कोई ब्लैकमेल करे तो ऐसे दें जवाब- ब्लैकमेलिंग की धारा, सजा और शिकायत प्रक्रिया

If someone blackmails you, then this is how you should respond- Section of blackmailing, punishment and complaint procedure

क्या आप या आपके किसी करीबी को ब्लैकमेलिंग का सामना करना पड़ रहा है? यह स्थिति मानसिक, भावनात्मक और कानूनी रूप से काफी कठिन हो सकती है, लेकिन आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है। आप अकेले नहीं हैं, और इस समस्या का समाधान कानूनी तरीके से किया जा सकता है।

इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि जब कोई आपको ब्लैकमेल करे, तो आप क्या कदम उठा सकते हैं, किस धारा के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, और किस प्रकार की शिकायत दर्ज कराकर आप अपनी सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं। हमारा उद्देश्य आपको सही जानकारी देना है, ताकि आप इस स्थिति से निपटने में आत्मविश्वास और समझ के साथ आगे बढ़ सकें।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

ब्लैकमेलिंग क्या है?

ब्लैकमेल करना मतलब किसी को डराना या धमकाना, जैसे कि कोई आपकी निजी, शर्मनाक या परेशान करने वाली बात किसी और को बताने की धमकी दे और बदले में आपसे पैसे, काम या चुप रहने की मांग करे। ये एक तरह की जबरदस्ती होती है और ये ऑनलाइन या ऑफलाइन कहीं भी हो सकती है।

आम उदाहरण:

  • कोई कहे कि अगर पैसे नहीं दिए तो आपकी प्राइवेट फोटो शेयर कर देगा।
  • पुराना पार्टनर पैसे मांगे और कहे कि नहीं दिए तो आपकी चैट या वीडियो किसी को दिखा देगा।
  • कोई अनजान आदमी स्क्रीनशॉट या रिकॉर्डिंग भेजकर पैसे या काम मांगे।
  • कोई वीडियो कॉल को रिकॉर्ड करके उसमें से एडिट की हुई क्लिप से आपको डरा कर पैसे मांगे।
  • ब्लैकमेल करना गैरकानूनी है, गलत है और आपको चुपचाप सहने की ज़रूरत नहीं है। अगर ऐसा कुछ हो रहा है, तो कानूनी मदद लें।

ब्लैकमेलिंग के प्रकार:

  • शारीरिक ब्लैकमेलिंग: किसी को शारीरिक संबंध या जबरदस्ती करके डराना, ताकि वो आपकी बात माने या चुप रहे।
  • मानसिक ब्लैकमेलिंग: किसी को भावनात्मक बातें या डर दिखाकर उसके दिमाग पर कंट्रोल करने की कोशिश करना।
  • वित्तीय ब्लैकमेलिंग: पैसे या संपत्ति पाने के लिए किसी को डराना, धमकाना या ब्लैकमेल करना।
  • डिजिटल ब्लैकमेलिंग: सोशल मीडिया या इंटरनेट पर फोटो, वीडियो या चैट दिखाने की धमकी देकर ब्लैकमेल करना।

आज के समय में व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक, ईमेल आदि माध्यमों से डिजिटल ब्लैकमेलिंग के मामले बहुत बढ़ गए हैं।

लोग ब्लैकमेल का शिकार क्यों हो जाते हैं?

