शादी प्रेम, सहमति और सम्मान पर आधारित एक पवित्र संस्था है। लेकिन जब परिवार को लगे कि यह फैसला दबाव, धोखे या अवैध परिस्थितियों में लिया जा रहा है, तो चिंता स्वाभाविक होती है। हालांकि भारतीय कानून हर व्यक्ति को अपनी मर्ज़ी से शादी करने का अधिकार देता है, फिर भी कुछ विशेष परिस्थितियों में अवैध या अनुचित शादी को रोका जा सकता है।
यह ब्लॉग विस्तार से बताएगा कि परिवार किस प्रकार और किन स्थितियों में शादी को रोकने के लिए कानूनी कदम उठा सकते हैं।
परिवार शादी को कब और कैसे रोक सकता है?
कभी-कभी परिवार को लगता है कि शादी गलत कारणों से हो रही है। ऐसे में कानून कुछ खास हालात में परिवार को शादी रोकने का हक देता है।
1. नाबालिगों की शादी (Child Marriage)
कानूनी उम्र:
- लड़कियों के लिए: 18 साल
- लड़कों के लिए: 21 साल
अगर कोई इससे कम उम्र में शादी कर रहा है, तो वह शादी गैरकानूनी मानी जाती है। ऐसी शादी को रोका भी जा सकता है या बाद में रद्द भी कराया जा सकता है।
कानूनी उपाय:
- चाइल्ड मैरिज रोकने के कानून (2006) के तहत पुलिस में शिकायत करें
- चाइल्ड वेलफेयर कमेटी या मजिस्ट्रेट से संपर्क करें
- कोर्ट से शादी रोकने के लिए स्टे ऑर्डर (injunction) की मांग करें
2. जबरदस्ती की शादी (Forced Marriage)
अगर किसी पर दबाव डालकर शादी करवाई जा रही है, तो वह शादी वैध नहीं मानी जाती। रज़ामंदी ज़रूरी है और वो दबाव में नहीं होनी चाहिए।
कानूनी उपाय:
- पुलिस में शिकायत करें (डराने, धमकाने, या ज़बरदस्ती कैद करने जैसी धाराओं में)
- महिला आयोग या ज़िला लीगल सर्विस अथॉरिटी से मदद लें
- हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करें सुरक्षा या शादी रद्द करवाने के लिए
3. मानसिक रूप से अयोग्य व्यक्ति की शादी (Mental Incapacity)
अगर कोई मानसिक रूप से ऐसा नहीं है कि वो शादी के मायने समझ सके, तो उसकी शादी वैध नहीं मानी जाती।
कानूनी उपाय:
- मेडिकल जांच कराएं और डॉक्टर की राय लें
- हिंदू मैरिज एक्ट या स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी रद्द करने की मांग करें
- फैमिली कोर्ट में केस करें
4. धोखा या झूठ बोलकर की गई शादी (Fraud or Misrepresentation)
अगर किसी ने अपनी पहचान, उम्र, धर्म, शादीशुदा होने की स्थिति या पैसों के बारे में झूठ बोलकर शादी की है, तो वो शादी कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।
कानूनी उपाय:
- धोखे के आधार पर शादी रद्द करने के लिए अर्जी लगाएं
- भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318 (धोखाधड़ी) में पुलिस में शिकायत करें
- फैमिली कोर्ट में जाकर शादी को अवैध घोषित करवाएं
5. पहले से शादीशुदा व्यक्ति की दोबारा शादी (Bigamy)
हिंदू कानून और बाकी कई धर्मों के अनुसार, जब तक पहली शादी खत्म नहीं होती (कानूनी तलाक), तब तक दूसरी शादी करना अपराध है।
कानूनी उपाय:
- भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 82 (दोहरी शादी) के तहत पुलिस में शिकायत करें
- दूसरी शादी रोकने के लिए कोर्ट से स्टे ऑर्डर लें
- पहली शादी का सर्टिफिकेट कोर्ट में पेश करें
शादी रोकने के लिए कानूनी उपाय (जब शादी होने वाली हो)
- कोर्ट से स्टे ऑर्डर: परिवार कोर्ट में जाकर एक अर्जी (सिविल केस) लगा सकता है और शादी को रोकने का अस्थायी आदेश (स्टे ऑर्डर) मांग सकता है। उदाहरण: अगर कोई 17 साल की लड़की की शादी कराई जा रही हो, तो उसके माता-पिता या अभिभावक ज़िला मजिस्ट्रेट या फैमिली कोर्ट में जाकर शादी रुकवाने का आदेश ले सकते हैं।
- गार्जियनशिप पेटिशन: अगर जिसकी शादी हो रही है वह नाबालिग है या मानसिक रूप से ठीक नहीं है, तो परिवार कोर्ट में जाकर उसके लिए कानूनी अभिभावक बनने की अर्जी दे सकता है, ताकि उसके फैसले परिवार ले सकें।
- पुलिस से सुरक्षा या FIR दर्ज कराना: अगर किसी पर शादी का दबाव है या धमकी दी जा रही है, तो परिवार पुलिस से सुरक्षा मांग सकते हैं या सीधे FIR दर्ज कर सकते हैं।
अगर शादी हो चुकी हो तो क्या करें?
