IP लाइसेंसिंग क्या है? जानिए प्रक्रिया, फायदे और कानूनी नियम

What is IP licensing? Learn about the process, benefits, and legal regulations.

बिज़नेस में आपका ब्रांड नाम, डिज़ाइन, आविष्कार या क्रिएटिव काम उतना ही अहम है जितना आपकी बाकी संपत्ति। लेकिन अगर आप अपनी इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (IP) को हमेशा के लिए बेचना नहीं चाहते और फिर भी उससे कमाई करना चाहते हैं, तो इसका हल है IP लाइसेंसिंग।

लाइसेंसिंग का मतलब है – आप दूसरों को अपनी IP इस्तेमाल करने की अनुमति देते हैं, कुछ शर्तों के साथ, लेकिन मालिकाना हक़ आपके पास ही रहता है।

उदाहरण:

  • एक कपड़ों की कंपनी बच्चों की टी-शर्ट्स पर किसी मशहूर कार्टून कैरेक्टर का लाइसेंस ले सकती है।
  • एक दवा कंपनी अपनी पेटेंट दवा का फॉर्मूला दूसरी कंपनी को मैन्युफैक्चरिंग के लिए लाइसेंस दे सकती है।
  • एक सॉफ़्टवेयर कंपनी हज़ारों यूज़र्स को अपना प्रोग्राम इस्तेमाल करने का लाइसेंस दे सकती है।

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IP लाइसेंसिंग क्या है?

IP लाइसेंसिंग का मतलब है किसी और को आपकी इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (IP) इस्तेमाल करने की कानूनी अनुमति देना, ताकि वह इसे अपने बिज़नेस या कमर्शियल काम में इस्तेमाल कर सके।

  • जो व्यक्ति या कंपनी IP का मालिक है, उसे लाइसेंसर कहते हैं।
  • जिसे इस्तेमाल करने का अधिकार दिया जाता है, उसे लाईसेंसी कहते हैं।

IP लाइसेंसिंग के प्रकार

ट्रेडमार्क लाइसेंसिंग

  • इसमें ब्रांड नाम, लोगो (Logo) या टैगलाइन जैसी पहचान दूसरों को इस्तेमाल करने की इजाज़त दी जाती है।
  • उदाहरण: मैकडोनाल्ड्स अपने नाम और लोगो (Logo) को फ्रैंचाइज़ी आउटलेट्स को देता है। वे उसी नाम से रेस्टोरेंट चलाते हैं और मैकडोनाल्ड्स को रॉयल्टी देते हैं।

कॉपीराइट लाइसेंसिंग

  • इसमें किताबें, गाने, फिल्में, फोटो या सॉफ्टवेयर जैसी क्रिएटिव वर्क को इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाती है।
  • उदाहरण: कोई म्यूज़िक कंपनी अपने गाने Spotify या JioSaavn जैसी ऐप्स को लाइसेंस देती है ताकि वे उन्हें यूज़र्स को सुना सकें।

पेटेंट लाइसेंसिंग

  • पेटेंट का मालिक अपनी खोज को बनाने, बेचने या इस्तेमाल करने का अधिकार दूसरों को देता है।
  • उदाहरण: किसी दवाई का फ़ॉर्मूला कई फ़ार्मा कंपनियों को लाइसेंस देकर बनाया और बेचा जा सकता है।

इंडस्ट्रियल डिज़ाइन लाइसेंसिंग

  • इसमें प्रोडक्ट के डिज़ाइन, पैटर्न, शेप, पैकेजिंग या लुक को लाइसेंस किया जाता है।
  • उदाहरण: लग्ज़री कार कंपनियां अपनी कारों के डिज़ाइन खिलौना बनाने वाली कंपनियों को देती हैं ताकि मिनी-कार्स बनाई जा सकें।

टेक्नोलॉजी लाइसेंसिंग

  • इसमें टेक्नोलॉजी, सॉफ्टवेयर, नॉ-हाउ (Know-how) और टेक्निकल नॉलेज का लाइसेंस शामिल है।
  • उदाहरण: माइक्रोसॉफ़्ट अपना विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर बनाने वाली कंपनियों (HP, Dell आदि) को लाइसेंस देता है।
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IP लाइसेंसिंग एग्रीमेंट क्या है?

