हर दिन लोग फर्जी कॉल्स का शिकार होते हैं, खराब सामान खरीद लेते हैं या ऐसी सेवाओं के लिए ज़्यादा पैसे दे देते हैं जो मिली ही नहीं। ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि शिकायत करने या कोर्ट जाने से कुछ नहीं होगा, पर यह सच नहीं है।
कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 खास तौर पर आपकी सुरक्षा के लिए बनाया गया है, न कि बड़ी कंपनियों के लिए। चाहे धोखा किसी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट, बिल्डर, बीमा एजेंट या सेवा प्रदाता ने किया हो, आपको न्याय, मुआवज़ा और रिफंड पाने का पूरा हक है। अब यह प्रक्रिया पहले से कहीं ज़्यादा तेज़, आसान और डिजिटल हो गई है।
इस ब्लॉग में हम बताएंगे कि अगर आपके साथ धोखा हुआ है या गलत जानकारी दी गई है, तो आप कौन से 10 कानूनी तरीके अपनाकर अपने अधिकार वापस पा सकते हैं।
कंज्यूमर फ्रॉड क्या होता है?
कंज्यूमर फ्रॉड तब होता है जब कोई विक्रेता या सेवा देने वाला व्यक्ति ग्राहक को धोखा देकर फायदा कमाता है। यह धोखा कई तरीकों से हो सकता है, गलत जानकारी देना, ज़्यादा पैसे लेना, नकली या खराब सामान देना, या रिफंड और वारंटी से इंकार करना।
कुछ आम उदाहरण:
- ऑनलाइन फर्जी ऑफ़र या बिना सत्यापन वाले सेलर से खरीदारी।
- बिल्डर द्वारा पूरी रकम लेने के बाद भी फ्लैट या प्रॉपर्टी न देना।
- बैंक या बीमा कंपनियों द्वारा छिपे हुए चार्ज लेना।
- दुकानदारों का एमआरपी से ज़्यादा वसूलना।
- गलत या भ्रामक विज्ञापन चलाना।
कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 के तहत ये सब अनुचित व्यापारिक प्रथाएँ (Unfair Trade Practices) और सेवा में कमी (Deficiency in Service) मानी जाती हैं और इन पर सज़ा का प्रावधान है।
कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 ने पुराने 1986 वाले कानून को बदल दिया है और अब इसे ज़्यादा मजबूत और डिजिटल बना दिया गया है।
मुख्य बातें:
- अनुचित व्यापारिक प्रथाओं से सुरक्षा का अधिकार।
- रिफंड, मुआवज़ा या रिप्लेसमेंट पाने का अधिकार।
- ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा – E-Daakhil पोर्टल।
- सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) को खुद से कार्रवाई करने का अधिकार।
- गलत या भ्रामक विज्ञापनों पर कंपनी और सेलिब्रिटी दोनों की जिम्मेदारी।
अब अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियाँ भी इस कानून के तहत जवाबदेह हैं। अगर ऑनलाइन खरीदे गए प्रोडक्ट या सेवा में धोखा हुआ है, तो आप उनके खिलाफ भी शिकायत कर सकते हैं।
कंस्यूमर फ्रॉड से कैसे बचे? – इन बातों का ध्यान रखें।
हमेशा भरोसेमंद वेबसाइट या दुकानों से खरीदारी करें
खरीदारी से पहले वेबसाइट का पता (URL) जरूर जांचें, यह “https://” से शुरू होना चाहिए। फेक वेबसाइटें अक्सर गलत स्पेलिंग या बहुत सस्ते ऑफर दिखाकर धोखा देती हैं।
बहुत सस्ते ऑफर, अंजान लिंक या बिना रिव्यू वाली साइट से बचें।
हमेशा असली ब्रांड की ऑफिसियल वेबसाइट या ऐप से ही खरीदारी करें, यही सबसे सुरक्षित तरीका है।
बहुत सस्ता ऑफर” या “फ्री गिफ्ट” पर भरोसा न करें
आजकल ऑनलाइन या फोन पर ऐसे ऑफर मिलते हैं – “फ्री गिफ्ट जीतें”, “लकी ड्रॉ में चुने गए हैं” लेकिन ज़्यादातर ऐसे ऑफर धोखाधड़ी होते हैं।
