क्या GST रिटर्न ना भरने पर कंपनी पर आपराधिक केस हो सकता है?

Can a company face a criminal case for not filing GST returns

भारत के टैक्स सिस्टम में GST को इसलिए लाया गया था ताकि सभी इनडायरेक्ट टैक्स को एक में जोड़ा जा सके और सिस्टम आसान बनाया जा सके। लेकिन GST के नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है, खासकर समय पर रिटर्न भरना।

कई व्यवसायियों के मन में सवाल आता है:

  • “अगर मैंने GST रिटर्न नहीं भरा तो क्या होगा?”
  • “क्या सरकार मेरी कंपनी पर क्रिमिनल केस कर सकती है?”

इस ब्लॉग में हम बताएंगे कि GST रिटर्न न भरने पर क्या कानूनी असर हो सकता है, क्या कंपनी या मालिक पर केस हो सकता है, और ऐसे कानूनी झंझट से कैसे बचा जा सकता है।

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GST रिटर्न क्या होता है और क्यों ज़रूरी है?

GST रिटर्न एक रिपोर्ट होती है जिसमें टैक्सपेयर (व्यवसायी/कंपनी) अपने द्वारा किए गए लेन-देन, बिक्री, खरीद, टैक्स भुगतान आदि का विवरण सरकार को देता है।

प्रमुख प्रकार:

  • GSTR-1 – उस महीने की सभी बिक्री या आउटवर्ड सप्लाई की विस्तृत जानकारी
  • GSTR-3B – समरी रिटर्न जिसमें टैक्स देनदारी और ITC की जानकारी
  • GSTR-9 – सालाना रिटर्न
  • GSTR-2A/2B – खरीद से संबंधित इनपुट डेटा (ऑटो-ड्राफ्टेड)

क्यों ज़रूरी है:

  • इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने के लिए
  • टैक्स चोरी से बचने के लिए
  • GST ऑडिट और विभागीय जांच के दौरान पारदर्शिता के लिए
  • व्यापार की विश्वसनीयता और कानूनी सुरक्षा के लिए

GST रिटर्न न भरने के परिणाम – सिविल बनाम आपराधिक

GST रिटर्न न भरने से व्यवसाय को केवल वित्तीय नहीं, बल्कि कानूनी और प्रतिष्ठा से जुड़े गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

सिविल परिणाम:

  • लेट फीस और ब्याज: हर रिटर्न की एक निश्चित समय सीमा होती है। यदि उस समय पर रिटर्न दाखिल नहीं किया गया तो ₹50/प्रतिदिन (CGST + SGST) के हिसाब से लेट फीस लगती है, और बकाया टैक्स पर ब्याज (18% वार्षिक) भी देना पड़ता है।
  • इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) रोकना: यदि GSTR-1 समय पर दाखिल नहीं होता या बिक्री सही रिपोर्ट नहीं होती तो खरीदार को ITC नहीं मिलेगा, जिससे व्यापारिक संबंध बिगड़ सकते हैं।
  • GST रजिस्ट्रेशन रद्द होना: अगर कोई कंपनी लगातार 6 महीनों तक रिटर्न नहीं भरती, तो विभाग GST रजिस्ट्रेशन रद्द कर सकता है।

आपराधिक परिणाम:

कुछ विशेष परिस्थितियों में, यह मामला सिविल से आपराधिक बन सकता है, जैसे:

  • जानबूझकर टैक्स न भरना
  • बार-बार रिटर्न न भरना
  • फर्जी इनवॉइस का इस्तेमाल
  • इनपुट टैक्स क्रेडिट का फर्जी क्लेम करना
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क्या GST रिटर्न न भरना आपराधिक अपराध है? – कानून क्या कहता है

CGST Act, 2017 यानी सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स कानून में क्या कहा गया है:

  • धारा 122 – जुर्माना: अगर कोई कंपनी समय पर GST रिटर्न नहीं भरती, तो उस पर ₹10,000 या बकाया टैक्स (जो भी ज्यादा हो) का जुर्माना लग सकता है।
  • धारा 132 – सजा: यह हिस्सा तब लागू होता है जब मामला गंभीर हो और उसमें क्रिमिनल (आपराधिक) कार्रवाई की जरूरत पड़े। इसमें कुछ ऐसे केस आते हैं जैसे:
    • फर्जी बिल बनाना (Fake Invoices)
    • टैक्स वसूल करना लेकिन सरकार को जमा न करना
    • बार-बार टैक्स चोरी करना

केवल GST रिटर्न न भरना, धारा 132 के अंतर्गत स्वतः आपराधिक अपराध नहीं माना जाता।

लेकिन कब बन सकता है क्रिमिनल केस?

