सोचिए अगर आपके मोबाइल पर ऐसा मैसेज आता है कि “अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी, तो मैं तुम्हारी बदनामी कर दूंगी, तुम्हारा परिवार और करियर बर्बाद कर दूंगी।” यह किसी फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि आज कई पुरुषों की सच्चाई है।
आज के सोशल मीडिया और ऑनलाइन दुनिया में, एक झूठा आरोप या धमकी किसी की ज़िंदगी को पलभर में खराब कर सकता है। सबसे बुरा यह होता है कि ज़्यादातर पुरुष डर या शर्म की वजह से चुप रहते हैं।
लेकिन सच्चाई यह है, कानून आपके साथ है। भारतीय कानून में ऐसे मामलों से बचने और अपनी इज्जत बचाने के लिए स्पष्ट और सख्त प्रावधान हैं।
यह ब्लॉग आपको बताएगी कि ऐसे हालात में आपके कानूनी अधिकार क्या हैं, क्या कदम तुरंत उठाने चाहिए, और सुप्रीम कोर्ट ने पुरुषों की सुरक्षा के लिए क्या दिशा-निर्देश दिए हैं। क्योंकि डर वहीं खत्म होता है, जहाँ से आपको अपने हक और सुरक्षा के रास्ते की समझ शुरू होती है।
ब्लैकमेलिंग क्या होती है?
ब्लैकमेलिंग का मतलब है किसी व्यक्ति को डर या धमकी देकर अपनी बात मनवाना, आमतौर पर पैसे, संपत्ति या निजी लाभ पाने के लिए। धमकी देने वाला व्यक्ति पीड़ित को यह कहकर डराता है कि वह उसकी निजी जानकारी, फोटो या कोई झूठी बात सबके सामने लीक कर देगा, अगर उसकी मांग नहीं मानी गई।
कानूनी रूप से, भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS) की धारा 308 के तहत ब्लैकमेलिंग को एक्सटॉरशन कहा जाता है।
कई बार ब्लैकमेलर झूठे आरोप, पुराने रिश्ते की बातें, या सोशल मीडिया के जरिए डराने-धमकाने का काम करते हैं। वे जानते हैं कि पीड़ित व्यक्ति समाज में बदनामी के डर से चुप रहेगा।
इसलिए, सबसे ज़रूरी बात यह है कि ब्लैकमेलिंग केवल नैतिक रूप से गलत नहीं, बल्कि एक गंभीर आपराधिक अपराध है, जिसके लिए सख्त सज़ा का प्रावधान है।
पुरुषों को होने वाली आम ब्लैकमेलिंग की स्थितियाँ
आज के समय में कई पुरुष अलग-अलग तरह की ब्लैकमेलिंग का सामना करते हैं, खासकर निजी रिश्तों और ऑनलाइन दुनिया में। कुछ आम स्थितियाँ इस प्रकार हैं –
- रिश्तों में ब्लैकमेलिंग: अक्सर एक्स-पार्टनर या दोस्त निजी चैट, फोटो या वीडियो लीक करने की धमकी देकर पैसे या कोई काम करवाने की कोशिश करते हैं।
- झूठे कानूनी केस की धमकी: कई बार कुछ महिलाएँ या जान-पहचान वाले झूठे दहेज, उत्पीड़न या रेप केस दर्ज कराने की धमकी देकर दबाव बनाते हैं।
- ऑफिस या कार्यस्थल पर ब्लैकमेलिंग: सहकर्मी या अधीनस्थ व्यक्ति ऑफिस की निजी जानकारी या बातचीत का गलत फायदा उठाकर ब्लैकमेल करते हैं।
- ऑनलाइन या साइबर ब्लैकमेलिंग: फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल, हनी ट्रैप या वीडियो कॉल रिकॉर्डिंग का इस्तेमाल करके पैसे मांगने वाले स्कैमर बढ़ते जा रहे है।
पुरुषों को ब्लैकमेलिंग से बचाने वाले प्रमुख कानून
भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023
| धाराएं | विवरण | सजा / प्रावधान |
