अगर वाइफ, गर्लफ्रेंड या लिव-इन पार्टनर सुसाइड की धमकी दे तो क्या करें?

What to do if wife, girlfriend or live-in partner threatens suicide

सुसाइड की धमकी: एक गंभीर स्थिति

आज के समय में रिश्तों में तनाव या विवाद के चलते कुछ महिलाएं अपने पति, बॉयफ्रेंड या लिव-इन पार्टनर को सुसाइड करने की धमकी देती हैं — कभी गुस्से में, कभी ब्लैकमेल के इरादे से। लेकिन यह न केवल एक मानसिक उत्पीड़न है बल्कि पुरुष के लिए एक कानूनी खतरा भी बन सकता है।

ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि आप कानूनी रूप से खुद को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं।

भारतीय न्याय संहिता में आपराधिक धमकी क्या है?

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 356 के तहत जब कोई व्यक्ति किसी को डराता है कि वह:

  • उसकी प्रतिष्ठा खराब करेगा,
  • शारीरिक या मानसिक नुकसान पहुंचाएगा,
  • संपत्ति को हानि पहुंचाएगा,
  • या किसी अवैध कार्य के लिए मजबूर करेगा,

तो उसे आपराधिक धमकी (Criminal Intimidation) कहा जाता है।

सुसाइड करने की धमकी देना, इस श्रेणी में आता है — खासकर अगर यह लगातार हो रहा हो।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

सुसाइड की धमकी मिलने पर क्या करें?

पुलिस को सूचना दें (General Diary/Complaint)

जैसे ही ऐसी धमकी मिले, तुरंत अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाकर शिकायत दर्ज करें। मौखिक शिकायत के साथ लिखित एप्लिकेशन भी दें, जिसमें धमकी का विवरण हो।

SHO या ACP को लिखित सूचना

अपने क्षेत्र के SHO या ACP को एक पत्र देकर सूचित करें कि आपकी पार्टनर बार-बार आत्महत्या की धमकी दे रही है और आप इस मामले में पूर्व सूचना के तौर पर अवगत करा रहे हैं।

परिवार को सूचित करें

पार्टनर के माता-पिता या अभिभावकों को इस व्यवहार के बारे में तुरंत अवगत कराएं। यह न केवल नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि भविष्य में आपके डिफेंस का हिस्सा भी बन सकता है।

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मनोवैज्ञानिक परामर्श (Counseling)

अगर संभव हो तो पार्टनर को मानसिक काउंसलिंग के लिए प्रेरित करें। यह इस समस्या का समाधान भी बन सकता है और आपको सुरक्षित भी रखेगा।

सुसाइड की धमकी: कानूनी दायरे में क्या होता है?

BNS की धारा 85 का गलत उपयोग

कई बार महिलाएं सुसाइड की धमकी देकर बाद में धारा 85 BNS के तहत झूठे केस दर्ज करवा देती हैं — जिसमें पति और ससुराल वालों को दहेज प्रताड़ना का दोषी ठहराया जाता है।

ऐसे मामलों में पुरुष तुरंत बेल लें और सभी दस्तावेजी सबूत इकट्ठा करें।

मानसिक क्रूरता और तलाक का आधार

अगर कोई महिला बार-बार सुसाइड की धमकी देती है तो यह मानसिक क्रूरता (Mental Cruelty) के अंतर्गत आता है, जो कि हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13 के तहत तलाक का वैध आधार है।

मानहानि का केस (Defamation)

अगर महिला सार्वजनिक रूप से झूठे आरोप लगाती है कि आप उसे सुसाइड के लिए उकसा रहे हैं, और इससे आपकी सामाजिक छवि खराब होती है, तो आप धारा 356 BNS के तहत मानहानि का केस कर सकते हैं — बशर्ते कोई तीसरा व्यक्ति उन बयानों का साक्षी हो।

अगर पार्टनर सुसाइड कर ले तो क्या करें?

सुसाइड नोट हो तो

अगर महिला सुसाइड से पहले कोई सुसाइड नोट छोड़ती है जिसमें आपका नाम लिया गया हो, तो आपके खिलाफ BNS धारा 108 (सुसाइड के लिए उकसाना) के तहत केस दर्ज हो सकता है।

ऐसे में तुरंत किसी अनुभवी क्रिमिनल लॉयर से संपर्क करें और अग्रिम जमानत की प्रक्रिया शुरू करें।

कोई सुसाइड नोट नहीं हो लेकिन बयान हों

अगर सुसाइड नोट नहीं है लेकिन परिवार वाले या मित्र आरोप लगाते हैं, तो भी पुलिस केस दर्ज कर सकती है। इसलिए पूर्व सूचनाएं (written complaints) और कॉन्सलिंग या रिकॉर्ड्स आपके बचाव में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

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सावधानियाँ जो पुरुषों को जरूर अपनानी चाहिए:

  • सभी धमकियों का रिकॉर्ड रखें – चैट्स, कॉल रिकॉर्डिंग, ईमेल आदि।
  • हर धमकी की सूचना समय पर पुलिस को दें – General Diary या एप्लिकेशन से।
  • शांति और सहनशीलता के साथ स्थिति को संभालें – मारपीट या अपशब्द से खुद को दूर रखें।
  • वकील से नियमित संपर्क में रहें – हर कदम पर कानूनी राय लें।

निष्कर्ष

रिश्तों में तनाव होना सामान्य है, लेकिन जब मामला सुसाइड की धमकी तक पहुंच जाए, तो कानूनी सुरक्षा और सावधानी बहुत जरूरी हो जाती है। अगर आप ऐसी स्थिति में हैं, तो समय रहते सही कदम उठाएं — पुलिस को सूचित करें, वकील से संपर्क करें और खुद को मानसिक और कानूनी रूप से तैयार रखें।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

1. क्या बार-बार सुसाइड की धमकी तलाक का आधार बन सकती है?

हां, यह मानसिक क्रूरता मानी जाती है और तलाक का वैध आधार है।

2. क्या पुलिस को सिर्फ धमकी की सूचना देना पर्याप्त है?

हां, इससे आप future protection में रहेंगे और आपके खिलाफ झूठे केस की संभावना घटती है।

3. क्या सुसाइड नोट के बिना भी केस हो सकता है?

हां, अगर अन्य सबूत या गवाह हों तो IPC 306 में केस बन सकता है।

4. क्या लिव-इन पार्टनर की धमकी पर भी यही नियम लागू होते हैं?

हां, सुप्रीम कोर्ट के अनुसार लंबे समय से लिव-इन में रह रहे कपल्स को वैवाहिक दर्जा मिलता है, इसलिए वही कानून लागू होते हैं।

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5. क्या मैं महिला की मानसिक स्थिति का प्रमाण कोर्ट में दिखा सकता हूं?

हां, काउंसलिंग या मेडिकल रिपोर्ट्स सबूत के रूप में पेश किए जा सकते हैं।

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