क्या पेंडिंग कोर्ट केस के बावजूद विदेश यात्रा की अनुमति मिल सकती है?

Can permission be granted to travel abroad despite a pending court case

कोर्ट का केस होना बहुत तनावपूर्ण हो सकता है, और जब आपको काम या अपने किसी खास काम से विदेश जाना हो तो ये और भी मुश्किल हो जाता है। चाहे नौकरी का इंटरव्यू हो, परिवार में कोई समारोह हो, मेडिकल इमरजेंसी हो या बिजनेस ट्रिप, सबसे बड़ा सवाल होता है: “अगर मेरा कोर्ट केस चल रहा है तो क्या मैं देश छोड़ सकता हूं?”

इसका जवाब कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे केस किस तरह का है, क्या आपकी जमानत पर कोई शर्त लगी है, या कोर्ट ने आपकी यात्रा पर कोई रोक लगाई है या नहीं। इस ब्लॉग में हम विस्तार से बताएंगे कि अगर आपके खिलाफ कोर्ट में कोई केस ‘पेंडिंग  है तो आप विदेश कैसे जा सकते हैं, कोर्ट से अनुमति कैसे ली जाती है, और किन स्थितियों में यात्रा प्रतिबंधित हो सकती है।

पेंडिंग  कोर्ट केस का मतलब क्या होता है?

पेंडिंग कोर्ट केस’ का मतलब होता है कि आपके खिलाफ कोई कानूनी मामला अभी कोर्ट में चल रहा है और उसका फैसला नहीं हुआ है।

ऐसी स्थितियां पेंडिंग  केस मानी जाती हैं:

  • FIR दर्ज हो चुकी है लेकिन चार्जशीट दाखिल नहीं हुई
  • चार्जशीट फाइल हो चुकी है और ट्रायल चालू है
  • आरोपी ज़मानत पर है
  • ज़मानत खारिज हो चुकी है लेकिन बेल के लिए अपील की जा रही है

इन सभी परिस्थितियों में व्यक्ति को आरोपी माना जाता है लेकिन दोषी नहीं।

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क्या भारतीय कानून विदेश यात्रा पर रोक लगाता है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार, हर नागरिक को “जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता” का अधिकार है, जिसमें विदेश यात्रा भी शामिल है।

लेकिन अदालत और जांच एजेंसियों को कुछ सीमाएं तय करने का भी अधिकार है, ताकि न्याय की प्रक्रिया बाधित न हो। इसलिए, कानून विदेश यात्रा से मना नहीं करता, लेकिन कुछ शर्तों और प्रक्रिया का पालन ज़रूरी होता है।

क्या आप चल रहे केस के दौरान विदेश जा सकते हैं?

हाँ, जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपको कोर्ट से अनुमति लेनी पड़ सकती है। आप विदेश जाने में सक्षम हैं या नहीं, यह इन बातों पर निर्भर करता है:

  • क्या आप जमानत पर हैं?
  • क्या कोर्ट ने आपके बाहर जाने पर कोई रोक लगाई है?
  • क्या आपका पासपोर्ट ज़ब्त किया गया है?
  • क्या आपको फरार बताया गया है या आपके खिलाफ लुक-आउट सर्कुलर (LOC) जारी किया गया है?

कब-कब विदेश यात्रा पर रोक लगाई जा सकती है?

  • जमानत की शर्तों में यात्रा प्रतिबंध: जब कोर्ट आपको जमानत पर छोड़ती है, तो अक्सर कुछ शर्तें लगाई जाती हैं। इनमें से एक आम शर्त यह हो सकती है कि आप विदेश यात्रा नहीं कर सकते। अगर आप ऐसी शर्तों को मानते हैं और विदेश जाते हैं, तो यह कोर्ट की शर्तों का उल्लंघन होगा और आपके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
  • पासपोर्ट ज़ब्त या लुक-आउट सर्कुलर (LOC) जारी: अगर आपकी जांच या केस में पुलिस या अन्य एजेंसियों को लगता है कि आप फरार हो सकते हैं, तो वे आपका पासपोर्ट ज़ब्त कर सकते हैं। इसके अलावा, सरकार या पुलिस आपके खिलाफ लुक-आउट सर्कुलर भी जारी कर सकती है, जिसका मतलब है कि आपकी जानकारी एयरपोर्ट और बॉर्डर पर डाली जाती है ताकि आप देश छोड़ न सकें।
  • कोर्ट की अनुमति के बिना विदेश जाना: अगर कोर्ट ने स्पष्ट रूप से आपको विदेश जाने से मना किया है या जमानत की शर्तों में ऐसा लिखा है, लेकिन आप बिना अनुमति के विदेश यात्रा करते हैं, तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाता है। इसका मतलब है कि आपने कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है, जिससे आपको सजा या जुर्माना हो सकता है।
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पासपोर्ट नियम और ‘पेंडिंग  केस – क्या कहता है कानून?