| 308 | एक्सटॉरशन – जबरदस्ती पैसे या संपत्ति वसूलना | 2 साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों |
| 351 | क्रिमिनल इंटिमीडेशन – किसी की प्रतिष्ठा, संपत्ति या परिवार को नुकसान पहुँचाने की धमकी देना | साधारण धमकी पर 2 साल तक की सजा, गंभीर धमकी पर 7 साल तक की सजा |
| 294 | अश्लील कंटेंट का प्रसार या प्रकाशन | पहली बार करने पर 2 साल की सजा और ₹5 हज़ार तक का जुर्माना, बार बार करने पर 5 साल की सजा और ₹10 हज़ार तक का जुर्माना |
इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000
| धाराएं | विवरण | सजा / प्रावधान |
| 66D | कंप्यूटर या इंटरनेट का उपयोग करके किसी अन्य व्यक्ति की पहचान बनाना या उसका रूप धारण कर धोखाधड़ी करना, जैसे, फर्जी प्रोफाइल बनाकर किसी को धमकाना या ब्लैकमेल करना। | 3 साल तक की सजा और ₹1 लाख तक का जुर्माना |
| 67 | इंटरनेट पर अश्लील कंटेंट प्रकाशित या प्रसारित करना | पहली बार करने पर 2 साल की सजा और ₹5 हज़ार तक का जुर्माना, बार बार करने पर 5 साल की सजा और ₹10 हज़ार तक का जुर्माना |
| 72 | किसी की निजी जानकारी को बिना अनुमति के साझा करना | 2 साल की सजा या ₹1 लाख तक जुर्माना या दोनों |
अगर कोई ब्लैकमेल कर रहा है तो तुरंत क्या करें?
- घबराएँ नहीं और शांत रहें: ब्लैकमेल की स्थिति में तुरंत घबराना या गुस्से में कोई कदम उठाना नुकसानदेह हो सकता है। मानसिक रूप से स्थिर रहकर ही आगे की कार्रवाई करें।
- सभी सबूत सुरक्षित रखें: कॉल रिकॉर्ड, चैट, स्क्रीनशॉट, ईमेल और बैंक ट्रांज़ैक्शन जैसी हर डिजिटल और फिजिकल जानकारी सुरक्षित करें। यह बाद में कानूनी कार्रवाई में निर्णायक साबित होगी।
- किसी भी रकम का भुगतान न करें: ब्लैकमेलर की मांग पूरी करने के लिए पैसे देना कानूनी और मानसिक रूप से खतरा बढ़ाता है। भुगतान करने से भविष्य में और दबाव बढ़ सकता है।
- पुलिस या साइबर सेल को तुरंत लिखित शिकायत दें: स्थानीय पुलिस स्टेशन या साइबर सेल में लिखित शिकायत दर्ज कराएं। इससे आपके खिलाफ आगे की आपराधिक गतिविधि रुक सकती है।
- साइबर क्राइम पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें: www.cybercrime.gov.in पर जाकर ऑनलाइन FIR दर्ज करना तेज़ और सुरक्षित तरीका है, जिससे तुरंत कानूनी कार्रवाई शुरू हो सकती है।
- कानूनी सलाह लें: किसी अनुभवी क्रिमिनल या साइबर लॉ वकील से मिलकर सलाह लें। विशेषज्ञ मार्गदर्शन से केस मजबूत और सुरक्षित रहेगा।
ब्लैकमेलिंग से बचाव के कानूनी उपाय
FIR दर्ज कराएँ – भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 173
- ब्लैकमेल या धमकी की घटना के तुरंत बाद पुलिस में FIR दर्ज कराएँ।
- पूरी घटना का विवरण और डिजिटल साक्ष्य जैसे कॉल रिकॉर्ड, चैट, स्क्रीनशॉट और ईमेल पुलिस को दें।
- यह कानूनी कार्रवाई की पहली और महत्वपूर्ण कदम है।
साइबर सेल में शिकायत करें
- अगर धमकी ऑनलाइन माध्यम (सोशल मीडिया, मैसेजिंग ऐप या ईमेल) से दी जा रही है, तो साइबर सेल में शिकायत करें।
- यह ऑनलाइन अपराधों के लिए सबसे तेज़ और प्रभावी उपाय है।
