आज की आर्थिक परिस्थितियों में कई लोग घर खरीदने, व्यापार शुरू करने या बच्चों की पढ़ाई जैसे सपनों को पूरा करने के लिए लोन लेते हैं। लेकिन जब इन लोन की किश्तें समय पर चुकाना मुश्किल हो जाता है, तब परेशानी और तनाव शुरू होता है।
लोन लेना जितना आसान होता है, उसकी किश्तें समय पर चुकाना कभी-कभी उतना ही कठिन हो जाता है। खासतौर पर तब जब व्यक्ति आर्थिक तंगी से गुजर रहा हो, जैसे नौकरी छूट जाना, व्यापार में घाटा, या किसी बीमारी की वजह से खर्च बढ़ जाना।
क्या लोन न चुकाने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है? हाँ, बैंक और वित्तीय संस्थाएं आपके खिलाफ कानून के तहत कदम उठा सकती हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप पूरी तरह से असहाय हैं। आपके भी अधिकार हैं, और कानून ने आपको सुरक्षा देने के प्रावधान बनाए हैं।
इस ब्लॉग में हम बताएंगे कि अगर आप लोन नहीं चुका पा रहे हैं तो आपके अधिकार क्या हैं, बैंक क्या कार्रवाई कर सकता है, और आप कानूनी रूप से किन विकल्पों का सहारा ले सकते हैं।
लोन डिफ़ॉल्ट क्या होता है?
लोन एक प्रकार की उधारी होती है जिसे आप किसी बैंक या वित्तीय संस्था से कुछ समय के लिए लेते हैं और तय समय पर ब्याज के साथ लौटाते हैं। इसके प्रकार हैं:
- पर्सनल लोन
- होम लोन
- बिजनेस लोन
- एजुकेशन लोन
- व्हीकल लोन
लोन चुकाने की शर्तें
- हर महीने किस्तें (EMI)
- इंटरेस्ट रेट
- चुकाने की अवधि (Tenure)
यदि इन शर्तों का पालन नहीं किया जाता, तो उधारकर्ता डिफॉल्टर माना जा सकता है।” लोन न चुकाना कोई आपराधिक अपराध नहीं है, लेकिन यह आपके लोन एग्रीमेंट का उल्लंघन है
अगर आप लोन की EMI या किस्त नहीं भर पाते, तो ये क्रिमिनल मामला नहीं है। यानी सिर्फ लोन ना चुकाने की वजह से आपको जेल नहीं होगी। लेकिन अगर आपने पेमेंट करने के लिए चेक दिया और वो बाउंस हो गया, तो फिर नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत आपके खिलाफ केस हो सकता है।
सिक्योर और अनसिक्योर लोन
- सिक्योर लोन जैसे होम लोन, कार लोन में कुछ गिरवी रखा जाता है, जैसे घर या गाड़ी। अगर आप लोन नहीं चुकाते, तो बैंक/लेंडर आपके उस घर या गाड़ी को जब्त करके बेच सकते हैं।
- अनसिक्योर लोन जैसे पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड लोन में कोई सिक्योरिटी नहीं होती। ऐसे मामलों में बैंक आपके खिलाफ सिविल कोर्ट में केस करते हैं, लेकिन आपकी संपत्ति को बिना अदालत की इजाजत के नहीं ले सकते।
सबसे पहले खुद को दोषी मानना बंद करें।
कर्ज़ न चुका पाने पर कई लोग शर्म या डर की वजह से चुप रह जाते हैं। यह हालात किसी के साथ भी हो सकते हैं। पहला कदम है स्थिति को स्वीकार करना और तुरंत समाधान ढूँढना।
बैंक से संवाद करें – भागें नहीं!
कई लोग बैंक के कॉल्स या नोटिस देखकर घबरा जाते हैं और बात करना बंद कर देते हैं। यह गलती हालात को और बिगाड़ सकती है।
- EMI नहीं दे पा रहे हैं? तुरंत बैंक की ब्रांच या कस्टमर केयर से बात करें।
- उन्हें स्थिति स्पष्ट करें: जैसे बीमारी, नौकरी जाना, कारोबार में नुकसान।
- लिखित में निवेदन करें: आप लोन री-स्ट्रक्चर करना चाहते हैं या किस्तों में थोड़ी राहत चाहते हैं।
- बैंक आपके इतिहास और स्थिति के आधार पर EMI घटा सकता है
- अस्थायी मोहलत (moratorium) दे सकता है: बैंक कुछ महीनों तक किस्त भरने से छूट दे सकता है, ताकि आपको आर्थिक रूप से राहत मिल सके। या लोन अवधि बढ़ा सकता है
SARFAESI एक्ट क्या कहता है?
