कैश ऑन डिलीवरी (COD) को हमेशा सुरक्षित तरीका माना जाता है – सामान आए, फिर पैसे दें। लेकिन पिछले कुछ समय में इसी सुविधा का फायदा उठाकर कई तरह के फ्रॉड शुरू हो गए हैं। लोग बिना ऑर्डर किए पार्सल मिलने, जबरन पैसे मांगने और नकली विक्रेताओं द्वारा ठगे जाने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे न सिर्फ पैसा जाता है, बल्कि तनाव, डर और परेशानी भी होती है।
ऐसी स्थिति में अपने कानूनी अधिकारों को जानना बहुत ज़रूरी है। कंस्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 और ई – कॉमर्स रूल्स ग्राहकों को मजबूत सुरक्षा देते हैं। यह ब्लॉग आपको बताएगा कि आपके क्या अधिकार हैं और अगर आप COD स्कैम के शिकार हो जाएँ, तो तुरंत क्या कदम उठाने चाहिए।
कैश ऑन डिलीवरी (COD) स्कैम क्या होता है?
- COD स्कैम तब होता है जब आपको ऐसा पार्सल मिले जिसे आपने कभी ऑर्डर ही नहीं किया, लेकिन डिलीवरी वाला पैसे मांगता है।
- आपने कुछ ऑर्डर किया हो, लेकिन बदले में बिलकुल अलग या नकली सामान आ जाए।
- विक्रेता नया सामान बताकर खराब, पुराना या खराब गुणवत्ता वाला सामान भेज दे।
- डिलीवरी एजेंट पार्सल संदिग्ध दिखने पर भी जबरदस्ती पैसे देने का दबाव बनाए।
- आपका नाम, नंबर और पता गलत तरीके से इस्तेमाल करके नकली पार्सल भेजे जाएँ।
COD स्कैम ज़्यादातर इन लोगों को निशाना बनाते हैं:
- बुजुर्ग लोग
- नए ऑनलाइन खरीदार
- जो COD को ऑनलाइन पेमेंट से सुरक्षित समझते हैं
- जिन्हें अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी कम होती है
भारत में COD स्कैम के आम तरीके
- गलत सामान भेजना: आप मोबाइल फोन ऑर्डर करते हैं और बॉक्स में खिलौना फोन या पत्थर निकल आता है।
- नकली प्रोडक्ट भेजना: ऑनलाइन ब्रांड तो असली दिखाया जाता है, लेकिन डिलीवरी में घटिया या डुप्लीकेट सामान मिलता है।
- बिना ऑर्डर किए पार्सल आना: आपने कुछ ऑर्डर नहीं किया, फिर भी COD पार्सल आपके घर आ जाता है, यह पूरा धोखा है।
- जबरन पैसे वसूलना: डिलीवरी एजेंट कहता है: “पहले पैसे दीजिए, दिक्कत हो तो ऑनलाइन रिटर्न कर देना।” यह गलत और गैरकानूनी है।
- सोशल मीडिया पेज स्कैम: इंस्टाग्राम/फेसबुक के जरिए लोग COD पर ऑर्डर लेते हैं, फिर बेकार सामान भेजकर गायब हो जाते हैं।
भारत में COD स्कैम क्यों बढ़ रहे हैं?
