आजकल टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की वजह से आम लोगों के लिए इन्वेस्टमेंट करना आसान हो गया है। लेकिन इसी का फायदा उठाकर कई ठग भी लोगों को धोखा देने लगे हैं। ये लोग इन्वेस्टमेंट के नाम पर ऐसे ऑफर देते हैं जो सुनने में बहुत अच्छे लगते हैं, जैसे कि कम रिस्क में बहुत ज्यादा मुनाफा। चाहे प्रॉपर्टी में पैसा लगाना हो, शेयर मार्केट, कोई ऑनलाइन ऐप या किसी प्राइवेट कंपनी में, धोखा कहीं भी मिल सकता है।
लेकिन घबराइए मत, अगर आपके साथ धोखा हुआ है, तो आप अकेले नहीं हैं। कानून आपके साथ है और आपके हक के लिए लड़ता है।
इस ब्लॉग का मकसद है आपको यह समझाना कि ऐसे धोखों को कैसे पहचाना जाए, आपके पास क्या-क्या कानूनी हक होते हैं, और अगर आपका पैसा फंस गया है तो उसे वापस पाने के लिए आप क्या-क्या कानूनी कदम उठा सकते हैं।
ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट फ्रॉड – यह कैसे होता है?
धोखेबाज़ आपके भरोसे, लालच और जानकारी की कमी का फायदा उठाते हैं। आइए समझते हैं कैसे:
- ये लोग कहते हैं कि आपका पैसा बहुत जल्दी और बिना किसी खतरे के दोगुना हो जाएगा।
- नकली कागज, वेबसाइट या किसी मशहूर व्यक्ति का नाम और फोटो दिखाकर भरोसा जीतते हैं।
- ऐसे-ऐसे शब्द और बातें बोलते हैं जो आम आदमी को समझ नहीं आती, ताकि आप सवाल न करें।
- ये लोग कभी भी पक्के कागज या कंपनी का रजिस्ट्रेशन डिटेल देने से बचते हैं।
कैसे पहचाने की इंवेटस्मेन्ट स्कीम फ़र्ज़ी है?
अगर इन बातों का सामना हो, तो समझ जाइए कि इन्वेस्टमेंट स्कीम फर्जी हो सकती है:
- कंपनी या सलाह देने वाला रजिस्टर्ड नहीं है
- जल्दी पैसा लगाने का दबाव बनाया जा रहा है
- पक्का मुनाफा मिलने का वादा किया जा रहा है
- सही कागज़ और जानकारी नहीं दी जा रही
- ये नहीं बताया जा रहा कि कंपनी पैसा कैसे कमाएगी
ध्यान रखें: सही इन्वेस्टमेंट में सब कुछ साफ-साफ बताया जाता है, और सोचने का समय दिया जाता है।
प्रॉपर्टी से जुड़ा फ्रॉड: जानिए कैसे बचें और क्या करें
आजकल जमीन या फ्लैट खरीदते वक्त ठगी (फ्रॉड) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लोग लाखों-करोड़ों की पूंजी लगाते हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि या तो प्रॉपर्टी असली नहीं है, या फिर कब्जा ही नहीं मिल रहा।
- नकली दस्तावेज़: ज़मीन के जाली कागज़ बनाकर किसी और की संपत्ति को अपनी बताकर बेच देना।
- बिना मालिकाना हक के बिक्री: कोई व्यक्ति ऐसी प्रॉपर्टी बेच रहा है जो उसकी है ही नहीं, यानी मालिक कोई और है।
- ‘भूत’ प्रॉपर्टी बेचना: ऐसा फ्लैट या प्लॉट बेचना जो असल में मौजूद ही नहीं है या जिसका रजिस्ट्रेशन ही नहीं हुआ।
- कब्जा न देना: खरीदार ने पैसे दे दिए, पर डेवेलपर या बेचने वाला कब्जा ही नहीं देता।
- अधूरा प्रोजेक्ट: बड़े-बड़े वादों के साथ प्रोजेक्ट लॉन्च किया जाता है, पर निर्माण अधूरा छोड़ दिया जाता है।
क्या करें? (व्यावहारिक सुझाव)
जमीन या फ्लैट खरीदने से पहले इन चीज़ों की जांच ज़रूर करें:
- खसरा-खतौनी / 7/12 उतारा / RTC रिकॉर्ड जैसी जमीन की मालिकी के सरकारी दस्तावेज़ देखें।
- एन्कम्ब्रन्स सर्टिफिकेट लें, इससे पता चलेगा कि ज़मीन पर कोई लोन या केस तो नहीं।
- जमीन का म्युटेशन रजिस्टर देखकर असली मालिक की पुष्टि करें।
- प्रॉपर्टी RERA में रजिस्टर्ड है या नहीं, इसकी जांच करें।
बिल्डर/ब्रोकर की विश्वसनीयता जांचें:
- पिछले प्रोजेक्ट देखिए, समय पर पूरा हुआ या नहीं?