अगर आपने लगातार 90 दिन तक EMI नहीं दी, तो आपका अकाउंट NPA (नॉन परफार्मिंग एसेट) घोषित हो सकता है।
बैंक क्या कर सकता है?
SARFAESI एक्ट 2002 के तहत बैंक आपके गिरवी रखी संपत्ति (जैसे घर, दुकान) को कब्जे में ले सकता है।
लेकिन ध्यान दें:
- इससे पहले बैंक को 60 दिन का नोटिस देना होता है।
- अगर आप नोटिस का जवाब नहीं देते, तभी बैंक संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।
- आप DRT (डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल) में अपील कर सकते हैं।
रिकवरी एजेंटों से डरने की ज़रूरत नहीं
कानून क्या कहता है:
- रिकवरी एजेंट आपको धमका नहीं सकते, न ही बदसलूकी कर सकते हैं।
- वे रात में या काम के समय जबरदस्ती कॉल नहीं कर सकते।
- RBI की गाइडलाइंस के तहत महिला उधारकर्ता के मामले में महिला एजेंट ही संपर्क कर सकती है।
अगर एजेंट दुर्व्यवहार करें:
- तुरंत बैंक को शिकायत करें।
- RBI के बैंकिंग ओम्बड्समैन या पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराएं।
क्या सेटलमेंट या समाधान संभव है?
हाँ! बैंक अक्सर लोन की पूरी रकम वसूल नहीं कर पाते, इसलिए वे कई बार “सेटलमेंट” का विकल्प देते हैं।
| समाधान | क्या होता है |
| वन-टाइम सेटलमेंट (OTS) | एकमुश्त राशि देकर मामला निपटाना |
| लोन री-स्ट्रक्चरिंग | EMI घटाना, समय बढ़ाना |
| क्रेडिट काउंसलिंग | NGO या संस्था से वित्तीय सलाह |
| इंसॉल्वेंसी | अगर देनदारी बहुत ज़्यादा है, तो कोर्ट के ज़रिए इंसॉल्वेंसी की कार्यवाही |
एक उधारकर्ता के रूप में आपके कानूनी अधिकार
1. गोपनीयता और इज्ज़त से व्यवहार पाने का हक
- बैंक या रिकवरी एजेंट आपको परेशान नहीं कर सकते।
- कॉल या विज़िट सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही होनी चाहिए।
- गाली-गलौज, धमकी या बार-बार रोज़ कॉल करना मना है।
- अगर कोई परेशान करे तो आप बैंक, RBI ओम्बड्समैन या कंज़्यूमर कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं।
2. पहले से जानकारी और जवाब देने का हक
- बैंक अगर आपकी गाड़ी या प्रॉपर्टी ज़ब्त करना चाहता है या कोर्ट जाने वाला है, तो उसे पहले से लिखित नोटिस देना होगा।
- आपको भी 15–30 दिनों के अंदर अपनी आपत्ति लिखित में देने का हक है।
- बैंक को आपका जवाब सुनकर जवाब देना ज़रूरी है।
3. सही तरीके से संपत्ति का मूल्यांकन करवाने का हक
अगर बैंक आपकी संपत्ति बेचने वाला है, तो पहले उसका ईमानदारी से मूल्यांकन होना चाहिए। ये काम किसी स्वतंत्र एक्सपर्ट से करवाना होता है। आप उस रिपोर्ट की कॉपी मांग सकते हैं, और अगर कीमत बहुत कम लगे तो आपत्ति भी दर्ज करा सकते हैं।
4. ज़्यादा पैसे मिलने पर बाकी रकम वापिस पाने का हक
अगर बैंक ने आपकी प्रॉपर्टी बेच दी और उससे लोन से ज़्यादा पैसा मिल गया, तो लोन, ब्याज और खर्चे काटने के बाद बची रकम आपको वापिस मिलनी चाहिए।
5. कर्ज वसूली ट्राइब्यूनल (DRT) में अपील का हक
अगर बैंक ने आपकी संपत्ति कब्ज़े में लेने का नोटिस दिया है, तो आप 45 दिनों के अंदर DRT में अपील कर सकते हैं। DRT बैंक की कार्रवाई पर रोक लगा सकता है, लेकिन आपको कुछ रकम जमा करनी पड़ सकती है। अगर संपत्ति बेचने का नोटिस आ गया है, तब भी आप अपील कर सकते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें
डॉक्युमेंटेशन रखें:
- बैंक के सभी नोटिस, पत्र, ईमेल, SMS सुरक्षित रखें।
- कोई बात कहनी है तो लिखित में दें, मौखिक बातों पर भरोसा न करें।
जानकार से सलाह लें:
- फ्री कानूनी सहायता केंद्र उपलब्ध हैं।