अगर शादी हो चुकी है, लेकिन परिवार को लगता है कि वो शादी सही नहीं है, तब भी कुछ कानूनी रास्ते हैं:
1. शादी को रद्द करवाना (Annulment)
अनलमेंट का मतलब होता है कि कोर्ट से यह कहलवाना कि यह शादी कानूनन मान्य नहीं है (Null and Void), ये तब हो सकता है अगर:
- लड़का या लड़की नाबालिग हो
- शादी ज़बरदस्ती हुई हो (बिना रज़ामंदी)
- शादी धोखे से हुई हो (जैसे पहचान या धर्म छिपाया गया हो)
- पहले से शादीशुदा हो (Bigamy)
- मानसिक स्थिति ठीक न हो
2. तलाक (Divorce)
अगर शादी को रद्द नहीं करवाया जा सकता, तो फिर तलाक लेना एकमात्र रास्ता हो सकता है। ये केस शादी करने वाले पति या पत्नी द्वारा किया जाता है, परिवार भी उसमें मदद कर सकता है।
क्या परिवार लव मैरिज को रोक सकता है?
- बहुत से परिवार जाति, धर्म, पैसे या समाज के डर से लव मैरिज को रोकना चाहते हैं। लेकिन अगर दो बालिग (18+ लड़की और 21+ लड़का) अपनी मर्ज़ी से शादी करना चाहते हैं, तो कानून उनके साथ होता है, चाहे परिवार माने या ना माने।
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 (Right to Life & Personal Liberty) हर इंसान को अपनी पसंद से शादी करने का अधिकार देता है।
- अगर परिवार कोर्ट या पुलिस में शिकायत भी करता है, तो भी कोर्ट आमतौर पर कपल के हक में फैसला देता है।
परिवार क्या कर सकता है?
- प्यार से और सम्मान के साथ बात करें
- किसी काउंसलर या समझाने वाले की मदद लें
- किसी तरह की धमकी, ज़बरदस्ती या दबाव न डालें — ये कानूनी अपराध बन सकता है
जब परिवार गलत हो:
कभी-कभी परिवार शादी को गलत कारणों से रोकना चाहते हैं, जैसे:
- समाज में इज़्जत का डर
- जाति या धर्म की सोच
- लड़की/लड़के की पसंद पर आपत्ति
लेकिन ध्यान रखें:
- अगर दो बालिग़ (लड़का 21 साल और लड़की 18 साल से ऊपर) अपनी मर्ज़ी से शादी करना चाहते हैं, तो उन्हें रोका नहीं जा सकता।
- जबरदस्ती शादी रुकवाना, किसी को बंद करके रखना या धमकी देना — ये सब कानूनी अपराध हैं।
- शादी करने वाले कपल पुलिस में शिकायत कर सकते हैं और कानूनी सुरक्षा (protection) भी मांग सकते हैं।
NGO और हेल्पलाइन की मदद कैसे लें?
