2020 के बाद से भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री ने जबरदस्त तेजी पकड़ी। लाखों-करोड़ों यूजर्स रोजाना अपने मोबाइल फोन पर रियल मनी गेम्स खेलते थे। इस इंडस्ट्री में निवेश भी लगातार बढ़ रहा था और युवाओं की बड़ी संख्या इसमें शामिल हो रही थी।
लेकिन इसके साथ एक बड़ी समस्या भी खड़ी हुई, ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े गंभीर अपराध, धोखाधड़ी और लत के मामले लगातार सामने आने लगे। सबसे बड़ी कमी यह थी कि इस क्षेत्र को लेकर कोई स्पष्ट केंद्रीय कानून मौजूद नहीं था। अलग-अलग राज्यों के नियमों के कारण कानूनी स्थिति अस्पष्ट बनी रहती थी।
इसी पृष्ठभूमि में केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया। 21 अगस्त 2025 को राज्यसभा में प्रमोशन और रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 पेश किया गया और चर्चा के बाद इसे पास कर दिया गया।
यह बिल राज्यसभा में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने चर्चा और पास करने के लिए पेश किया था। इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही यह कानून लागू हुआ और अब यह प्रमोशन और रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 के नाम से पूरे भारत में लागू है।
ऑनलाइन गेमिंग क्या है?
ऑनलाइन गेमिंग का मतलब है – इंटरनेट के ज़रिए मोबाइल, टैबलेट, कंप्यूटर या गेमिंग कंसोल पर गेम खेलना। ये गेम बहुत आसान पज़ल से लेकर बड़े मल्टीप्लेयर बैटल तक हो सकते हैं।
कुछ आम ऑनलाइन गेम्स के उदाहरण:
- सिंगल प्लेयर गेम्स – जैसे कार्ड पज़ल, शतरंज, क्विज़ आदि
- मल्टीप्लेयर गेम्स – जैसे PUBG, Call of Duty, ऑनलाइन लूडो
- फैंटेसी स्पोर्ट्स – जैसे Dream11, जहां आप अपनी वर्चुअल टीम बनाते हैं
- रियल मनी गेम्स – जहां आप पैसे लगाकर गेम खेलते हैं और जीतने पर कैश मिलता है (जैसे रम्मी ऐप्स, सट्टेबाज़ी साइट्स)
ऑनलाइन गेम्स को आमतौर पर दो हिस्सों में बांटा जाता है:
- स्किल बेस्ड गेम्स (कौशल वाले गेम) – इनमें जीतने के लिए प्रैक्टिस, सोच-समझ और रणनीति की ज़रूरत होती है (जैसे शतरंज, e-sports)
- चांस बेस्ड गेम्स (भाग्य पर आधारित गेम) – इनमें ज़्यादातर जीत-हार किस्मत पर निर्भर करती है (जैसे ऑनलाइन स्लॉट्स, लॉटरी, रूले आदि)
कुछ गेम ऐसे भी होते हैं जो स्किल और चांस दोनों का मिलाजुला रूप होते हैं।
इस एक्ट को लागू करने के पीछे क्या कारण है?
