क्या व्हाट्सएप चैट को मैट्रिमोनियल डिस्प्यूट में इस्तेमाल कर सकते हैं? – जानिए कानून क्या कहता है?

Can WhatsApp chats be used in matrimonial disputes – What the law says

आजकल पति-पत्नी और परिवार के लोग ज़्यादातर बात-चीत व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक मैसेंजर और SMS पर करते हैं। प्यार भरे मैसेज हों, झगड़े हों या एक-दूसरे पर लगाए गए आरोप, सब कुछ चैट में सुरक्षित रह जाता है। यही डिजिटल चैट कई बार कोर्ट में जाकर किसी केस को मज़बूत या कमजोर करने का बड़ा आधार बन जाती है।

मैट्रिमोनियल मामलों में झगड़े ज़्यादातर घर के अंदर होते हैं, इसलिए सबूत मिलना मुश्किल होता है। ऐसे में व्हाट्सएप चैट बहुत काम आती है, यह बताती हैं कि पति-पत्नी के बीच बात-चीत कैसी थी, कोई धमकी दी गई थी या नहीं, क्या अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल हुआ, या किसी तीसरे व्यक्ति से अनुचित बातचीत चल रही थी।

लेकिन असली सवाल यह है:

  • क्या व्हाट्सएप चैट सच में अदालत में “सबूत” मानी जाती हैं?
  • कौन-सी चैट कोर्ट अपनाती है और कौन-सी खारिज कर देती है?
  • क्या बिना अनुमति किसी की चैट निकाली जा सकती है?

यह ब्लॉग संक्षेप में समझाता है कि व्हाट्सएप चैट कब सबूत बनती है, उसकी क्या कानूनी वैल्यू होती है, और पति-पत्नी को चैट इस्तेमाल करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

क्या व्हाट्सएप चैट भारत में सबूत मानी जाती है?

हाँ, व्हाट्सएप चैट अदालत में सबूत के रूप में मान्य होती है।

भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अनुसार व्हाट्सएप चैट एक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड है और इसे अदालत स्वीकार कर सकती है, जैसे—

  • व्हाट्सएप चैट
  • स्क्रीनशॉट
  • वॉइस नोट
  • फोटो / वीडियो
  • व्हाट्सएप पर भेजे गए डॉक्यूमेंट
  • कॉल लॉग

लेकिन याद रखें: चैट असली, सही और बिना बदली हुई होनी चाहिए। अदालत व्हाट्सएप चैट को इन मामलों में सबूत के रूप में मानती है:

  • तलाक के केस
  • दहेज उत्पीड़न
  • घरेलू हिंसा
  • मेंटेनेंस (नफ्सा माँग)
  • चाइल्ड कस्टडी
  • एलिमनी विवाद
  • एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के आरोप
  • मानसिक क्रूरता के मामले

व्हाट्सएप चैट मैट्रिमोनियल मामलों में कब उपयोगी होती है?

1. क्रूरता/मानसिक उत्पीड़न: व्हाट्सएप चैट क्रूरता साबित करने में उपयोगी होती है, जब संदेशों में गाली, धमकी, अपमान, या बार-बार ब्लॉक करके परेशान करने जैसा व्यवहार दिखे, जिससे मानसिक तनाव साबित किया जा सके।

2. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर: अगर चैट में किसी तीसरे व्यक्ति से रोमांटिक बातचीत, देर रात की चैट, अनुचित मैसेज या पैसे के लेनदेन के संकेत मिलें, तो यह एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का मजबूत डिजिटल सबूत बन सकता है।

3. चाइल्ड कस्टडी: चाइल्ड कस्टडी में चैट तब सबूत बनती है जब उसमें बच्चे से दूरी, बात न करना, उसे छोड़ देना या उसकी जरूरतें नजरअंदाज़ करने जैसा व्यवहार दिखे, जिससे पैरेंट की लापरवाही साबित हो।

इसे भी पढ़ें:  क्या 2023 में सरकार द्वारा लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाई जा सकती है?

4. मेंटेनेंस/पैसे का विवाद: मेंटेनेंस मामलों में चैट तब महत्वपूर्ण होती है जब उसमें आय स्वीकारना, प्रॉपर्टी या बिज़नेस की चर्चा, खर्च उठाने से मना करना या आर्थिक जिम्मेदारी से बचने जैसी बातें लिखित रूप में मिलें।

5. घरेलू हिंसा: घरेलू हिंसा मामलों में धमकी भरे संदेश, बदसलूकी की भाषा, कंट्रोलिंग व्यवहार या बार-बार डराने वाले मैसेज व्हाट्सएप चैट के रूप में मजबूत डिजिटल सबूत बनकर पीड़ित के आरोपों को समर्थन देते हैं।

कब व्हाट्सएप चैट कोर्ट में सबूत नहीं मानी जाती?

