डीपफेक वीडियो से कैसे बचें? जानिए आपके कानूनी अधिकार

How to avoid deepfake videos Know your legal rights

क्या आपने कभी कोई ऐसा वीडियो ऑनलाइन देखा है जो बहुत अजीब लगा लेकिन फिर भी एकदम असली जैसा लगा? हो सकता है वो डीपफेक वीडियो हो।

आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से ऐसे नकली लेकिन असली जैसे दिखने वाले वीडियो बनाना बहुत आसान हो गया है। कुछ लोग डीपफेक सिर्फ मज़े के लिए बनाते हैं, लेकिन कई बार इसका गलत इस्तेमाल भी होता है, जैसे झूठी खबर फैलाना, किसी की छवि (इमेज) खराब करना, या धोखाधड़ी करना।

इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे: डीपफेक क्या होते हैं, इनसे खुद को कैसे सुरक्षित रखें, और अगर कोई आपकी आवाज़ या चेहरा डीपफेक से गलत तरीके से इस्तेमाल करे, तो कानून में आपके क्या अधिकार हैं।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

डीपफेक वीडियो क्या है?

डीपफेक की परिभाषा: यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें AI का उपयोग करके किसी व्यक्ति के चेहरे, आवाज़, हाव-भाव को किसी और वीडियो या ऑडियो में जोड़ दिया जाता है।

यह कैसे काम करता है? डीपफेक बनाने में मशीन लर्निंग, AI एल्गोरिद्म और फेस स्वैपिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग होता है। सिस्टम हजारों तस्वीरें या वीडियो देखकर सीखता है कि व्यक्ति कैसे बोलता है, चलता है, हँसता है आदि।

डीपफेक के प्रकार:

  • वीडियो डीपफेक: किसी के चेहरे को किसी और वीडियो में लगा देना।
  • ऑडियो डीपफेक: किसी की नकली आवाज़ बनाकर बात कहलवाना।
  • फोटो डीपफेक: असली फोटो को एडिट करके भ्रम फैलाना।

डीपफेक खतरनाक क्यों होते हैं?

डीपफेक से किसी को मानसिक, पैसों का या इज्जत का नुकसान हो सकता है। आइए समझते हैं कैसे:

  • इज्जत को नुकसान: अगर आपका नकली वीडियो इंटरनेट पर फैल जाए, तो आपकी निजी या प्रोफेशनल छवि खराब हो सकती है।
  • धोखाधड़ी: आपकी नकली आवाज़ का इस्तेमाल बैंक या आपके परिवार को बेवकूफ बनाने के लिए किया जा सकता है।
  • राजनीतिक झूठ: डीपफेक से झूठी बातें फैलाई जा सकती हैं, जो लोगों की सोच और लोकतंत्र को प्रभावित करती हैं।
  • साइबर बुली और परेशान करना: कुछ लोग डीपफेक की मदद से अश्लील नकली वीडियो बनाकर दूसरों को बदनाम या परेशान करते हैं।

भारत में डीपफेक वीडियो पर कानूनी प्रावधान क्या हैं?

भारत के कानून आपको साइबर क्राइम, अपराध और नागरिक कानून के तहत कई तरह की सुरक्षा देते हैं।

इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट (IT), 2000

यह भारत का मुख्य कानून है जो ऑनलाइन अपराधों से निपटता है। इसमें ये महत्वपूर्ण धाराएं हैं:

  • धारा 66E: निजता का उल्लंघन (जैसे आपकी निजी तस्वीरें बिना अनुमति के दिखाना)
  • धारा 67 & 67A: अश्लील या सेक्स से जुड़े सामग्री को फैलाना
  • धारा 66C & 66D: पहचान की चोरी और धोखा देने के लिए भेष बदलना
  • धारा 72: गोपनीयता और निजता का उल्लंघन
  • सजा: 5 साल तक की जेल और जुर्माना।
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भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023

निजता का अधिकार 2017 में भारत के सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मूलभूत अधिकार घोषित किया। आपकी जानकारी, आवाज़ या तस्वीर बिना आपकी अनुमति के इस्तेमाल करना इस अधिकार का उल्लंघन है। आप हाई कोर्ट से सुरक्षा और मुआवजा मांग सकते हैं।

“भूल जाने का अधिकार” भारतीय कोर्ट अब धीरे-धीरे इस बात को मान रहे हैं कि ऑनलाइन गलत या बिना अनुमति के डाले गए डीपफेक किए गए फोटो/वीडियो को हटाने का अधिकार होना चाहिए। आप प्लेटफॉर्म या कोर्ट से ऐसी कंटेंट हटाने का अनुरोध कर सकते हैं।

भारत में डीपफेक के गलत इस्तेमाल पर शिकायत कैसे करें?