- तेज़ी से बढ़ती इंडस्ट्री – ऑनलाइन गेमिंग सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि डिजिटल इकोनॉमी और रोज़गार का बड़ा जरिया बन गया था, पर इसे नियंत्रित करने के लिए कोई साफ़ कानून नहीं था।
- युवाओं और टेक्नोलॉजी की भूमिका – भारत के युवा और तकनीकी ताकत से देश को गेमिंग में ग्लोबल लीडर बनने का मौका है। इसके लिए कानूनी ढांचा ज़रूरी था।
- फ्रेमवर्क और रिसर्च की कमी – ई-स्पोर्ट्स से लेकर मनी गेम्स तक सबके लिए कोई मजबूत संस्थागत या कानूनी ढांचा नहीं था, जिससे विकास और इनोवेशन में रुकावट आ रही थी।
- ग़ैर-जिम्मेदार गेमिंग का खतरा – मनी गेम्स से कई लोग आर्थिक और मानसिक नुकसान झेल रहे थे। इसमें एडिक्टिव एल्गोरिद्म और भ्रामक डिज़ाइन भी शामिल थे।
- भ्रामक प्रचार – सेलिब्रिटी और इन्फ्लुएंसर्स के ज़रिए भ्रामक विज्ञापन युवाओं और कमजोर वर्गों को गुमराह कर रहे थे।
- अपराध और सुरक्षा खतरे – मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी, और यहां तक कि आतंक फंडिंग जैसे गंभीर मामले सामने आए।
- विदेशी कंपनियों की दखल – कई कंपनियाँ विदेश से काम कर रही थीं, जिन्हें भारतीय कानूनों से रोक पाना मुश्किल हो रहा था।
- जनहित और यूज़र सुरक्षा – सरकार का मकसद था यूज़र्स की सुरक्षा, जिम्मेदार गेमिंग को बढ़ावा देना, और देश की डिजिटल संप्रभुता को मजबूत करना।
ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 में ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स की मान्यता
भारत सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग को सिर्फ मनोरंजन का साधन न मानकर इसे एक नए उद्योग और खेल के रूप में विकसित करने की दिशा में कदम उठाए हैं। ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 के तहत ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को विशेष मान्यता दी गई है।
ई-स्पोर्ट्स को खेल के रूप में मान्यता
अब ई-स्पोर्ट्स को भारत में एक वैध प्रतिस्पर्धी खेल (Legitimate Competitive Sport) के रूप में मान्यता दी जाएगी। इसका उद्देश्य है कि ई-स्पोर्ट्स को पारंपरिक खेलों की तरह ही प्रमोशन और रेगुलेशन मिले। सरकार इसके लिए कई कदम उठा रही है:
- ई-स्पोर्ट्स इवेंट्स के लिए गाइडलाइंस बनाएगी
- ट्रेनिंग अकैडमी और रिसर्च सेंटर शुरू करेगी
- नए टेक स्टार्टअप्स को सपोर्ट देगी
- राज्य सरकारों के साथ मिलकर स्पोर्ट्स पॉलिसी बनाएगी
फायदा: युवाओं के लिए ई-स्पोर्ट्स में करियर और रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे।
सोशल गेम्स को सुरक्षित और शिक्षाप्रद बनाना
सिर्फ मनी गेम्स ही नहीं, बल्कि सोशल और एजुकेशनल गेम्स को भी कानून में खास महत्व दिया गया है। इन खेलों का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं बल्कि डिजिटल स्किल डेवलपमेंट और एजुकेशन को बढ़ावा देना है। सरकार इसके लिए ये कदम उठा रही है:
- सोशल गेम्स के लिए रजिस्ट्रेशन सिस्टम
- डेवलपर्स के लिए सपोर्ट प्रोग्राम
- बच्चों के लिए सुरक्षित और उम्र के अनुसार कंटेंट
- स्कूलों में इन गेम्स को लर्निंग टूल के रूप में इस्तेमाल
- डिजिटल स्किल्स और सेफ गेमिंग पर जागरूकता अभियान
फायदा: बच्चों और आम यूज़र्स को सुरक्षित और शिक्षाप्रद गेमिंग अनुभव मिलेगा।
इस कानून के तहत क्या-क्या प्रतिबंधित है?
