आज के दौर में आइडिया यानी विचार बहुत कीमती हैं। लेकिन सिर्फ आइडिया से कोई स्टार्टअप सफल नहीं बनता। असली फर्क आता है उस आइडिया को सही तरीके से बनाने, नया करने और उसे सुरक्षित रखने में।
अगर आप एक Tech स्टार्टअप चला रहे हैं, तो आपका प्रोडक्ट कोई ऐप, वेबसाइट, सॉफ्टवेयर, मशीन लर्निंग का मॉडल या IoT डिवाइस हो सकता है। ये सभी चीज़ें आपकी सोच और मेहनत से बनी होती हैं, जिसे हम बौद्धिक संपदा (Intellectual Property – IP) कहते हैं।
कई बार स्टार्टअप फाउंडर IP को लेकर कानूनी सुरक्षा की तरफ ध्यान नहीं देते, और जब नुकसान होता है, तब जागते हैं। फिर क्या होता है?
- कोई दूसरा आपकी बनाई चीज़ को कॉपी कर लेता है,
- कर्मचारी आपका कोड लेकर कहीं और चला जाता है,
- या फिर निवेशक (investor) पैसा लगाने से मना कर देते हैं क्योंकि कंपनी के पास अपनी बनाई चीज़ पर मालिकाना हक नहीं होता।
इसलिए ज़रूरी है कि शुरुआत से ही सही IP डॉक्युमेंट्स और कानूनी सुरक्षा आपके पास हो। इससे आप अपने आइडिया को सुरक्षित रख सकते हैं और बिज़नेस को भरोसेमंद बना सकते हैं।
बौद्धिक संपदा (Intellectual Property – IP) क्या होती है?
डॉक्युमेंट्स की बात करने से पहले ये समझना जरूरी है कि IP क्या होती है। IP यानी बौद्धिक संपदा का मतलब है आपकी सोच और मेहनत से बनी ऐसी चीजें जिन्हें आप छू नहीं सकते, लेकिन जो आपके काम की नींव होती हैं।
IP में क्या-क्या आता है?
- नई खोज या तकनीक (जैसे कोई नया सिस्टम या तरीका)
- ब्रांड का नाम, लोगो, वेबसाइट का डोमेन नाम
- सॉफ्टवेयर कोड
- क्रिएटिव चीजें (जैसे ऐप का डिज़ाइन, यूजर इंटरफेस, डॉक्यूमेंटेशन)
- गुप्त जानकारियाँ (जैसे एल्गोरिदम, सोर्स कोड, डेटा स्ट्रैटेजी)
IP को कॉपीराइट, पेटेंट, ट्रेडमार्क और कॉन्ट्रैक्ट के माध्यम से कानूनी रूप से सुरक्षित किया जाता है।
IPR (बौद्धिक संपदा अधिकार) के प्रकार
1. पेटेंट (Patent)
- नई तकनीक, मशीन या प्रोसेस पर अधिकार।
- उदाहरण: नया मेडिकल डिवाइस या मशीन।
2. कॉपीराइट (Copyright)
- लिखित, कलात्मक, म्यूजिक या सॉफ्टवेयर कोड पर अधिकार।
- उदाहरण: किताब, गाना, ऐप का कोड।
3. ट्रेडमार्क (Trademark)
- ब्रांड नाम, लोगो, स्लोगन आदि पर अधिकार।
- उदाहरण: Apple का लोगो, Nike का “Just Do It”।
4. डिज़ाइन अधिकार (Design Rights)
- किसी प्रोडक्ट के दिखने के तरीके (शक्ल/डिज़ाइन) पर अधिकार।
- उदाहरण: बोतल का यूनिक डिज़ाइन।
5. ट्रेड सीक्रेट (Trade Secret)
- बिज़नेस की गुप्त जानकारी जैसे फॉर्मूला या डेटा स्ट्रैटेजी।
- उदाहरण: Coca-Cola का सीक्रेट फॉर्मूला।
नॉन-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट (NDA)
NDA क्या है?
NDA एक कानूनी दस्तावेज़ होता है जो किसी को आपकी गुप्त जानकारी बाहर बताने से रोकता है।
क्यों जरूरी है?
जब आप अपने आइडिया को सह-संस्थापक, डेवलपर्स, निवेशक या सलाहकारों से साझा करते हैं, तो आप नहीं चाहते कि वे आपकी बात चुराकर दूसरों को बता दें या आपके प्रतियोगियों को दे दें।
कब इस्तेमाल करें?