सबूत इकट्ठा करें: सबसे पहले उस वीडियो, फोटो, चैट या लिंक का स्क्रीनशॉट लें और सेव करके रखें। यह बाद में आपके केस में बहुत ज़रूरी होगा।

ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें:

  • वेबसाइट पर जाएं: www.cybercrime.gov.in
  • ऑप्शन चुनें:
    • Report Women & Child-related Crimes (अगर महिला या बच्चा शिकार है)
    • Report Other Cyber Crimes (बाकी मामलों के लिए)
  • जरूरी जानकारी भरें और सबमिट करें।

एफआईआर दर्ज करें: अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम सेल में जाएं और FIR दर्ज करें। आपके केस में आईटी एक्ट और BNS की धाराएं लग सकती हैं।

लीगल नोटिस भेजें: आपका वकील उस व्यक्ति या वेबसाइट को कानूनी नोटिस भेज सकता है जिसने वह डीपफेक बनाया या शेयर किया है।

कोर्ट में कार्रवाई करें: आप कोर्ट में कार्रवाई कर सकते है लेकिन यह डीपफेक के कंटेंट पर निर्भर करता है कि आप कौन-कौन से कदम उठा सकते हैं:

  • BNS और आईटी एक्ट के तहत क्रिमिनल केस दर्ज कर सकते हैं।
  • मानहानि या गोपनीयता के उल्लंघन पर सिविल केस फाइल कर सकते हैं।
  • हाई कोर्ट में पेटिशन देकर कंटेंट हटवाने और मुआवज़ा पाने की मांग कर सकते हैं।

अगर डीपफेक से आपकी इज्जत को नुकसान, मानसिक तनाव या पैसे का नुकसान हुआ है, तो आप पूरी तरह से कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।

भारत में डीपफेक का शिकार बनने से कैसे बचें?

  • सोच-समझकर पोस्ट करें अपनी क्लियर सेल्फी, लंबे वीडियो या आवाज़ की रिकॉर्डिंग सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से ना डालें। इससे कोई आपके चेहरे या आवाज़ का गलत इस्तेमाल कर सकता है।
  • प्राइवेसी सेटिंग्स का इस्तेमाल करें अपने फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे अकाउंट को प्राइवेट रखें। अनजान लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट या फॉलो रिक्वेस्ट एक्सेप्ट ना करें।
  • अनजाने ऐप्स से बचें ऐसे ऐप्स जो कैमरा और माइक की एक्सेस मांगते हैं, उन्हें इस्तेमाल करने से बचें। ये आपके चेहरे और आवाज़ को रिकॉर्ड कर सकते हैं।
  • अपने परिवार को जागरूक करें भारत में कई लोग खासकर बुज़ुर्ग और बच्चे डीपफेक के बारे में नहीं जानते। उन्हें समझाएं कि हर वीडियो या फोटो असली नहीं होता और बिना जांचे-परखे कोई भी चीज़ आगे ना बढ़ाएं।
  • तुरंत रिपोर्ट करें अगर आप किसी नकली या संदिग्ध वीडियो को देखें तो घबराएं नहीं। तुरंत उस प्लेटफॉर्म (जैसे YouTube, Instagram, WhatsApp) पर रिपोर्ट करें सबूत (स्क्रीनशॉट, लिंक) सेव करके रखें
  • वकील से सलाह लें अगर आपको डीपफेक से संबंधित कोई समस्या हो, तो किसी अनुभवी साइबर क्राइम वकील से तुरंत सलाह लें। वे FIR दर्ज कराने, कानूनी नोटिस भेजने, कोर्ट में पेटिशन दायर करने और आपके अधिकारों की रक्षा करने में मदद कर सकते हैं।
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भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म डीपफेक के खिलाफ क्या कर रहे हैं?

अब ज़्यादातर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के पास भारत में शिकायत अधिकारी होते हैं, जैसा कि IT रूल्स 2021 में कहा गया है। आप सीधे प्लेटफॉर्म पर जाकर डीपफेक या गलत कंटेंट की शिकायत कर सकते हैं:

  • Instagram / Facebook: रिपोर्ट करें → “Sexual Content” या “False Information” चुनें
  • YouTube: वीडियो पर रिपोर्ट करें → “Infringes my rights” यानी मेरे अधिकारों का उल्लंघन
  • Twitter (X): रिपोर्ट करें → “Privacy violation” यानी निजता का उल्लंघन

प्लेटफॉर्म को 24 से 72 घंटे के अंदर आपकी शिकायत जांचकर गलत कंटेंट हटाना जरूरी होता है। अगर वे कार्रवाई नहीं करते, तो आप कानूनी मदद भी ले सकते हैं।

अंकुर वारीकू बनाम जॉन डो (दिल्ली हाई कोर्ट, मई 2025)

दिल्ली हाई कोर्ट ने फाइनेंस एजुकेटर अंकुर वारीकू के पक्ष में आदेश दिया कि कोई भी अनजान व्यक्ति उनकी तस्वीर, नाम, आवाज़ या चेहरे (जैसे डीपफेक के ज़रिए) का गलत इस्तेमाल नहीं कर सकता।