- बिल्डर का लाइसेंस, GST नंबर आदि चेक करें।
लिखित एग्रीमेंट और स्टाम्प पेपर पर ही लेन-देन करें: मौखिक वादों पर भरोसा न करें। जो भी तय हो, सब रजिस्टर्ड डॉक्युमेंट में लिखवाएं।
कब्जा मिलने तक पूरी पेमेंट न करें: पोसेशन लिंक्ड प्लान चुनें, जिससे पूरा पैसा कब्जा मिलने के बाद ही जाए।
अगर फ्रॉड हो जाए तो?
- FIR दर्ज कराएं – अपने नज़दीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत करें। पुलिस भारतीय न्याय संहिता की धारा 318 (धोखाधड़ी) और 316 (भरोसे का उल्लंघन) के तहत केस दर्ज कर सकती है।
- RERA में शिकायत करें – अगर बिल्डर ने घर या फ्लैट को लेकर धोखा किया है, तो रेरा (RERA) में शिकायत करें।
- कंज़्यूमर कोर्ट में जाएं – अगर कोई सेवा या प्रोडक्ट देकर आपको ठगा गया है, आप कंस्यूमर कोर्ट में केस करके मुआवज़ा और पैसा वापस मांग सकते हैं।
- सिविल कोर्ट में दावा करें – अगर आपको अपनी जमीन, प्रॉपर्टी या पैसा वापस चाहिए, तो सिविल कोर्ट में केस कर सकते हैं।
प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट से पहले हर दस्तावेज, हर वादा, हर जानकारी को जांचना जरूरी है। थोड़ी सी सतर्कता आपको जीवनभर की मुसीबत से बचा सकती है।
“कागज़ देखकर ही विश्वास करें, बातों पर नहीं।”
अगर आप किसी प्रॉपर्टी फ्रॉड का शिकार हुए हैं या आपको संदेह है कि कुछ गड़बड़ है, तो किसी अनुभवी वकील से तुरन्त सलाह लें। कानून आपके साथ है, बशर्ते आप समय पर कदम उठाएं।
शेयर मार्केट में फ्रॉड: समझिए कैसे होता है धोखा और कैसे बचें
शेयर बाजार में इन्वेस्टमेंट करना एक अच्छा विकल्प है, लेकिन कई बार धोखेबाज़ कंपनियां, ब्रोकर और सलाहकार भोले-भाले इन्वेस्टमेंट कों को चूना लगा देते हैं।
- शेयर का दाम बढ़ाकर बेचना: कुछ लोग किसी छोटी कंपनी के शेयर को झूठे प्रचार से बढ़ावा देते हैं। जब शेयर का दाम बढ़ता है, तो वो अपने शेयर बेचकर भाग जाते हैं, और बाकी लोगों का पैसा डूब जाता है।