- ग्राहक का नाम व पता आसानी से कहीं भी इस्तेमाल कर लिया जाता है।
- कई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर विक्रेताओं की ठीक से जांच नहीं होती।
- डिलीवरी पार्टनर्स पर सख्त निगरानी और सत्यापन की कमी है।
- ग्राहकों में जागरूकता कम है, इसलिए लोग जल्दी फंस जाते हैं।
- सोशल मीडिया पर नकली दुकानें बनाकर लोग आसानी से धोखा दे देते हैं।
- COD की ज्यादा मांग है, जिससे ठगों के लिए फ्रॉड करना और आसान हो गया है।
कंस्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, 2019 के तहत आपके अधिकार
COD स्कैम या गलत डिलीवरी होने पर यह कानून आपको कई मजबूत अधिकार देता है। नीचे हर अधिकार को थोड़ा विस्तार से समझाया गया है।
1. सही सामान पाने का अधिकार (गलत व्यापारिक तरीकों से सुरक्षा)
अगर आपने जैसा सामान ऑर्डर किया था वैसा सामान नहीं मिलता जैसे नकली, खराब, टूटा हुआ या पूरी तरह अलग उत्पाद, तो यह आपकी गलती नहीं है। ऐसे मामलों में आपको पूरी तरह अधिकार है कि आप शिकायत करें और कंपनी से सही सामान या समाधान मांगे। ग्राहक के साथ गलत व्यवहार या धोखा कानूनन अपराध है।
2. रिफंड या रिप्लेसमेंट का अधिकार
अगर डिलीवरी गलत है, तो आपको मजबूरी में सामान रखने की जरूरत नहीं है। आप मांग सकते हैं:
- पूरा पैसा वापस
- सही सामान बदले में
- जरूरत होने पर मरम्मत, अगर प्रोडक्ट ऐसा है जिसे ठीक किया जा सकता है
- कंपनी आपको मना नहीं कर सकती। यह आपका कानूनी अधिकार है।
3. विक्रेता, डिलीवरी कंपनी और ई-कॉमर्स साइट के खिलाफ शिकायत करने का अधिकार
गलत सामान भेजने या जबरदस्ती पैसे लेने की जिम्मेदारी सिर्फ एक की नहीं होती। इसलिए आप शिकायत कर सकते हैं:
- ऑनलाइन बेचने वाले के खिलाफ
- डिलीवरी कंपनी के खिलाफ
- ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (Amazon, Flipkart, Meesho आदि) के खिलाफ
- कानून इन सभी को ग्राहकों के प्रति जिम्मेदार मानता है।
4. धोखाधड़ी से सुरक्षा का अधिकार
अगर किसी ने आपके नाम, नंबर या पते का गलत इस्तेमाल करके आपको बिना ऑर्डर किए सामान भेजा है, तो यह साफ-साफ धोखा है। कानून आपको इस तरह के स्कैम से बचाता है, और ऐसे मामलों में आप तुरंत शिकायत दर्ज करा सकते हैं। कंपनियों को भी ऐसे मामलों में जवाब देना जरूरी है।
5. कंस्यूमर कोर्ट जाने का अधिकार
अगर कंपनी आपकी शिकायत सुनने में लापरवाही करती है, रिफंड नहीं देती, या टालमटोल करती है, तो आप सीधे कंस्यूमर कोर्ट जा सकते हैं। यह कोर्ट खास तौर पर ग्राहकों को न्याय दिलाने के लिए बनाया गया है और यहां केस दर्ज करना अब बहुत आसान है (ऑनलाइन भी किया जा सकता है) ।
ई – कॉमर्स रूल्स, 2020 के तहत कानूनी सुरक्षा
अगर आप ऑनलाइन खरीदारी करते हैं, तो ये नियम आपकी सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं। इनका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि ग्राहक को कोई धोखा या परेशानी न झेलनी पड़े।
1. रिटर्न और रिफंड पॉलिसी में पारदर्शिता
- हर ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को अपनी रिटर्न, रिफंड और कैंसिलेशन नीति साफ-साफ बतानी होती है।
- अगर कंपनी यह जानकारी छुपाती है या बीच में नियम बदल देती है, तो यह कानून के खिलाफ है। ग्राहक को पूरा हक है कि वह अपनी शर्तें पहले से जानकर ही खरीदारी करे।
2. सेलर (विक्रेता) की सही वेरिफिकेशन
- जो भी विक्रेता ऑनलाइन सामान बेचते हैं, प्लेटफॉर्म को उनकी पहचान और दस्तावेज अच्छी तरह जांचने पड़ते हैं।
- इससे नकली, धोखेबाज या फर्जी सेलर आसानी से सामान नहीं बेच पाते। यदि सेलर गलत निकलता है, तो इसकी जिम्मेदारी प्लेटफॉर्म की भी होती है।
3. तय समय में शिकायत का समाधान
- ग्राहक की कोई भी शिकायत—जैसे गलत उत्पाद, देर से डिलीवरी या रिफंड—को प्लेटफॉर्म को एक निश्चित समय सीमा में हल करना होता है।
- कंपनी आपकी शिकायत को नजरअंदाज नहीं कर सकती। आपको समय पर जवाब और समाधान मिलना आपका अधिकार है।
4. धोखेबाज विक्रेताओं के लिए प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी
- अगर किसी फर्जी या अनवेरिफाइड सेलर से आपको नुकसान हुआ है, तो प्लेटफॉर्म यह कहकर नहीं बच सकता कि “हम जिम्मेदार नहीं हैं।”
- ई – कॉमर्स रूल्स उन्हें भी जवाबदेह मानते हैं। ग्राहक की सुरक्षा उनकी साझा जिम्मेदारी है।
5. हर प्लेटफॉर्म पर Grievance Officer अनिवार्य
- Amazon, Flipkart, Meesho जैसी सभी बड़ी साइटों को एक Grievance Officer रखना जरूरी है।
- यह अधिकारी ग्राहकों की शिकायतों को देखता है और समाधान सुनिश्चित करता है। अगर आपकी समस्या हल नहीं होती, तो उसी अधिकारी के पास औपचारिक शिकायत दर्ज की जा सकती है।
कब आप कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं?