- अपनी योजना या आइडिया विस्तार से बताने से पहले
- कोई पिच मीटिंग या तकनीकी चर्चा करने से पहले
- फ्रीलांसर या सलाहकार को काम पर लेने से पहले
NDA में क्या शामिल होना चाहिए?
- कौन सी जानकारी गुप्त मानी जाएगी
- यह गोपनीयता कितने समय तक रहेगी
- क्या चीजें गुप्त नहीं मानी जाएंगी
- अगर कोई नियम तोड़े तो क्या कार्रवाई होगी
इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी असाइनमेंट एग्रीमेंट (IPAA)
IPPA क्या है?
यह एक कानूनी समझौता है जिससे ये तय होता है कि आपके कर्मचारी, फ्रीलांसर या को-फाउंडर जो भी कुछ बनाते हैं, वह कंपनी की संपत्ति होती है, उनकी नहीं।
क्यों जरूरी है?
- अगर ऐसा समझौता नहीं होगा, तो कंपनी के पास आपके बनाए कोड, डिज़ाइन या प्रोडक्ट के अधिकार नहीं होंगे।
- इन्वेस्टर्स पूछेंगे: “क्या आपकी कंपनी के पास अपनी तकनीक का मालिकाना हक है?” अगर जवाब ‘नहीं’ होगा, तो आपकी कंपनी की वैल्यू कम हो जाएगी।
कौन इस पर साइन करता है?
- को-फाउंडर
- डेवलपर्स (कंपनी के या फ्रीलांसर)
- डिज़ाइनर्स
- इंटर्न या कॉन्ट्रैक्टर्स
अक्सर होने वाली गलती: कई फाउंडर सोचते हैं कि किसी को नौकरी देने से खुद ब खुद कंपनी के पास उसकी बनाई चीज़ों का हक हो जाता है, लेकिन ऐसा नहीं है। इसके लिए लिखित IP असाइनमेंट जरूरी है।
फाउंडर्स एग्रीमेंट / को – फाउंडर्स एग्रीमेंट क्या है?
यह एक समझौता (एग्रीमेंट) होता है जो स्टार्टअप के सभी को-फाउंडर्स के बीच जिम्मेदारियाँ, शेयर (हिस्सेदारी), और IP (बौद्धिक संपदा) का मालिकाना हक तय करता है।
यह IP को कैसे सुरक्षित करता है?
इसमें साफ लिखा होता है कि को-फाउंडर जो भी काम करे—जैसे कोडिंग, डिज़ाइन, या प्रोटोटाइप बनाना—वो कंपनी के लिए होगा, न कि उसके निजी इस्तेमाल के लिए। यदि कोई को-फाउंडर बीच में कंपनी छोड़ देता है, तो वह कंपनी की बौद्धिक संपदा अपने साथ नहीं ले जा सकता।
इसमें क्या-क्या लिखा होता है?
- किस फाउंडर के पास कितनी हिस्सेदारी (Equity) होगी
- Vesting Schedule: जिससे कोई भी फाउंडर पूरी हिस्सेदारी लेकर तुरंत न निकल जाए
- कंपनी के नाम पर IP का हक
- झगड़ा होने पर उसका हल कैसे निकलेगा (Dispute Resolution)
- कौन क्या फैसले ले सकता है (Decision-making Rights)
ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन क्या है?
ट्रेडमार्क आपके ब्रांड का नाम, लोगो या स्लोगन को कानूनी सुरक्षा देता है—यानी जो चीज़ आपकी कंपनी की पहचान बनाती है, वो आपके ही हक में रहे।
स्टार्टअप के लिए क्यों जरूरी है?
- कोई दूसरा आपके जैसे नाम का इस्तेमाल न कर सके
- आपकी ब्रांड पहचान मजबूत होती है
- समय के साथ आपकी कंपनी की वैल्यू बढ़ती है
कैसे रजिस्टर करें?
- सबसे पहले ये जांचें कि आपका ब्रांड नाम पहले से किसी ने तो नहीं लिया
- फिर नेशनल ट्रेडमार्क ऑफिस में आवेदन करें
जरूरी सलाह: जैसे ही आप नाम सोच लें, उसे रजिस्टर करवा लें—भले ही प्रोडक्ट अभी बन रहा हो। कई फाउंडर बाद में पछताते हैं जब कोई और वही नाम रजिस्टर करवा लेता है।
कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन क्या है?