1. ऑनलाइन मनी गेम्स पूरी तरह बैन
इस कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति भारत में ऑनलाइन मनी गेम (जहां असली पैसे दांव पर लगाए जाते हैं) को
- चलाने,
- प्रोमोट करने,
- उसमें हिस्सा लेने या
- दूसरों को खेलने के लिए प्रेरित करने की अनुमति नहीं है।
इसका मतलब है कि अब ऐसे गेम्स को ऑफर करना गैर-कानूनी होगा और सज़ा का प्रावधान रहेगा।
2. विज्ञापनों पर सख्त रोक
अब कोई भी व्यक्ति, कंपनी या संस्था ऐसे विज्ञापन टीवी, सोशल मीडिया, ऐप्स या किसी भी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नहीं चला सकती जो
- ऑनलाइन मनी गेम्स को प्रमोट करे,
- लोगों को खेलने के लिए प्रेरित करे, या
- सीधे या परोक्ष रूप से इन गेम्स को बढ़ावा दे।
इसका मतलब यह है कि अब लोगों को झूठे वादों या लुभावने ऑफ़रों के ज़रिए गेम खेलने के लिए बहकाना आसान नहीं होगा।
3. बैंक और पेमेंट गेटवे की ज़िम्मेदारी
- कानून में यह भी साफ है कि बैंक, वित्तीय संस्थान और पेमेंट गेटवे अब ऐसे किसी भी ट्रांज़ैक्शन को प्रोसेस नहीं कर पाएंगे जो ऑनलाइन मनी गेम्स से जुड़ा हो।
- इसका मतलब UPI, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, वॉलेट या नेटबैंकिंग से ऐसे गेम्स में पैसे डालना अब संभव नहीं होगा।
- अगर कोई कंपनी या प्लेटफॉर्म इसका उल्लंघन करता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई होगी।
ऑनलाइन मनी गेम्स की सज़ा: जेल, जुर्माना और ज्यादा सख्ती
भारत सरकार ने ऑनलाइन मनी गेम्स और उनसे जुड़े अपराधों पर रोक लगाने के लिए सख्त दंड और सज़ाओं का प्रावधान किया है।
1. ऑनलाइन मनी गेम्स चलाने पर सज़ा
अगर कोई व्यक्ति कानून के उल्लंघन में ऑनलाइन मनी गेम या मनी गेमिंग सर्विस चलाता है:
- तो उसे 3 साल तक की कैद, या
- 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना, या
- दोनों हो सकते हैं।
2. विज्ञापन करने पर सज़ा
अगर कोई कंपनी, प्लेटफॉर्म या व्यक्ति ऑनलाइन मनी गेम्स का प्रचार या विज्ञापन करता है:
- तो 2 साल तक की कैद, या
- 50 लाख रुपये तक का जुर्माना, या
- दोनों हो सकते हैं।
3. बैंक या पेमेंट गेटवे की ज़िम्मेदारी
अगर कोई बैंक, वित्तीय संस्था या पेमेंट गेटवे ऑनलाइन मनी गेम्स से जुड़े लेन-देन की सुविधा देता है:
- तो उसे 3 साल तक की कैद, या
- 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना, या
- दोनों हो सकते हैं।
4. दोबारा अपराध करने पर और सख्त सज़ा
- अगर कोई व्यक्ति बार-बार ऑनलाइन मनी गेम चलाता या फंडिंग करता है, तो दूसरी बार से 3 से 5 साल तक की सज़ा और 1 करोड़ रुपये से 2 करोड़ रुपये तक जुर्माना अनिवार्य होगा।
- अगर कोई बार-बार ऑनलाइन मनी गेम का विज्ञापन करता है, तो दूसरी बार से 2 से 3 साल तक की सज़ा और 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना अनिवार्य होगा।
5. अपराध की प्रकृति
- ऑनलाइन मनी गेम्स से जुड़े को गंभीर अपराध माना जाएगा।
- ये अपराध ग़ैर-जमानती होंगे।
- यानी पुलिस बिना वारंट गिरफ़्तार कर सकती है और आसानी से ज़मानत नहीं मिलेगी।
6. सरकार के आदेश न मानने पर जुर्माना
अगर कोई व्यक्ति या कंपनी केंद्र सरकार या प्राधिकरण के आदेशों का पालन नहीं करती:
- तो उस पर 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
- साथ ही उसकी रजिस्ट्रेशन रद्द की जा सकती है या उसे गेमिंग बिज़नेस करने से प्रतिबंधित किया जा सकता है।
क्या ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 के बाद खोए हुए पैसे वापस मिल सकते हैं?
हाँ, लेकिन सिर्फ कुछ खास हालात में।
इस कानून का मकसद है यूज़र्स को धोखाधड़ी और गैर-कानूनी गेमिंग से बचाना। अगर आपने किसी गलत तरीके से पैसे गंवाए हैं, तो कुछ मामलों में पैसे वापस मिल सकते हैं।
पैसे कब वापस मिल सकते हैं?