IP लाइसेंसिंग एग्रीमेंट एक कानूनी कॉन्ट्रैक्ट है, जो लाइसेंसर और लाइसेंसी के बीच होता है।

इस एग्रीमेंट में लाइसेंसर, लाइसेंसी को अपनी IP का इस्तेमाल करने की अनुमति देता है, बदले में उसे पैसे (रॉयल्टी या फीस) मिलते हैं।

एग्रीमेंट में साफ लिखा होता है:

  • लाइसेंसी IP का कैसे इस्तेमाल करेगा।
  • लाइसेंसी को क्या करने की इजाज़त नहीं है।

वकील की भूमिका: यह सुनिश्चित करना कि एग्रीमेंट दोनों पक्षों के लिए न्यायपूर्ण और सुरक्षित हो।

IP लाइसेंसिंग क्यों ज़रूरी है?

लाइसेंसर के लिए:

  • वो अपनी IP का मालिक बना रहता है।
  • लाइसेंस देकर रॉयल्टी/फीस कमा सकता है।
  • अपनी ब्रांड/आइडिया को नए बाज़ारों तक पहुंचा सकता है।

लाइसेंसी के लिए:

  • बिना खुद नया रिसर्च किए, वो IP का इस्तेमाल कर सकता है।
  • समय, पैसा और रिसर्च का खर्च बचता है।
  • रिस्क कम होता है क्योंकि IP पहले से सफल और प्रूव्ड है।

लाइसेंसिंग एग्रीमेंट के प्रकार

एक्सक्लूसिव लाइसेंस

  • इस लाइसेंस में सिर्फ़ एक ही लाइसेंसी को IP का इस्तेमाल करने का अधिकार मिलता है।
  • यहां तक कि लाइसेंसर भी उस IP को इस्तेमाल नहीं कर सकता।
  • उदाहरण: कोई दवा बनाने वाली कंपनी अगर एक नई पेटेंटेड दवा का एक्सक्लूसिव लाइसेंस किसी दूसरी कंपनी को देदे, तो सिर्फ वही कंपनी दवा बना और बेच सकती है।

नॉन-एक्सक्लूसिव लाइसेंस

  • इसमें कई लाइसेंसी एक ही IP का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • लाइसेंसर भी उसी IP का इस्तेमाल कर सकता है।
  • उदाहरण: कोई सॉफ्टवेयर कंपनी अपने सॉफ्टवेयर को हजारों यूज़र्स को नॉन-एक्सक्लूसिव लाइसेंस देती है। सभी लोग एक साथ उसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

सोल लाइसेंस

  • इसमें लाइसेंसर और लाइसेंसी ही लाइसेंस का इस्तेमाल कर सकते है।
  • लेकिन किसी तीसरे व्यक्ति को लाइसेंस नहीं दिया जा सकता।
  • उदाहरण: एक कपड़ों का ब्रांड अपने डिज़ाइन का सोल लाइसेंस सिर्फ एक पार्टनर को देता है। उस डिज़ाइन का इस्तेमाल केवल मालिक और वही पार्टनर कर सकते हैं।

कम्पल्सरी लाइसेंस

  • यह लाइसेंस कानून द्वारा मजबूरी में दिया जाता है, खासकर जब पब्लिक इंटरेस्ट जुड़ा हो।
  • आमतौर पर पेटेंट केस में, जैसे ज़िंदगी बचाने वाली दवाइयाँ बहुत महंगी या सीमित सप्लाई में हों।
  • उदाहरण: भारत में सरकार किसी दवा कंपनी को मजबूर कर सकती है कि वह पेटेंटेड दवा का कम्पल्सरी लाइसेंस देकर दूसरी कंपनियों को भी बनाने की अनुमति दे, ताकि मरीजों तक दवा सस्ती और आसानी से पहुंच सके।