कॉपीराइट आपकी मूल (Original) बनाई चीजों को कानूनी सुरक्षा देता है, जैसे:
- सॉफ्टवेयर कोड
- UI/UX डिज़ाइन
- वेबसाइट का कंटेंट
- मार्केटिंग मैटेरियल
- डाक्यूमेंटेशन
स्टार्टअप के लिए इसका मतलब: जैसे ही आप कोई चीज़ बनाते हैं, कॉपीराइट अपने-आप मिल जाता है। लेकिन रजिस्ट्रेशन कराने से आपको ज्यादा मजबूत सुरक्षा और कोर्ट में सबूत मिलता है, अगर कोई आपकी चीज़ चुराता है।
कैसे रजिस्टर करें:
- अपने देश के कॉपीराइट ऑफिस में आवेदन करें
- जो काम आपने बनाया है, उसकी एक कॉपी जमा करें
- एक छोटा सा शुल्क (फीस) जमा करें
बोनस फायदा: अगर कोई आपकी वेबसाइट या कोड की नकल करता है, तो कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन होने पर आप उसे हटवाने के लिए शिकायत कर सकते हैं, जैसे कि DMCA नोटिस के ज़रिए।
पेटेंट आवेदन (ज़रूरी नहीं, लेकिन बहुत फायदेमंद)
पेटेंट क्या है?
पेटेंट एक कानूनी अधिकार है जो आपकी नई खोज या तकनीकी समाधान को चोरी से बचाता है।
किन चीजों पर पेटेंट लिया जा सकता है?
- कोई नया एल्गोरिदम
- हार्डवेयर से जुड़ी नई खोज
- डेटा प्रोसेसिंग का अनोखा तरीका
- IoT सिस्टम की यूनिक बनावट
ध्यान देने वाली बात: हर तकनीकी आइडिया पर पेटेंट नहीं मिल सकता।
पेटेंट तभी मिलता है जब आपकी खोज:
नई (Novel) हो सीधे समझ में न आने वाली (Non-obvious) हो और काम की (Useful) हो
पेटेंट के प्रकार:
- प्रोविशनल पेटेंट: यह अस्थायी सुरक्षा देता है और आपको 12 महीने मिलते हैं फुल पेटेंट फाइल करने के लिए।
- नॉन प्रोविशनल पेटेंट: यह पूरा पेटेंट आवेदन होता है, जिससे आपको पूरी कानूनी सुरक्षा मिलती है।
- खर्च: पेटेंट प्रक्रिया थोड़ी महंगी हो सकती है, इसलिए तभी करें जब आपकी खोज आपके बिज़नेस का अहम हिस्सा और दूसरों से अलग हो।
टर्म्स ऑफ सर्विस (ToS) और प्राइवेसी पॉलिसी
ToS क्या है?
ये दो कानूनी दस्तावेज़ होते हैं जो आपके प्लेटफॉर्म और यूज़र (उपयोगकर्ता) के बीच नियम तय करते हैं।
- टर्म्स ऑफ सर्विस: बताता है कि यूज़र आपका सॉफ्टवेयर या ऐप कैसे इस्तेमाल कर सकता है, आपकी जिम्मेदारी क्या है, और कौन-कौन से नियम मानने होंगे।
- प्राइवेसी पॉलिसी: बताती है कि आप यूज़र का क्या डेटा इकट्ठा करते हैं, उसे कैसे इस्तेमाल करते हैं, और कहां सुरक्षित रखते हैं। (अधिकतर देशों में ये कानूनन ज़रूरी होती है।)
भारत में, इनफार्मेशन टैकनोलजी एक्ट 2000 के तहत प्राइवेसी पॉलिसी बनाना कानूनन ज़रूरी है ताकि यूज़र को उनकी जानकारी के उपयोग के बारे में पूरी जानकारी मिले और उनकी प्राइवेसी सुरक्षित रहे।
IP से इसका क्या लेना-देना है?
आपकी ToS में ये साफ लिखा होना चाहिए कि सारा कंटेंट, कोड और फीचर्स आपके (कंपनी के) मालिकाना हक में हैं। इससे यूज़र आपकी बनाई चीज़ों को कॉपी करने या उल्टा समझकर करने से रोके जाते हैं।
कर्मचारी गोपनीयता और इन्वेंशन असाइनमेंट एग्रीमेंट क्या है?
जब आप किसी को नौकरी पर रखते हैं, तो उससे एक ऐसा एग्रीमेंट साइन करवाना ज़रूरी होता है जिसमें दो बातें तय हों:
- कंपनी की गुप्त जानकारी (सीक्रेट्स) किसी को नहीं बताएंगे।
- जो भी काम, कोड या आइडिया वह कर्मचारी बनाएगा, उसका हक कंपनी का होगा।
यह क्यों ज़रूरी है?
