जब आप प्रॉपर्टी बेचने के बारे में सोचते हैं, तो आपके दिमाग में कार, घर या ज़मीन आती होगी। लेकिन आज के समय में आपका ब्रांड नाम और पहचान भी उतनी ही कीमती होती है। एक ट्रेडमार्क – चाहे वह आपका लोगो हो, नाम हो, टैगलाइन हो या कोई खास आवाज़ – आपके बिज़नेस की पहचान है। ग्राहक आपके ट्रेडमार्क को भरोसे, क्वालिटी और साख से जोड़ते हैं।
अब सोचिए, अगर आप उस ब्रांड को इस्तेमाल करना बंद कर दें, या आपने ऐसा ब्रांड बनाया हो जिसे कोई और इस्तेमाल करना चाहता है, तो क्या आप उसे बेच सकते हैं? हाँ। भारत का कानून ट्रेडमार्क को बेचने या ट्रांसफर करने की इजाज़त देता है। इसे लीगल भाषा में “ट्रेडमार्क असाइनमेंट” कहा जाता है।
इस ब्लॉग में हम आपको समझाएँगे कि ट्रेडमार्क बेचने या ट्रांसफर करने की प्रक्रिया क्या है और इसमें आपके क्या अधिकार हैं।
ट्रेडमार्क असाइनमेंट क्या है?
ट्रेडमार्क्स एक्ट, 1999 के तहत, ट्रेडमार्क को बौद्धिक संपत्ति (Intellectual Property) माना जाता है। जैसे घर या ज़मीन खरीदी-बेची जा सकती है, वैसे ही ट्रेडमार्क भी:
- खरीदा जा सकता है
- बेचा जा सकता है
- विरासत में मिल सकता है
- लाइसेंस पर दिया जा सकता है
यानि, आपका ट्रेडमार्क सिर्फ़ एक नाम नहीं है, बल्कि आपके बिज़नेस की कीमती संपत्ति है।
ट्रेडमार्क असाइनमेंट का मतलब है, अपने ट्रेडमार्क के मालिकाना हक़ को किसी और को बेचना या ट्रांसफर करना। ट्रेडमार्क्स एक्ट, 1999 की धारा 37 के तहत, ट्रेडमार्क का मालिक अपने ट्रेडमार्क को बेचने या ट्रांसफर करने का कानूनी अधिकार रखता है।
जो व्यक्ति इसे खरीदता है, वही नया कानूनी मालिक बन जाता है और उसका नाम ट्रेडमार्क रजिस्टर में दर्ज हो जाता है। यह ट्रांसफर सभी प्रोडक्ट्स/सर्विसेज़ के लिए हो सकता है या फिर सिर्फ़ कुछ प्रोडक्ट्स/सर्विसेज़ के लिए।
ट्रेडमार्क बेचने का क्या कारण हो सकता है?
कई बार बिज़नेस ओनर अलग-अलग कारणों से अपना ट्रेडमार्क बेचने का फैसला करते हैं, जैसे:
- बिज़नेस बंद होना – अगर बिज़नेस बंद हो गया है, तो ट्रेडमार्क बेचकर भी पैसा कमाया जा सकता है।
- रीब्रांडिंग – कंपनियाँ नाम या लोगो बदलती हैं और पुराना ट्रेडमार्क बेच देती हैं।
- आर्थिक फायदा – मज़बूत और मशहूर ट्रेडमार्क अच्छी कीमत पर बिकते हैं।
- मर्जर या एक्विज़िशन – जब कंपनियाँ मर्ज होती हैं, तो ट्रेडमार्क भी नई कंपनी को ट्रांसफर हो जाता है।
- अनयूज़्ड ट्रेडमार्क –कंपनियाँ कई नाम/लोगो रजिस्टर कर लेती हैं और बाद में इस्तेमाल न होने वाले बेच देती हैं।
ट्रेडमार्क असाइनमेंट के प्रकार
कम्पलीट असाइनमेंट (Complete Transfer)
- इसमें ट्रेडमार्क के सभी अधिकार पूरी तरह से बेचने वाले (Seller) से खरीदने वाले (Buyer) को मिल जाते हैं।
- यानि अब पुराने मालिक का उस ब्रांड पर कोई हक़ नहीं रहता।
- उदाहरण: अगर Tata Tea अपनी “Tata Gold” ब्रांड किसी दूसरी कंपनी को बेच दे, तो अब “Tata Tea” का इस ब्रांड पर कोई अधिकार नहीं रहेगा।
पार्शियल असाइनमेंट (Partial Transfer)
- इसमें ट्रेडमार्क के अधिकार केवल कुछ विशेष प्रोडक्ट्स या सर्विसेज़ के लिए ट्रांसफर किए जाते हैं।
- यानि बाकी प्रोडक्ट्स के लिए पुराने मालिक के पास अधिकार बने रहते हैं।
- उदाहरण: अगर किसी कंपनी के पास “Lotus” नाम का ट्रेडमार्क साबुन और कॉस्मेटिक्स दोनों के लिए है, तो वह इसे सिर्फ़ साबुन के लिए बेच सकती है और कॉस्मेटिक्स के लिए अपने पास रख सकती है।