भारत में IP लाइसेंसिंग की प्रक्रिया

1. IP पहचानें: सबसे पहले यह तय करें कि कौन-सा IP (ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, पेटेंट, डिज़ाइन) आप लाइसेंस करना चाहते हैं।

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2. सर्च और वैरिफाई करें: यह चेक करें कि आपका IP वैध, रजिस्टर्ड है और उस पर कोई विवाद नहीं चल रहा।

3. लाइसेंसी चुनें: एक भरोसेमंद बिज़नेस पार्टनर ढूंढें जो आपके IP का सही और प्रभावी इस्तेमाल कर सके।

4. लाइसेंस एग्रीमेंट तैयार करें: एग्रीमेंट में सब कुछ साफ़-साफ़ लिखें, जैसे:

  • कौन-सा अधिकार दिया जा रहा है
  • किस क्षेत्र/देश में इस्तेमाल होगा
  • कितने समय के लिए लाइसेंस है
  • पैसे कैसे मिलेंगे – रॉयल्टी या एकमुश्त रकम
  • किन शर्तों पर लाइसेंस खत्म होगा

5. रजिस्ट्रेशन (जहाँ ज़रूरी हो)

  • ट्रेडमार्क और पेटेंट लाइसेंस को IP अथॉरिटीज में दर्ज किया जा सकता है।
  • कॉपीराइट लाइसेंस लिखित होना ज़रूरी है, लेकिन उसका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं है।

6. निगरानी और लागू करना: लाइसेंसर को यह देखना चाहिए कि लाइसेंसी गुणवत्ता और उपयोग की शर्तों का पालन कर रहा है या नहीं।

IP लाइसेंसिंग के फायदे

  • अतिरिक्त कमाई: लाइसेंसर बिना नया प्रोडक्ट बनाए या बेचे भी लाइसेंस से अच्छी कमाई कर सकता है।
  • बाज़ार का विस्तार: लाइसेंसिंग से लाइसेंसर आसानी से नए शहरों या देशों में लोकल पार्टनर की मदद से अपना बिज़नेस बढ़ा सकता है।
  • ब्रांड की पहचान: लाइसेंसिंग से ब्रांड का नाम और प्रोडक्ट ज्यादा लोगों तक पहुँचते हैं, जिससे पहचान और भरोसा बढ़ता है।
  • जोखिम कम होना: उत्पादन और मार्केटिंग का खर्चा लाइसेंसी करता है, जिससे मालिक का जोखिम घट जाता है।
  • नए इनोवेशन को बढ़ावा: टेक्नोलॉजी और नॉलेज शेयर करने से उद्योग तेजी से आगे बढ़ते हैं और नए इनोवेशन आते हैं।

IP लाइसेंसिंग में क्या जोखिम हो सकता है?

  • नियंत्रण खोने का खतरा: लाइसेंसी आपका IP गलत तरीके से इस्तेमाल कर सकता है और आपकी ब्रांड इमेज खराब कर सकता है।
  • कमाई पर निर्भरता: लाइसेंसर की आमदनी लाइसेंसी के काम और परफ़ॉर्मेंस पर निर्भर हो जाती है।
  • विवाद और केस: अगर एग्रीमेंट सही तरीके से न बनाया गया हो तो आगे चलकर झगड़े और कोर्ट केस हो सकते हैं।
  • क्षेत्रीय विवाद: अगर लाइसेंस में क्षेत्र साफ़-साफ़ तय न हो तो अलग-अलग जगह पर अधिकारों को लेकर विवाद हो सकता है।

बायर बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया (बायर बनाम नैटको) – पहला अनिवार्य लाइसेंस मामला

