मोबाइल फोन अब सिर्फ कॉल करने के लिए नहीं रह गए हैं। ये आपके डेटा, लोकेशन, इंटरनेट हिस्ट्री और बातचीत की जानकारी भी संभाल कर रखते हैं। ये जानकारी कई बार कानूनी मामलों में बहुत काम आती है – जैसे किसी क्रिमिनल केस, तलाक का झगड़ा, किसी के गुम हो जाने पर, धोखाधड़ी के केस में या फिर किसी के अलिबी (किसी जगह पर होने का सबूत) देने में।
कॉल डिटेल रिकार्ड्स (CDR) से ये पता चल सकता है कि दो लोग आपस में कब बात कर रहे थे, कितनी देर बात हुई और कितनी बार कॉल की गई। ये सब जानकारियां कई मामलों में बहुत मददगार हो सकती हैं।
लेकिन ध्यान रहे – हर चीज जो आपको सबूत लगती है, वो कोर्ट में मान्य नहीं होती। भारत में कोर्ट सबूतों को लेकर सख्त नियमों का पालन करता है, जो भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA), 2023 के तहत आते हैं। खासकर जब बात डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक सबूतों की हो।
इसलिए अगर आप मोबाइल कॉल रिकॉर्ड्स को कोर्ट में सबूत के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो जरूरी है कि वो सही तरीके से जुटाए गए हों और कानून के अनुसार पेश किए जाएं। तभी वो कोर्ट में मान्य होंगे।
यह ब्लॉग खासकर उन लोगों के लिए उपयोगी है:
- जो पीड़ित हैं और अपने पक्ष को मजबूत करना चाहते हैं
- जो आरोपी हैं और झूठे आरोपों से बचाव चाहते हैं
- या फिर वो जो कॉल रिकॉर्डिंग के जरिए कोर्ट में सच्चाई प्रस्तुत करना चाहते हैं
कॉल रिकॉर्डिंग क्या होती है?
कॉल रिकॉर्डिंग का अर्थ है, दो या अधिक लोगों के बीच फोन पर हुई बातचीत को ऑडियो फॉर्म में रिकॉर्ड करना। यह मैनुअली या ऑटोमैटिक किया जा सकता है।
कॉल रिकॉर्डिंग के प्रकार:
- मैनुअल रिकॉर्डिंग: जब आप किसी एप्लिकेशन या रिकॉर्ड बटन का उपयोग कर के बातचीत रिकॉर्ड करते हैं।
- ऑटोमैटिक रिकॉर्डिंग: मोबाइल सेटिंग या थर्ड-पार्टी ऐप द्वारा हर कॉल ऑटोमैटिक रिकॉर्ड होती है।
- टेलीकॉम या ऐप आधारित रिकॉर्डिंग: जैसे WhatsApp, Telegram या Zoom कॉल की रिकॉर्डिंग जो एप्स के माध्यम से की जाती है।
कॉल रिकॉर्ड क्यों जरूरी होते हैं?
कई कानूनी मामलों में कॉल रिकॉर्ड बहुत अहम साबित हो सकते हैं, जैसे:
- अगर किसी पर आरोप है लेकिन वो कहता है कि उसने पीड़ित से बात ही नहीं की, पर CDR से पता चलता है कि दोनों के बीच बार-बार कॉल हुई थी।
- कोई कहता है कि वह वारदात की जगह पर मौजूद नहीं था, लेकिन मोबाइल की लोकेशन से पता चलता है कि वो वहीं था।
- पारिवारिक झगड़ों (जैसे तलाक या भरोसे का मामला) में अगर पति या पत्नी किसी और से बार-बार बात कर रहे हों, तो उसकी जानकारी काम आ सकती है।
लेकिन ध्यान रखें: सिर्फ अपने फोन में कॉल लॉग या स्क्रीनशॉट दिखा देने से कोर्ट में बात नहीं बनती। कोर्ट में इसे सबूत के तौर पर मान्य कराने के लिए एक सही कानूनी तरीका अपनाना जरूरी होता है। तभी ये रिकॉर्ड आपके केस में मदद करेंगे।
क्या कॉल रिकॉर्डिंग वैध है?
टेलीग्राफ एक्ट, 1885 की धारा 5(2) कहती है कि सरकार कुछ परिस्थितियों में टेलीफोन टैपिंग कर सकती है, जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था आदि।
लेकिन व्यक्तिगत कॉल रिकॉर्डिंग, यानी अगर आप खुद बातचीत का हिस्सा हैं और आपने कॉल रिकॉर्ड की है, तो वह आमतौर पर अवैध नहीं मानी जाती, जब तक आप इसका दुरुपयोग नहीं करते।
हालांकि, भारत का संविधान गोपनीयता के अधिकार की भी रक्षा करता है। यदि कोई तीसरा व्यक्ति बिना दोनों पक्षों की अनुमति के कॉल रिकॉर्ड करता है, तो वह गोपनीयता का उल्लंघन माना जा सकता है।
क्या कॉल रिकॉर्ड कोर्ट में सबूत के रूप में मान्य है?
