किसी अपने की मौत होना बहुत दुखद होता है। ऐसे समय में कानूनी काम संभालना और भी मुश्किल लग सकता है। जब परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है, तो उसके बाद परिवार वालों को उनकी संपत्ति (जैसे – ज़मीन, घर, बैंक अकाउंट या दूसरी चीज़ें) को ट्रांसफर करने की ज़िम्मेदारी निभानी होती है। यह संपत्ति ट्रांसफर करना इस बात पर निर्भर करता है कि मरने वाले ने वसीयत छोड़ी थी या नहीं।
अगर आपको सही कानूनी प्रक्रिया, जरूरी दस्तावेज़ और संबंधित सरकारी दफ्तरों की जानकारी हो, तो इस काम को आसानी से और बिना झगड़े के पूरा किया जा सकता है।
इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि किसी की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति को कैसे ट्रांसफर किया जाता है। इससे आपको आगे की प्रक्रिया समझने में मदद मिलेगी।
मृत्यु के बाद संपत्ति ट्रांसफर के दो तरीके होते हैं
1. वसीयत के साथ (Testamentary Succession): अगर मरने वाले ने पहले से ही वसीयत बना दी थी, तो उनकी संपत्ति उसी वसीयत के मुताबिक बांटी जाती है। इसमें कभी-कभी कोर्ट से वसीयत की पुष्टि करवानी पड़ती है, ताकि यह साबित हो सके कि वसीयत असली है।
2. बिना वसीयत के (Intestate Succession): अगर वसीयत नहीं बनी है, तो संपत्ति उस व्यक्ति के धर्म के हिसाब से बांटी जाती है – जैसे हिंदू, मुस्लिम या ईसाई कानून के अनुसार। यह नियम तय करते हैं कि परिवार में किसे कितनी संपत्ति मिलेगी।
स्थिति 1: जब वसीयत बनी हो
स्टेप 1: वसीयत ढूंढना
सबसे पहले असली वसीयत ढूंढनी होती है। यह मरने वाले के वकील के पास, बैंक लॉकर में या परिवार के भरोसेमंद सदस्य के पास हो सकती है। अगर वसीयत नहीं मिलती, तो कोर्ट कानूनी तरीके से संपत्ति बांटता है, लेकिन इससे मामले जटिल हो सकते हैं।
स्टेप 2: प्रॉबेट के लिए आवेदन करें
कहां आवेदन करें?
आम तौर पर प्रॉबेट की पेटिशन उस जिला कोर्ट में लगानी होती है जहां मरने वाला रहता था या जहां उसकी संपत्ति है। लेकिन बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता में अगर जमीन या मकान की बात हो तो हाई कोर्ट में प्रॉबेट लेना जरूरी होता है।
कौन आवेदन कर सकता है?
आमतौर पर, वसीयत में जो एक्जीक्यूटर (जिम्मेदार व्यक्ति) बनाया गया होता है, वही प्रॉबेट के लिए आवेदन करता है। अगर एक्जीक्यूटर नहीं है, तो कोई भी कानूनी वारिस या लाभार्थी आवेदन कर सकता है।
जरूरी दस्तावेज़:
- असली वसीयत
- मृत्यु प्रमाण पत्र की कॉपी
- एक्जीक्यूटर की पहचान (ID Proof)
- कानूनी वारिसों के नाम और पते
- संपत्ति के कागज़ (जैसे जमीन के कागज़ या मालिकाना हक के दस्तावेज़)
स्टेप 3: नोटिस पब्लिश करना
जब प्रॉबेट के लिए पेटिशन लगती है, तो कोर्ट सभी वारिसों को नोटिस भेजता है और स्थानीय अखबार में भी एक सूचना पब्लिश करवाता है। इससे अगर कोई आपत्ति करनी हो तो 30 दिनों के अंदर कर सके। अगर कोई आपत्ति नहीं आती, तो कोर्ट प्रॉबेट जारी कर देता है।
स्टेप 4: संपत्ति का ट्रांसफर
प्रॉबेट मिल जाने के बाद, एक्जीक्यूटर संपत्ति ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू करता है। इसमें शामिल है:
- म्यूटेशन कराना: जमीन या मकान के रिकॉर्ड में नए मालिक का नाम दर्ज करना।
- दूसरी संपत्ति ट्रांसफर करना: जैसे बैंक अकाउंट, शेयर, बीमा पॉलिसी आदि को लाभार्थियों के नाम करना।
प्रॉबेट मिलने से वसीयत कानूनी रूप से सही साबित हो जाती है, जिससे संपत्ति का ट्रांसफर आसान हो जाता है और परिवार में झगड़े कम होते हैं।
ध्यान दें: प्रॉबेट की पूरी प्रक्रिया में कुछ महीने लग सकते हैं, खासकर अगर संपत्ति बड़ी हो या कोई विवाद हो। इसलिए किसी अच्छे वकील की मदद लेना बेहतर रहता है।
स्थिति 2: जब कोई वसीयत न हो
अगर वसीयत नहीं बनी है, तो संपत्ति बांटने के लिए कानून धर्म के हिसाब से लागू होता है:
- हिंदू, बौद्ध, जैन और सिखों के लिए: हिन्दू सक्सेशन एक्ट, 1956
- मुस्लिमों के लिए: मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937
- ईसाई और पारसी समुदाय के लिए: इंडियन सक्सेशन एक्ट, 1925
अगर वसीयत नहीं है तो ये कानून तय करते हैं कि संपत्ति कैसे और किसे मिलेगी।
इस प्रक्रिया में कभी-कभी बहुत सारी कानूनी बातें होती हैं, इसलिए बेहतर होगा कि आप किसी अच्छे वकील से सलाह लेकर ही आगे बढ़ें। इससे आपके काम में आसानी होगी और कोई परेशानी नहीं आएगी।
स्टेप 1: मृत्यु प्रमाण पत्र (Death Certificate) लेना
सबसे पहले आपको मृत्यु प्रमाण पत्र लेना होता है। यह उस जगह के नगर पालिका (म्युनिसिपल ऑफिस) से मिलेगा जहां व्यक्ति की मौत हुई है। यह कागज़ कानून में आगे की प्रक्रिया शुरू करने के लिए ज़रूरी होता है।
स्टेप 2: कानूनी वारिस प्रमाण पत्र या उत्तराधिकार प्रमाण पत्र लेना
1. कानूनी वारिस प्रमाण पत्र (Legal Heir Certificate)
यह प्रमाण पत्र बताता है कि मरने वाले के सही वारिस कौन हैं। इसे बैंक, पेंशन, यूटिलिटी बिल आदि ट्रांसफर करने में काम लिया जाता है।
कौन जारी करता है: तहसीलदार या राजस्व अधिकारी।
ज़रूरी कागज़: मृत्यु प्रमाण पत्र, वारिसों की पहचान के कागज़, पता प्रमाण, आवेदन फॉर्म
प्रक्रिया:
- तहसीलदार के पास आवेदन और दस्तावेज़ जमा करें।
- अधिकारी जांच करेगा।
- सब सही पाया गया तो प्रमाण पत्र दे दिया जाएगा।
2. उत्तराधिकार प्रमाण पत्र (Succession Certificate)
यह प्रमाण पत्र आपको मरने वाले के कर्ज या पैसे वसूलने का अधिकार देता है।
कौन जारी करता है: जिला कोर्ट।
प्रक्रिया:
- जिला कोर्ट में पेटिशन लगाएं।
- कोर्ट नोटिस प्रकाशित करता है, ताकि कोई आपत्ति दे सके।
- अगर कोई आपत्ति नहीं आती, तो कोर्ट प्रमाण पत्र दे देता है।
स्टेप 3: वारिसों के बीच संपत्ति बांटना
अगर कई वारिस हैं, तो वे आपस में मिलकर संपत्ति बाँट सकते हैं। इसके लिए दो तरीके होते हैं:
- रिलिनक्विशमेंट डीड (Relinquishment Deed): जब कोई वारिस अपना हिस्सा छोड़ देता है ताकि दूसरे को मिल सके।
- फैमिली सेटलमेंट डीड (Family Settlement Deed): सभी वारिस आपस में सहमति बनाकर संपत्ति बाँट लेते हैं।
- ध्यान दें: ये दस्तावेज़ सब-रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर कराना ज़रूरी होता है।
स्टेप 4: म्यूटेशन करवाना
संपत्ति के रिकॉर्ड में नए मालिक का नाम दर्ज करने के लिए स्थानीय नगरपालिका या राजस्व कार्यालय में म्यूटेशन के लिए आवेदन करना होता है।
ज़रूरी दस्तावेज़:
- कानूनी वारिस प्रमाण पत्र या उत्तराधिकार प्रमाण पत्र
- मृत्यु प्रमाण पत्र
- पहचान और पता प्रमाण
- संपत्ति टैक्स की रसीदें
ध्यान रखें: हालांकि म्यूटेशन से आपको कानूनी मालिकाना हक नहीं मिलता, लेकिन यह फिर भी बहुत जरूरी होता है।
- इससे नया मालिक सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हो जाता है।
- प्रॉपर्टी टैक्स अब नए मालिक के नाम से जमा किया जा सकता है।
- आगे चलकर किसी भी विवाद या परेशानी से बचा जा सकता है।
- इसलिए म्यूटेशन करवाना एक जरूरी और समझदारी भरा कदम होता है।
बिना वसीयत के संपत्ति ट्रांसफर करने में आने वाली आम परेशानियाँ
जब किसी व्यक्ति की वसीयत नहीं होती, तो उसकी संपत्ति ट्रांसफर करना थोड़ा पेचिदा और समय लेने वाला हो सकता है। नीचे कुछ आम समस्याएं बताई गई हैं:
- हर किसी की अलग राय हो सकती है, जिससे आपसी विवाद हो सकते हैं।
- अगर जरूरी दस्तावेज़ अधूरे या गलत हैं, तो पूरा काम रुक सकता है।
- पूरी प्रक्रिया में कई बार कई महीने लग जाते हैं।
- प्रमाण पत्र, रजिस्ट्रेशन और वकील की फीस जैसे खर्चे धीरे-धीरे बढ़ जाते हैं।
इसलिए कोशिश करें कि समय पर सही कागज़ तैयार हों और कानूनी सलाह भी ली जाए, ताकि परेशानी न हो।
अगर संपत्ति जॉइंट ओनरशिप में है तो क्या होगा?
