भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में नागरिकों का सरकार पर भरोसा ही शासन की बुनियाद है। जनता को यह विश्वास होना चाहिए कि सरकारी अधिकारी उनकी समस्याएं सुनेंगे, समय पर समाधान देंगे और सम्मानजनक व्यवहार करेंगे। लेकिन जब अफसर लापरवाही, घूसखोरी या अभद्रता पर उतर आते हैं, तो क्या किया जाए?
यहीं आता है “सिटीजन चार्टर” – एक ऐसा औज़ार जो आम जनता को सरकारी तंत्र के खिलाफ आवाज़ उठाने का अधिकार देता है, बिना डर के, बिना झिझक के।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे: सिटीजन चार्टर क्या होता है? इसका उद्देश्य क्या है? किन स्थितियों में आप शिकायत कर सकते हैं? शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया, कार्रवाई का समय और समाधान, कानूनी विकल्प और सुझाव
सिटीजन चार्टर क्या है? – एक नागरिक का हथियार
सिटीजन चार्टर एक लिखित दस्तावेज़ है, जो यह तय करता है कि किसी सरकारी विभाग को नागरिक को कौन-कौन सी सेवाएं, कितने समय में और किस गुणवत्ता के साथ देनी चाहिए। साथ ही इसमें यह भी बताया गया होता है कि अगर ये सेवाएं नहीं मिलतीं, तो नागरिक शिकायत कैसे कर सकता है।
कैसे और कब शुरू हुआ?
भारत में सिटीजन चार्टर की अवधारणा वर्ष 2002 में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) द्वारा शुरू की गई। इसका मकसद था सरकारी कार्य प्रणाली को पारदर्शी, जवाबदेह और नागरिकोन्मुख बनाना।
चार्टर में क्या-क्या होता है?
- विभाग की मुख्य सेवाओं की सूची
- सेवाएं मिलने की समयसीमा
- जिम्मेदार अधिकारियों के नाम
- शिकायत करने की प्रक्रिया
- शिकायत निवारण की समयसीमा
- नागरिकों के अधिकार और विभाग की जिम्मेदारियाँ
सिटीजन चार्टर के उद्देश्य: सिर्फ़ प्रक्रिया नहीं, जिम्मेदारी का वादा
- सेवाएं समय पर मिलें: नागरिकों को बिजली, पानी, राशन, प्रमाणपत्र जैसी जरूरी सेवाएं समय पर मिलें।
- गुणवत्ता सुनिश्चित हो: दी जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता निर्धारित मानकों के अनुसार हो।
- जवाबदेही तय हो: अगर कोई अधिकारी लापरवाही करता है, तो उसकी जिम्मेदारी तय हो।
- अधिकार की रक्षा हो: हर नागरिक को यह समझ हो कि वह सेवा लेने का हकदार है, न कि किसी की कृपा पर निर्भर।
- शिकायत का अधिकार: अगर कुछ गलत होता है, तो नागरिकों को औपचारिक तरीके से शिकायत करने और उसका निवारण पाने का अधिकार है।
कब और क्यों करें शिकायत?
सरकारी सिस्टम में बहुत बार ऐसा होता है जब अधिकारी नागरिकों के साथ ठीक से व्यवहार नहीं करते या जानबूझकर फाइलें लटकाते हैं। नीचे कुछ उदाहरण दिए गए हैं जब आप सिटीजन चार्टर के तहत शिकायत कर सकते हैं:
सेवा में देरी:
- बिजली का कनेक्शन समय पर नहीं मिल रहा
- जाति, निवास या जन्म प्रमाणपत्र महीनों से लंबित है
- पासपोर्ट अथवा ड्राइविंग लाइसेंस में अनावश्यक देरी हो रही है
रिश्वत की मांग:
- अधिकारी या बाबू काम के बदले पैसे मांग रहा है
- फाइल आगे बढ़ाने के लिए घूस ली जा रही है
अपमानजनक व्यवहार:
- कर्मचारी ने जनता के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया
- नागरिकों से रूखा और असम्मानजनक रवैया
सेवा ही न मिले:
- शिकायत करने पर भी कोई जवाब न मिले
- ऑनलाइन पोर्टल या हेल्पलाइन पर बार-बार प्रयास के बावजूद समाधान न मिले
शिकायत दर्ज कैसे करें? – स्टेप बाय स्टेप गाइड
Step 1: संबंधित विभाग की वेबसाइट पर जाएं
हर सरकारी विभाग की अपनी वेबसाइट होती है, जहां ‘Grievance’ या ‘Citizen Charter’ का सेक्शन होता है।
Step 2: चार्टर पढ़ें और अपनी सेवा खोजें
चार्टर में दी गई सेवाओं और उनके तय समय को पढ़ें। देखिए कि आपकी शिकायत किस सेवा से संबंधित है।
Step 3: शिकायत फॉर्म भरें
- नाम, पता, संपर्क विवरण
- संबंधित अधिकारी का नाम (अगर पता हो)
- सेवा का नाम और तारीख
- समस्या का विवरण (संक्षिप्त और स्पष्ट भाषा में)
- यदि संभव हो तो डॉक्यूमेंट्स अपलोड करें
Step 4: शिकायत की कॉपी सेव करें
शिकायत संख्या या रसीद सुरक्षित रखें ताकि आगे आप उसका स्टेटस ट्रैक कर सकें।
DARPG की वेबसाइट से शिकायत करें
आप सीधे भारत सरकार की केंद्रीय वेबसाइट से भी शिकायत कर सकते हैं:
- 🔗 www.darpg.gov.in
- यहां CPGRAMS (Centralized Public Grievance Redress and Monitoring System) के तहत शिकायत की जा सकती है।
अन्य विभागीय पोर्टल्स:
- PIB (Press Information Bureau) – www.pib.nic.in
- RNI (Registrar of Newspapers for India) – www.rni.nic.in
- DAVP (Directorate of Advertising and Visual Publicity) – www.davp.nic.in
शिकायत पर कार्रवाई कब तक होती है?