कर्मचारी आपके सिस्टम, डेटा और कोड जैसी जरूरी चीज़ों तक पहुंच रखते हैं। अगर यह एग्रीमेंट न हो, तो वह जो कुछ भी बनाएगा, उस पर आपकी कंपनी का कानूनी हक नहीं रहेगा। इससे भविष्य में दिक्कत हो सकती है।
ओपन सोर्स लाइसेंस मैनेजमेंट डॉक्यूमेंट क्या है?
अगर आपकी स्टार्टअप किसी ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करती है या उसे आगे शेयर करती है, तो आपके पास एक स्पष्ट पॉलिसी (नीति) होनी चाहिए जिसमें यह तय हो:
- कौन-कौन से ओपन-सोर्स लाइसेंस इस्तेमाल करने की इजाजत है
- ओपन-सोर्स प्रोजेक्ट्स को क्रेडिट (श्रेय) कैसे देना है
- आपकी कंपनी का कोड पब्लिक में शेयर किया जा सकता है या नहीं
यह क्यों ज़रूरी है?
अगर ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर को गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया, तो कानूनी मुसीबत आ सकती है।
कुछ लाइसेंस (जैसे जनरल पब्लिक लाइसेंस) के नियम यह कहते हैं कि अगर आपने उनका कोड इस्तेमाल किया है, तो आपको अपना कोड भी पब्लिक में शेयर करना पड़ेगा।
इसलिए ओपन-सोर्स के नियमों को समझकर ही उसका इस्तेमाल करना चाहिए — और इसे एक डॉक्युमेंट के रूप में तैयार रखना फायदेमंद होता है।
ट्रेड सीक्रेट पालिसी: अपनी बिज़नेस की खास जानकारी को लीक होने से कैसे रोकें?
हर स्टार्टअप की कुछ ऐसी खास बातें होती हैं जो पब्लिक में नहीं जानी चाहिए, जैसे:
- आपका प्राइसिंग मॉडल (आप कितनी कीमत पर प्रोडक्ट बेचते हैं)
- कस्टमर टारगेटिंग डेटा (आप अपने ग्राहकों को कैसे चुनते हैं)
- कोई यूनिक एल्गोरिदम या तरीका जो आपको दूसरों से अलग बनाता है
अगर ये बातें बाहर चली गईं, तो आपका कॉम्पिटिटर उसका गलत इस्तेमाल कर सकता है।
आप क्या कर सकते हैं?
- हर कर्मचारी से गोपनीयता का एग्रीमेंट साइन कराएं।
- कंपनी के अंदर एक सुरक्षा नीति बनाएं — कौन क्या देख सकता है, कौन नहीं।
- जब कोई कर्मचारी कंपनी छोड़कर जाए, तो उससे Non-Compete और Non-Solicit क्लॉज वाला एग्रीमेंट साइन कराएं ताकि वह आपकी जानकारी का गलत इस्तेमाल न कर सके।
उदाहरण: “वह कर्मचारी अगले 1 साल तक किसी प्रतियोगी कंपनी में वही तकनीक इस्तेमाल न करे।”
निष्कर्ष: जल्दी से कानूनी सुरक्षा लें—अपना भविष्य सुरक्षित करें
बहुत से Tech स्टार्टअप जल्दी जल्दी प्रोडक्ट बनाते हैं और पैसे जुटाने में लगे रहते हैं, लेकिन वे अपने आइडियाज़ और काम को कानूनी तौर पर सुरक्षित करना भूल जाते हैं। यह बड़ी गलती हो सकती है। शुरू से ही अपनी IP (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी) को अपने बिज़नेस की सबसे कीमती चीज़ समझें।
सही डॉक्यूमेंट बनवाना महंगा या मुश्किल नहीं होता। बस आपको सही जानकारी, थोड़ा प्लानिंग और अच्छे वकील की सलाह की ज़रूरत होती है। इसी से आपका बिज़नेस मजबूत और सुरक्षित बनेगा।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. क्या IP पंजीकरण के बिना निवेश मिल सकता है?
मुश्किल है। IP दिखाना इन्वेस्टर्स को आपका मोनॉपॉली पोजीशन दिखाता है।
2. अगर को-फाउंडर चला जाए, तो IP किसका होगा?
अगर असाइनमेंट एग्रीमेंट है, तो कंपनी का। नहीं है तो केस बनेगा।
3. क्या केवल NDA से पूरी बौद्धिक संपदा की सुरक्षा मिल सकती है?
नहीं, NDA केवल जानकारी को गोपनीय रखने का समझौता है। अधिकार के लिए IP असाइनमेंट एग्रीमेंट ज़रूरी होता है।



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