गुडविल के साथ असाइनमेंट (Assignment with Goodwill)
- इसमें न सिर्फ़ ट्रेडमार्क बल्कि उसके साथ जुड़ी गुडविल (प्रतिष्ठा, विश्वास, और ग्राहक वफादारी) भी ट्रांसफर हो जाती है।
- यानि नए मालिक को सिर्फ़ नाम ही नहीं, बल्कि उस ब्रांड की पुरानी पहचान और ग्राहक विश्वास भी मिल जाता है।
- उदाहरण: किसी फेमस रेस्टोरेंट ब्रांड को उसकी पूरी पहचान और गुडविल के साथ बेचना।
गुडविल के बिना असाइनमेंट (Gross Assignment)
- इसमें ट्रेडमार्क तो बेचा जाता है, लेकिन खरीदार उसे उसी बिज़नेस लाइन में इस्तेमाल नहीं कर सकता।
- यानि नए मालिक को नाम का इस्तेमाल करने का अधिकार तो मिलेगा, लेकिन पुरानी इंडस्ट्री में नहीं।
- उदाहरण: अगर कोई सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांड अपना नाम बेचता है, तो खरीदार उस नाम का इस्तेमाल कपड़े बनाने में कर सकता है, लेकिन ड्रिंक्स के लिए नहीं।
क्या अनरजिस्टर्ड ट्रेडमार्क को बेचा जा सकता है?
ट्रेडमार्क एक्ट, 1999 की धारा 39 के तहत अनरजिस्टर्ड ट्रेडमार्क भी बेचा या ट्रांसफर किया जा सकता है। लेकिन इसमें एक बड़ा अंतर है:
- रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क कानूनी रूप से ज्यादा मजबूत होता है और ट्रांसफर करना आसान होता है।
- अनरजिस्टर्ड ट्रेडमार्क को बेच सकते हैं, लेकिन भविष्य में अगर विवाद हुआ तो खरीदार के लिए मालिकाना हक़ साबित करना मुश्किल हो सकता है।
- इसलिए हमेशा पहले ट्रेडमार्क रजिस्टर कराना बेहतर है, फिर बेचें या असाइन करें, ताकि ट्रांसफर कानूनी रूप से मजबूत और सुरक्षित हो।
भारत में ट्रेडमार्क बेचने की प्रक्रिया क्या है?
- एग्रीमेंट बनाना: सबसे पहले बेचने वाला और खरीदने वाला लिखित असाइनमेंट एग्रीमेंट बनाते हैं। इसमें यह साफ लिखा होता है कि ट्रेडमार्क किसे बेचा जा रहा है, कौन-कौन से अधिकार ट्रांसफर होंगे, और किसी भी तरह की शर्तें क्या होंगी।
- रजिस्ट्रार के पास आवेदन करना: इसके बाद ट्रेडमार्क ऑफिस में फॉर्म TM-P दाखिल किया जाता है। यह फॉर्म असाइनमेंट को रजिस्टर करने के लिए आवश्यक है।
- रजिस्ट्रार की जांच: रजिस्ट्रार यह सुनिश्चित करता है कि असाइनमेंट से किसी ग्राहक या व्यवसाय में भ्रम न पैदा हो और सब कुछ कानूनी नियमों के अनुसार हो।
- जर्नल में पब्लिश: जाँच के बाद असाइनमेंट को ट्रेडमार्क जर्नल में पब्लिश किया जाता है। इससे किसी तीसरे पक्ष को आपत्ति दर्ज कराने का मौका मिलता है।
- अंतिम रजिस्ट्रेशन: अगर कोई आपत्ति नहीं आती और सभी नियम सही हैं, तो रजिस्ट्रार असाइनमेंट को मंजूरी देता है। ट्रेडमार्क एक्ट, 1999 की धारा 45 के तहत, ट्रेडमार्क का आधिकारिक मालिक वही होगा जिसे असाइनमेंट में निर्दिष्ट किया गया है। अब खरीदार ट्रेडमार्क का आधिकारिक मालिक बन जाता है और उसका नाम ट्रेडमार्क रजिस्टर में दर्ज हो जाता है।
ट्रेडमार्क बेचने के लिए ज़रूरी दस्तावेज़:
- ट्रेडमार्क असाइनमेंट एग्रीमेंट – बेचने और खरीदने वाले के बीच लिखित समझौता।
- रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की कॉपी – अगर ट्रेडमार्क पहले से रजिस्टर्ड है।
- ओनरशिप का एफिडेविट – मालिकाना हक़ का सबूत।
- पावर ऑफ़ अटॉर्नी – अगर कोई एजेंट आपके लिए फाइल कर रहा है।
- ट्रांसफर का प्रमाण – भुगतान या अनुबंध का सबूत।
ट्रेडमार्क बेचने से आपको क्या लाभ और नुकसान हो सकते हैं?