पहचान कैसे करें:
- वेबसाइट या लिंक संदिग्ध हो (गलत स्पेलिंग, अजीब URL) ।
- बहुत ज़्यादा सस्ता या फ्री ऑफर हो।
- ओटीपी या बैंक डिटेल माँगी जाए।
- कोई असली कस्टमर रिव्यू या कंपनी की जानकारी न मिले।
ऑनलाइन पेमेंट से पहले विक्रेता की विश्वसनीयता जांचें
ऑनलाइन खरीदारी करते समय सबसे पहले विक्रेता की विश्वसनीयता जांचना जरूरी है। भुगतान करने से पहले कंपनी की वेबसाइट, ग्राहकों के रिव्यू, रेटिंग और शिकायतों को ध्यान से पढ़ें। इससे आपको पता चलेगा कि कंपनी भरोसेमंद है या नहीं।
अगर वेबसाइट नई है या उस पर बहुत सस्ते ऑफर दिए जा रहे हैं, तो सतर्क रहें। कई बार धोखेबाज फर्जी वेबसाइट बनाकर ग्राहकों से पैसे वसूल लेते हैं और सामान नहीं भेजते। इसलिए केवल जानी-मानी और विश्वसनीय साइटों से ही खरीदारी करें।
कभी भी OTP, पासवर्ड या बैंक डिटेल साझा न करें
किसी भी व्यक्ति, कॉल या ईमेल पर भरोसा करके OTP, पासवर्ड, PIN या बैंक अकाउंट की जानकारी कभी साझा न करें। असली बैंक, बीमा कंपनी या सरकारी विभाग कभी भी आपसे यह जानकारी नहीं मांगते।
अगर कोई व्यक्ति बैंक अधिकारी बनकर ऐसी जानकारी मांगता है, तो यह स्पष्ट रूप से धोखाधड़ी है। ऐसे मामलों में तुरंत अपने बैंक की कस्टमर केयर या साइबर क्राइम सेल में रिपोर्ट करें। आपकी एक छोटी सी सतर्कता आपको बड़े नुकसान से बचा सकती है।
हर खरीदारी का बिल या इनवॉइस सुरक्षित रखें
जब भी आप कोई सामान या सेवा खरीदें, उसका बिल या इनवॉइस अवश्य लें और सुरक्षित रखें। यह आपके कंस्यूमर होने का सबसे बड़ा कानूनी सबूत होता है।
अगर प्रोडक्ट खराब निकल जाए, सर्विस ठीक न मिले या कंपनी रिफंड से इंकार करे, तो यही बिल आपके हक़ को साबित करता है। बिना बिल के आप कंस्यूमर अदालत में मजबूत केस नहीं बना सकते, इसलिए हर बार खरीदारी के समय बिल जरूर मांगें।
सोशल मीडिया या व्हाट्सएप लिंक पर क्लिक करने से बचें
- व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम या फेसबुक पर आने वाले “फ्री गिफ्ट”, “लकी ड्रॉ” या “सस्ता ऑफर” वाले लिंक पर क्लिक करने से बचें।
- अक्सर ये लिंक फिशिंग वेबसाइट्स होती हैं, जो आपकी निजी जानकारी, बैंक डिटेल या पासवर्ड चुरा लेती हैं।
- किसी भी ऑफर या स्कीम के बारे में जानकारी केवल कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट या ऐप से ही प्राप्त करें। यह आपकी डिजिटल सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी है।
प्रोडक्ट की पैकेजिंग, लोगो और बारकोड जांचें
- किसी भी सामान को खरीदने से पहले उसकी पैकिंग, MRP, निर्माता का नाम, लोगो और बारकोड जरूर देखें।
- गलत स्पेलिंग, धुंधला लोगो, या टेढ़ी-मेढ़ी पैकिंग इस बात का संकेत है कि प्रोडक्ट नकली हो सकता है।
- बारकोड स्कैन करके आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि सामान असली है या नहीं। यह कदम आपको नकली या घटिया सामान से बचाता है।
“Cash on Delivery” विकल्प चुनें
अगर आप किसी नई या कम-ज्ञात वेबसाइट से सामान खरीद रहे हैं, तो हमेशा “Cash on Delivery” (डिलीवरी पर भुगतान) विकल्प चुनें।
इससे आपको पहले प्रोडक्ट देखने का मौका मिलता है। अगर सामान खराब, नकली या ऑर्डर से अलग हो, तो आप भुगतान करने से मना कर सकते हैं। यह तरीका ऑनलाइन खरीदारी को सुरक्षित और जोखिम-मुक्त बनाता है।