- धोखा देकर पैसे लिए गए हों
- गैर-कानूनी गेमिंग ऐप में पैसे गंवाए हों
- प्लेटफॉर्म ने नियमों का पालन न किया हो
ऐसे में आप ये कर सकते हैं:
- सबसे पहले गेमिंग ऐप की Grievance cell में शिकायत दर्ज करें।
- अगर 15–30 दिन में हल न हो, तो नेशनल ऑनलाइन गेमिंग कमीशन (NOGC) में शिकायत करें।
- NOGC जांच कर सकती है और पैसा वापस या मुआवज़ा दिला सकती है।
- बड़े मामलों में साइबर सेल या ईडी (ED) भी कार्रवाई कर सकते हैं।
पैसे कब वापस नहीं मिलते?
- अगर आपने अपनी मर्जी से कोई वैध स्किल बेस्ड गेम खेलते हुए पैसे हारे हैं, तो कानून के तहत वह पैसा वापस नहीं मिलेगा।
- अगर मामला ज्यादा गंभीर है या आपने बड़ी रकम गंवाई है, तो किसी साइबर लॉ या कंज़्यूमर राइट्स में विशेषज्ञ वकील से सलाह ज़रूर लें।
- कानूनी विशेषज्ञ आपको यह समझाने में मदद कर सकते हैं कि केस कहाँ और कैसे दाखिल करना है।
- इससे आपका मामला मज़बूती से आगे बढ़ेगा और न्याय मिलने की संभावना बढ़ जाएगी।
सुझाव: कोई भी गेम खेलने से पहले उसकी वैधता और नियम ज़रूर पढ़ें, ताकि नुकसान से बचा जा सके।
कैसे ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर होती है धोखाधड़ी?
आजकल बहुत से ऑनलाइन गेम्स आपको लालच देकर पैसे लगवाते हैं – जैसे “₹100 लगाओ, ₹500 जीतकर निकालो!” लेकिन ज़्यादातर ऐसे गेम गैरकानूनी होते हैं। इनके पास न तो कोई लाइसेंस होता है, न ही ये भारत के कम्पनीज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड होते हैं। यानी ये कानूनी तौर पर मान्य नहीं होते।
पैसे विदेश भेजे जा सकते हैं
- आप जो भी पैसे इन गेम्स में लगाते हैं, वो कई बार देश के बाहर भेज दिए जाते हैं, जो कि एक गंभीर गैरकानूनी काम है। इसके अलावा, ये गेम चलाने वाले कुछ लोगों से फ्रॉड या धोखाधड़ी से पैसे ऐंठते हैं, और फिर उन्हीं पैसों का थोड़ा-थोड़ा हिस्सा कुछ गेम खेलने वालों को “जीत की राशि” के नाम पर वापस भेजते हैं।
- इससे गेम खेलने वाले को लगता है कि उन्होंने सच में गेम जीत लिया है और उन्हें इनाम मिल रहा है। वो सोचते हैं – “हर बार पैसा लगाऊंगा और हर बार कुछ न कुछ जीत जाऊंगा।” यहीं से धोखे की शुरुआत होती है।
सबसे बड़ा जाल – विथड्रॉल अमाउंट
- इन फ्रॉड गेम्स में सबसे बड़ा झांसा होता है “विथड्रॉल अमाउंट” । ये पैसा असल में किसी और से ठगे गए पैसे होते हैं, जो अलग-अलग लोगों के अकाउंट में भेजे जाते हैं ताकि उन्हें लगे कि ये उनकी जीत की राशि है।
- जब असली पीड़ित (जिससे पैसे ठगे गए थे) पुलिस में शिकायत करता है, तो ये पैसे जिन-जिन अकाउंट में गए थे, सभी अकाउंट को फ्रीज़/ब्लॉक कर दिया जाता है।
- इस प्रक्रिया में गेम ना खेलने वाले का अकाउंट भी फंस जाता है, भले ही उसे पता भी न हो कि कोई धोखाधड़ी का पैसा उसके खाते में आया था।
बड़े गेमिंग प्लेटफॉर्म्स की चालें
कई बार तो ये गेमिंग कंपनियाँ खुद ही अपने कर्मचारियों से लोगों के खातों में पैसे ट्रांसफर करवाती हैं और फिर जानबूझकर साइबर क्राइम में शिकायत दर्ज करा देती हैं कि “हमारे साथ धोखा हुआ है।” इससे मासूम गेम खेलने वाले लोग पुलिस और कोर्ट के चक्कर में फंस जाते हैं।
इसलिए ज़रूरी था ये नया कानून
- बाजार में कई बड़ी-बड़ी कंपनियाँ इस तरह की धोखाधड़ी में शामिल हैं और उनके पास ऑनलाइन गेमिंग चलाने का कोई लाइसेंस भी नहीं होता।
- ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 भारत के नागरिकों को ऐसे धोखाधड़ी वाले गेम्स से बचाने के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह काम करेगा।
इस एक्ट का समाज पर क्या असर पड़ेगा?
