लिव-इन-रिलेशनशिप में क्या लड़की रेप का केस कर सकती है? जानिए कानून की सच्चाई

Can a girl file a rape case in a live-in relationship Know the truth of the law

लिव-इन-रिलेशनशिप अब सिर्फ मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह रिश्ता छोटे शहरों में भी आम होता जा रहा है। लेकिन इससे जुड़े कई कानूनी और सामाजिक सवाल सामने आते हैं – जैसे:

  • क्या लिव इन में रहने के लिए कोई सर्टिफिकेट होता है?
  • क्या ब्रेकअप के बाद लड़की मेंटिनेंस मांग सकती है?
  • क्या लड़की लड़के पर रेप का केस कर सकती है?

लिव-इन-रिलेशनशिप क्या होता है?

जब दो बालिग और स्वतंत्र व्यक्ति शादी किए बिना एक साथ रहते हैं, तो उसे लिव-इन-रिलेशनशिप कहते हैं। इसमें कोई कानूनी बाध्यता या वैवाहिक अधिकार नहीं होते। यह सिर्फ सहमति और समझदारी पर आधारित होता है।

क्या लिव-इन के लिए कोई सर्टिफिकेट होता है?

नहीं। लिव-इन-रिलेशनशिप के लिए कोई सरकारी या कानूनी सर्टिफिकेट नहीं होता।

कई बार फ्रॉड लोग नोटरी पेपर पर समझौता बनवाकर “लिव-इन वैध हो गया” कहकर ठगते हैं – यह पूरी तरह फर्जी है।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

क्या लिव-इन के लिए कोई कानून है?

भारत में लिव-इन को लेकर कोई विशेष कानून नहीं है। लेकिन कोर्ट ने कई फैसलों में इसे मान्यता दी है।

हालांकि, अब ये संबंध घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत लाए जा सकते हैं – विशेष रूप से अगर महिला के साथ हिंसा हो रही हो।

लिव-इन-रिलेशनशिप की कानूनी शर्तें

  • दोनों व्यक्ति बालिग हों (लड़की – 18, लड़का – 21 वर्ष)
  • दोनों अविवाहित हों, या विधुर/तलाकशुदा हों
  • सहमति से साथ रहना
  • धोखाधड़ी न हो

अन्यथा यह संबंध एडल्टरी (व्यभिचार) या अपराध की श्रेणी में आ सकता है।

अगर लिव-इन में रहते हुए बच्चा हो जाए?

ऐसे बच्चे को पूरी तरह कानूनी अधिकार मिलते हैं:

  • पिता का नाम
  • माता-पिता की संपत्ति में हक
  • सामाजिक मान्यता
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लेकिन यह रिश्ता फिर भी विवाहित संबंध नहीं माना जाएगा।

क्या लड़की मांग सकती है मेंटिनेंस?

नहीं। लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को पत्नी का दर्जा नहीं दिया जाता, इसलिए उसे मेंटिनेंस नहीं मिलती।

लेकिन यदि:

  • उसके साथ मारपीट, शोषण या क्रूरता हुई हो
  • रिश्ता लंबे समय से रहा हो

तो वह घरेलू हिंसा कानून के तहत शिकायत कर सकती है और सुरक्षा या निवास अधिकार की मांग कर सकती है।

क्या लड़की लड़के पर रेप का आरोप लगा सकती है?

सामान्यतः नहीं। लिव-इन-रिलेशनशिप की बुनियाद ही आपसी सहमति और शारीरिक संबंध पर होती है।

ऐसे में जब तक लड़की की सहमति हो, BNS धारा 63 के तहत रेप का केस नहीं बनता।

लेकिन अपवाद क्या हैं?

  • अगर लड़की को शादी का झांसा देकर संबंध बनाए गए हों
  • और बाद में लड़के ने शादी करने से इंकार कर दिया हो
  • तथा लड़की ने इस पर विश्वास कर सहमति दी हो

तो कोर्ट उस स्थिति को रेप मान सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, “अगर सहमति धोखे से ली गई हो तो वह सहमति नहीं मानी जाती।”

क्या लिव-इन-रिलेशन में ब्रेकअप के बाद कोई कानूनी कार्रवाई हो सकती है?