ऐप डाउनलोड करते समय उसकी परमिशन और साधन जांचें
कभी भी किसी लिंक या अज्ञात वेबसाइट से मोबाइल ऐप डाउनलोड न करें। हमेशा गूगल प्ले स्टोर या एप्पल एप स्टोर से ही ऐप इंस्टॉल करें।
डाउनलोड करते समय ऐप की रेटिंग, रिव्यू और वह कौन-कौन सी परमिशन मांग रहा है (जैसे कैमरा, कॉन्टैक्ट्स, बैंक एक्सेस) – इसे ध्यान से पढ़ें। संदिग्ध ऐप्स आपके फोन से डेटा चोरी कर सकते हैं। सुरक्षित ऐप ही डाउनलोड करें।
मज़बूत पासवर्ड और सुरक्षित इंटरनेट का इस्तेमाल करें
- ऑनलाइन शॉपिंग, बैंकिंग या ई-पेमेंट करते समय हमेशा मज़बूत और यूनिक पासवर्ड बनाएं, जैसे कि बड़े और छोटे अक्षरों, नंबर और सिंबल का मिश्रण।
- अपने अकाउंट्स में Two-Factor Authentication ज़रूर चालू करें, जिसमें OTP या बायोमेट्रिक लॉगिन से ही एक्सेस मिले। इससे हैकिंग की संभावना काफी कम हो जाती है।
सुझाव: सार्वजनिक Wi-Fi का इस्तेमाल कभी भी पेमेंट के लिए न करें, क्योंकि हैकर्स आपके डेटा तक पहुँच सकते हैं। हर कुछ महीनों में पासवर्ड बदलें और अपने फोन या लैपटॉप में एंटीवायरस सॉफ्टवेयर रखें ताकि आपके बैंकिंग और निजी डेटा की सुरक्षा बनी रहे।
अपने कंस्यूमर अधिकारों की जानकारी रखें
आपका सबसे बड़ा हथियार है – जागरूकता।
- कंस्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 के तहत आपको शिकायत दर्ज करने, मुआवज़ा पाने और धोखाधड़ी रोकने का पूरा अधिकार है।
- अगर कोई कंपनी, दुकान या संस्था आपकी सेवा में कमी करती है, तो आप E-Daakhil Portal पर घर बैठे शिकायत कर सकते हैं।
- जितना आप अपने अधिकारों को जानेंगे, उतना ही किसी के लिए आपको धोखा देना मुश्किल होगा। जागरूक कंस्यूमर ही सशक्त कंस्यूमर है।
निष्कर्ष
आज के समय में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों जगह धोखाधड़ी आम हो गई है, फेक वेबसाइट, झूठे विज्ञापन, खराब सेवा या गलत बिलिंग। लेकिन अब कानून आपके साथ है। अगर आप सतर्क हैं, सबूत रखते हैं और सही कदम उठाते हैं, तो कोई भी कंपनी या संस्था आपको धोखा नहीं दे सकती।
न्याय पाने के लिए बड़े वकील या लंबी प्रक्रिया की जरूरत नहीं, बस अपने अधिकारों को जानना और उनका सही उपयोग करना ज़रूरी है। याद रखें – सजग कंस्यूमर ही न्याय का सबसे बड़ा रक्षक है।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. क्या मैं ₹500 या ₹1000 जैसी छोटी राशि के लिए भी शिकायत कर सकता हूँ?
हाँ, कंस्यूमर फोरम हर वैध शिकायत स्वीकार करता है, रकम चाहे कितनी भी कम हो।
2. क्या शिकायत करने के लिए वकील ज़रूरी है?
नहीं, आप खुद भी ऑनलाइन E-Daakhil पोर्टल के ज़रिए शिकायत दर्ज कर सकते हैं – यह बहुत आसान है।
3. क्या मुझे रिफंड और मुआवज़ा दोनों मिल सकते हैं?
हाँ, अगर आपने आर्थिक नुकसान और मानसिक परेशानी दोनों साबित किए हैं तो दोनों मिल सकते हैं।
4. शिकायत दर्ज करने की समय सीमा क्या है?
घटना या धोखाधड़ी की तारीख से 2 साल के भीतर शिकायत करनी चाहिए।
5. क्या झूठा विज्ञापन देने वाली कंपनी पर कार्रवाई हो सकती है?
हाँ, सेंट्रल कंस्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ऐसी कंपनियों पर भारी जुर्माना लगा सकती है और उनके विज्ञापन पर रोक लगा सकती है।



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