पृष्ठभूमि

  • दवा: Nexavar (sorafenib), एक एंटी कैंसर ड्रग, Bayer के पास पेटेंट था।
  • समस्या: इसकी कीमत बहुत ज़्यादा थी, जिससे भारतीय मरीजों की पहुँच से बाहर थी।
  • समाधान: Natco Pharma ने सस्ती सामान्य संस्करण बनाने के लिए कम्पल्सरी लाइसेंस माँगा।
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कोर्ट का फैसला

  • पेटेंट नियंत्रक: Natco को कम्पल्सरी लाइसेंस दिया, क्योंकि Bayer ने दवा पहुंच योग्य नहीं कराई।
  • इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी अपीलेट बोर्ड और बॉम्बे हाई कोर्ट: इस निर्णय को बरकरार रखा।
  • सुप्रीम कोर्ट: Bayer की अपील खारिज कर दी और पब्लिक हेल्थ को प्राथमिकता दी।

कानूनी सिद्धांत

  • कम्पल्सरी लाइसेंस: जनता की ज़रूरतें पूरी करने के लिए ज़रूरी टूल।
  • पब्लिक इंटरेस्ट बनाम पेटेंट राइट्स: ज़रूरी दवाओं में जनता का हित पहले आता है।
  • पेटेंट एक्ट, 1970 की धारा 84: अगर दवा उपलब्ध न हो, महंगी हो, या भारत में काम न की गई हो, तो लाइसेंस दिया जा सकता है।
  • महत्व: यह केस भारतीय पेटेंट कानून में ऐतिहासिक माना जाता है। इसने दिखाया कि भारत ज़रूरी दवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए कम्पल्सरी लाइसेंस का इस्तेमाल कर सकता है और पब्लिक हेल्थ को पेटेंट हक से ऊपर रख सकता है।

निष्कर्ष

IP लाइसेंसिंग आपके बिज़नेस को बढ़ाने, नए मार्केट में जाने और अच्छी कमाई करने का एक समझदार तरीका है, वो भी बिना अपनी इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (IP) बेचे।

इससे IP मालिक और लाइसेंसी दोनों को फायदा होता है। लेकिन इसके साथ कुछ जोखिम भी जुड़े होते हैं। इसलिए एक मजबूत और साफ-सुथरा लाइसेंसिंग एग्रीमेंट बनाना बहुत ज़रूरी है।

IP लाइसेंसिंग = अधिकार बाँटना + कमाई करना + अपनी इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी सुरक्षित रखना।

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FAQs

1. क्या लाइसेंस देने से पहले IP रजिस्टर कराना ज़रूरी है?

हाँ, रजिस्ट्रेशन करवाना बहुत ज़रूरी है। इससे आगे जाकर किसी भी विवाद से बचा जा सकता है।

2. IP लाइसेंसिंग और बेचने में क्या फर्क है?

लाइसेंसिंग सिर्फ अस्थायी अनुमति होती है, जबकि असाइनमेंट में मालिकाना हक हमेशा के लिए दूसरे को दे दिया जाता है।

3. क्या मैं अपनी IP कई लोगों को लाइसेंस दे सकता हूँ?

हाँ, नॉन-एक्सक्लूसिव लाइसेंस में आप एक ही IP कई लोगों को इस्तेमाल करने की इजाज़त दे सकते हैं।

4. क्या लाइसेंस एग्रीमेंट बनाने के लिए वकील ज़रूरी है?

हाँ, क्योंकि अगर एग्रीमेंट सही तरह से न बना हो तो आगे विवाद और कानूनी समस्या हो सकती है।

5. क्या विदेशी कंपनियाँ भारत में IP का लाइसेंस ले सकती हैं?

हाँ, विदेशी कंपनियाँ भारत में IP का लाइसेंस ले सकती हैं, लेकिन उन्हें भारतीय कानून का पालन करना होगा।

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