फायदे:
- पैसे की प्राप्ति: अगर व्यवसाय बंद भी हो जाए, ट्रेडमार्क बेचकर आमदनी की जा सकती है।
- गुडविल का लाभ: खरीदार आपके बनाए हुए ब्रांड की प्रतिष्ठा का फायदा उठा सकता है।
- कानूनी मान्यता: मालिकाना हक़ साफ़ तौर पर ट्रांसफर होता है और विवाद कम होते हैं।
- व्यवसाय विस्तार: खरीदार भरोसेमंद ब्रांड का इस्तेमाल करके तेजी से व्यवसाय बढ़ा सकता है।
नुकसान:
- नियंत्रण खोना: एक बार बेचने के बाद, आप खरीदार के उपयोग पर नियंत्रण नहीं रख सकते।
- मूल्यांकन मुश्किल: गुडविल या ब्रांड की कीमत तय करना कठिन हो सकता है।
- संभावित भ्रम: अगर समान उत्पाद मौजूद हों, तो ग्राहकों को कन्फ्यूजन हो सकता है।
महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय
कोका कोला बनाम बिसलेरी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड लिमिटेड (2009, दिल्ली हाईकोर्ट)
मामला: Bisleri ने अपनी मैंगो ड्रिंक ब्रांड “MAAZA” का ट्रेडमार्क Coca Cola को असाइन किया था। बाद में Bisleri ने टर्की में Maaza लॉन्च करने और वहां ट्रेडमार्क रजिस्टर कराने की कोशिश की।
विवाद: Coca Cola ने कहा कि यह असाइनमेंट एग्रीमेंट का उल्लंघन है क्योंकि Maaza का पूरा अधिकार पहले ही उन्हें ट्रांसफर किया जा चुका था।
कोर्ट का निर्णय:
- एक बार ट्रेडमार्क असाइन हो जाने के बाद, पुराने मालिक (Bisleri) इसे इस्तेमाल या लाइसेंस नहीं दे सकता।
- विदेश में ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन कराने की कोशिश भी उल्लंघन और पासिंग ऑफ़ माना गया।
- कोर्ट ने Coca Cola के पक्ष में रोक आदेश (injunction) दे दिया।
हार्डी ट्रेडिंग लिमिटेड एवं अन्य। बनाम एडिसन पेंट एंड केमिकल्स लिमिटेड (2003, सुप्रीम कोर्ट)
मामले की जानकारी:
- Hardie Trading, जो कि ऑस्ट्रेलिया की कंपनी है, भारत में “Spartan” ट्रेडमार्क रजिस्टर करवाया था।
- इस कंपनी ने Addisons Paints (भारत की कंपनी) के साथ “Spartan” ट्रेडमार्क के इस्तेमाल के लिए एक समझौता किया।
- बाद में यह विवाद हुआ कि यह समझौता ट्रेडमार्क का असाइनमेंट था या सिर्फ उपयोग की अनुमति (लाइसेंसिंग)।
मुख्य सवाल:
- क्या Addisons Paints को भारत में “Spartan” ट्रेडमार्क का मालिकाना हक मिला?
- या यह केवल ट्रेडमार्क के इस्तेमाल की अनुमति थी?