अगर मरने वाले ने संपत्ति किसी और के साथ मिलकर खरीदी थी (जैसे पति-पत्नी के नाम पर), तो आमतौर पर जो जीवित है, वही पूरा मालिक बन जाता है। इस स्थिति में आपको क्या करना होता है:
- मृत्यु प्रमाण पत्र जमा करें
- नगर निगम में म्यूटेशन (नाम बदलवाने) के लिए आवेदन करें
अगर प्रॉपर्टी “जॉइंट टेनेन्सी” के तहत है या उसमें “राइट ऑफ सर्वाइवर्शिप” लिखा है, तो उत्तराधिकार प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं पड़ती।
यह प्रक्रिया बाकी मामलों से काफी आसान होती है।
संपत्ति ट्रांसफर करने में कितना समय और फीस लगती है?
| प्रक्रिया | लगने वाला समय | लगभग खर्च |
| मृत्यु प्रमाण पत्र | 7 से 14 दिन | फ्री या मामूली शुल्क (₹10–₹50) |
| कानूनी वारिस प्रमाण पत्र | 15 से 30 दिन | मामूली शुल्क (राज्य के अनुसार ₹20 से ₹200 तक) |
| उत्तराधिकार प्रमाण पत्र | 2 से 6 महीने (या अधिक) | कोर्ट फीस लगती है (संपत्ति के मूल्य का 1–3%, कुछ राज्यों में सीमा तय है) |
| वसीयत का प्रोबेट | 6 से 12 महीने या अधिक | वकील की फीस, कोर्ट फीस, और अखबार में सूचना छपवाने का खर्च |
| संपत्ति म्यूटेशन (नामांतरण) | आवेदन के बाद 15 से 30 दिन | मामूली खर्च (₹100–₹1000, राज्य या नगर निगम के अनुसार) |
संपत्ति ट्रांसफर कराने के लिए कुछ आसान टिप्स
- कोई भी कानूनी दस्तावेज़ साइन करने से पहले किसी अच्छे वकील से सलाह जरूर लें।
- अगर आप वसीयत बना रहे हैं, तो उसे रजिस्टर्ड करवा लें, ताकि आगे कोई झगड़ा न हो।
- अगर आप कानूनी वारिस हैं, तो सभी जरूरी कागज़ों की कॉपी और रसीदें संभाल कर रखें।
- म्यूटेशन और प्रॉपर्टी रिकॉर्ड अपडेट का काम जितना जल्दी हो सके, पूरा करा लें।
निष्कर्ष
किसी अपने को खोना बहुत दुखद होता है। लेकिन उनकी संपत्ति को सही तरीके से ट्रांसफर करवाना जरूरी होता है, ताकि उनकी इच्छा का सम्मान हो और परिवार को आगे कोई कानूनी परेशानी न हो।
चाहे वसीयत हो या न हो, भारत में कानून में इसकी साफ व्यवस्था है। अगर आप जानकारी रखेंगे और समय पर कदम उठाएंगे, तो प्रक्रिया आसान हो सकती है।
अगर आपको कहीं समझ नहीं आ रहा या दिक्कत हो रही है, तो किसी अच्छे प्रॉपर्टी वकील से सलाह जरूर लें। सही कानूनी मदद से आप सालों की परेशानी, देरी या कोर्ट के चक्कर से बच सकते हैं।
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FAQs
1. क्या बिना वसीयत के भी संपत्ति ट्रांसफर हो सकती है?
हाँ, बिना वसीयत के भी संपत्ति ट्रांसफर होती है। इसके लिए कानूनी वारिस प्रमाणपत्र और कोर्ट की अनुमति जरूरी होती है।
2. वसीयत के बिना संपत्ति ट्रांसफर कैसे होगा?
वसीयत न होने पर संपत्ति संबंधित धर्म के उत्तराधिकार कानून के अनुसार बाँटी जाती है। इसके लिए वारिस प्रमाणपत्र और रजिस्ट्रेशन जरूरी होते हैं।
3. क्या वसीयत को कोर्ट से प्रमाणित कराना ज़रूरी है?
जरूरी नहीं, लेकिन विवाद होने पर कोर्ट से प्रमाणित करवाना फायदेमंद होता है।
4. क्या कोर्ट के आदेश बिना संपत्ति ट्रांसफर हो सकता है?
अगर सभी वारिस सहमत हैं और विवाद नहीं है तो कोर्ट की जरूरत नहीं। विवाद होने पर कोर्ट का आदेश लेना पड़ता है।
5. संपत्ति ट्रांसफर में कितना समय लगता है?
साधारण मामलों में 1 से 3 महीने, और विवाद होने पर ज्यादा समय लग सकता है।



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