  • भरोसे में आकर अपनी निजी बातें या फोटो शेयर कर देते हैं: जब किसी पर ज़्यादा भरोसा हो जाता है, तो हम उन्हें प्राइवेट फोटो, वीडियो या बातें बता देते हैं — और वही लोग बाद में उनका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • डर और शर्म की वजह से चुप रहते हैं: ब्लैकमेलर इसी का फायदा उठाते हैं कि सामने वाला डर जाएगा, बदनामी के डर से कुछ नहीं कहेगा।
  • सोशल मीडिया पर प्राइवेसी का ध्यान नहीं रखते: पब्लिक प्रोफाइल, अनजान लोगों से चैटिंग या कॉल, फेक लिंक — ये सब ब्लैकमेल का मौका बन जाते हैं।
  • फेक प्यार या झूठे रिश्तों में फँस जाते हैं: कई बार लोग ऑनलाइन प्यार या दोस्ती में फँस जाते हैं और अपनी प्राइवेट चीजें शेयर कर बैठते हैं।
  • जल्दबाज़ी या गलती से कुछ भेज देते हैं: जैसे गलती से कोई फोटो या वीडियो भेज देना, या किसी लिंक पर क्लिक करना, जिससे जानकारी लीक हो जाती है।
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ब्लैकमेलिंग करने पर भारतीय कानून में क्या प्रावधान हैं?

ब्लैकमेल करना भारत में एक अपराध है और इसे भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 के तहत सज़ा दी जाती है।

धारा 308 BNS – जबरन वसूली (Extortion)

  • अगर कोई आपको डराकर आपसे पैसे, ज़मीन, गहने या कोई कीमती चीज़ मांगता है, तो ये जुर्म है।
  • सज़ा: 7 साल तक जेल हो सकती है और जुर्माना भी लग सकता है।

धारा 351 BNS – धमकी देना (Criminal Intimidation)

  • अगर कोई आपको या आपकी इज़्ज़त को नुकसान पहुंचाने की धमकी देता है, तो ये कानून के खिलाफ है।
  • सज़ा: 2 साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

धारा 351(4) BNS – गुमनाम तरीके से धमकी देना (Criminal Intimidation by Anonymous means)

  • अगर कोई आपको बिना अपना नाम बताए जैसे फेक अकाउंट, अनजान कॉल या मैसेज से डराता है, तो ये भी जुर्म है।
  • सज़ा: 2 साल तक जेल हो सकती है।

ब्लैकमेलिंग एक गैरजमानती अपराध है। इसका मतलब है कि पुलिस तुरंत गिरफ्तारी कर सकती है।

अगर डिजिटल माध्यम से ब्लैकमेलिंग की गई हो तो यह इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 के तहत अपराध माना जाता है।

धारा 66C – पहचान की चोरी (Identity Theft):

  • अगर कोई आपकी फोटो, नाम, आईडी या दूसरी पहचान की चीज़ें चुराकर गलत इस्तेमाल करता है, तो ये अपराध है।
  • सज़ा: 3 साल तक की जेल हो सकती है और ₹1 लाख तक जुर्माना लग सकता है।

धारा 66D – झूठी पहचान से धोखा देना (Cheating by Fake Identity):

  • अगर कोई इंटरनेट या मोबाइल पर किसी और की पहचान बनाकर आपको धोखा देता है, तो ये भी जुर्म है।
  • सज़ा: 3 साल तक की जेल हो सकती है और ₹1 लाख तक जुर्माना लग सकता है।

धारा 66E – प्राइवेट जानकारी का दुरुपयोग (Violation of Privacy):

  • अगर कोई आपकी निजी फोटो, वीडियो या जानकारी आपकी मर्ज़ी के बिना दिखाता है या शेयर करने की धमकी देता है, तो ये अपराध है।
  • सज़ा: 3 साल तक की जेल, या ₹2 लाख तक जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।

ब्लैकमेल होने के बाद तत्काल क्या कदम उठाए जाने चाहिए?

  • डरिए मत, शांत रहें और ब्लैकमेलर को ब्लॉक करें: ब्लैकमेल करने वाले डराकर आपका कंट्रोल करना चाहते हैं। घबराएं नहीं। आप अकेले नहीं हैं, कानून आपकी मदद करेगा। साथ ही, उन्हें हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से ब्लॉक कर दें ताकि वो आपसे संपर्क न कर सकें।
  • पैसे मत दें: अगर आप पैसे देंगे तो वो रुकेंगे नहीं, बल्कि और मांगेंगे। पैसे देने से, ब्लैकमेलर को पकड़ना भी मुश्किल हो जाता है।
  • सबूत इकट्ठा करें: ब्लैकमेल के सबूत जमा करें, जैसे:
    • मैसेज, ईमेल, कॉल के स्क्रीनशॉट
    • अगर कानून में सही हो तो ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग
    • जो भी पैसे मांग रहे हों, उसका डिटेल जैसे UPI, बैंक नंबर इत्यादि
    • सब कुछ कई जगह सेव कर लें और मैसेज मत डिलीट करें, चाहे वो आपको डराएं।
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क्या ब्लैकमेलिंग के मामले में FIR दर्ज कराई जा सकती है?