हाँ, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। मोबाइल कॉल रिकॉर्ड कोर्ट में सबूत के रूप में मान्य हो सकते हैं, लेकिन इसके लिए कुछ कानूनी शर्तें पूरी करनी ज़रूरी होती हैं। ये नियम भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 63 में दिए गए हैं, जो डिजिटल (इलेक्ट्रॉनिक) सबूतों से जुड़ा है। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं:
धारा 63 – इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की स्वीकार्यता
ये धारा कहती है कि कोई भी जानकारी जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में (जैसे कंप्यूटर या सर्वर में) सेव की गई हो, उसे सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किया जा सकता है, लेकिन कुछ जरूरी शर्तें पूरी होनी चाहिए।
कॉल रिकॉर्ड को कोर्ट में मान्य बनाने के लिए जरूरी बातें:
रिकॉर्ड कानूनी तरीके से लिया गया हो: मतलब, कॉल रिकॉर्ड टेलिकॉम कंपनी (जैसे Jio, Airtel) से सही तरीके से मंगाया गया हो।
रिकॉर्ड सही और बिना छेड़छाड़ के हो: रिकॉर्ड में कोई बदलाव या एडिटिंग नहीं होनी चाहिए।
धारा 63 (4) का सर्टिफिकेट: ये सबसे ज़रूरी चीज़ है। इस सर्टिफिकेट के बिना कॉल रिकॉर्ड कोर्ट में मान्य नहीं होगा, चाहे वो पूरी तरह सही ही क्यों न हो। इस सर्टिफिकेट में होना चाहिए:
- किसने रिकॉर्ड तैयार किया
- रिकॉर्ड कैसे निकाला गया
- रिकॉर्ड निकालने वाला सिस्टम (जैसे कंप्यूटर) सही काम कर रहा था या नहीं
- और टेलिकॉम कंपनी के किसी ज़िम्मेदार अधिकारी के साइन
अगर ये सर्टिफिकेट नहीं है, तो कोर्ट कॉल रिकॉर्ड को सबूत के रूप में स्वीकार नहीं करेगा।
सीधी भाषा में: मोबाइल कॉल रिकॉर्ड कोर्ट में मान्य हो सकता है, लेकिन इसे सही तरीके से, टेलिकॉम कंपनी से और सर्टिफिकेट के साथ पेश करना जरूरी है। वरना आपकी मेहनत बेकार जा सकती है।
कॉल रिकॉर्डिंग को कोर्ट में पेश करने की प्रक्रिया
- डिजिटल फॉर्मेट में रिकॉर्डिंग: ऑडियो या वीडियो कॉल रिकॉर्डिंग को उसकी ओरिजिनल फाइल फॉर्मेट में पेश करें – जैसे MP3, WAV आदि।
- ट्रांसक्रिप्शन: कॉल का पूरा लिखित ट्रांसक्रिप्ट बनाएं ताकि कोर्ट आसानी से समझ सके कि बातचीत में क्या कहा गया।
- धारा 63 (4) का सर्टिफिकेट: यह एक अनिवार्य प्रमाण है जो बताता है कि डिजिटल रिकॉर्डिंग बिना छेड़छाड़ के ओरिजिनल डिवाइस से ली गई है।
CDR बनाम मोबाइल रिकॉर्डिंग
| पहलू | CDR | मोबाइल कॉल रिकॉर्डिंग |
| स्रोत | टेलिकॉम कंपनी | यूज़र द्वारा रिकॉर्ड किया गया |
| क्या दर्शाता है? | कॉल की तिथि, समय, अवधि आदि | कॉल की पूरी ऑडियो रिकॉर्डिंग |
| विश्वसनीयता | बहुत अधिक (कंपनी द्वारा प्रमाणित) | कोर्ट सत्यता की जांच करेगा |
अतः कोर्ट में CDR और कॉल रिकॉर्डिंग दोनों उपयोगी हैं, लेकिन ऑडियो रिकॉर्डिंग तब ही मानी जाएगी जब उसका स्रोत और सत्यता सिद्ध हो।
कॉल रिकॉर्ड (CDR) कौन दे सकता है?
कोई भी आम आदमी सीधे जाकर टेलिकॉम कंपनी (जैसे Airtel, Jio) से किसी और का कॉल रिकॉर्ड नहीं ले सकता। ऐसा करना ग़ैरकानूनी है, क्योंकि इसमें प्राइवेसी और डेटा की सुरक्षा का मामला होता है। आमतौर पर CDR तीन तरीकों से मिलता है:
- पुलिस को: जब कोई जांच चल रही हो और पुलिस के पास लिखित आदेश हो, तब वो टेलिकॉम कंपनी से CDR मंगा सकती है।
- कोर्ट के आदेश से: कोर्ट (मजिस्ट्रेट) CDR मंगवाने का आदेश दे सकता है।
- वकील के ज़रिए: अगर किसी केस में कॉल रिकॉर्ड ज़रूरी हो, तो वकील कोर्ट में अर्जी देकर CDR मंगवाने की इजाजत ले सकता है।
- जरूरी सावधानी: अगर कोई बिना इजाजत किसी का कॉल रिकॉर्ड लेता है या लीक करता है, तो वो कानूनन अपराध है और उस पर सज़ा हो सकती है।
वकील की भूमिका और विशेषज्ञ सहायता क्यों ज़रूरी है?
