क़ानून और धाराएं

क्या एक वाइफ सेक्शन 377 के तहत अपने हस्बैंड पर एफआईआर कर सकती है?

क्या एक वाइफ सेक्शन 377 के तहत अपने हस्बैंड पर एफआईआर कर सकती है?

भारत में, इंडियन पीनल कोड का सेक्शन 377 हमेशा से ही सामाजिक या खुले तौर पर बात करने के लिए एक टैबू माना जाता रहा है। बहुत सारे लोग इसके बारे में डिटेल में जानते थे, लेकिन ज्यादातर लोगों की इस टॉपिक पर अपनी ही राय और सोंच थी, जो हमेशा बहुत ही भ्रम से …

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महिलाओं को गैर-जमानती अपराधों के साथ मौत या उम्रकैद तक की सजा के लिए भी जमानत दी जा सकती है।

महिलाओं को गैर-जमानती अपराधों के साथ मौत या उम्रकैद तक की सजा के लिए भी जमानत दी जा सकती है।

नेथरा v कर्नाटक स्टेट के केस में, कर्नाटक के हाई कोर्ट ने माना कि मौत या उम्रकैद की सज़ा वाले क्राइम्स में बेल नहीं दी जा सकती है, भारत में ऐसा कोई कानून/लॉ नहीं है। जज एम नागपरसन्ना ने अपने हस्बैंड की हत्या की एक आरोपी महिला को बेल देते हुए यह बात कही थी। …

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अगर पुलिस आपको गाली दे तो क्या करें?

अगर पुलिस आपको गाली दे तो क्या करें?

भारत पावरफुल लोगों, गवर्मेंट ऑफ़िसर्स और गवर्मेंट सर्वेन्ट्स से भरी एक डेमोक्रेटिक कंट्री है। जिन्हें भारत के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग गवर्नमेंट पोस्ट्स के साथ बहुत सी पावर्स दी गई हैं, लेकिन जब उस पावर को यूज़ करने की बात आती है, तो यह ज्यादातर प्रैक्टिकल और सही नहीं होता है। …

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वसीयत को बाद के एक समझौते से रद्द नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

वसीयत को बाद के एक समझौते से रद्द नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

एक ऐसा एक्सटर्नल साइन, फैक्ट्स, इनफार्मेशन या कुछ भी ऐसा जो लीगली सच्चाई को साबित करने के लिए कोर्ट में जज के सामने पेश किया जाता है। स्पेशली, एक ऐसा व्यक्ति जो जानबूझकर अपने द्वारा किये गए क्राइम को खुद एक्सेप्ट करता है और अपने सह-साजिशकर्ताओं के खिलाफ गवाही देता है, उसे सबूत या एविडेंस …

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रेप लॉ जेंडर-न्यूट्रल होने चाहिए और पुरुष को बहलाने वाली महिला को भी दंडित किया जाना चाहिए।

रेप लॉ जेंडर-न्यूट्रल होने चाहिए और पुरुष को बहलाने वाली महिला को भी दंडित किया जाना चाहिए।

भारत में फोर्थ नंबर पर आने वाला सबसे मुख्य क्राइम रेप है। रेप को आम तौर पर पुरुष द्वारा, एक महिला के अगेंस्ट किया गया क्राइम माना जाता है। हालाँकि, यह क्राइम पुरुषों, होमोसेक्सुअल्स और ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के अगेंस्ट भी होता है। यूनाइटेड स्टेटस अमेरिका में डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन सेंटर द्वारा की गयी एक …

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नेशनल लेवल पर माइनॉरिटीज़ के रूप में मुस्लिम्स, क्रिस्चंस, सिखों, बौद्धों, पारसियों और जैनियों की नोटिफिकेशन को चैलेंज देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल

नेशनल लेवल पर माइनॉरिटीज के रूप में मुस्लिम्स, क्रिस्चंस, सिखों, बौद्धों, पारसियों और जैनियों की नोटिफिकेशन को चैलेंज देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल

देवकीनंदन ठाकुर द्वारा संविधान के आर्टिकल 29 और 30 के तहत, डिस्ट्रिक्ट लेवल पर माइनॉरिटीज़ की सही पहचान करके, उन्हें प्रॉफिट देने के लिए एक पीआईएल फाइल की गयी थी।  फाइल की गयी पीआईएल के अनुसार, 1993 में भारत सरकार/ इंडियन गवर्मेंट द्वारा मुसलमानों, सिखों, बौद्धों, पारसियों और जैनियों को नेशनल लेवल पर अल्पसंख्यक/माइनॉरिटी घोषित …

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डोमेस्टिक वायलेंस के केस का फैसला लेने से पहले जज डोमेस्टिक इंसिडेंट रिपोर्ट पर विचार करने के लिए बाध्य नहीं हैं।

डोमेस्टिक वायलेंस के केस का फैसला लेने से पहले जज डोमेस्टिक इंसिडेंट रिपोर्ट पर विचार करने के लिए बाध्य नहीं हैं।

प्रभा त्यागी v कमलेश देवी के केस में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया। जिसमे अब मजिस्ट्रेट को डीवी एक्ट के तहत आर्डर पास करने से पहले  प्रोटेक्शन ऑफिसर द्वारा फाइल की गयी डोमेस्टिक इंसिडेंट रिपोर्ट पर विचार करने की जरूरत नहीं है। जज एम आर शाह और जज बी वी नागरथा की बेंच …

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क्या भारत में पोर्न देखना गैरकानूनी है?

क्या भारत में पोर्न देखना गैरकानूनी है

पोर्नोग्राफी या पोर्न एक सेक्सुअल फोटो या वीडियो होता है, जिसे कामुकता पैदा करने के लिए या यौन उत्तेजना के उद्देश्य से बनाया जाता है। भारत में अकेले या प्रायवेटली पोर्न देखना कानूनन अपराध नहीं है, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि एक अडल्ट को उसकी पर्सनल आज़ादी के मौलिक अधिकार से वंचित भी …

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किसी को क्रिमिनल लायबिलिटी के लिए, कंपनी का पार्टनर होने की वजह से दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

किसी को क्रिमिनल लायबिलिटी के लिए, कंपनी का पार्टनर होने की वजह से दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिलीप हरिरामनी v/s बैंक ऑफ बड़ौदा के केस के दौरान कहा कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के सेक्शन 138 के तहत चेक बाउंस होने पर किसी व्यक्ति पर क्रिमिनल लायबिलिटी, सिर्फ इसलिए नहीं लगाई जा सकती क्योंकि वह भी लोन लेने वाली कम्पनी का एक पार्टनर है या वह उस …

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भारत के महानगरीय शहरों में नशे में गाड़ी चलाने के परिणाम।

भारत के महानगरीय शहरों में नशे में गाड़ी चलाने के परिणाम।

सारे शहर में कुल मिलाकर 70,03,012 अलग-अलग क्रिमिनल केसिस फाइल हुए है। हादसों की अहम वजह गाडी चलाने की तेज रफ्तार मानी जा रही है। शराब पीकर गाड़ी चलाने के केस में से, 10,109 केस कोर्ट में चार्जशीट किए गए हैं और कोर्ट ने शराब के नशे में गाडी चलाने वाले ड्राइवर्स से 10,49,61,000 रुपये …

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