अगर जबरदस्ती शादी या बाल विवाह (कम उम्र में शादी) हो रहा हो, तो कई संगठन और सरकारी एजेंसियां मदद करती हैं:
- चाइल्डलाइन 1098: बच्चों की शादी या उनके साथ ज़बरदस्ती हो रही हो तो इस नंबर पर तुरंत कॉल करें। ये सेवा 24×7 और फ्री है।
- नेशनल कमीशन फॉर वुमन: अगर किसी महिला को जबरदस्ती शादी के लिए मजबूर किया जा रहा है, तो NCW उसकी मदद कर सकती है।
- डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी: यह सरकारी संस्था कानूनी मदद फ्री में देती है। यहां से वकील या कोर्ट की प्रक्रिया में सहयोग मिल सकता है।
- शक्ति वाहिनी: यह NGO जबरन शादी, ऑनर किलिंग जैसे मामलों में तुरंत मदद करता है।
ये संगठन क्या मदद करते हैं?
- शादी रोकने में कानून के अनुसार सलाह देते हैं
- ज़रूरत पड़ने पर पुलिस और कोर्ट की मदद दिलवाते हैं
- ज़बरदस्ती हो रही हो तो सुरक्षा दिलवाते हैं
हाल की महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय
पटनाः जबरन विवाह को रद्द किया गया
पटनाः उच्च न्यायालय ने एक जबरन विवाह को रद्द कर दिया, जिसमें एक व्यक्ति को बंदूक की नोक पर विवाह करने के लिए मजबूर किया गया था। अदालत ने इसे “पकड़वा विवाह” करार दिया और इसे अवैध घोषित किया।
जोधपुरः बाल विवाह को रद्द किया गया
जो जोधपुर में एक महिला को चार महीने की आयु में विवाह कर दिया गया था, अदालत ने उस विवाह को रद्द कर दिया और पति को महिला के मुकदमे के खर्चे चुकाने का आदेश दिया।
हाल की समाचार हाइलाइट्स
असम में बाल विवाह के खिलाफ कार्रवाई
असम सरकार ने बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाया है, जिसमें हजारों लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि राज्य 2026 तक बाल विवाह को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश: स्कूलों में यौन शिक्षा अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि स्कूलों में यौन शिक्षा अनिवार्य की जाए, ताकि बच्चों को बाल विवाह के बारे में जागरूक किया जा सके और उनके अधिकारों की रक्षा की जा सके।
निष्कर्ष
शादी को रोकना एक संवेदनशील और भावनात्मक मामला है। परिवारों को अपने प्रियजनों की रक्षा करने का अधिकार है, लेकिन यह काम कानूनी तरीके से करना ज़रूरी है। चाहे यह ज़बरदस्ती की शादी हो, बाल विवाह हो, या धोखे से की गई शादी, कानून में समाधान उपलब्ध हैं, पर इनका उपयोग जिम्मेदारी से करना चाहिए।
अंत में, सबसे ज़रूरी बात यह है कि व्यक्ति की सहमति, सुरक्षा और भलाई सबसे महत्वपूर्ण है। अगर आप किसी शादी को लेकर चिंतित हैं, तो एक अच्छे परिवारिक वकील से सलाह लें, जो आपको इस कानूनी प्रक्रिया को समझाने में मदद करेगा और सहानुभूति के साथ मार्गदर्शन करेगा।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. क्या परिवार किसी विवाह को रोक सकता है?
हां, अगर विवाह अवैध है (जैसे बाल विवाह या जबरन विवाह), तो परिवार अदालत या पुलिस के जरिए उसे रोक सकता है।
2. अगर कोई लड़की या लड़का बालिग नहीं है तो क्या विवाह अवैध हो सकता है?
हां, अगर शादी में शामिल व्यक्ति की उम्र कानूनी उम्र से कम है, तो विवाह अवैध हो सकता है और रद्द किया जा सकता है।
3. अगर किसी व्यक्ति को जबरन विवाह करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, तो क्या किया जा सकता है?
परिवार या पीड़ित व्यक्ति पुलिस में शिकायत कर सकता है और अदालत से विवाह रद्द करने का आदेश ले सकता है।
4. क्या मानसिक रोग या असमर्थता के कारण विवाह रद्द किया जा सकता है?
हां, अगर कोई व्यक्ति मानसिक रूप से विवाह के लिए सक्षम नहीं है, तो विवाह रद्द किया जा सकता है।
5. अगर विवाह हो चुका है, तो क्या परिवार इसे रद्द करवा सकता है?
हां, अगर विवाह अवैध या धोखाधड़ी के कारण हुआ है, तो परिवार अदालत में याचिका दायर करके उसे रद्द करवा सकता है।



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