प्रिवेंटिव आर्डर – भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163
- अगर आरोपी बार-बार धमकी दे रहा है या मानसिक दबाव बना रहा है, तो कोर्ट में रोक आदेश के लिए आवेदन करें।
- इससे आरोपी को धमकी देने या नज़दीक आने से रोका जा सकता है।
मजिस्ट्रेट के पास शिकायत – भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 175(3)
- यदि स्थानीय पुलिस शिकायत लेने या कार्रवाई करने में असफल है, तो सीधे मजिस्ट्रेट के पास जाएँ।
- मजिस्ट्रेट मामले की जांच करवाकर आवश्यक कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित कर सकते हैं।
इन्जंक्शन एप्लीकेशन
- यदि कोई आपकी निजी फोटो, वीडियो या जानकारी सार्वजनिक करने की धमकी दे रहा है, तो कोर्ट में “Stay Order” या इन्जंक्शन अप्लिकेशन दायर करें।
- यह सिविल उपाय मानसिक और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
यह सभी उपाय मिलकर ब्लैकमेलर को कानूनी रूप से जवाबदेह बनाते हैं और पीड़ित की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
म/एस. बालाजी ट्रेडर्स बनाम उत्तर प्रदेश राज्य 2025 – सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
तथ्य
- प्रोफेसर मनोज कुमार अग्रवाल (मुकदमा करने वाले) और संजय गुप्ता (आरोपी) दोनों की कंपनियां “म/एस. बालाजी ट्रेडर्स” नाम से हैं और बौद्धिक संपदा विवाद में शामिल हैं।
- आरोपी और उनके साथ तीन अन्य व्यक्तियों ने प्रोफेसर अग्रवाल को बंदूकें दिखाकर धमकी दी कि यदि उन्होंने अपना व्यवसाय बंद नहीं किया या हर महीने ₹5 लाख नहीं दिए, तो वे उन्हें नुकसान पहुँचाएंगे। उन्होंने न केवल उन्हें पीटा बल्कि अपहरण करने का प्रयास भी किया।
मुद्दा: क्या IPC की धारा 387/ 308 BNS के तहत “मृत्यु या गंभीर चोट का भय दिखाकर जबरन वसूली करने” के लिए प्रॉपर्टी का ट्रांसफर आवश्यक है?
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय को पलटते हुए कहा कि:
- धारा 387 IPC/ 308 BNS के तहत प्रॉपर्टी का ट्रांसफर आवश्यक नहीं है। यह धारा उस स्थिति को अपराध मानती है जब किसी व्यक्ति को मृत्यु या गंभीर चोट का भय दिखाकर जबरन वसूली करने के उद्देश्य से धमकी दी जाती है।
- हाई कोर्ट ने यह मानते हुए कि प्रॉपर्टी का ट्रांसफर नहीं हुआ था, धारा 387 IPC/ 308 BNS के तहत अपराध की स्थिति नहीं मानी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत ठहराया और कहा कि यह धारा उस प्रक्रिया को भी दंडनीय बनाती है जो जबरन वसूली की ओर अग्रसर होती है, भले ही प्रॉपर्टी का ट्रांसफर न हुआ हो।
सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम का सुओ मोटो लिया (2025)
भारत की सुप्रीम कोर्ट ने “डिजिटल अरेस्ट” स्कैम के बढ़ते मामले पर खुद से (सुओ मोटू) ध्यान दिया है। इस स्कैम में अपराधी सुप्रीम कोर्ट के फर्जी आदेश दिखाकर लोगों से पैसे ठगते हैं। यह कार्रवाई एक वरिष्ठ महिला की शिकायत के बाद हुई, जिन्होंने बताया कि ठगों ने खुद को न्यायालय का अधिकारी बताकर उनसे ₹1 करोड़ से ज्यादा वसूल लिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अब केंद्र सरकार और सीबीआई से इस तरह के साइबर अपराध रोकने के लिए कदम और योजना पेश करने को कहा है।
