आज के समय में लोन लेना आम बात है – चाहे घर हो, गाड़ी, शिक्षा या कोई अन्य जरूरत। लेकिन कभी-कभी हालात ऐसे बन जाते हैं जब व्यक्ति समय पर लोन नहीं चुका पाता। आय में गिरावट, नौकरी का जाना या अचानक खर्च बढ़ जाना – ये सब आम कारण हैं।
अब सवाल यह है कि अगर आप लोन नहीं चुका पा रहे हैं तो क्या होगा? क्या बैंक आपकी संपत्ति जब्त कर सकता है? क्या आपको जेल हो सकती है?
इस ब्लॉग में हम आपको कानूनी तरीके, बिना डर के समाधान, और संभावित विकल्पों के बारे में बताएंगे।
जब आप लोन की किस्त नहीं भरते तो क्या होता है?
अगर आप 1-2 किस्तें नहीं भरते, तो बैंक या कंपनी आपको कॉल या मैसेज करके याद दिलाएगी। ये सिर्फ एक नरम चेतावनी होती है, कोई कानूनी नोटिस नहीं।
लेकिन अगर आप बार-बार किस्त नहीं भरते, तो फिर:
- बैंक आपको कानूनी नोटिस भेज सकता है।
- आपकी जानकारी CIBIL और अन्य क्रेडिट ब्यूरो में भेजी जाती है, जिससे आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है।
- बैंक आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर सकता है।
अगर आपका लोन बिना गारंटी वाला अनसिक्योर लोन है (जैसे पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड), तो बैंक आपकी जायदाद नहीं ले सकता जब तक कोर्ट का आदेश न हो।
अगर आपका लोन सिक्योर लोन है (जैसे घर या गाड़ी पर लोन), और आपने 90 दिन या उससे ज्यादा किस्त नहीं भरी, तो आपका अकाउंट NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) बन जाता है। इसके बाद बैंक आपकी जायदाद की कानूनी तरीके से वसूली शुरू कर सकता है।
लोन लेने वाले के कानूनी अधिकार क्या हैं?
अगर आपने लोन लिया है और समय पर चुका नहीं पा रहे हैं, तो इसका मतलब ये नहीं कि आपके पास कोई अधिकार नहीं है। आप अभी भी कानून से सुरक्षित हैं और आपकी इज्जत बनी रहनी चाहिए।
आपके मुख्य अधिकार ये हैं:
- बिना नोटिस दिए बैंक या एजेंट जबरदस्ती रिकवरी नहीं कर सकते।
- आपके साथ इज्जत से पेश आना ज़रूरी है, कोई गाली-गलौज, धमकी या डराना मना है।
- आपकी प्राइवेसी का अधिकार है, रिकवरी एजेंट आपके परिवार या दोस्तों को बिना आपकी इजाज़त कॉल नहीं कर सकते।
- रिकवरी का सही तरीका अपनाना ज़रूरी है, सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक ही बातचीत हो सकती है, मारपीट या सार्वजनिक रूप से बदनाम करना गैरकानूनी है।
- अगर बैंक या एजेंट गलत व्यवहार करते हैं, तो आप कोर्ट या बैंकिंग लोकपाल (ombudsman) के पास शिकायत कर सकते हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने लोन वसूलने के लिए कड़े नियम बनाए हैं, जिन्हें हर बैंक और रिकवरी एजेंट को मानना पड़ता है।
सबसे पहले – भागने की बजाय समाधान खोजें
याद रखें: लोन न चुका पाना अपराध नहीं है जब तक आपने जानबूझकर धोखाधड़ी न की हो।
- लोन डिफॉल्ट क्रिमिनल केस नहीं होता, यह एक सिविल केस होता है।
- जेल सिर्फ तभी हो सकती है जब आप जालसाज़ी, फर्जी दस्तावेज, या धोखाधड़ी से लोन लें।
- बैंक सबसे पहले आपके साथ संवाद करना चाहेंगे, न कि तुरंत केस करें।
इसलिए भागने, छिपने या कॉल उठाने से डरने की बजाय, सामने आकर बातचीत करें।
यदि आप लोन नहीं चुका सकते तो कानूनी समाधान क्या हैं?
