PF और ग्रेच्युटी जैसी सुविधाएँ आपकी सैलरी का एक जरूरी हिस्सा होती हैं। ये कोई मालिक की मेहरबानी नहीं होती, बल्कि आपका कानूनी हक होता है। जब आप किसी कंपनी में तय समय तक काम करते हैं, तो आप इन पैसों के हकदार बन जाते हैं।
लेकिन बहुत बार ऐसा होता है कि कर्मचारियों को PF और ग्रेच्युटी मिलती नहीं है, देर से मिलती है, या फिर उन्हें ये समझ ही नहीं आता कि इसे क्लेम कैसे करें।
इस ब्लॉग में हम में बताएंगे कि PF और ग्रेच्युटी से जुड़े नियम क्या हैं, आपका कानूनी हक क्या है, और अगर आपका मालिक पैसे देने से मना कर दे तो आप क्या कर सकते हैं
PF और ग्रेच्युटी को समझना
PF क्या होता है?
PF (Provident Fund) एक बचत योजना है, जो आपकी रिटायरमेंट (नौकरी से रिटायर होने) के बाद काम आती है। हर महीने आपकी सैलरी का एक हिस्सा PF में जमा होता है, और उतना ही पैसा आपकी कंपनी भी डालती है। ये पैसा ब्याज के साथ बढ़ता रहता है और आप इसे नौकरी छोड़ने या रिटायर होने पर निकाल सकते हैं।
मुख्य बातें:
- आपकी बेसिक सैलरी का 12% हर महीने PF में जाता है।
- आपकी कंपनी भी 12% योगदान देती है, जिसमें से कुछ हिस्सा पेंशन योजना में जाता है।
- ये पैसा एम्प्लॉएंस प्रोविडेंट फंड्स आर्गेनाइजेशन (EPFO) द्वारा संभाला जाता है।
- PF की व्यवस्था एम्प्लॉएंस प्रोविडेंट फंड्स और मिसलेनियस प्रोविशंस एक्ट, 1952 के तहत होती है।
- यह कानून उन कंपनियों पर लागू होता है जहाँ 20 या उससे ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।
ग्रेच्युटी क्य होती है?
ग्रेच्युटी एक बार में मिलने वाली राशि होती है, जो कंपनी आपको लंबे समय तक काम करने के बदले देती है। ये एक तरह से कंपनी की ओर से “धन्यवाद” होता है।
ग्रेच्युटी पाने के लिए ये शर्तें होती हैं:
- ग्रेच्युटी का नियम पेमेंट ऑफ़ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत आता है।
- आपने लगातार 5 साल या उससे ज़्यादा समय तक उस कंपनी में काम किया हो।
- यह कानून फैक्ट्री, दुकान, माइन (खदान), ऑयलफील्ड, बंदरगाह, रेलवे, या किसी भी ऐसी जगह पर लागू होता है जहाँ 10 या उससे ज्यादा लोग काम करते हैं।
किसे PF और ग्रेच्युटी मिलती है?
PF के लिए पात्रता:
- अगर आप ऐसी कंपनी में काम करते हैं जहाँ 20 या उससे ज़्यादा कर्मचारी हैं, तो PF देना जरूरी होता है।
- अगर कंपनी ने एक बार PF के लिए रजिस्ट्रेशन करवा लिया है, तो फिर चाहे कर्मचारियों की संख्या 20 से कम भी हो जाए, PF देना जारी रखना पड़ेगा।
ग्रेच्युटी के लिए पात्रता:
- आपको लगातार 5 साल तक उसी कंपनी में काम किया होना चाहिए।
- लेकिन, अगर किसी कर्मचारी की मृत्यु या विकलांगता हो जाती है, तो उस हालत में 5 साल पूरे ना हुए हों तब भी ग्रेच्युटी मिलती है।
PF और ग्रेच्युटी क्लेम नहीं मिल रहा है – सबसे सामान्य कारण
कंपनी का PF न जमा करना या EPFO में अपडेट न करना
- कई बार कंपनियाँ कर्मचारियों की सैलरी से PF काट तो लेती हैं, लेकिन वो पैसा EPFO के पास जमा नहीं करतीं।
- या फिर PF तो जमा करती हैं, लेकिन उसे EPFO पोर्टल पर अपडेट नहीं किया जाता, जिससे कर्मचारी को अपना बैलेंस या स्टेटस दिखता ही नहीं है।
- जब कर्मचारी PF का क्लेम करता है, तो अगर रिकॉर्ड में कोई गलती होती है, तो क्लेम रिजेक्ट हो सकता है या प्रोसेस में अटक सकता है।
नौकरी छोड़ने के बाद दस्तावेज़ जमा न करना
PF और ग्रेच्युटी क्लेम के लिए कई बार कुछ दस्तावेज़ जरूरी होते हैं जैसे कि:
- रिलीविंग लेटर
- पहचान पत्र
- बैंक पासबुक या कैंसल चेक
- ग्रेच्युटी के लिए Form I
दस्तावेज अधूरे या जमा न करने की वजह से क्लेम अधूरा माना जाता है और रिजेक्ट कर दिया जाता है।
कंपनी का इरादा ही पैसा रोकना
- कुछ कंपनियाँ जानबूझकर कर्मचारियों का PF या ग्रेच्युटी क्लेम नहीं भेजतीं।
- खासकर तब जब:
- कर्मचारी बिना नोटिस पीरियड पूरा किए छोड़ गया हो।
- कंपनी के साथ कानूनी विवाद हो।
- कंपनी खुद बंद हो गई हो या दिवालिया होने की स्थिति में हो।
- कर्मचारी महीनों या सालों तक क्लेम के लिए संघर्ष करता है और पैसा फंसा रह जाता है।
UAN से आधार, पैन, बैंक लिंक न होना
- PF क्लेम के लिए UAN से आधार, पैन और बैंक खाता सही और वेरिफाइड होना जरूरी है।
- अगर ये लिंक नहीं हैं या इनका डेटा मेल नहीं खाता (जैसे नाम की स्पेलिंग अलग), तो क्लेम ऑटोमेटिकली रिजेक्ट हो सकता है।
- क्लेम लंबित रह जाता है या अस्वीकार हो जाता है, और कर्मचारी को कारण समझ नहीं आता।
क्लेम करने की प्रक्रिया क्या है?