यदि रिटर्न न भरने के कारण सरकार को यह लगे कि व्यक्ति ने जानबूझकर ₹1 करोड़, ₹2 करोड़, ₹5 करोड़ या उसे ऊपर की टैक्स चोरी की साज़िश रची है, तो:

टैक्स चोरी की राशिअपराध की श्रेणीसजा
₹5 करोड़ से अधिकगैर-जमानती5 साल तक की जेल + जुर्माना
₹2–5 करोड़जमानती लेकिन संज्ञेय3 साल तक की जेल + जुर्माना
₹1–2 करोड़जमानती और गैर-संज्ञेय1 साल तक की जेल + जुर्माना
₹1 करोड़ से कमसामान्य जुर्मानाकेवल पेनल्टी

विशेष बात: विभाग ये साबित करे कि टैक्स चोरी जानबूझकर की गई थी।

क्या डायरेक्टर्स और ऑफिसर्स को भी सजा हो सकती है?

अगर किसी कंपनी पर GST कानून का उल्लंघन करने के लिए केस दर्ज होता है, तो सिर्फ कंपनी ही नहीं, बल्कि उस समय कंपनी का संचालन कर रहे लोग—जैसे डायरेक्टर्स, पार्टनर्स या अधिकारी भी आपराधिक जिम्मेदारी  के दायरे में आ सकते हैं।

धारा 137 क्या कहती है? “अगर कोई कंपनी GST से जुड़ा अपराध करती है, तो उस कंपनी के डायरेक्टर्स, मैनेजर्स, सेक्रेटरी, पार्टनर या कोई भी व्यक्ति जो उस समय कंपनी के काम-काज की जिम्मेदारी संभाल रहा था, उसे भी दोषी माना जा सकता है।”

किन हालातों में बचे रह सकते हैं डायरेक्टर्स? अगर वह व्यक्ति यह साबित कर दे कि:

  • अपराध उसकी जानकारी में नहीं था, या
  • उसने पूरी सावधानी बरती थी कि ऐसा कोई उल्लंघन न हो, तो उसे सजा से राहत मिल सकती है।
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उदाहरण से समझें:

मान लीजिए एक कंपनी ने बार-बार GST रिटर्न नहीं भरे और ₹5 करोड़ से ज्यादा टैक्स की चोरी हो गई। तो GST विभाग न सिर्फ कंपनी पर, बल्कि उस समय के डायरेक्टर या अकाउंट हेड पर भी केस कर सकता है, क्योंकि वे उस वक्त कंपनी का काम संभाल रहे थे।

क्या सजा हो सकती है?

  • अगर कंपनी के समय पर GST न भरने या टैक्स चोरी करने का केस बनता है, तो डायरेक्टर्स, मैनेजर्स, या जिम्मेदार अधिकारी भी उतनी ही सजा के हकदार होंगे, जितनी कंपनी को दी जाएगी।
  • लेकिन, अगर वे यह साबित कर दें कि उन्हें इस अपराध की जानकारी नहीं थी या उन्होंने पूरी सावधानी बरती थी, तो उन्हें सजा से छूट मिल सकती है।

इसलिए सभी डायरेक्टर्स और ऑफिसर्स को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कंपनी की तरफ से समय पर GST रिटर्न फाइल हों और किसी भी तरह की टैक्स चोरी न हो।

अगर GST रिटर्न भरना भूल गए तो क्या करें?