1. लोन री-स्केड्यूलिंग / मोराटोरियम की मांग करें
अगर आप लोन की किस्तें नहीं भर पा रहे हैं, तो आप बैंक से कह सकते हैं कि आपका लोन दोबारा सेट किया जाए। इसका मतलब हो सकता है:
- EMI की रकम कम कर दी जाए
- लोन चुकाने का समय बढ़ा दिया जाए
- कुछ समय के लिए किस्तें भरने से छुट (moratorium) मिल जाए
अगर आपके पास सही कारण हो (जैसे नौकरी चली गई हो, बीमारी हो गई हो, आर्थिक परेशानी हो), तो RBI के नियमों के तहत बैंक आपकी मदद कर सकता है।
2. लोन सेटलमेंट
अगर आप पूरा लोन चुकाने में असमर्थ हैं, तो आप बैंक से एक बार में सेटलमेंट (OTS) की बात कर सकते हैं। कैसे होता है:
- आप बैंक को एक तय रकम (जो पूरे लोन से कम होती है) एक साथ देने की पेशकश करते हैं। बैंक बाकी बचे हुए पैसे माफ कर सकता है।
- इससे आपका क्रेडिट स्कोर थोड़ा खराब हो सकता है, लेकिन कानूनी रूप से मामला खत्म हो जाता है।
- हमेशा सेटलमेंट की सारी शर्तें लिखित में लें, ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो।
- अगर आप वाकई में लोन नहीं चुका पा रहे हैं, तो ये एक कानूनी और आसान रास्ता हो सकता है।
3. दीवालिया घोषित होना – जब कर्ज चुकाना मुश्किल हो
अगर आप ₹1,00,000 या उससे ज्यादा का कर्ज नहीं चुका पा रहे हैं, तो आप इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत दीवालिया घोषित होने की अर्जी दे सकते हैं। अगर कोर्ट आपकी अर्जी मंजूर कर ले, तो:
- एक कोर्ट द्वारा नियुक्त अधिकारी आपकी आमदनी और खर्च को संभालेगा।
- बैंक या उधार देने वाले आपके खिलाफ कोई नया एक्शन नहीं ले सकेंगे।
- एक नया कर्ज चुकाने का प्लान बनेगा, या कुछ कर्ज माफ भी हो सकता है।
यह एक कानूनी तरीका है खुद को बचाने और दोबारा शुरू करने का, लेकिन इसे आखिरी विकल्प के रूप में ही अपनाना चाहिए।
4. SARFAESI Act – जब बैंक घर या गाड़ी लेने की कोशिश करे
अगर आपने कोई सिक्योर लोन (जैसे होम लोन या ऑटो लोन) लिया है और कई महीने से EMI नहीं दी, तो बैंक SARFAESI Act के तहत आपकी प्रॉपर्टी कब्जे में लेने की कोशिश कर सकता है।
लेकिन घबराइए मत, आपके पास अब भी अधिकार हैं:
- बैंक सबसे पहले आपको 60 दिन का कानूनी नोटिस देगा।
- आप इस नोटिस के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज कर सकते हैं।
- आप 45 दिनों के अंदर DRT (डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल) में जाकर शिकायत कर सकते हैं।
- अगर आप बकाया चुका देते हैं या बैंक से सेटलमेंट कर लेते हैं, तो आप अपनी प्रॉपर्टी बचा सकते हैं, नीलामी से पहले भी।
इसलिए अगर आपको ऐसा नोटिस मिले, तो तुरंत कानूनी सलाह लें और समय रहते कदम उठाएं। आप अब भी अपनी संपत्ति बचा सकते हैं।
CIBIL स्कोर क्या होता है और इसे कैसे सुधारें?
CIBIL स्कोर एक नंबर होता है जो बताता है कि आपने पहले लिए हुए लोन या EMI कैसे चुकाए हैं। इसका असर आपके भविष्य के लोन पर पड़ता है।
CIBIL स्कोर कब खराब होता है?
- अगर आप EMI समय पर नहीं भरते, तो स्कोर गिरता है।
- अगर आप लोन सेटल करते हैं, तो रिपोर्ट में “Settled” लिखा आता है – जो अच्छा नहीं माना जाता।
- अगर लोन रिस्ट्रक्चर होता है, तो “Restructured” लिखा आता है – इससे थोड़ी कम नुकसान होता है।
CIBIL स्कोर कैसे सुधारें?