- वकील जानते हैं कि किस कोर्ट में किस तरह के सबूत स्वीकार्य होते हैं।
- सही प्रक्रिया से पेश करने से कॉल रिकॉर्डिंग आपकी केस की ताकत बन सकती है।
- तकनीकी प्रमाण को प्रोफेशनल सहायता से प्रस्तुत करना, उसकी वैधता बढ़ा सकता है।
मोहम्मद आरिफ @ अशफाक बनाम राज्य (दिल्ली), 2022 – सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि कोर्ट में किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सबूत (जैसे CDR) को मान्य करवाने के लिए इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 65B (4) / BSA की धारा 63 के तहत सर्टिफिकेट देना ज़रूरी है।
अगर ये सर्टिफिकेट नहीं दिया गया, तो चाहे टेलिकॉम कंपनी का आदमी आकर बोले कि रिकॉर्ड सही है, तब भी कोर्ट उस रिकॉर्ड को सबूत के तौर पर नहीं मानेगा।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट – अनिल कुमार उर्फ सेठू बनाम राज्य, 2025
इस केस में हत्या की साज़िश का आरोप था और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) को सबूत के तौर पर पेश किया गया था।
लेकिन कोर्ट ने कहा कि इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 65B / BSA की धारा 63 का सर्टिफिकेट नहीं था, इसलिए ये रिकॉर्ड कानूनी रूप से मान्य नहीं है। सबूत मान्य न होने की वजह से मुख्य आरोपी को बरी कर दिया गया (छोड़ दिया गया), क्योंकि कॉल रिकॉर्ड को कोर्ट ने नहीं माना।
निष्कर्ष
मोबाइल कॉल रिकॉर्ड (CDR) एक मज़बूत और भरोसेमंद सबूत हो सकता है — लेकिन तभी, जब इसे सही तरीके से कोर्ट में पेश किया जाए। भारतीय कानून, खासकर भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 63, बताती है कि डिजिटल सबूत कब मान्य होते हैं। कोर्ट इन नियमों को बहुत सख्ती से मानता है। अगर कोई गलती हुई, तो आपका सबूत खारिज भी हो सकता है। अगर आप या कोई जान-पहचान वाला ऐसे केस में है जिसमें कॉल रिकॉर्ड अहम साबित हो सकता है, तो:
- जल्दी एक्शन लें
- सही कानूनी प्रक्रिया अपनाएं
- ज़रूरी कागज़ात और सर्टिफिकेट पूरे करें
सही तरीके से इस्तेमाल करने पर, कॉल रिकॉर्ड से आप बेगुनाही साबित कर सकते हैं, किसी का झूठ पकड़ सकते हैं, या फिर कोई पारिवारिक/सिविल मामला सुलझा सकते हैं।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. क्या मैं किसी की कॉल बिना बताए रिकॉर्ड कर सकता हूँ?
अगर आप कॉल का हिस्सा हैं, तो अपनी बातचीत रिकॉर्ड करना आमतौर पर वैध है। लेकिन अगर आप कॉल में शामिल नहीं हैं, तो रिकॉर्डिंग गोपनीयता का उल्लंघन मानी जाएगी।
2. क्या WhatsApp कॉल रिकॉर्ड भी मान्य होती है?
हाँ, यदि रिकॉर्डिंग साफ़, बिना एडिटिंग के और ओरिजिनल फॉर्मेट में हो, और उसे भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 63 के सर्टिफिकेट के साथ पेश किया जाए तो मान्य है।
3. क्या केवल रिकॉर्डिंग से केस जीता जा सकता है?
रिकॉर्डिंग एक मजबूत साक्ष्य हो सकती है, लेकिन अकेले उस पर निर्भर रहना सही नहीं। अन्य सबूतों, गवाहों और कानूनी प्रक्रिया के साथ मिलकर ही केस मज़बूत होता है।
4. कॉल रिकॉर्ड को कैसे कोर्ट में पेश किया जाए?
रिकॉर्डिंग को उसकी ओरिजिनल ऑडियो फॉर्मेट में, उसका लिखित ट्रांसक्रिप्शन और धारा 63 के सर्टिफिकेट के साथ वकील के माध्यम से कोर्ट में पेश करना चाहिए।
5. क्या पुलिस मेरी कॉल रिकॉर्डिंग सबूत के रूप में ले सकती है?
अगर वह रिकॉर्डिंग केस से संबंधित है और पुलिस उचित कानूनी आदेश या अनुमति के तहत जांच कर रही है, तो वह उसे सबूत के रूप में इस्तेमाल कर सकती है।



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