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय:
- कोर्ट ने कहा कि कोई वैध असाइनमेंट नहीं हुआ क्योंकि सही तरीके से लिखित डीड और साइन होना जरूरी है।
- केवल अनुमति देने या इस्तेमाल करने के समझौते से मालिकाना हक नहीं मिलता।
- यानी, किसी ट्रेडमार्क का वैध असाइनमेंट तभी माना जाएगा जब यह लिखित रूप में हो, साइन किया गया हो और कानून की शर्तों के अनुसार हो।
ट्रेडमार्क असाइनमेंट और ट्रेडमार्क लाइसेंसिंग में अंतर
| फीचर | ट्रेडमार्क असाइनमेंट | ट्रेडमार्क लाइसेंसिंग |
| मालिकाना हक़ | खरीदार को स्थायी तौर पर मिल जाता है | मालिकाना हक़ पहले वाले के पास रहता है |
| अधिकार | खरीदार को ट्रेडमार्क पर सभी अधिकार मिलते हैं | लाइसेंसी को केवल इस्तेमाल की अनुमति मिलती है, मालिकाना हक़ नहीं |
| गुडविल | ट्रेडमार्क के साथ गुडविल भी ट्रांसफर हो सकता है | गुडविल आमतौर पर मालिक के पास रहती है |
| अवधि | स्थायी | अस्थायी, समझौते में तय अवधि तक |
| नियंत्रण | विक्रेता का सभी नियंत्रण खत्म हो जाता है | मालिक उपयोग की शर्तें तय कर सकता है |
| कानूनी रजिस्ट्रेशन | ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार के पास रजिस्ट्रेशन जरूरी | पंजीकरण जरूरी नहीं, लेकिन स्पष्टता के लिए करना अच्छा है |
ट्रेडमार्क बेचने से पहले ध्यान रखने योग्य बातें
- बिक्री से पहले अपने ट्रेडमार्क का मूल्यांकन जरूर करवाएँ।
- साफ़ तय करें कि इसे गुडविल के साथ बेचना है या बिना गुडविल के।
- एक मजबूत असाइनमेंट एग्रीमेंट तैयार करें।
- ट्रेडमार्क ऑफिस में असाइनमेंट का रजिस्ट्रेशन कराएँ।
- विवाद से बचने के लिए ट्रेडमार्क वकील से सलाह लें।
निष्कर्ष
ट्रेडमार्क बेचना सिर्फ़ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक रणनीतिक व्यावसायिक निर्णय भी है। यह केवल पैसा कमाने का तरीका नहीं, बल्कि ब्रांड को नए बाजारों में पहुँचाने, तेजी से बढ़ने, या नए मालिक के तहत अपनी पहचान जारी रखने में मदद कर सकता है।
चाहे ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड हो या अनरजिस्टर्ड, दोनों की अपनी कीमत होती है। रजिस्ट्रेशन से कानूनी सुरक्षा मजबूत होती है। व्यवसायों के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ट्रेडमार्क एक कीमती संपत्ति है। इसे समझदारी से संभालें, इसकी बाज़ार संभावनाओं को जानें, और ट्रांसफर के फैसले सोच-समझ कर करें।
सही तरीके से ट्रेडमार्क असाइनमेंट करने पर आपका ट्रेडमार्क लगातार पैसा कमा सकता है, आपके ब्रांड की प्रतिष्ठा बनाए रख सकता है और नए व्यावसायिक अवसर पैदा कर सकता है। आज के ब्रांड-प्रधान बाजार में, अपने ट्रेडमार्क का सही उपयोग करना ही यह तय करता है कि यह सिर्फ़ एक अवसर के खोने का कारण बने या आपकी व्यावसायिक सफलता और मजबूत विरासत का साधन।
क्या मैं उस ट्रेडमार्क को बेच सकता हूँ जिसका इस्तेमाल अभी बिज़नेस में नहीं हो रहा? हाँ। बिना इस्तेमाल वाले ट्रेडमार्क की भी कीमत होती है क्योंकि उसका नाम, ब्रांड वैल्यू और मार्केट पहचान होती है। इसे कोई और इस्तेमाल के लिए खरीद सकता है।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. क्या मैं उस ट्रेडमार्क को बेच सकता हूँ जिसका इस्तेमाल अभी बिज़नेस में नहीं हो रहा?
हाँ। बिना इस्तेमाल वाले ट्रेडमार्क की भी कीमत होती है क्योंकि उसका नाम, ब्रांड वैल्यू और मार्केट पहचान होती है। इसे कोई और इस्तेमाल के लिए खरीद सकता है।
2. क्या ट्रेडमार्क बेचने के लिए वकील की जरूरत है?
जरूरी नहीं, लेकिन एक ट्रेडमार्क वकील लेने से असाइनमेंट एग्रीमेंट सही तरीके से बनता है, विवाद कम होते हैं और ट्रांसफर कानूनी रूप से सुरक्षित रहता है।
3. क्या मैं अपना ट्रेडमार्क भारत में किसी विदेशी कंपनी को बेच सकता हूँ?
हाँ। विदेशी कंपनी भारतीय ट्रेडमार्क खरीद सकती है, लेकिन असाइनमेंट को भारतीय ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार के पास दर्ज करना जरूरी है।
4. अगर मैं ट्रेडमार्क बेचते समय असाइनमेंट रजिस्टर नहीं कराऊँ तो क्या होगा?
खरीदार को अपने अधिकार साबित करने में मुश्किल हो सकती है और विवाद हो सकते हैं। रजिस्ट्रेशन दोनों पक्षों के लिए कानूनी सुरक्षा देता है।
5. क्या मैं ट्रेडमार्क का सिर्फ़ एक हिस्सा बेच सकता हूँ, जैसे किसी खास प्रोडक्ट के लिए?
हाँ। इसे आंशिक असाइनमेंट कहते हैं। आप कुछ प्रोडक्ट या सर्विस के लिए अधिकार बेच सकते हैं और बाकी के लिए ट्रेडमार्क अपने पास रख सकते हैं।



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