चेक बाउंस क्या होता है और इसके कानूनी परिणाम क्या हैं?

What is cheque bounce and what are its legal consequences?

चेक एक कानूनी और वित्तीय दस्तावेज़ होता है जो भुगतान का वादा करता है। जब चेक जारी करने वाला व्यक्ति (payer) चेक के ज़रिए भुगतान करता है लेकिन किसी कारणवश वह भुगतान नहीं हो पाता – जैसे खाते में पैसे न होना या तकनीकी त्रुटियाँ – तो उसे चेक बाउंस (Cheque Bounce) कहा जाता है। भारत में चेक बाउंस होना सिर्फ एक तकनीकी गलती नहीं बल्कि कानूनी अपराध भी हो सकता है।

चेक बाउंस क्या होता है?

जब कोई चेक बैंक में जमा किया जाता है और बैंक उस चेक का भुगतान करने से इनकार कर देता है, तो इसे “डिशॉनर ऑफ चेक” या चेक बाउंस कहा जाता है।

आम कारण:

  • खाते में पर्याप्त बैलेंस न होना
  • हस्ताक्षर मेल न खाना
  • चेक एक्सपायर होना
  • चेक कट-फटा या गलत तारीख वाला होना
  • बैंक द्वारा तकनीकी खामी के कारण रिजेक्ट होना
  • इश्यूअर द्वारा पेमेंट रोक देना

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चेक बाउंस होने पर क्या होता है?

बैंक चार्ज:

  • बैंक दोनों पक्षों से (payer और payee) चेक बाउंस चार्ज लेता है।
  • यदि चेक किसी लोन भुगतान के लिए था, तो लेट फीस और पेनल्टी भी लगती है।

CIBIL स्कोर पर असर:

  • बार-बार चेक बाउंस होने से व्यक्ति का CIBIL स्कोर गिर सकता है, जिससे भविष्य में लोन लेना कठिन हो जाता है।

RBI के दिशा-निर्देश:

  • यदि किसी व्यक्ति के ₹1 करोड़ से अधिक राशि के चार चेक बाउंस हो चुके हैं, तो RBI के नियमों के अनुसार उसे चेकबुक जारी नहीं की जा सकती।

क्या चेक बाउंस एक अपराध है?

हां। चेक बाउंस को नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत दंडनीय अपराध माना गया है।

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प्रमुख बिंदु:

  • अगर चेक खाते में धन की अनुपलब्धता के कारण बाउंस होता है
  • और भुगतान 30 दिनों में नहीं किया जाता
  • तो प्राप्तकर्ता 15 दिनों का लीगल नोटिस भेज सकता है
  • उसके बाद भी भुगतान न होने पर आपराधिक केस दर्ज कराया जा सकता है

सजा:

  • अधिकतम 2 साल की जेल या
  • दोगुनी राशि का जुर्माना या दोनों

सिविल और क्रिमिनल परिणाम

  • सिविल मामला: प्राप्तकर्ता कोर्ट में डिफॉल्टर से राशि की वसूली के लिए सिविल केस दाखिल कर सकता है।
  • क्रिमिनल मामला: अगर यह साबित हो जाए कि चेक जानबूझकर धोखाधड़ी से दिया गया था, तो भारतीय न्याय संहिता की धारा 318 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।

बचाव के उपाय (डिफॉल्टर के लिए)

  • अगर चेक बाउंस हो गया है तो जल्दी से जल्दी भुगतान करें
  • नोटिस मिलने पर 15 दिन के भीतर राशि चुका दें
  • पुनः वही चेक तीन महीने के भीतर फिर से प्रस्तुत किया जा सकता है

चेक बाउंस केस से जुड़े अन्य पहलू

  • अदालत की फीस: केस की रकम के अनुसार कोर्ट फीस अलग-अलग होती है।
  • ओवरड्राफ्ट खाते: अगर चेक ओवरड्राफ्ट पर आधारित था, तो उस पर ब्याज और बैंक पेनल्टी देनी पड़ती है।
  • रिकवरी एजेंसी: कई बार बैंक रिकवरी एजेंट्स की मदद से रकम वसूलते हैं।

निष्कर्ष

चेक बाउंस केवल एक वित्तीय गलती नहीं है, बल्कि यह एक गंभीर कानूनी मुद्दा बन सकता है। इसलिए, अगर आप किसी को चेक दे रहे हैं तो सुनिश्चित करें कि आपके खाते में पर्याप्त राशि हो और चेक में कोई त्रुटि न हो। वहीं, अगर आपके साथ ऐसा हुआ है तो आप कानूनी मदद लेकर अपनी राशि की वसूली कर सकते हैं।

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FAQs 

1. क्या चेक बाउंस एक अपराध है?

हाँ, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत यह दंडनीय अपराध है।

2. चेक बाउंस होने पर कितनी सजा हो सकती है?

अधिकतम दो साल की जेल या चेक राशि का दोगुना जुर्माना या दोनों।

3. क्या चेक बाउंस से CIBIL स्कोर पर असर पड़ता है?

हाँ, इससे व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर गिर सकता है और भविष्य में लोन लेना कठिन हो सकता है।

4. नोटिस मिलने के बाद कितने दिनों में भुगतान करना होता है?

कानूनी नोटिस मिलने के बाद 15 दिन के भीतर भुगतान करना होता है। 

5. चेक बाउंस होने पर कौन-कौन से कानून लागू होते हैं?

  • नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881
  • आईपीसी की धारा 420 (यदि धोखाधड़ी हो)
  • बैंकिंग और RBI गाइडलाइंस
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