- अगर प्लेटफॉर्म रिफंड पॉलिसी छुपाता है
- शिकायत का जवाब नहीं देता
- गलत सामान भेजने वाले सेलर पर कोई कार्रवाई नहीं करता
- तो आप कंस्यूमर कोर्ट में कानूनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
गलत या नकली COD पार्सल मिले तो तुरंत क्या करें?
स्टेप 1: अगर आपने ऑर्डर नहीं किया, तो पैसे बिलकुल न दें।- आप पर कोई ज़बरदस्ती नहीं हो सकती।
स्टेप 2: पार्सल खोलने से पहले वीडियो रिकॉर्ड करें। – यह आपके पास मजबूत सबूत रहेगा।
स्टेप 3: डिलीवरी बॉय से कहें कि पार्सल वापस ले जाए। – आप कानूनी तौर पर मना कर सकते हैं।
स्टेप 4: प्लेटफॉर्म के कस्टमर सपोर्ट से संपर्क करें। – इनके लिए शिकायत दर्ज करें:
- गलत प्रोडक्ट
- नकली/डुप्लिकेट प्रोडक्ट
- टूटा हुआ सामान
स्टेप 5: नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन 1915 पर शिकायत करें। या ऑनलाइन consumerhelpline.gov.in पर दर्ज करें।
स्टेप 6: अगर आपको साइबर फ्रॉड लगता है, तो साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत करें। www.cybercrime.gov.in
स्टेप 7: अगर कंपनी रिफंड नहीं देती, तो कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत करें। – यह आपका कानूनी अधिकार है।
कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत शिकायत कैसे करें?
1. सबसे पहले सबूत इकट्ठा करें
आपके पास जितना भी रिकॉर्ड है, सब संभालकर रखें:
- पार्सल खोलते समय का वीडियो
- इनवॉइस / बिल
- पेमेंट रसीद
- चैट या ईमेल बातचीत
- गलत सामान का फोटो या वीडियो
2. सेलर को लिखित नोटिस भेजें
एक छोटा-सा नोटिस भेजकर बताएं कि आपको गलत सामान मिला है और आप समाधान चाहते हैं। यह दिखाता है कि आपने कोर्ट में जाने से पहले समझौते की कोशिश की।
3. ई-दाख़िल के ज़रिए ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें
वेबसाइट: edaakhil.nic.in यहीं से आपकी शिकायत सीधे कंज्यूमर कोर्ट में पहुँच जाती है।
4. कोर्ट सेलर को नोटिस भेजेगा
सेलर को आपके केस का जवाब देना पड़ेगा।
5. कोर्ट रिफंड, मुआवज़ा और पेनल्टी का आदेश दे सकता है
आप ये सब मांग सकते हैं:
- आपके पैसे की पूरी वापसी
- मानसिक तनाव के लिए मुआवज़ा
- केस लड़ने का खर्च (लिटिगेशन कॉस्ट)
- गलत व्यापार करने पर पेनल्टी
कंज्यूमर कोर्ट में मुआवज़ा कैसे दिया जाता है?
कोर्ट आपके मामले के आधार पर यह आदेश दे सकता है:
- पूरे पैसे का रिफंड
- मानसिक तनाव / परेशानी का मुआवज़ा
- सेलर या प्लेटफॉर्म पर जुर्माना
- आपका कानूनी खर्च वापस
- ज्यादातर COD फ्रॉड के केस 2–4 महीनों में निपट जाते हैं।
क्या डिलीवरी एजेंट को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है?