- किसी वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट, या क्रेडिट काउंसलर से मिलें।
CIBIL स्कोर पर असर:
- डिफॉल्ट से आपका CIBIL स्कोर गिरता है।
- अगली बार लोन लेना मुश्किल हो सकता है, इसलिए सेटलमेंट लेते वक्त “Closed” या “Settled” स्टेटस पर ध्यान दें।
सेलिर LLP बनाम बाफना मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर बैंक ने आपकी प्रॉपर्टी की नीलामी का नोटिस सार्वजनिक रूप से जारी कर दिया है, तो उसके बाद आप लोन चुकाकर संपत्ति वापिस नहीं ले सकते।
मतलब: आपको अपनी संपत्ति बचाने के लिए नीलामी का नोटिस निकलने से पहले ही कार्रवाई करनी होगी। नीलामी की प्रक्रिया शुरू होने के बाद, आप उसे रोक नहीं सकते, चाहे आप पूरी रकम चुकाने को तैयार हों। यह फैसला बताता है कि अब समय की पाबंदी और भी सख्त हो गई है।
स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर बनाम मैथ्यू के.सी, 2018
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला 2018 का है, लेकिन आज भी यह SARFAESI कानून के सही इस्तेमाल और कोर्ट में जाने की प्रक्रिया को लेकर बहुत जरूरी है।
फैसला क्या कहता है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर SARFAESI कानून के तहत आपके पास पहले से ही कानूनी रास्ता खुला है, जैसे कि DRT में अपील करना, तो आपको सीधे हाई कोर्ट नहीं जाना चाहिए।
मतलब: अगर बैंक ने आपकी संपत्ति जब्त करने का नोटिस दिया है, तो पहले आप DRT में अपील करें। सीधे हाई कोर्ट जाना उचित नहीं माना जाएगा।
ICICI बैंक बनाम शांति देवी शर्मा (दिल्ली हाई कोर्ट, 2008)
केस में क्या हुआ? इस केस में बैंक ने अपने रिकवरी एजेंट्स के ज़रिए कर्ज वसूलने के लिए महिला पर बहुत ज्यादा दबाव डाला, उसे डराया, धमकाया और मानसिक रूप से परेशान किया।
कोर्ट का फैसला: कोर्ट ने साफ कहा कि कर्ज वसूली के नाम पर किसी को डराना, धमकाना या मारपीट करना पूरी तरह से गलत और गैरकानूनी है।
कोर्ट ने ICICI बैंक को महिला को मुआवज़ा देने का आदेश दिया।
नतीजा:
- इस केस के बाद कोर्ट ने बताया कि रिकवरी एजेंट्स की कुछ सीमाएं होनी चाहिए।
- इसके बाद RBI ने साफ दिशा-निर्देश जारी किए, जिससे कि कोई एजेंट किसी ग्राहक को परेशान न कर सके।
निष्कर्ष
लोन चुकाना आपकी जिम्मेदारी है, लेकिन कभी-कभी हालात आपके काबू से बाहर हो सकते हैं। ऐसे समय में डरने या छिपने की बजाय, सही जानकारी और समय पर सही कदम उठाकर आप स्थिति को संभाल सकते हैं। ध्यान रखें, डिफॉल्टर होना अपराध नहीं है, और आपके पास अपने अधिकार और कानूनी संरक्षण दोनों मौजूद हैं।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. अगर मैंने लोन की किस्त चुकाने में देरी की है तो बैंक क्या कर सकता है?
बैंक नोटिस भेजेगा, क्रेडिट स्कोर घटेगा, और फिर कानूनी प्रक्रिया शुरू हो सकती है।
2. क्या लोन चुकाने के लिए बैंक से पुनर्गठन की मांग की जा सकती है?
हाँ, आप EMI कम करने, ब्याज दर घटाने या अवधि बढ़ाने का अनुरोध कर सकते हैं।
3. क्या लोन का बकाया पूरी तरह से माफ हो सकता है?
पूरा नहीं, लेकिन बैंक से समझौता करके कुछ हिस्सा माफ करवाया जा सकता है।
4. लोन पर ब्याज बढ़ने से मुझे क्या कानूनी उपाय मिल सकते हैं?
RBI की गाइडलाइन और उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज की जा सकती है।
5. क्या मुझे लोन न चुकाने पर जेल हो सकती है?
नहीं, सिर्फ डिफॉल्ट पर नहीं। लेकिन धोखाधड़ी या फर्जीवाड़े में जेल संभव है।



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