अधिकतर सरकारी विभागों के चार्टर के अनुसार, शिकायतों का निपटारा 30 से 60 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए। यदि इस अवधि में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती:
- संबंधित अधिकारी को ईमेल या कॉल करें
- पोर्टल पर Reminder या Follow-up दर्ज करें
- RTI के माध्यम से जानकारी मांग सकते हैं
अगर ऑनलाइन शिकायत से समाधान न हो तो?
अगर आपकी शिकायत को नजरअंदाज किया जाता है या उचित कार्रवाई नहीं होती, तो आपके पास कानूनी विकल्प भी हैं:
- राज्य लोकायुक्त (Lokayukta): राज्य स्तर पर सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करता है।
- केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC): घूसखोरी या भ्रष्ट आचरण की शिकायत के लिए – www.cvc.gov.in
- उपभोक्ता अदालत / न्यायालय: यदि सेवा से आर्थिक या मानसिक नुकसान हुआ है, तो कोर्ट में मामला दायर किया जा सकता है।
- सूचना का अधिकार (RTI): शिकायत की स्थिति जानने के लिए RTI दाखिल करें – www.rti.gov.in
उदाहरण: समझिए एक केस स्टडी से
स्थिति: एक व्यक्ति ने बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया, लेकिन तीन सप्ताह बीतने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब उसने बिजली विभाग से संपर्क किया, तो अधिकारी ने बहाने बनाए और कागज़ात बार-बार लौटाए।
क्या किया जाए?
- विभाग की वेबसाइट पर जाकर Grievance सेक्शन में शिकायत दर्ज करें
- DARPG पोर्टल पर दूसरी शिकायत भी भेजें
- अगर 30 दिन में जवाब नहीं मिला, तो RTI डालें और राज्य लोकायुक्त को पत्र लिखें
नागरिकों की भूमिका: सिर्फ शिकायत नहीं, जागरूकता भी जरूरी
- जानकारी रखें कि कौन-सी सेवा कितने दिन में मिलनी चाहिए
- हर कागज़ात की कॉपी संभाल कर रखें
- बातचीत का रिकॉर्ड (यदि संभव हो) रखें
- सोशल मीडिया का सकारात्मक इस्तेमाल करें – ट्विटर पर मंत्रालय को टैग करें
- जन जागरूकता बढ़ाएं – पड़ोसी, रिश्तेदारों को भी यह प्रक्रिया बताएं
निष्कर्ष:
जिम्मेदार सरकार, सशक्त नागरिक
सिटीजन चार्टर न सिर्फ सरकारी व्यवस्था को जवाबदेह बनाता है, बल्कि नागरिकों को भी उनके अधिकारों की जानकारी देता है। यह लोकतंत्र की आत्मा को मजबूत करता है, जिसमें जनता सिर्फ वोटर नहीं, सिस्टम की भागीदार होती है।
यदि कोई सरकारी कर्मचारी अपने कर्तव्य में लापरवाही करता है, रिश्वत मांगता है या दुर्व्यवहार करता है, तो चुप न रहें। सिटीजन चार्टर के तहत आवाज़ उठाएं – यह आपका अधिकार है, और कर्तव्य भी।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. सिटीजन चार्टर क्या है?
यह दस्तावेज़ बताता है कि कोई सरकारी विभाग किन सेवाओं को कितने समय में देगा, और नागरिक शिकायत कैसे दर्ज कर सकता है।
2. शिकायत कहां दर्ज करें?
संबंधित विभाग की वेबसाइट या DARPG के पोर्टल (darpg.gov.in) पर।
3. शिकायत का निपटारा कितने समय में होता है?
अधिकतर मामलों में 30 से 60 दिनों में।
4. क्या अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होती है?
हां, जांच के बाद चेतावनी, ट्रांसफर या सस्पेंशन तक हो सकता है।
5. यदि ऑनलाइन शिकायत से समाधान न हो तो क्या करें?
आप लोकायुक्त, केंद्रीय सतर्कता आयोग या न्यायालय का रुख कर सकते हैं।



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