PF क्लेम कैसे करें:
PF क्लेम करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपका UAN नंबर, आधार, पैन और बैंक खाता विवरण पूरी तरह से अपडेट और वेरिफाइड है। अगर ये जानकारी मेल नहीं खाती, तो आपका क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।
- सबसे पहले इस वेबसाइट पर जाएँ: www.unifiedportal-mem.epfindia.gov.in
- वहाँ अपने UAN नंबर और पासवर्ड से लॉगिन करें।
- “Online Services” में जाकर PF Withdrawal का विकल्प चुनें।
- आपका क्लेम पहले कंपनी के पास जाएगा – वे उसे वेरीफाई करेंगे।
- फिर EPFO आपका क्लेम प्रोसेस करके पैसा आपके बैंक खाते में भेज देगा।
ध्यान दें: अगर कंपनी क्लेम को देर से अप्रूव करती है, तो पैसे आने में भी देरी हो सकती है।
ग्रेच्युटी क्लेम कैसे करें:
- नौकरी छोड़ने के 30 दिनों के अंदर एक एप्लिकेशन (Form I) अपनी कंपनी को दें।
- कंपनी को 15 दिनों के अंदर एक नोटिस भेजना होता है जिसमें लिखा होगा कि आपको कितनी ग्रेच्युटी मिलेगी।
- कंपनी को वह रकम 30 दिनों के अंदर आपके खाते में भेजनी होती है।
कर्मचारियों के लिए कौन से कानूनी उपाय उपलब्ध हैं?
अगर PF से जुड़ी परेशानी हो तो क्या करें:
- सबसे पहले EPFO Grievance Portal पर शिकायत दर्ज करें: www.epfigms.gov.in
- अगर कंपनी PF नहीं दे रही है, तो आप उसे एक कानूनी नोटिस भेज सकते हैं।
- अपने इलाके के EPFO ऑफिस में जाकर PF कमिश्नर से मिलें और शिकायत करें।
- फिर भी समाधान न मिले, तो आप लेबर कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं। (EPF Act के तहत मामला दर्ज हो सकता है।)
अगर ग्रेच्युटी न मिले तो क्या करें:
- आप अपनी शिकायत कंट्रोलिंग अथॉरिटी के पास दर्ज करें। (यह आमतौर पर आपके एरिया के असिस्टेंट लेबर कमिश्नर होते हैं।)
- जरूरत पड़े तो लेबर कोर्ट में ग्रेच्युटी की वसूली के लिए केस फाइल करें।
- अगर कंपनी 30 दिन में ग्रेच्युटी नहीं देती, तो उसे ब्याज सहित रकम चुकानी पड़ती है।
लेबर कमिश्नर और कानूनी रास्तों की भूमिका:
PF के मामले में:
- आपके एरिया के रीजनल PF कमिश्नर को शिकायत की जा सकती है।
- वो कंपनी को बुलाकर पूछताछ कर सकते हैं और पैसे चुकाने का आदेश दे सकते हैं।
- अगर आप उनके फैसले से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप PF अपीलेट ट्रिब्यूनल (अदालत जैसी संस्था) में अपील कर सकते हैं।
ग्रेच्युटी के मामले में:
- असिस्टेंट लेबर कमिश्नर आपके मामले की जांच करते हैं।
- अगर आपकी बात सही पाई गई, तो वो कंपनी को ग्रेच्युटी देने का आदेश दे सकते हैं, जो मानना जरूरी होता है।
- अगर कंपनी उस आदेश को नहीं मानती, तो आप सीधे लेबर कोर्ट में जाकर उसे लागू करवा सकते हैं।
आपकी मदद के लिए और कौन-कौन है:
- आप चाहें तो किसी लेबर लॉ में विशेषज्ञ वकील से सलाह ले सकते हैं।
- एम्प्लॉयी यूनियन भी आपकी मदद कर सकती है।
- कई NGOs और संगठनों से भी मदद ली जा सकती है जो मजदूरों के अधिकारों पर काम करते हैं।
वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड बनाम मनोहर गोविंदा फुलज़ेले, सुप्रीम कोर्ट, 2025
- कर्मचारी ने रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने के लिए झूठी जन्मतिथि दी थी, जिससे उसे नौकरी से निकाल दिया गया।