पासपोर्ट अधिनियम, 1967 की धारा 6(2)(f) के अनुसार: यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला ‘पेंडिंग  है, तो उसे पासपोर्ट जारी नहीं किया जा सकता, जब तक कोर्ट से अनुमति न मिल जाए।

  • यदि पासपोर्ट पहले से है, तो उसका नवीनीकरण रोक दिया जा सकता है।
  • पुलिस वेरिफिकेशन में केस का ज़िक्र आता है।

क्या कोर्ट से विदेश जाने की अनुमति ली जा सकती है?

हाँ, बिल्कुल। आप भारतीय कानून के तहत कोर्ट से विदेश यात्रा की अनुमति मांग सकते हैं। नीचे इसके कुछ तरीके समझाए गए हैं:

  • भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 480 या 483 के तहत जमानत की शर्तों में बदलाव: अगर आपकी जमानत की शर्तों में विदेश यात्रा पर रोक है, तो आप कोर्ट से अनुमति के लिए आवेदन कर सकते हैं। कोर्ट आपकी वजह और परिस्थिति देखकर शर्तें बदल सकती है।
  • ट्रायल कोर्ट या सेशन कोर्ट में याचिका: आप यात्रा के उद्देश्य, अवधि, और विदेश के नाम की जानकारी देकर कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं। कोर्ट मामले की गंभीरता देखते हुए अनुमति दे सकती है।
  • पासपोर्ट रिलीज़ कराने के लिए आवेदन: अगर आपका पासपोर्ट ज़ब्त हो गया है, तो आप कोर्ट से इसे वापस पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। कोर्ट आपकी परिस्थिति देखकर पासपोर्ट रिलीज कर सकती है।

विदेश जाने की अनुमति कैसे लें?

अगर आप जमानत पर हैं और कोर्ट की इजाज़त के बिना विदेश नहीं जा सकते, तो नीचे बताया गया आसान तरीका अपनाकर आप अनुमति ले सकते हैं:

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स्टेप-बाय-स्टेप प्रक्रिया:

1. अपने वकील से सलाह लें। सबसे पहले अपने वकील से मिलकर पूरी बात समझें और आगे क्या करना है, तय करें।

2. एक एप्लीकेशन तैयार करें, जिसमें ये बातें साफ-साफ लिखी हों:

  • विदेश जाने का कारण (जैसे इलाज, नौकरी, पारिवारिक कार्यक्रम आदि)
  • कौन-से देश जा रहे हैं
  • कितने दिन के लिए जा रहे हैं
  • जाने और लौटने की तारीख
  • टिकट, इनविटेशन, मेडिकल रिपोर्ट जैसे जरूरी दस्तावेज

3. वह आवेदन उसी कोर्ट में लगाएं, जिसने आपको जमानत दी थी।

4. पब्लिक प्रॉसिक्यूटर (सरकारी वकील) को भी एक कॉपी दें।

5. सुनवाई की तारीख पर कोर्ट में पेश हों।

6. कोर्ट आपका आवेदन देखकर फैसला करेगी – मंजूरी दे सकती है या मना भी कर सकती है।

अगर कोर्ट अनुमति दे देती है, तो वह आपसे ये चीज़ें मांग सकती है:

  • एक ज़मानतदार (surety) जमा करना,
  • यात्रा की पूरी जानकारी देना,
  • वापसी का टिकट दिखाना,
  • एक लिखित वादा देना कि आप तय तारीख पर लौटेंगे।

इस तरह से आप कानूनी तरीके से विदेश जाने की इजाजत ले सकते हैं और किसी भी परेशानी से बच सकते हैं।

कोर्ट विदेश जाने की अनुमति कब मना कर सकती है?

कुछ हालातों में कोर्ट आपको विदेश जाने की इजाज़त नहीं देती। ये हालात नीचे दिए गए हैं:

  • अगर आपने पहले जमानत की शर्तें तोड़ी हों: यानी कोर्ट के बताए नियमों का पहले पालन नहीं किया हो।
  • अगर केस बहुत अहम मोड़ पर हो: जैसे ट्रायल चल रहा हो या शुरू होने वाला हो।
  • अगर आप जांच या कोर्ट की कार्यवाही में सहयोग नहीं कर रहे हों: यानी बार-बार कोर्ट में हाज़िर न होना या जानबूझकर टालना।
  • अगर आपको ‘फ्लाइट रिस्क’ माना जाए: यानी कोर्ट को लगे कि आप विदेश जाकर वापस नहीं आएंगे।
  • अगर सरकारी वकील (प्रॉसिक्यूटर) कड़ी आपत्ति जताए: तो कोर्ट इस पर गंभीरता से विचार करता है।

अगर आप बिना कोर्ट को बताए विदेश चले जाएं तो क्या होगा?