FIR दर्ज करवाना सबसे पहला और ज़रूरी कदम है। इसके बिना पुलिस कानूनी कार्रवाई शुरू नहीं कर सकती।

FIR कैसे दर्ज करें?

  • निकटतम थाने जाएं
  • पूरी घटना विस्तार से बताएं
  • संभव हो तो सबूत साथ लेकर जाएं (चैट, स्क्रीनशॉट, ऑडियो, वीडियो)
  • अगर थाने में सुनवाई न हो, तो SP या ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत करें

ऑनलाइन शिकायत कैसे करें (साइबर क्राइम पोर्टल)?

  • वेबसाइट खोलें: www.cybercrime.gov.in
  • “File a Complaint” पर क्लिक करें।
  • “Report Other Cyber Crime” चुनें।
  • अगर मामला महिला या बच्चे से जुड़ा है तो “Women/Child Related Crime” चुनें।
  • अपनी जानकारी भरें और जो सबूत हैं उन्हें अपलोड करें।
  • शिकायत सबमिट करें।
  • आपको एक ट्रैकिंग नंबर मिलेगा। इसे संभाल कर रखें।
  • शिकायत की प्रगति के लिए नियमित जांच करें या अपने नज़दीकी साइबर सेल जाएं।

शिकायत मिलने के बाद साइबर क्राइम टीम आपकी जानकारी और सबूतों की जांच करेगी, मामले की छानबीन करेगी और आरोपी को पकड़ने के लिए जरूरी कार्रवाई करेगी। आप चाहें तो नियमित रूप से ट्रैकिंग नंबर से या नज़दीकी साइबर सेल जाकर अपनी शिकायत की स्थिति जान सकते हैं।

क्या आप शिकायत करते समय अपना नाम छुपा सकते हैं?

हाँ, खासकर साइबर क्राइम और सेक्सुअल ब्लैकमेल जैसे मामलों में आपकी पहचान पूरी तरह से सुरक्षित रखी जाती है। आप ऑनलाइन शिकायत करते समय अपना असली नाम नहीं देना चाहते तो फेक नाम का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप पुलिस से भी गोपनीयता की मांग कर सकते हैं। अगर आप महिला हैं तो आप महिला पुलिस अधिकारी से बात कर सकती हैं। आप अपने वकील से भी शिकायत करवा सकते हैं।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 72 के तहत, सेक्सुअल अपराध के शिकार की पहचान बिना उनकी इजाजत के कहीं भी छापी या बताई नहीं जा सकती। आपकी सुरक्षा और गोपनीयता का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

अपने आपको भविष्य में कैसे बचाएं?

  • अपनी निजी फोटो या वीडियो केवल उन्हीं लोगों के साथ शेयर करें जिनपर आपको पूरा भरोसा हो।
  • अनजान लोगों या नंबर से वीडियो कॉल करने से बचें।
  • अपने सोशल मीडिया अकाउंट की प्राइवेसी सेटिंग्स सही रखें।
  • किसी भी अनजाने लिंक पर क्लिक न करें और संदिग्ध ऐप डाउनलोड न करें।
  • अगर कोई आपको कंट्रोल या मनिपुलेट करने की कोशिश करता है, तो उसके सबूत जमा करें और उसके साथ अकेले में बात करने से बचें।

महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय

अनुराधा भसीन बनाम भारत सरकार (2020)