ब्लैकमेलिंग से बचने के सरल उपाय
ब्लैकमेल से बचाव की शुरुआत जागरूकता और सतर्कता से होती है। आसान तरीके यह हैं:
- निजी फोटो, वीडियो या व्यक्तिगत जानकारी ऑनलाइन कभी न साझा करें।
- अनजान प्रोफाइल्स से संपर्क करने से पहले उनकी जांच करें।
- अजनबियों को पैसे या संवेदनशील जानकारी न भेजें।
- सोशल मीडिया अकाउंट्स में मजबूत प्राइवेसी सेटिंग्स लगाएँ।
- जो लोग शुरू में ही संदिग्ध व्यवहार दिखाएँ, उनके साथ भावनात्मक या वित्तीय संबंध न बनाएं।
याद रखें, रोकथाम हमेशा कानूनी कार्रवाई से बेहतर और आसान होती है।
निष्कर्ष
ब्लैकमेल मानसिक शांति, आत्म-सम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा पर गंभीर असर डालता है। कई पुरुष शर्म, सामाजिक प्रतिक्रिया या अपमान के डर से शिकायत दर्ज कराने में हिचकिचाते हैं, लेकिन चुप्पी अपराधियों को और ताकत देती है।
समझदारी यही है कि सही समय पर कानूनी कदम उठाएँ। एक भरोसेमंद वकील, काउंसलर या सपोर्ट ग्रुप से बात करना मानसिक संतुलन बनाए रखने और आत्मविश्वास पुनः स्थापित करने में मदद करता है।
जानकारी और सतर्कता ही सबसे मजबूत हथियार हैं। भारतीय कानून पुरुषों को झूठे आरोप, साइबर ब्लैकमेल और दुरुपयोग से बचाव के लिए स्पष्ट और मजबूत उपाय देता है।
याद रखें: डर और दबाव के बजाय ज्ञान, कार्रवाई और कानूनी समझ आपके आत्म-सम्मान, स्वतंत्रता और भविष्य की रक्षा करते हैं। मानसिक मजबूती और सही कानूनी मार्गदर्शन के साथ कोई भी ब्लैकमेल आपको नियंत्रित नहीं कर सकता।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. अगर कोई महिला मुझ पर झूठा मामला दर्ज करने की धमकी दे तो क्या करूँ?
शांत रहें, सभी बातचीत और सबूत सुरक्षित रखें। तुरंत वकील से संपर्क करें। आप एंटीसिपेटरी बेल के लिए आवेदन कर सकते हैं और BNS की धारा 351 के तहत धमकी का केस दर्ज करा सकते हैं।
2. क्या ऑनलाइन ब्लैकमेल भारत में अपराध है?
हाँ। साइबर ब्लैकमेल IT Act की धारा 66D, 67, 67A और IPC की धारा 308 के तहत सजा योग्य है।
3. अगर कोई मेरी निजी फोटो लीक करने की धमकी दे तो क्या कर सकता हूँ?
बिलकुल। यह धमकी और ब्लैकमेल का अपराध है। साइबर क्राइम सेल या स्थानीय पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराएँ।
4. अगर पुलिस मेरी शिकायत दर्ज करने से मना करे तो क्या करूँ?
आप SP (सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस) से संपर्क कर सकते हैं या BNSS की धारा 175(3) के तहत मजिस्ट्रेट के सामने लिखित शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
5. भविष्य में ब्लैकमेल से खुद को कैसे बचाएँ?
ऑनलाइन व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें, डिजिटल सुरक्षा बनाए रखें, और खतरे के पहले संकेत पर तुरंत कानूनी सलाह लें।



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