अगर कोर्ट ने कोई पाबंदी लगाई है, तो बिना इजाज़त विदेश जाना सही नहीं है। ऐसा करने से आपको कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं:

  • कोर्ट में आपकी छवि खराब हो सकती है: यानी कोर्ट को लगेगा कि आप भरोसे लायक नहीं हैं।
  • आपकी जमानत रद्द हो सकती है या वारंट जारी हो सकता है: यानी आपको फिर से गिरफ्तार किया जा सकता है।
  • आगे से कोर्ट से इजाज़त लेना और भी मुश्किल हो जाएगा: क्योंकि कोर्ट को लगेगा कि आप नियमों का पालन नहीं करते।
  • जरूरी सलाह: हमेशा अपने वकील और कोर्ट को सच-सच बताएं। कोर्ट ईमानदारी को महत्व देती है और अक्सर सहयोग करने वालों के पक्ष में फैसला करती है।
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क्या आप अनुमति कई बार मांग सकते हैं? 

हाँ, आप एक से ज़्यादा बार अनुमति के लिए आवेदन कर सकते हैं। लेकिन अगर आपने पहले भी परमिशन ली थी, तो कोर्ट यह देखेगा कि आपने उस समय क्या किया था। अगर आपने समय पर वापस आकर सभी नियमों का पालन किया था, तो कोर्ट दोबारा अनुमति देने के लिए ज़्यादा तैयार हो सकता है।

निष्कर्ष

अगर आपके ऊपर कोई केस चल रहा है और आपको विदेश जाना है, तो यह मुमकिन है, बस आपको सही तरीका अपनाना होगा। कोर्ट समझता है कि लोगों की इंटरनेशनल ज़रूरतें हो सकती हैं, लेकिन साथ ही वो यह भी चाहता है कि इंसाफ में देरी न हो। ऐसे में आपको एक अच्छे वकील से सलाह लेनी चाहिए, सही तरीके से परमिशन के लिए अप्लाई करना चाहिए, कोई भी बात छुपानी नहीं चाहिए और अगर परमिशन मिल जाए तो उसके सभी नियमों का ठीक से पालन करना चाहिए। ऐसा करने से आप सुरक्षित रहेंगे, कोर्ट का भरोसा बनाए रखेंगे और अपनी कानूनी व पर्सनल ज़िम्मेदारियों को बिना तनाव के संभाल सकेंगे।

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FAQs

1. क्या FIR होने पर पासपोर्ट मिल सकता है?

हाँ, केवल FIR दर्ज हो जाने भर से पासपोर्ट नहीं रोका जा सकता। तब तक इसे मना या ज़ब्त नहीं किया जाता जब तक कोर्ट में केस दर्ज न हो या कोर्ट ने रोक न लगाई हो।

2. क्या ट्रायल कोर्ट से विदेश जाने की अनुमति ली जा सकती है?

बिलकुल। आप ट्रायल कोर्ट में आवेदन देकर यात्रा का कारण, अवधि और गंतव्य बताकर अनुमति मांग सकते हैं। कोर्ट आपकी परिस्थिति देखकर फैसला करेगी।

3. जमानत की शर्त में “विदेश न जाने” का प्रतिबंध हो तो क्या करें?

आप BNSS की धारा 480 या 483 के तहत कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं। इसमें आप शर्तों में बदलाव की मांग करेंगे—जैसे विदेश यात्रा की अनुमति—और कोर्ट आपकी परिस्थिति के अनुसार शर्तें बदल सकती है।

4. LOC हटवाने की प्रक्रिया क्या है?

आप हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर LOC हटवाने की मांग कर सकते हैं। जैसे हाल ही में तेलंगाना हाई कोर्ट ने LOC रद्द करवाई, जिससे आरोपी का पासपोर्ट वापस हुआ और यात्रा संभव हुई।

5. क्या सिविल केस के चलते वीज़ा रिजेक्ट हो सकता है?

सामान्यतः नहीं, सिविल केस से वीज़ा प्रभावित नहीं होता। लेकिन अगर कोर्ट ने सीधे आदेश दिया हो—जैसे पासपोर्ट ज़ब्त करने या यात्रा पर रोक—तो वीज़ा पर असर पड़ सकता है।

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