- फर्जी इन्वेस्टमेंट सलाह: नकली या बिना रजिस्ट्रेशन वाली कंपनियां गारंटी रिटर्न का झांसा देकर मोटी फीस लेती हैं और बाद में गायब हो जाती हैं।
- गलत अंदरूनी जानकारी: ब्रोकर या कंपनी का कोई आदमी अधूरी या झूठी जानकारी देकर आपको गलत जगह इन्वेस्टमेंट करवा देता है।
- बिना बताए ट्रेडिंग: कुछ ब्रोकर आपकी मंजूरी के बिना ही आपके अकाउंट से ट्रेड करते हैं, जिससे भारी नुकसान हो सकता है।
कैसे बचें ऐसे फ्रॉड से? (व्यावहारिक उपाय)
SEBI रजिस्टर्ड एडवाइजर ही चुनें: इन्वेस्टमेंट की सलाह सिर्फ उन्हीं से लें जो SEBI (www.sebi.gov.in) से रजिस्टर्ड हों। उनका रजिस्ट्रेशन नंबर मांगें और वेबसाइट पर चेक करें।
Red Flags को पहचानें:
- “100% रिटर्न मिलेगा” जैसी गारंटी
- व्हाट्सऐप/टेलीग्राम पर अचानक शेयर की सिफारिश
- बहुत कम दाम वाले शेयरों को ‘मल्टीबैगर’ बताना
ब्रोकर पर निगरानी रखें:
- अपनी ट्रेडिंग स्टेटमेंट और क्लाइंट लेज़र नियमित रूप से जांचें।
- POA (पावर ऑफ़ अटॉर्नी) बहुत सोच-समझकर दें, अगर देना जरूरी हो।
इन्वेस्टमेंट से पहले खुद रिसर्च करें: कंपनी के फाइनेंशियल्स, मैनेजमेंट, न्यूज़, और SEBI/Stock Exchange पर पेंडिंग शिकायतें जरूर जांचें।
अगर फ्रॉड हो जाए तो?
- SEBI की SCORES वेबसाइट पर शिकायत करें – https://scores.gov.in पर जाकर अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करें।
- स्टॉक एक्सचेंज (NSE/BSE) को ईमेल करें – जहां आपने शेयर खरीदे, वहां शिकायत भेजें।
- कंज़्यूमर फोरम में केस करें – अगर आपका नुकसान बड़ा है, तो उपभोक्ता अदालत में मुआवज़ा मांग सकते हैं।
- साइबर क्राइम सेल में शिकायत करें – अगर फ्रॉड ऑनलाइन हुआ है (जैसे ऐप, वेबसाइट या फर्जी लिंक से), तो पुलिस की साइबर सेल में रिपोर्ट करें।
शेयर मार्केट में कमाई है, लेकिन सतर्कता उससे भी ज़रूरी है। जो भी वादा बहुत अच्छा लगे, उसे दो बार जांचें। हमेशा खुद जानकारी लें, और कभी भी “जल्दी पैसा कमाने” की लालच में न पड़ें। “शेयर मार्केट में जानकारी ही सुरक्षा है!”
ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट के धोखे: जानिए, समझिए और बचिए
डिजिटल इंडिया के इस दौर में जहां इन्वेस्टमेंट आसान हुआ है, वहीं ऑनलाइन फ्रॉड की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। लोग जल्दी रिटर्न के चक्कर में ऐसे जाल में फंस जाते हैं जहाँ से निकलना मुश्किल हो जाता है।
1. पोंज़ी स्कीम या मल्टी-लेवल मार्केटिंग (MLM)
“5000 लगाओ, हर महीने 5000 कमाओ – और दूसरों को जोड़ो!” ऐसी स्कीमें लोगों को जल्दी पैसे कमाने का लालच देकर नए मेंबर जोड़ती हैं। पैसा सिर्फ नए लोगों से आता है, कोई असली व्यापार नहीं होता।
खतरा कहाँ है? जब नए लोग आना बंद होते हैं, स्कीम बंद हो जाती है और लोगों के पैसे डूब जाते हैं।
कैसे बचें:
- कोई भी स्कीम जो फिक्स्ड रिटर्न का वादा करे, और लोगों को जोड़ने पर कमीशन दे, उससे दूरी बनाएं।
- MLM मॉडल वाले प्रोजेक्ट की कानूनी स्थिति जांचें। भारत में कई MLM स्कीमें गैरकानूनी घोषित हो चुकी हैं।
2. नकली ट्रेडिंग ऐप्स और वेबसाइट्स
कई नकली ऐप Google Play या सोशल मीडिया पर मिल जाते हैं, जो रियल-टाइम में ‘मुनाफा’ दिखाते हैं लेकिन असल में फर्जी होते हैं।
कैसे पहचानें?
- वेबसाइट या ऐप का डोमेन हाल ही में बना होता है।
- कंपनी का कोई रजिस्टर्ड पता या SEBI रजिस्ट्रेशन नहीं होता।
- पैसे डालना तो आसान होता है, लेकिन निकालना नामुमकिन।
कैसे बचें:
- हमेशा SEBI से रजिस्टर्ड ब्रोकर का ही इस्तेमाल करें।
- NSE और BSE की वेबसाइट से अधिकृत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की सूची जांचें।
- प्ले स्टोर पर ऐप की रेटिंग, रिव्यू और डाउनलोड की संख्या देखें।
3. फॉरेक्स और क्रिप्टो करेंसी से जुड़ी फर्जी स्कीमें
“विदेशी मुद्रा या बिटकॉइन में इन्वेस्ट करो, 3 महीने में डबल पैसा मिलेगा!” — यही सुनकर लोग फंस जाते हैं।
हकीकत: भारत में अनधिकृत फॉरेक्स ट्रेडिंग अवैध है। क्रिप्टो में इन्वेस्टमेंट करना कानूनी रूप से वैध है, लेकिन इसमें SEBI या RBI की कोई सुरक्षा नहीं है।
कैसे बचें:
- फॉरेक्स में ट्रेडिंग सिर्फ RBI द्वारा अनुमोदित प्लेटफॉर्म्स पर करें।
- क्रिप्टो में इन्वेस्टमेंट करने से पहले पूरी रिसर्च करें और विदेशी साइट्स पर KYC या पर्सनल डिटेल शेयर न करें।
4. लिंक भेजकर आपकी बैंक या पर्सनल जानकारी चुराना
WhatsApp, SMS या Email पर कोई लिंक आता है: “आपको ₹10,000 का बोनस मिला है – यहां क्लिक करें”
क्या होता है? जैसे ही आप क्लिक करते हैं, वो लिंक आपका बैंक लॉगिन, OTP, UPI PIN आदि चोरी कर लेता है। और फिर अकाउंट से पैसे गायब हो जाते हैं।
कैसे बचें:
- किसी अनजान लिंक पर क्लिक न करें।
- OTP, UPI PIN, या पासवर्ड किसी से साझा न करें, चाहे वो खुद को बैंक कर्मचारी ही क्यों न बताए।
- अगर गलती से जानकारी चली गई हो, तुरंत बैंक और साइबर क्राइम सेल को सूचित करें।
अगर आप ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो जाएं तो क्या करें?
- www.cybercrime.gov.in पर तुरंत शिकायत दर्ज करें
- SEBI SCORES पर यदि कोई इन्वेस्टमेंट या ब्रोकर से जुड़ा मामला है: www.scores.gov.in
- अपने बैंक की हेल्पलाइन पर तुरंत कॉल करें और ट्रांजैक्शन ब्लॉक कराएं
- FIR या ऑनलाइन रिपोर्ट लोकल साइबर सेल में दर्ज कराएं
“जल्दी मुनाफा, पक्का नुकसान!”
ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट जितना आसान दिखता है, उतना ही जोखिम भरा भी है। इसलिए हर कदम सोच-समझकर उठाएं, और सिर्फ प्रमाणित और रजिस्टर्ड प्लेटफॉर्म पर ही इन्वेस्टमेंट करें।
प्राइवेट इन्वेस्टमेंट फ्रॉड: “हाई रिटर्न” के लालच में न पड़ें
जब कोई कहता है – “इस कंपनी में इन्वेस्ट कीजिए, 6 महीने में डबल रिटर्न मिलेगा!”,
तो सावधान हो जाइए। आजकल प्राइवेट कंपनियों के नाम पर धोखा देने वाले फ्रॉड तेजी से बढ़ रहे हैं।
1. फर्जी प्रोफाइल बनाकर प्राइवेट कंपनी में इन्वेस्टमेंट कराना
सोशल मीडिया, ईमेल या कॉल पर आपको इन्वेस्टमेंट का ऑफर मिलता है। सामने वाली पार्टी खुद को “CEO”, “Venture Partner” या “Foreign Investor” बताती है।
कैसे फंसाते हैं?
- नकली वेबसाइट और प्रोफेशनल प्रोफाइल बनाकर खुद को वैध कंपनी का हिस्सा बताते हैं
- इन्वेस्टर्स प्रेजेंटेशन, फॉरेन प्रोजेक्शन्स और डमी एग्रीमेंट दिखाकर भरोसा दिलाते हैं
- एक बार पैसा मिल जाए, फिर कॉन्टैक्ट बंद कर देते हैं या कह देते हैं कि कंपनी फेल हो गई
बचने का तरीका:
- MCA (मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर्स) की वेबसाइट पर कंपनी का CIN नंबर, डायरेक्टर, बैलेंस शीट जांचें
- कंपनी का GST नंबर और ROC रजिस्ट्रेशन देखें
- कभी भी पर्सनल अकाउंट में पैसा ट्रांसफर न करें
2. इन्वेस्टमेंट के नाम पर लोन का झांसा देना
“आपको ₹10 लाख का लोन मिलेगा – पहले ₹50,000 इन्वेस्ट करिए या प्रोसेसिंग फीस दीजिए।”
- हकीकत में न लोन मिलता है, न पैसा वापस
- कई लोग NBFC या फाइनेंस कंपनी का नाम इस्तेमाल करके फर्जी डील करवाते हैं
बचाव कैसे करें?
- RBI की वेबसाइट से NBFC की लिस्ट चेक करें
- हर फाइनेंशियल डील के लिए लिखित डॉक्यूमेंट लें
- “पहले पैसा दो, फिर लोन मिलेगा” वाली स्कीम से दूर रहें
3. बिना रजिस्ट्रेशन वाले चिट फंड और को-ऑपरेटिव सोसाइटीज
“हर महीने ₹1,000 दो – 2 साल में ₹50,000 मिलेंगे!” यह स्कीमें छोटे शहरों और गांवों में बहुत प्रचलित हैं।
कैसे फंसाते हैं?
- बिना SEBI या RBI रजिस्ट्रेशन के स्कीम शुरू करते हैं
- लोकल ऑफिस खोलते हैं, कुछ महीने रिटर्न देते हैं ताकि विश्वास बने
- एक दिन अचानक ऑफिस बंद और पैसा लेकर फरार
बचने के उपाय:
- RBI से रजिस्टर्ड NBFC, और SEBI से रजिस्टर्ड चिट फंड ही मान्य हैं
- “को-ऑपरेटिव सोसाइटी” का रजिस्ट्रेशन नंबर और ऑडिट रिपोर्ट देखें
- लोकल प्रशासन से स्कीम की सत्यता जांचें
अगर आप इस फ्रॉड का शिकार हो जाएं तो क्या करें?