परिवारों और युवाओं की सुरक्षा
इस कानून का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह मिडिल क्लास फैमिलीज़ और युवाओं को आर्थिक नुकसान से बचाएगा। कई लोग मनी गेम्स के कारण कर्ज़ में डूब गए, कुछ मामलों में तो आत्महत्या तक हो गई।
सुरक्षित डिजिटल माहौल
इंटरनेट पर अब ऐसे गेम्स बंद होंगे जो लोगों को जबरदस्ती पैसे खर्च करने पर मजबूर करते हैं, जिससे बच्चों और युवाओं के लिए एक सुरक्षित और रचनात्मक गेमिंग माहौल बनेगा, जहां वे ई-स्पोर्ट्स और एजुकेशनल गेम्स के जरिए अपने हुनर और डिजिटल स्किल्स बढ़ा सकें।
क्रिएटिव इंडस्ट्री को बढ़ावा
गेमिंग अब एक बड़ा डिजिटल उद्योग बन चुका है। यह कानून नए गेम डेवलपर्स, स्टार्टअप्स और इनोवेशन को प्रोत्साहित करेगा, जिससे रोज़गार और बिज़नेस के नए मौके पैदा होंगे।
भारत की ग्लोबल पहचान बनेगी
इस कानून से भारत एक ऐसा देश बनेगा जो सुरक्षित और जिम्मेदार ऑनलाइन गेमिंग को बढ़ावा देता है। यह दुनिया के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकता है कि कैसे टेक्नोलॉजी और सुरक्षा को संतुलित किया जा सकता है।
कुल मिलाकर, यह कानून समाज, युवाओं और देश – तीनों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
निष्कर्ष
भारत का नया ऑनलाइन गेमिंग कानून एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम है, जो असली पैसों वाले गेम्स पर रोक लगाकर अब एक सुरक्षित, जिम्मेदार और स्किल-बेस्ड गेमिंग सिस्टम को बढ़ावा देता है।
इस एक्ट से यह बात साफ़ होती है कि अब भारत में ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया पहले जैसी नहीं रहेगी। आने वाले समय में यह बदलाव समाज के लिए कितना फायदेमंद साबित होगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि इस कानून को कितनी समझदारी, ईमानदारी और लचीलापन के साथ लागू किया जाता है।
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FAQs
1. क्या फैंटेसी स्पोर्ट्स कानूनी रहेंगे?
नहीं, ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 के बाद सभी मनी गेम्स प्रतिबंधित होंगे, इसलिए फैंटेसी स्पोर्ट्स गैरकानूनी होंगे।
2. क्या यह कानून स्किल और चांस गेम्स दोनों पर लागू होगा?
हाँ, पैसे वाले सभी गेम्स—चाहे स्किल हो या चांस—इस कानून के तहत प्रतिबंधित होंगे।
3. क्या विदेश से चलने वाले ऐप्स पर भी रोक लगेगी?
हाँ, यदि वे भारतीय यूजर्स को टार्गेट करते हैं या भारत में ऑपरेट करते हैं, तो ये ऐप्स प्रतिबंधित होंगे।
4. ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 के उल्लंघन पर सजा क्या होगी?
पहली बार उल्लंघन पर ₹50 लाख जुर्माना और 1 साल जेल, दोबारा पर ₹2 करोड़ जुर्माना और 3 साल जेल हो सकती है।
5. क्या ई-स्पोर्ट्स और फ्री गेम्स पर पाबंदी है?
नहीं, बिना पैसे वाले फ्री गेम्स और ई-स्पोर्ट्स इस कानून से बाहर हैं और वैध रहेंगे।



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