- अगर किसी कर्मचारी का गलत काम (जैसे धोखाधड़ी या बेईमानी) “नैतिक दोष” (moral turpitude) में आता है, तो उसके लिए कोई आपराधिक केस साबित होना जरूरी नहीं है। ऐसी स्थिति में कंपनी ग्रेच्युटी रोक सकती है।
- कंपनी तभी ग्रेच्युटी रोक सकती है जब वह कर्मचारी को नोटिस दे और अपना पक्ष रखने का पूरा मौका भी दे।
- अगर कर्मचारी ने गंभीर गलती की है, तो सिर्फ उसी आधार पर (बिना कोर्ट से सजा पाए) भी उसका ग्रेच्युटी क्लेम रोका जा सकता है – लेकिन पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन जरूरी है।
साधु बीड़ी इंटरप्राइजेज बनाम नियंत्रण प्राधिकरण, केरल हाईकोर्ट, 2024
- कंपनी ने कहा कि उसके पास पैसे नहीं हैं, इसलिए वह ग्रेच्युटी किस्तो में (instalments) में देना चाहती है।
- कोर्ट ने साफ कहा कि ग्रेच्युटी पूरा पैसा एक बार में (lump sum) देना होता है, और वो भी 30 दिनों के अंदर। कंपनी की पैसे की कमी कोई बहाना नहीं माना जाएगा।
- किस्तों में ग्रेच्युटी देना कानूनन गलत है। कंपनी को पूरा पैसा एक साथ और समय पर देना जरूरी है, वरना कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम प्रियंका, सुप्रीम कोर्ट, 2023
- एक कर्मचारी की मौत हो गई, लेकिन उसने 60 साल की उम्र तक काम करने का विकल्प औपचारिक रूप से नहीं चुना था।
- कोर्ट ने कहा कि डेथ-कम-रिटायरमेंट ग्रेच्युटी एक कल्याणकारी योजना है।
- अगर कर्मचारी की मौत हो जाती है, तो उसका परिवार फिर भी ग्रेच्युटी पाने का हकदार होता है – भले ही उसने रिटायरमेंट का विकल्प चुना हो या नहीं।
- कर्मचारी की मौत के बाद उसका परिवार ग्रेच्युटी का हक नहीं खोता। ये पैसा परिवार का अधिकार है और कंपनी को देना ही होगा।
निष्कर्ष
अगर आपने किसी कंपनी में मेहनत से काम किया है, तो PF और ग्रेच्युटी जैसी सुविधाएं आपका वैधानिक अधिकार हैं, न कि किसी नियोक्ता की कृपा। अगर कंपनी ये पैसे नहीं दे रही है, तो चुप न रहें, कानून आपके साथ है। आप ऑनलाइन पोर्टल, लेबर कमिश्नर या कोर्ट के जरिए अपना हक पा सकते हैं। जितनी ज्यादा जानकारी होगी, उतनी ही आसानी से आप अपनी लड़ाई जीत सकते हैं।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. मेरी कंपनी PF जमा नहीं कर रही है – क्या करूं?
EPFiGMS पोर्टल पर शिकायत करें या EPFO ऑफिस में सबूतों के साथ लिखित शिकायत दें। जरूरत हो तो लेबर कोर्ट में केस करें।
2. ग्रेच्युटी क्लेम करने की समय-सीमा क्या है?
नौकरी छोड़ने के 30 दिन के भीतर फॉर्म I से दावा करें। देर होने पर कारण बताकर देरी माफ करवाई जा सकती है।
3. क्या PF और ग्रेच्युटी के लिए कोर्ट में केस किया जा सकता है?
हाँ, राहत न मिलने पर PF के लिए EPFO और ग्रेच्युटी के लिए लेबर कमिश्नर के बाद लेबर कोर्ट या ट्रिब्यूनल में केस किया जा सकता है।
4. कितना ब्याज मिलता है लेट पेमेंट पर?
PF में EPFO की तय ब्याज दर मिलती है, जबकि ग्रेच्युटी में 30 दिन बाद भुगतान न होने पर 10% ब्याज देना अनिवार्य होता है।
5. क्या नौकरी छोड़ने के तुरंत बाद ग्रेच्युटी मिलती है?
हाँ, आप 30 दिन के अंदर क्लेम करें। कंपनी को 30 दिनों में पेमेंट करना होता है, वरना कानूनी कार्रवाई संभव है।



एडवोकेट से पूछे सवाल