यदि लड़की के साथ हिंसा, धमकी या धोखाधड़ी हुई है, तो वह शिकायत कर सकती है।
घरेलू हिंसा कानून का सहारा ले सकती है

लेकिन पति-पत्नी जैसे संपत्ति या मेंटिनेंस के अधिकार उसे नहीं मिलते।

निष्कर्ष: 

रिश्ते का आजाद लेकिन कानूनी चेहरा

  • लिव-इन-रिलेशन आजाद और सहमति पर आधारित रिश्ता है
  • लेकिन इसके कानूनी परिणाम गंभीर हो सकते हैं
  • किसी भी निर्णय से पहले कानून की जानकारी लें और धोखाधड़ी से बचें
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सलाह: लिव-इन में जाने से पहले एक बार वकील या कानून विशेषज्ञ से सलाह ज़रूर लें।

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FAQs 

1. क्या लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने के लिए कोई कानूनी सर्टिफिकेट होता है?

नहीं, भारत में लिव-इन-रिलेशनशिप के लिए कोई कानूनी सर्टिफिकेट नहीं होता है। यह सिर्फ दो बालिग लोगों का आपसी सहमति पर आधारित रिश्ता होता है। यदि कोई व्यक्ति नोटरी एग्रीमेंट को “कानूनी मान्यता” का रूप बता रहा है, तो वह धोखा है।

2. क्या लिव-इन-रिलेशनशिप में लड़की लड़के पर रेप का आरोप लगा सकती है?

सामान्यतः नहीं, क्योंकि लिव-इन संबंध आपसी सहमति पर आधारित होते हैं। लेकिन यदि लड़की को शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए गए और बाद में शादी से इनकार किया गया, तो यह BNS की धारा 63 के अंतर्गत रेप माना जा सकता है।

3. क्या लिव-इन में रहने वाली लड़की ब्रेकअप के बाद मेंटिनेंस की मांग कर सकती है?

नहीं, लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को पत्नी का कानूनी दर्जा नहीं मिलता, इसलिए वह पत्नी के समान मेंटिनेंस नहीं मांग सकती। हालांकि अगर उसके साथ घरेलू हिंसा हुई हो, तो वह Protection of Women from Domestic Violence Act के तहत सुरक्षा, निवास और मुआवज़ा की मांग कर सकती है।

4. अगर लिव-इन रिलेशनशिप में बच्चा हो जाए तो उसके क्या अधिकार होते हैं?

ऐसे बच्चे को पिता का नाम, सामाजिक मान्यता और संपत्ति में हक मिलता है। सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों के अनुसार, लिव-इन में जन्मे बच्चों को शादीशुदा बच्चों के बराबर अधिकार दिए जाते हैं, खासकर उत्तराधिकार में।

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5. क्या लिव-इन-रिलेशनशिप के लिए दोनों लोगों का अविवाहित होना जरूरी है?

हां, दोनों का अविवाहित, तलाकशुदा या विधुर/विधवा होना अनिवार्य है। यदि कोई व्यक्ति विवाह में रहते हुए लिव-इन में आता है, तो यह एडल्ट्री (व्यभिचार) माना जा सकता है और कानूनन अपराध भी बन सकता है।

6. क्या लिव-इन-रिलेशनशिप को विवाह का दर्जा मिल सकता है?

लिव-इन-रिलेशनशिप को स्वतः विवाह का दर्जा नहीं मिलता। लेकिन अगर संबंध लंबे समय तक चला हो, दोनों सार्वजनिक रूप से पति-पत्नी की तरह रहे हों, और सामाजिक मान्यता हो, तो कोर्ट कुछ मामलों में इसे “वैवाहिक संबंध” मान सकता है।

7. क्या लिव-इन से अलग होने पर तलाक की प्रक्रिया अपनानी पड़ती है?

नहीं, क्योंकि लिव-इन-रिलेशनशिप कानूनी विवाह नहीं है, इसलिए तलाक की प्रक्रिया लागू नहीं होती। दोनों व्यक्ति अपनी मर्जी से रिश्ता खत्म कर सकते हैं।

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