आमतौर पर नहीं, लेकिन अगर:
- उसने जानबूझकर स्कैम में हाथ मिलाया हो
- वह जबरदस्ती पेमेंट करवाए
- पार्सल वापस लेने से मना करे
ज्यादातर डिलीवरी एजेंट कंपनी के कर्मचारी होते हैं। इसलिए शिकायत में शामिल करें:
- डिलीवरी कंपनी
- ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म
- असली सेलर
भविष्य में COD फ्रॉड से कैसे बचें?
1. सेलर की रिव्यू और रेटिंग ज़रूर देखें: अच्छी रेटिंग वाले सेलर अधिक भरोसेमंद होते हैं। खराब रिव्यू, शिकायतें या कम रेटिंग दिखें तो खरीदारी न करें।
2. नए या अनवेरिफाइड सोशल मीडिया शॉप से बचें: इंस्टाग्राम–फेसबुक की नई दुकानें अक्सर फर्जी होती हैं। इनके पास सही पता, नंबर या शिकायत व्यवस्था नहीं होती।
3. ऑर्डर में शक हो तो कभी भुगतान न करें: अगर पार्सल अजीब लगे या आपने ऑर्डर नहीं किया हो, तो तुरंत मना कर दें। आपको भुगतान करने की कोई मजबूरी नहीं।
4. हमेशा पार्सल खोलते समय वीडियो रिकॉर्ड करें: वीडियो बाद में सबूत के रूप में मदद करता है। गलत या फर्जी सामान मिलने पर स्ट्रॉग प्रूफ बन जाता है।
5. ओटीपी या निजी जानकारी कभी साझा न करें: स्कैमर्स ओटीपी, पता या बैंक जानकारी लेकर आपका अकाउंट हैक कर सकते हैं। किसी को भी यह जानकारी न दें।
6. अपना ऑर्डर केवल ऑफ़िशियल ऐप पर ट्रैक करें: फर्जी लिंक और नकली वेबसाइटें जानकारी चुरा सकती हैं। हमेशा Amazon, Flipkart या असली ऐप पर ही ट्रैक करें।
निष्कर्ष
कैश ऑन डिलीवरी वाले धोखे हमें ये सिखाते हैं कि ऑनलाइन सुविधा के साथ थोड़ी सावधानी भी ज़रूरी है। ठग लोग आपकी भरोसे का फ़ायदा उठाने की कोशिश करते हैं, लेकिन कानून हमेशा ईमानदार उपभोक्ता के साथ खड़ा है।
अगर आपके साथ कोई धोखा होता है तो आप बिल्कुल असहाय नहीं हैं—आपको रिफंड, शिकायत दर्ज करने और मुआवज़ा पाने का पूरा हक है। बस ज़रूरी है कि आप समय पर कदम उठाएँ, सबूत संभालकर रखें और सही जगह शिकायत करें।
जब आप जागरूक रहते हैं, तो ऐसे स्कैम आपके ऊपर कभी भारी नहीं पड़ सकते। सावधानी और जानकारी ही आपकी सबसे बड़ी सुरक्षा है।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. क्या मैं ऐसा COD पार्सल मना कर सकता हूँ जो मैंने ऑर्डर ही नहीं किया?
हाँ, बिल्कुल। अगर पार्सल आपने नहीं मंगवाया, तो आप उसे बिना किसी भुगतान के मना कर सकते हैं।
2. अगर मुझे गलत या नकली प्रोडक्ट मिले तो क्या करूँ?
तुरंत एक वीडियो बनाएं, कस्टमर सपोर्ट को शिकायत करें और नेशनल कंज़्यूमर हेल्पलाइन 1915 पर शिकायत दर्ज करें।
3. क्या COD स्कैम के बाद मेरे पैसे वापस मिल सकते हैं?
हाँ। आप रिफंड मांग सकते हैं और कंज़्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत मुआवज़े की शिकायत भी कर सकते हैं।
4. क्या डिलीवरी बॉय इस स्कैम के लिए ज़िम्मेदार होता है?
ज़्यादातर मामलों में नहीं। जब तक वह जानबूझकर धोखे में शामिल न हो, असली ज़िम्मेदारी सेलर और प्लेटफ़ॉर्म की होती है।
5. मैं कानूनी शिकायत कहाँ कर सकता हूँ?
आप यहाँ शिकायत दर्ज कर सकते हैं:
- consumerhelpline.gov.in
- cybercrime.gov.in
- edaakhil.nic.in (कंज़्यूमर कोर्ट में केस दाखिल करने के लिए)



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