1. जितनी जल्दी हो, रिटर्न फाइल करें

देर से रिटर्न भरना, बिल्कुल न भरने से बेहतर है। GST विभाग आमतौर पर लेट फाइलिंग स्वीकार कर लेता है, लेकिन आपको लेट फीस देनी होगी।

2. लेट फीस और ब्याज जमा करें

लेट फीस ₹50 प्रति दिन है (अगर रिटर्न NIL है, तो ₹20 प्रतिदिन)।  इसके अलावा टैक्स बकाया होने पर 18% सालाना ब्याज भी लगेगा।

3. नोटिस का जवाब ज़रूर दें

अगर विभाग से कोई नोटिस आया है, तो उसे नजरअंदाज न करें। यह अक्सर अंतिम चेतावनी होती है, इसके बाद कानूनी कार्रवाई हो सकती है।

4. अगर सरकार ने एमनेस्टी स्कीम निकाली हो, तो उसका लाभ लें

कभी-कभी सरकार लेट फीस माफ करने के लिए एमनेस्टी स्कीम लाती है। ऐसी स्कीम का फायदा ज़रूर उठाएं।

5. टैक्स एक्सपर्ट से सलाह लें

अगर कई महीनों से रिटर्न पेंडिंग हैं या शो कॉज नोटिस (Show Cause Notice) मिल चुका है, तो तुरंत किसी GST एक्सपर्ट या टैक्स वकील से सलाह लें।

महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय

सुप्रीम कोर्ट – GST रिटर्न में हुई बेनाफाइड (भूल-चूक) सुधार संभव, मार्च 2025

  • कोर्ट ने कहा कि जब तक सरकार को कोई राजस्व नुकसान नहीं हो रहा है, व्यवसायी GSTR‑1 और GSTR‑3B में हुई साधारण गलतियाँ (जैसे अंक या अंकगणित की छोटी-भूल) समय सीमा से भी बाद में सुधार सकते हैं।
  • न्यायालय ने यह भी माना कि “व्यवसाय करने के अधिकार” के तहत इन गलती सुधारने के अधिकार को रोकना उचित नहीं है, और किसी तकनीकी (software) दिक्कत को बहाना नहीं बनाया जा सकता।
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केरल हाई कोर्ट – धारा 132 के तहत आपराधिक कार्रवाई रिटर्न मूल्यांकन के पहले हो सकती है, दिसंबर 2023

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर GST चोरी या चूक बहुत बड़ी हो (जैसे ₹6.5 करोड़ से ऊपर), तो धारा 132 के तहत आपराधिक मुकदमा तब भी चल सकता है, जब तक मूल्यांकन पूरा नहीं होता।

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट (इंदौर बेंच) – IPC/BNS का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, निर्णय, सितंबर 2024

  • कोर्ट ने कहा कि GST के विशेष प्रावधानों को छोड़कर दोष सिद्ध करने के लिए IPC/BNS (भारतीय दंड संहिता) का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
  • यदि GST एक्ट के सेक्शन 132(6) को मानकर बिना कमिश्नर की मंजूरी के IPC/BNS के तहत आरोप लगाए जाते हैं, तो वह नियमों का उल्लंघन माना जाएगा।

निष्कर्ष

सीधा कहें तो, अगर आप GST रिटर्न नहीं भरते, तो तुरंत कोई क्रिमिनल केस नहीं बनता। लेकिन अगर आप बार-बार नजरअंदाज करते हैं, तो मामला आगे बढ़ सकता है। सरकार के पास ऐसी कंपनियों पर केस करने का अधिकार है जो जानबूझकर टैक्स नहीं भरतीं या धोखाधड़ी करती हैं।

इसलिए सबसे अच्छा तरीका है, समय पर रिटर्न भरें, नियमों का पालन करें। अगर गलती हो जाए, तो तुरंत सुधार करें। तभी आप जुर्माना और कानूनी झंझट से बच पाएंगे।

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FAQs

1. क्या केवल लेट फाइलिंग पर गिरफ्तारी हो सकती है?

नहीं, जब तक धोखाधड़ी न हो तब तक गिरफ्तारी नहीं हो सकती।

2. क्या पेनल्टी भरने से आपराधिक केस रुक सकता है?

हाँ, टैक्स और ब्याज चुका देने से कई बार केस बंद हो जाता है।

3. कंपनी के सभी डायरेक्टर्स को जेल हो सकती है?

नहीं, सिर्फ वही व्यक्ति जिम्मेदार होगा जिसने जानबूझकर गलती की हो।

4. अगर जानबूझकर गलती नहीं हुई तो क्या केस रुक सकता है?

हाँ, अगर ‘Mens Rea’ न हो तो सजा नहीं होगी।

5. क्या अग्रिम बेल मिल सकती है?

हाँ, गिरफ्तारी की संभावना हो तो कोर्ट में अग्रिम बेल याचिका लगाई जा सकती है।

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