- साइबर क्राइम या लोकल पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराएं
- www.sebi.gov.in पर शिकायत करें (यदि इन्वेस्टमेंट स्कीम से जुड़ा मामला हो)
- कंज्यूमर फोरम या सिविल कोर्ट में रिकवरी केस दर्ज करें
- मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉर्पोरेट अफेयर्स (MCA) को रिपोर्ट करें – अगर फर्जी कंपनी है
कंपनी असली है या नकली, इसका पता लगाना आपकी ज़िम्मेदारी है। कोई भी इन्वेस्टमेंट बिना कानूनी जांच, वैध कागज़ात और सही चैनल के न करें।
अगर कोई बहुत ज्यादा रिटर्न देने का वादा कर रहा है, तो सबसे पहले खुद से पूछिए,
“अगर ये इतना अच्छा है, तो बैंक क्यों नहीं कर रहे?”
वकील से सलाह कब लें?
अगर आपके साथ धोखा हुआ है और मामला थोड़ा बड़ा या पेचीदा है, तो वकील से बात करना जरूरी हो जाता है। ये कुछ हालात हैं जब आपको वकील की मदद लेनी चाहिए:
- अगर पुलिस आपकी शिकायत नहीं ले रही है
- अगर फ्रॉड बड़ी रकम का है या कई लोगों के साथ हुआ है
- अगर आप पैसा वापस पाने के लिए सिविल केस करना चाहते हैं
- अगर आरोपी आपको डराने या धमकाने की कोशिश कर रहा है
- अगर आपको SEBI, RERA या NCLT जैसी संस्था में केस लड़ना है
वकील आपकी सही कानूनी मदद कर सकता है और आपके केस को मज़बूती से रख सकता है।
निष्कर्ष
इन्वेस्टमेंट फ्रॉड का शिकार होना दुखद होता है, लेकिन हिम्मत मत हारिए। अगर आप समय पर कदम उठाएं और सही कानूनी मदद लें, तो आप न सिर्फ अपना पैसा वापस पा सकते हैं, बल्कि ठगों को सजा भी दिलवा सकते हैं।
धोखेबाज़ चुप्पी और डर का फायदा उठाते हैं। अगर आप सही कानूनी रास्ता अपनाते हैं, तो आप खुद को और दूसरों को भी इस तरह की ठगी से बचा सकते हैं।
अगर आपके साथ या आपके किसी जानने वाले के साथ धोखा हुआ है, तो चुप मत बैठिए:
- अपने सभी डॉक्युमेंट और सबूत इकट्ठा कीजिए
- पुलिस या संबंधित संस्था में शिकायत दर्ज कराइए
- जरूरत हो तो किसी अच्छे वकील से सलाह लीजिए
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. अगर किसी फर्जी इन्वेस्टमेंट में पैसा फंस जाए तो सबसे पहले क्या करें?
सबसे पहले सभी सबूत इकट्ठा करें और तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल या नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करें।
2. क्या मैं फर्जी कंपनी से पैसा वापस पा सकता हूँ?
हाँ, आप सिविल कोर्ट या कंज्यूमर कोर्ट में केस दर्ज करके रिकवरी की कोशिश कर सकते हैं।
3. SEBI में शिकायत कैसे दर्ज करूं?
www.scores.gov.in पर जाकर ऑनलाइन फॉर्म भरें और डॉक्युमेंट्स अपलोड करें, शिकायत दर्ज हो जाएगी।
4. क्या पोंज़ी स्कीम में इन्वेस्टमेंट करना गैरकानूनी है?
हाँ, पोंज़ी और MLM स्कीमें अक्सर गैरकानूनी होती हैं, इनमें पैसा लगाना जोखिम और धोखे भरा होता है।
5. ऑनलाइन लिंक से बैंक डिटेल चोरी हो गई हो तो क्या करें?
तुरंत बैंक को कॉल करके ट्रांजैक्शन ब्लॉक करें और साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज करें।



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