शादी का रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी है?
शादी सिर्फ एक सामाजिक बंधन नहीं, बल्कि एक कानूनी अनुबंध भी है। शादी के रजिस्ट्रेशन से दंपति को एक आधिकारिक पहचान मिलती है, जो भविष्य में संपत्ति विवाद, वीज़ा प्रक्रिया, नाम बदलने, और तलाक जैसी कानूनी प्रक्रियाओं में उपयोगी होती है।
भारत में शादी का रजिस्ट्रेशन मुख्यतः दो कानूनों के तहत होता है:
- हिंदू मैरिज एक्ट, 1955 (यदि दोनों हिंदू हों)
- स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954 (अंतरधार्मिक या विशेष परिस्थितियों के लिए)
साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी विवाहों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया।
ऑनलाइन शादी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया
भारत के अधिकांश राज्यों में शादी का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन किया जा सकता है। इसके लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन करें:
- अपने राज्य की आधिकारिक विवाह रजिस्ट्रेशन वेबसाइट खोलें।
- वहां उपलब्ध मैरिज रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरें।
- पति-पत्नी दोनों की जानकारी सावधानीपूर्वक दर्ज करें।
- फॉर्म जमा करने के बाद एक अपॉइंटमेंट डेट और टाइम मिलेगा।
- तय तारीख को आवश्यक दस्तावेजों और दो गवाहों के साथ उपस्थिति दें।
शादी रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी डॉक्युमेंट्स
अलग-अलग राज्यों में थोड़ी भिन्नता हो सकती है, लेकिन सामान्यत: नीचे दिए गए डॉक्युमेंट्स अनिवार्य होते हैं:
व्यक्तिगत प्रमाण:
- पति-पत्नी द्वारा हस्ताक्षरित संयुक्त अनुरोध प्रपत्र (Joint Request Form)
- दोनों का जन्म प्रमाण पत्र या स्कूल प्रमाणपत्र (Date of Birth Proof)
- आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर ID या PAN कार्ड (पहचान प्रमाण)
निवास प्रमाण:
- राशन कार्ड / बिजली बिल / बैंक पासबुक / किराया रसीद
- दोनों पक्षों से एक-एक प्रमाण
फोटोग्राफ:
- पति और पत्नी की पासपोर्ट साइज फोटोज
शादी का प्रमाण:
- शादी का निमंत्रण पत्र
- शादी की तारीख, स्थान व समय के साथ हलफनामा (affidavit)
वैवाहिक स्थिति प्रमाण:
- यदि तलाकशुदा हैं, तो तलाक की डिक्री
- यदि विधवा/विधुर हैं, तो मृत्यु प्रमाण पत्र
गवाहों से संबंधित:
- हर पक्ष से दो गवाह, जिनके पास पहचान प्रमाण हों
- गवाहों की मौजूदगी रजिस्ट्रेशन के समय अनिवार्य है
महत्वपूर्ण: सभी दस्तावेज़ों की फोटोकॉपी के साथ ओरिजिनल भी साथ ले जाएं और अधिकतर मामलों में गजटेड अधिकारी द्वारा सत्यापित (attested) होना जरूरी होता है।
क्या कोर्ट मैरिज में भी यही डॉक्युमेंट्स लगते हैं?
हां, कोर्ट मैरिज स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत होती है और उसमें भी यही अधिकांश डॉक्युमेंट्स लगते हैं, साथ ही कुछ अतिरिक्त घोषणाएं और प्रक्रिया शामिल होती हैं जैसे:
- 30 दिन का नोटिस
- Marriage Officer के सामने उपस्थित होना
- गवाहों की शपथबद्ध उपस्थिति
शादी रजिस्ट्रेशन न कराने के क्या नुकसान हो सकते हैं?
- भविष्य में पति-पत्नी के अधिकारों की रक्षा नहीं हो सकेगी।
- विदेश यात्रा, वीज़ा या NOC के लिए दस्तावेज की कमी
- कानूनी मान्यता की अनुपस्थिति
- तलाक या गुज़ारा भत्ता जैसे मामलों में दिक्कत
वकील की भूमिका क्यों जरूरी है?
- सही डॉक्युमेंटेशन और प्रक्रिया सुनिश्चित करना
- गलती की स्थिति में सुधार कराना
- कानूनी सलाह देना, खासकर स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी हो रही हो
- कोर्ट मैरिज और इंटर-कास्ट शादी में सुरक्षा की व्यवस्था
निष्कर्ष
शादी का रजिस्ट्रेशन जितना जरूरी कानूनी दस्तावेज है, उतना ही आसान भी है—बस सही जानकारी, दस्तावेज़ और प्रक्रिया का पालन करें। एक बार रजिस्ट्रेशन हो जाने पर आप एक वैध और कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त दंपति माने जाएंगे।
अगर आपको किसी भी स्टेप में सहायता चाहिए, तो लीड इंडिया के कानूनी विशेषज्ञों से संपर्क करें, जो हर प्रकार की वैवाहिक प्रक्रिया में आपकी मदद करेंगे।
FAQs
1. शादी के कितने दिन के अंदर रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है?
आदर्शतः 30 से 90 दिनों के भीतर कराना बेहतर है, लेकिन देर से भी आवेदन किया जा सकता है।
2. क्या शादी रजिस्ट्रेशन के लिए दोनों की मौजूदगी जरूरी है?
हां, पति-पत्नी दोनों की उपस्थिति अनिवार्य है।
3. क्या शादी का कार्ड जरूरी होता है?
हां, शादी की प्रमाणिकता के लिए आम तौर पर मांग जाता है।
4. क्या गवाहों की उम्र निर्धारित है?
हां, प्रत्येक गवाह की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
5. क्या ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद फिजिकल अपॉइंटमेंट जरूरी है?
हां, दस्तावेज़ सत्यापन और सर्टिफिकेट जारी करने के लिए फिजिकल उपस्थिति अनिवार्य होती है।



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