  • अगर स्क्रीनशॉट एडिट किए गए हों: कटे-फटे या बदले हुए स्क्रीनशॉट कोर्ट मानता नहीं।
  • अगर मैसेज फॉरवर्डेड हों: फॉरवर्ड मैसेज आपके पति/पत्नी के व्यवहार का सबूत नहीं बनते।
  • अगर धारा 63 के तहत सर्टिफिकेट न हो: सिर्फ स्क्रीनशॉट दिखाना काफी नहीं, बिना सर्टिफिकेट सबूत अक्सर रिजेक्ट हो जाता है।
  • अगर चैट का केस से कोई लेना-देना न हो: जो चैट मुद्दे से जुड़ी नहीं, उसकी कोई वैल्यू नहीं।
  • अगर चैट गैरकानूनी तरीके से ली गई हो: जैसे किसी के फोन में चोरी-छुपे घुसकर चैट निकालना—कोर्ट ऐसे सबूत को मानने से मना कर सकता है।

भारतीय साक्ष्य अधिनयम (BSA) की धारा 63 क्या कहती है?

धारा 63 के तहत सर्टिफिकेट यह बताता है कि चैट सही तरह से निकाली गई है, उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया, किस डिवाइस से निकाली गई और किसने निकाली। बिना इस सर्टिफिकेट के कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक सबूत को स्वीकार नहीं करता।

कौन सर्टिफिकेट दे सकता है?

  • आप खुद
  • साइबर एक्सपर्ट
  • वकील
  • वह व्यक्ति जिसने मोबाइल से बैकअप निकाला

सर्टिफिकेट में क्या-क्या होना चाहिए?

  • मोबाइल मॉडल
  • व्हाट्सएप वर्जन
  • चैट निकालने की तारीख/समय
  • सर्टिफिकेट देने वाले व्यक्ति का नाम/डिटेल
  • यह घोषणा कि डेटा असली है और बदला नहीं गया

अर्जुन पंडितराव खोतकर बनाम कैलाश गोरंट्याल (2020) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सबूत को अदालत में मान्य करने के लिए 65B इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872 (अब भारतीय साक्ष्य अधिनयम 2023 की धारा 63) सर्टिफिकेट ज़रूरी है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर 65B सर्टिफिकेट नहीं है, तो व्हाट्सएप मैसेज जैसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को सबूत नहीं माना जाएगा।

राकेश कुमार सिंगला बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया (2021) इस केस में पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कुछ व्हाट्सएप चैट को सबूत की तरह पेश किया। लेकिन उन्होंने इन चैट्स के साथ 65B सर्टिफिकेट नहीं दिया। कोर्ट ने कहा कि बिना इस सर्टिफिकेट के व्हाट्सएप चैट कानूनन मान्य नहीं मानी जा सकती।

इसे भी पढ़ें:  कॉन्ट्रैक्ट ब्रीच होने पर क्या करें? – जानिए नुकसान की भरपाई के कानूनी उपाय

इसी वजह से पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने आरोपी को बेल दे दी, क्योंकि सबूत अधूरे और तकनीकी रूप से गलत थे। इस केस ने साफ कर दिया कि

  • व्हाट्सएप चैट तभी सबूत मानी जाएगी जब उसके साथ 65B सर्टिफिकेट होगा।
  • बिना सर्टिफिकेट डिजिटल सबूतों पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

क्या डिलीट की गई व्हाट्सएप चैट वापस निकाली जा सकती है?

हाँ, कई बार डिलीट चैट भी वापस मिल सकती है। कोर्ट के लिए यह काम तकनीकी तरीके से किया जाता है।

कैसे रिकवर होती है?

  • फॉरेंसिक एक्सपर्ट डेटा को स्पेशल सॉफ्टवेयर से रिकवर कर सकते हैं।
  • साइबर पुलिस लैब मोबाइल से डिलीट चैट निकाल सकती है।
  • गूगल ड्राइव बैकअप से भी पुरानी चैट मिल सकती है (अगर पहले से बैकअप ऑन था)।
  • iCloud बैकअप से भी iPhone की चैट निकल सकती है।

रिकवर हुई चैट को भी कोर्ट में मान्यता तभी मिलेगी जब BSA की धारा 63 के तहत सर्टिफिकेट दिया जाएगा।

अगर पति/पत्नी चैट को मानने से इंकार कर दे तो क्या होगा?

भले ही आपका जीवनसाथी चैट को “फर्जी” या “गलत” कहे, तब भी कोर्ट चैट की सच्चाई जांच सकता है।

कोर्ट कैसे चैट की असलियत चेक करता है?