- EMI फिर से समय पर भरना शुरू करें।
- एक छोटा सा सुरक्षित क्रेडिट कार्ड लें और उसका सही इस्तेमाल करें।
- पुराने लोन को पूरा करके CIBIL में अपडेट कराएं।
समय पर भुगतान, नियमितता और साफ-सुथरा रिकॉर्ड, यही आपके CIBIL स्कोर को दोबारा सुधारने की चाबी है। थोड़ा वक्त लगता है, लेकिन सही तरीका अपनाएं तो स्कोर फिर से अच्छा हो सकता है।
लोन की परेशानी में ये गलतियाँ न करें
जब लोग लोन नहीं चुका पाते, तो डर के कारण कई बार गलत फैसले ले लेते हैं। इन गलतियों से बचें:
- बैंक के कॉल या नोटिस को नजरअंदाज न करें – चुप रहना आपकी परेशानी बढ़ा सकता है।
- पुराना लोन चुकाने के लिए नया लोन न लें – इससे आप कर्ज के जाल में फंस सकते हैं।
- गलत या बिना लाइसेंस वाले लोन ऐप्स या साहूकारों से उधार न लें।
- अगर घर या संपत्ति लोन पर है, तो उसे चोरी-छिपे न बेचें।
- बैंक के खिलाफ झूठे केस न करें और झूठे वादे न दें।
हमेशा बैंक से बात करते रहें, अपनी सच्ची स्थिति बताएं और मदद या विकल्प मांगे। सही जानकारी और ईमानदारी से चीज़ें सुधारी जा सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: पर्सनल गारंटर पर भी चलेगा IBC का कानून
बैंक ऑफ बड़ौदा बनाम फारूक अली खान, फरवरी 2025
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें एक गारंटर पर इंसॉल्वेंसी प्रक्रिया को शुरू होने से पहले ही रोक दिया गया था। अब कोर्ट ने साफ कर दिया है कि:
- अगर कोई व्यक्ति किसी लोन का गारंटर है, तो उस पर भी IBC की धारा 95 से 100 तक की प्रक्रिया पूरी तरह लागू होगी।
- इसमें पहले एक रिज़ॉल्यूशन प्रोफेशनल (RP) की नियुक्ति होगी।
- फिर RP अपनी रिपोर्ट देगा (धारा 99 के तहत)।
- उसके बाद ही कोर्ट तय करेगा कि मामले को स्वीकार करना है या नहीं (धारा 100) ।
क्यों है यह फैसला ज़रूरी? इससे ये साफ हो गया है कि गारंटर (जो किसी और के लोन का ज़िम्मेदार बना है) कानूनी प्रक्रिया से नहीं बच सकता। पहले पूरा प्रक्रिया पूरा होगा, फिर ही कोर्ट का दखल होगा। यह सिस्टम को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाता है।
लोन चुकाने के बाद गिरवी सोना बैंक नहीं बेच सकता – सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला (जून 2025)
बिहार में एक व्यक्ति ने बैंक से सोना गिरवी रखकर लोन लिया था। लोन पूरा चुका दिया, लेकिन बैंक ने कहा कि सोना नकली है और उसे बेच दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त फैसला सुनाते हुए कहा:
- जब लोन पूरा चुका दिया गया है, तो बैंक गिरवी रखी संपत्ति (जैसे सोना) को ना तो दोबारा जांच सकता है, ना रोक सकता है और ना ही बेच सकता है।
- बैंक अधिकारियों के खिलाफ FIR और चार्जशीट को फिर से लागू किया गया है।
क्यों ज़रूरी है ये फैसला?
ये फैसला साफ करता है कि लोन चुकाने के बाद गिरवी रखी चीज़ आपकी ही होती है। बैंक झूठे बहाने बनाकर उसे बेच नहीं सकता। ये ग्राहकों को गलत इस्तेमाल से बचाने वाला बहुत मजबूत कदम है।
निष्कर्ष
घबराएं नहीं, समझदारी से कदम उठाएं। लोन नहीं चुका पाना बहुत भारी लग सकता है, लेकिन आप अकेले नहीं हैं और आपके पास रास्ते हैं। कानून आपके हक में है। बैंक भी जब तक जरूरी न हो, कानूनी कार्रवाई नहीं करना चाहता। अगर आप ईमानदारी से बात करें, तो बैंक अक्सर सहयोग करता है। इसलिए अपने बैंक से बात करें, अपने अधिकार जानें, जरूरत हो तो कानूनी मदद लें, गलत और शॉर्टकट तरीकों से बचें और एक सही प्लान बनाएं। याद रखें: आर्थिक परेशानी स्थायी नहीं होती। सही जानकारी और सही कदम आपको दोबारा सही रास्ते पर ला सकते हैं।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. अगर मैंने लोन की किस्त चुकाने में देरी की है तो बैंक क्या कर सकता है?
बैंक SARFAESI Act के तहत 60-दिन का नोटिस भेजेगा, फिर देनदारी न चुकाने पर संपत्ति जब्त कर सकता है, नीलामी कर सकता है या केस दर्ज कर सकता है।
2. क्या लोन चुकाने के लिए बैंक से पुनर्गठन की मांग की जा सकती है?
हाँ, आर्थिक कठिनाई में बैंक से लोन रिस्टक्चरिंग की मांग की जा सकती है—EMI कम, अवधि बढ़ाना या ब्याज दर में राहत।
3. क्या लोन का बकाया पूरी तरह से माफ हो सकता है?
पूरी तरह माफी सिर्फ विशेष सरकारी योजनाओं या बैंक-वन टाइम-सेटलमेंट समझौते में संभव होती है; अन्यथा कानूनी दायिंदारी बनी रहती है ।
4. लोन पर ब्याज बढ़ने से मुझे क्या कानूनी उपाय मिल सकते हैं?
आप बैंक से ब्याज दर में राहत, पुनर्गठन या समझौता (OTS) मांग सकते हैं। अदालत में भी ब्योरा देकर ब्याज छूट की सिफारिश कर सकते हैं ।
5. क्या मुझे लोन न चुकाने पर जेल हो सकती है?
नहीं, डिफॉल्ट पर सिविल कार्रवाई होती है। अगर आप धोखाधड़ी, चेक बाउंस या गलत दस्तावेज़ में फंसें, तो IPC तहत आपात सजा हो सकती है।



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