले निश्चित राशि देने का समझौता किया था, लेकिन उसने भुगतान नहीं किया।
कौन समरी सूट दायर कर सकता है? कोई भी व्यक्ति, कंपनी, बैंक या संस्था जो वैध दस्तावेज़ी ऋण के आधार पर पैसे की मांग कर रहा हो।
किस न्यायालय में समरी सूट दायर किया जा सकता है?
- जहां प्रतिवादी रहता है या काम करता है
- जहाँ लेन-देन हुआ था
- रकम के आधार पर जिला न्यायालय या सिविल जज सीनियर डिवीजन
समरी सूट फाइल करने की प्रक्रिया क्या है?
स्टेप 1: एक वकील से सलाह लें
आप खुद भी केस फाइल कर सकते हैं, लेकिन एक अच्छे सिविल वकील की मदद से प्रक्रिया आसान हो जाती है। वो केस को सही तरीके से तैयार करते हैं और कानूनी गलतियों से बचाते हैं।
स्टेप 2: जरूरी दस्तावेज़ तैयार करें
अपने केस से जुड़े सभी सबूत इकट्ठा करें, जैसे:
- लिखित एग्रीमेंट या कॉन्ट्रैक्ट की कॉपी
- प्रॉमिसरी नोट या चेक (अगर हो)
- बैंक स्टेटमेंट (पैसे ट्रांसफर का सबूत)
- रिकवरी की मांग से जुड़ी ईमेल या मैसेज
- भेजा गया लीगल नोटिस (अगर पहले भेजा हो)
स्टेप 3: “प्लेंट” (कानूनी अर्जी) तैयार करें
आपका वकील एक “प्लेंट” तैयार करेगा, जो कोर्ट में फाइल की जाने वाली आपकी अर्जी होती है। इसमें ये बातें लिखी जाती हैं:
- यह केस आर्डर 37 CPC के तहत फाइल किया जा रहा है
- आपने कब, कितना और किसे पैसा दिया
- आपके पास कौन-कौन से दस्तावेज़ हैं
- आप कोर्ट से क्या चाहते हैं (जैसे – बकाया रकम, ब्याज और केस खर्च)
स्टेप 4: कोर्ट में केस फाइल करें
यह केस उस सिविल कोर्ट में फाइल किया जाता है:
- जहाँ समझौता हुआ था या जहाँ पर वादा पूरा नहीं हुआ
- या जहाँ सामने वाला व्यक्ति रहता या व्यापार करता है
- इसके साथ आपको कोर्ट फीस (दावे की रकम के अनुसार) भी जमा करनी होती है।
स्टेप 5: समन जारी होता है
कोर्ट सामने वाले (डिफेंडेंट) को समन भेजती है:
- जिसमें लिखा होता है कि केस आर्डर 37 के तहत फाइल किया गया है
- उसे 10 दिन के अंदर कोर्ट में पेश होना है
- अगर वो केस लड़ना चाहता है, तो उसे Leave to Defend की इजाज़त लेनी होगी
स्टेप 6: सामने वाले का जवाब
डिफेंडेंट के पास दो रास्ते होते हैं:
- Leave to Defend की अर्जी लगाना: उसे कोर्ट को ठोस कारण बताना होगा कि उसे पैसे क्यों नहीं देने हैं।
- अगर वो जवाब नहीं देता या उसका कारण कमजोर है, तो कोर्ट आपके पक्ष में सीधा फैसला दे सकती है।
स्टेप 7: कोर्ट का फैसला
अगर सामने वाला केस लड़ने की इजाज़त नहीं ले पाता या कोर्ट उसका जवाब कमजोर मानती है, तो:
- आप केस जीत जाते हैं
- सामने वाले को कोर्ट के आदेश से आपका पैसा, ब्याज और खर्च देना होता है
- अगर फिर भी वो नहीं देता, तो आप कोर्ट के ज़रिए उसकी प्रॉपर्टी, बैंक अकाउंट या सैलरी ज़ब्त करवाने की कार्यवाही शुरू कर सकते हैं
ऑर्डर 37 CPC की मुख्य बातें
ऑर्डर 37 का एक खास नियम है, जो समरी सूट से जुड़े मामलों को जल्दी निपटाने के लिए बनाया गया है। नीचे इसकी आसान भाषा में खास बातें दी गई हैं:
- ये नियम उन मामलों पर लागू होता है, जहाँ आपको किसी से एक निश्चित रकम सूलनी है।
- जिन्हें आप कोर्ट में बुलाते हैं (डिफेंडेंट), उन्हें समन मिलने के 10 दिनों के अंदर कोर्ट में पेश होना होता है।
- पेश होने के बाद, उन्हें अगले 10 दिनों के भीतर कोर्ट से “मुकदमा लड़ने की इजाज़त” (Leave to Defend) लेनी होती है।
- अगर वो कोर्ट में समय पर नहीं आते या इजाज़त नहीं लेते, तो कोर्ट सीधे आपके पक्ष में फैसला (डिक्री) दे सकता।
निष्कर्ष
आर्डर 37 (CPC) के तहत समरी सूट उधार की रकम वापस पाने का एक त्वरित और असरदार उपाय है, बशर्ते कि आपके पास लिखित सबूत मौजूद हों। अगर आप लंबी कोर्ट प्रक्रिया से बचना चाहते हैं और मामला स्पष्ट है, तो समरी सूट आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। सही कानूनी सलाह लेकर समय पर कार्रवाई करें, ताकि आपका पैसा समय रहते वापस मिल सके।
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FAQs
1. क्या समरी सूट बिना वकील के फाइल किया जा सकता है?
तकनीकी रूप से हाँ, लेकिन वकील की मदद से प्रक्रिया सही और प्रभावी होती है।
2. समरी सूट में फैसला कितने समय में आता है?
अगर प्रतिवादी Leave to Defend नहीं लेता, तो 6–12 महीनों में फैसला हो सकता है।
3. अगर उधार देने का कोई लिखित दस्तावेज़ नहीं है तो क्या समरी सूट फाइल हो सकता है?
नहीं। समरी सूट सिर्फ लिखित अनुबंध या दस्तावेज़ों पर आधारित होता है।
4. समरी सूट की फीस कितनी होती है?
कोर्ट फीस दावा की राशि पर निर्भर करती है। वकील की फीस अलग से होती है।
5. क्या Leave to Defend मिलने के बाद भी जल्दी फैसला हो सकता है?
हाँ, यदि कोर्ट पाता है कि प्रतिवादी का बचाव कमजोर है, तो जल्दी फैसला दिया जा सकता है।



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