  • फॉरेंसिक जांच करके पता लगाया जाता है कि चैट असली है या नहीं।
  • IP एड्रेस ट्रेसिंग से पता चलता है कि मैसेज कहां से भेजे गए थे।
  • फोन क्लोनिंग से असली फोन का डेटा कॉपी कर मैच किया जाता है।
  • मेटाडेटा एनालिसिस (तारीख, समय, फाइल डिटेल) से सच्चाई निकल सकती है।
  • कभी–कभी कोर्ट व्हाट्सएप से सर्वर लॉग भी मांग सकता है (लेकिन यह बहुत rare है)।

क्या व्हाट्सएप वॉइस नोट, फोटो और वीडियो भी सबूत बन सकते हैं?

हाँ, यह सभी इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस की श्रेणी में आते हैं और कोर्ट इन्हें स्वीकार कर सकता है।

कब स्वीकार किए जाते हैं?

  • जब ऑरिजिनल कॉपी मौजूद हो (जैसे फोन से सीधा निकाला गया डेटा) ।
  • जब मेटाडेटा (तारीख, समय, फाइल डिटेल) सही-सलामत हो।
  • जब इनके साथ BSA की धारा 63 के तहत सर्टिफिकेट भी दिया गया हो।

क्या जीवनसाथी के फोन से बिना बताए चैट लेना गैरकानूनी है?

हाँ, अगर आप चुपके से उनके फोन में घुसकर चैट निकालते हैं, तो यह कानून के अनुसार गलत है।

यह क्यों गलत माना जाता है?

  • यह निजता का उल्लंघन है।
  • IT एक्ट के तहत इसे हैकिंग या अनधिकृत एक्सेस माना जा सकता है।
  • ऐसी गैरकानूनी तरीके से ली गई चैट को कोर्ट सबूत के तौर पर खारिज कर सकता है।
इसे भी पढ़ें:  क्या कोई व्यक्ति सरकारी ऑपरेशन के नाम पर ट्रेडमार्क करा सकता है? जानिए कानून क्या कहता है

लेकिन कब चैट मान्य है?

  • अगर चैट आपके साथ स्वयं शेयर की गई हो, तो वह वैध है।
  • अगर चैट सामान्य उपयोग के दौरान आपके सामने आई हो, तो भी मान्य होती है।
  • अगर चैट किसी लीगल बैकअप से मिली हो, तो वह भी स्वीकार की जा सकती है।

निष्कर्ष

आज के समय में शादी-शुदा रिश्तों में बातचीत का बड़ा हिस्सा मोबाइल और व्हाट्सएप पर होता है। अदालतें भी इसे समझती हैं और व्हाट्सएप चैट को सबूत मानती हैं—लेकिन सिर्फ तभी, जब उन्हें सही तरीके से पेश किया जाए।

सिर्फ व्हाट्सएप चैट से केस नहीं जीता जा सकता। लेकिन अगर चैट असली हो, सही तरह से निकाली गई हो, और उसके साथ BSA की धारा 63 के तहत सर्टिफिकेट भी हो, तो यह आपके केस को बहुत मज़बूत बना देती है।

टेक्नोलॉजी चाहे कितनी भी बदल जाए, अदालत में वही सबूत माना जाता है जो साफ, असली और सही तरीके से प्रमाणित हो।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

1. क्या व्हाट्सएप चैट तलाक के केस में सबूत मानी जाती है?

हाँ, व्हाट्सएप चैट सबूत मानी जा सकती है, अगर उसके साथ BSA की धारा 63 के तहत सर्टिफिकेट हो और चैट असली साबित हो सके।

2. क्या सिर्फ व्हाट्सएप स्क्रीनशॉट देकर केस जीता जा सकता है?

नहीं, सिर्फ स्क्रीनशॉट पर्याप्त नहीं होते। बिना BSA की धारा 63 के तहत सर्टिफिकेट के अधिकतर अदालतें ऐसे स्क्रीनशॉट को सबूत नहीं मानतीं।

3. क्या डिलीट की गई व्हाट्सएप चैट कानूनी केस में वापस मिल सकती है?

हाँ, साइबर विशेषज्ञ या फॉरेंसिक टीम डिलीट हुई चैट को रिकवर कर सकती है। ऐसी चैट भी धारा 63 सर्टिफिकेट के साथ ही मान्य होती है।

4. क्या व्हाट्सएप चैट से क्रूरता साबित हो सकता है?

हाँ, अगर चैट में गाली-गलौज, धमकी, अपमान या मानसिक प्रताड़ना दिखती हो, तो इसे मानसिक क्रूरता साबित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

5. क्या पति/पत्नी की व्हाट्सएप चैट चोरी-छिपे देखना गैर-कानूनी है?

हाँ, बिना अनुमति फोन में झाँकना प्राइवेसी का उल्लंघन है और IT एक्ट के तहत गलत माना जाता है। ऐसे चैट कोर्ट अक्सर स्वीकार नहीं करती।

Social Media