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट इस्तेमाल करने के अधिकार और व्यक्ति की आज़ादी पर चर्चा की। कोर्ट ने कहा कि सरकार बिना सही वजह के इंटरनेट बंद नहीं कर सकती।

भले ही यह मामला सीधे ब्लैकमेल या ऑनलाइन परेशान करने से जुड़ा नहीं था, लेकिन इसमें यह साफ कहा गया कि डिजिटल प्लेटफॉर्म्स (जैसे सोशल मीडिया) तक पहुंच एक जरूरी अधिकार है।

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महत्व: इस फैसले से यह बात साफ होती है कि अगर किसी को ऑनलाइन परेशान किया जा रहा है या ब्लैकमेल किया जा रहा है, तो उसका डिजिटल प्लेटफॉर्म तक पहुंच बनाए रखना बहुत जरूरी है, ताकि वह खुद को बचा सके और अपनी प्राइवेसी की रक्षा कर सके।

शालिनी सिंह बनाम भारत सरकार (2021)

इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने आरोपी ने सोशल मीडिया पर किसी की निजी फोटो/वीडियो का डर दिखाकर ब्लैकमेल किया था। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करना कानूनन अपराध है।

महत्व:यह केस साफ दिखाता है कि सोशल मीडिया या इंटरनेट के ज़रिए ब्लैकमेल करना भी गंभीर जुर्म है, और कानून इसे उतनी ही सख्ती से लेता है जैसे असली जिंदगी में ब्लैकमेल करना।

तबरेज तारीफ बनाम राज्य (पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट, मार्च 2025)

मामला: आरोप था कि तबरेज तारीफ ने सोशल मीडिया और डिजिटल माध्यमों से खुद को असली पुलिस अफसर बताकर लोगों से पैसे ठगे (ब्लैकमेल किया)।

कोर्ट का फैसला: कोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से मना कर दिया। कारण ये था कि मामला बहुत गंभीर है और आरोपी सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है।

महत्त्व: इस केस में कोर्ट ने साफ कहा कि साइबर ठगी और ब्लैकमेल जैसे अपराध बहुत गंभीर होते हैं, और ऐसे मामलों में सख्ती जरूरी है।

निष्कर्ष

ब्लैकमेल एक अपराध है और ये आपकी गलती नहीं है। चाहे कोई आपसे पैसे मांगे, चुप रहने को कहे, या कोई काम करवाने की कोशिश करे, डरो मत, उसकी बात मत मानो। भारतीय कानून में आपको पूरा हक और सुरक्षा दी गई है। हिम्मत दिखाइए, आवाज़ उठाइए, और ज़रूरत हो तो पुलिस या साइबर क्राइम टीम से मदद लीजिए। आप अकेले नहीं हैं और आप कमज़ोर भी नहीं हैं। पहला कदम उठाना थोड़ा मुश्किल लग सकता है, लेकिन यही कदम ब्लैकमेल करने वाले को रोकता है।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

1. अगर मुझे ब्लैकमेल किया जा रहा है, तो सबसे पहले क्या करना चाहिए?

सबसे पहले, शांत रहें। सबूत जुटाएं और तुरंत नज़दीकी थाने या साइबर क्राइम सेल में शिकायत करें।

2. ब्लैकमेलिंग के खिलाफ FIR कैसे दायर करें?

थाने जाकर या cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन शिकायत करें। घटना का विवरण, सबूत और अपनी पहचान पत्र साथ लें।

3. क्या ब्लैकमेलिंग के लिए कानूनी नोटिस भेजा जा सकता है?

हाँ, एक वकील के माध्यम से कानूनी नोटिस भेजा जा सकता है, परंतु आपराधिक शिकायत के लिए FIR आवश्यक है।

4. अगर ब्लैकमेलिंग के मामले में डिजिटल माध्यमों का उपयोग हो रहा है तो क्या कदम उठाएं?

IT Act के तहत साइबर क्राइम सेल में ऑनलाइन शिकायत करें और सभी डिजिटल सबूत संभाल कर रखें।

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