कोर्ट ने सोशल मीडिया कंपनियों जैसे Meta (Facebook, Instagram) को 36 घंटे के अंदर ऐसा कंटेंट हटाने और जिसने डाला उसका डेटा शेयर करने का आदेश दिया।

कानूनी महत्व:

  • यह फैसला दिखाता है कि कोर्ट अब डीपफेक और AI के ज़रिए होने वाले पहचान की नकल को गंभीरता से ले रही है।
  • इस केस में कोर्ट ने ऐसा आदेश भी दिया जो पहचान न होने वाले लोगों (John Doe) के खिलाफ भी लागू होता है।
  • इससे भविष्य में पीड़ित लोग पहले ही रोकथाम के लिए कोर्ट जा सकते हैं और तेज़ राहत पा सकते हैं।

अनिल कपूर बनाम सिम्पली लाइफ इंडिया एंड ओर्स. (दिल्ली हाई कोर्ट, 2023/2024)

बॉलीवुड एक्टर अनिल कपूर ने दिल्ली हाई कोर्ट से ऐसा आदेश लिया जिससे कोई भी व्यक्ति उनकी तस्वीर, आवाज़ या पहचान का बिना इजाज़त इस्तेमाल नहीं कर सकता, खासकर AI या डीपफेक के ज़रिए बनाए गए नकली वीडियो या कंटेंट में।

कानूनी महत्व:

  • यह भारत के शुरुआती फैसलों में से एक है जिसमें कोर्ट ने माना कि किसी की आवाज़, हावभाव, और स्टाइल भी उनकी कानूनी पहचान का हिस्सा हैं और उनकी कानूनी सुरक्षा होनी चाहिए।
  • अब ऐसे मामलों में पीड़ित व्यक्ति अपनी आवाज़ या लुक के गलत इस्तेमाल पर भी कोर्ट से मदद मांग सकता है, चाहे वो असली हो या AI से बना हो।
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रजत शर्मा बनाम तमारा एंड ओर्स. (दिल्ली हाई कोर्ट, 2024)

रजत शर्मा, जो इंडिया टीवी के एडिटर-इन-चीफ हैं, को कोर्ट से ऐसा आदेश  मिला जिससे 8 लोगों को उनके डीपफेक वीडियो फैलाने से रोका गया। इन वीडियो में उन्हें दवाइयों का प्रचार करते हुए झूठे तरीके से दिखाया गया था। कोर्ट ने ऐसे सभी वीडियो हटाने का आदेश भी दिया।

कानूनी महत्व

  • इस फैसले में कोर्ट ने साफ कहा कि अगर डीपफेक का इस्तेमाल किसी को बदनाम करने या झूठे प्रचार के लिए हो रहा है, तो उसे रोका जा सकता है।
  • कोर्ट ने बताया कि किसी की पहचान (नाम, चेहरा, आवाज़) का बिना इजाज़त इस्तेमाल, खासकर गलत मंशा से, कानूनन अपराध है।

निष्कर्ष

डीपफेक सिर्फ मनोरंजन का एक तरीका नहीं है, यह आज के डिजिटल भारत में आपकी पहचान, इज़्ज़त और सुरक्षा के लिए एक सच्चा खतरा बन चुका है।

चाहे आप कॉलेज स्टूडेंट हों, गृहिणी, नौकरीपेशा व्यक्ति या कोई पब्लिक फिगर, आपकी तस्वीर और आवाज़ का गलत इस्तेमाल हो सकता है। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, आप लाचार नहीं हैं।

भारत का कानून अब AI और डीपफेक जैसे खतरों को समझने लगा है, और अगर आप जागरूक रहें और समय पर कार्रवाई करें, तो आप खुद को और दूसरों को भी सुरक्षित रख सकते हैं। अपनी पहचान की रक्षा करना आपका हक है, और अब कानून भी आपके साथ है।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

1. क्या डीपफेक भारत में गैरकानूनी है?

हाँ, अगर इसका इस्तेमाल किसी को बदनाम करने, परेशान करने या धोखा देने के लिए किया जाए, तो यह आईटी एक्ट और आईपीसी के तहत कानूनी अपराध है।

2. क्या पुलिस डीपफेक पर कार्रवाई कर सकती है?

हाँ, आप साइबर क्राइम की धाराओं में FIR दर्ज कर सकते हैं। हर राज्य में साइबर क्राइम सेल होता है जो जांच करता है।

3. क्या डीपफेक को इंटरनेट से हटवाया जा सकता है?

हाँ, आप कानूनी नोटिस, कोर्ट के आदेश और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शिकायत करके ऐसा कंटेंट हटवा सकते हैं।

4. अगर डीपफेक बनाने वाला व्यक्ति भारत के बाहर हो तो क्या करें?

तब भी आप भारत में केस दर्ज कर सकते हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या भारतीय इंटरमीडियरी कंपनियां भी इसके लिए ज़िम्मेदार मानी जा सकती हैं।

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