भारत में शादी सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं है – यह दो परिवारों, संस्कृतियों और परंपराओं का संगम है। लेकिन आज के समय में शादी का केवल सामाजिक रूप से स्वीकार्य होना पर्याप्त नहीं है। जब तक यह कानूनी रूप से पंजीकृत न हो, तब तक इससे जुड़ी कई सुविधाओं और अधिकारों से वंचित रहना पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
2006 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा कि भारत में सभी शादियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा, चाहे वह किसी भी धर्म या रीति-रिवाज के अनुसार हुई हो। इसका उद्देश्य था विवाह को कानूनी संरचना में लाना, महिला अधिकारों की रक्षा करना और विवाह से जुड़े विवादों को कम करना।
भारत में विवाह पंजीकरण के कानून
भारत में विवाह के पंजीकरण के लिए दो प्रमुख कानून हैं:
हिंदू मैरिज एक्ट, 1955
- लागू होता है: हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख समुदाय के लिए
- शादी पहले होती है, बाद में रजिस्ट्रेशन
स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954
- लागू होता है: विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच विवाह के लिए
- शादी और रजिस्ट्रेशन एक साथ होता है (पहले नोटिस, फिर शादी, फिर सर्टिफिकेट)
मैरिज सर्टिफिकेट क्यों जरूरी है?
एक साधारण कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि एक मजबूत कानूनी दस्तावेज है जो निम्नलिखित में सहायक है:
- पासपोर्ट या वीज़ा के लिए आवेदन
- जॉइंट बैंक खाता खोलना
- प्रॉपर्टी की संयुक्त रजिस्ट्री
- तलाक, मेंटेनेंस या विरासत विवादों में साक्ष्य
- सरकारी योजनाओं और पेंशन लाभ में
ऑनलाइन मैरिज रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया
आज के डिजिटल युग में आप घर बैठे ही शादी का रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। नीचे दी गई प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से समझें:
चरण 1: अपने राज्य के मैरिज रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर जाएं
उदाहरण के लिए:
- दिल्ली: www.edistrict.delhigovt.nic.in
- महाराष्ट्र: www.igrmaharashtra.gov.in
चरण 2: आवेदन फॉर्म भरें
- नाम, पता, जन्मतिथि, माता-पिता के नाम
- विवाह की तिथि और स्थान
चरण 3: ज़रूरी दस्तावेज अपलोड करें
- आधार कार्ड, पासपोर्ट
- शादी की फोटो
- निमंत्रण पत्र
- विवाह प्रमाण (निकाहनामा, मंदिर प्रमाण पत्र)
चरण 4: फीस का भुगतान करें
- हिंदू मैरिज एक्ट: ₹100
- स्पेशल मैरिज एक्ट: ₹150 (राज्य अनुसार अलग भी हो सकती है)
चरण 5: Acknowledgment प्राप्त करें
- रसीद को डाउनलोड करें और प्रिंट निकालें
चरण 6: निर्धारित दिन पर रजिस्ट्री ऑफिस जाएं
- ओरिजिनल दस्तावेज और गवाहों के साथ
चरण 7: विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त करें
ऑफलाइन मैरिज रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया
अगर आप डिजिटल नहीं हैं या दस्तावेज़ों की भौतिक जांच जरूरी है, तो आप पारंपरिक ऑफलाइन तरीका अपना सकते हैं।
स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस:
- निकटतम सब-रजिस्ट्रार ऑफिस जाएं
- विवाह आवेदन फॉर्म प्राप्त करें और भरें
- दस्तावेज संलग्न करें:
- पहचान, निवास, जन्म प्रमाण
- शादी का प्रमाण (फोटो, निमंत्रण)
- गवाहों के हस्ताक्षर करवाएं
- फीस जमा करें और acknowledgment प्राप्त करें
- निर्धारित तिथि पर रजिस्ट्रार के सामने उपस्थित हों
- विवाह प्रमाण पत्र प्राप्त करें
गवाहों की आवश्यकता
| कानून | आवश्यक गवाह |
| हिंदू मैरिज एक्ट | 2 गवाह |
| स्पेशल मैरिज एक्ट | 3 गवाह |
गवाह रिश्तेदार, दोस्त या किसी भी विश्वसनीय व्यक्ति हो सकते हैं, जो शादी के समय मौजूद थे।
आवश्यक दस्तावेजों की सूची
| दस्तावेज | विवरण |
| पहचान प्रमाण | आधार, पैन, पासपोर्ट |
| जन्म प्रमाण | जन्म प्रमाण पत्र, मैट्रिक सर्टिफिकेट |
| निवास प्रमाण | बिजली बिल, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस |
| विवाह प्रमाण | निकाहनामा, मंदिर प्रमाण पत्र, फोटो |
| निमंत्रण पत्र | शादी का कार्ड |
| गवाहों का आईडी प्रूफ | आधार/पैन |
| विशेष स्थिति में | तलाक डिक्री या मृत्यु प्रमाण पत्र |
विशेष नोट्स और सावधानियां
- शादी के 60 दिनों के भीतर पंजीकरण करना जरूरी है (कुछ राज्यों में यह समय अलग हो सकता है)।
- दस्तावेज प्रमाणित और वैध होने चाहिए।
- आवेदन की कॉपी और acknowledgment स्लिप अपने पास रखें।
- ऑनलाइन आवेदन करते समय स्पेलिंग और जन्मतिथि की सटीकता का ध्यान रखें।
कानूनी सलाह: कब वकील से संपर्क करें?
- जब दस्तावेज में गड़बड़ी हो
- जब स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत विवाह हो
- जब कोई पक्ष विदेशी नागरिक हो
- जब अंतर-धार्मिक विवाह हो रहा हो
ऐसे मामलों में अनुभवी वकील या मैरिज रजिस्ट्रेशन विशेषज्ञ से मार्गदर्शन लेना उचित रहेगा।
निष्कर्ष:
विवाह की वैधता का दस्तावेज
विवाह प्रमाण पत्र एक साधारण कागज नहीं, बल्कि आपके जीवन का सुरक्षा कवच है। इससे न केवल आपकी शादी को कानूनी मान्यता मिलती है, बल्कि भावी जीवन के कई मोर्चों पर यह आपका साथ देता है – चाहे वह वीज़ा हो, संपत्ति का अधिकार हो या आपसी विवाद का समाधान।
एजेंट्स की आवश्यकता नहीं
आज के डिजिटल युग में आपको किसी एजेंट की मदद लेने की जरूरत नहीं है। थोड़ी सी जानकारी और सही दस्तावेजों के साथ आप स्वयं यह प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।
हमारा सुझाव
अपने विवाह को कानूनी दर्जा देकर इसे सशक्त बनाएं। चाहे आपकी शादी पारंपरिक हो, कोर्ट मैरिज हो या अंतरधार्मिक – रजिस्ट्रेशन करवाना आपका अधिकार और ज़िम्मेदारी दोनों है।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. क्या मैरिज सर्टिफिकेट बनवाना जरूरी है?
हां, सुप्रीम कोर्ट के अनुसार यह अनिवार्य है।
2. रजिस्ट्रेशन के लिए कितने गवाह चाहिए?
हिंदू मैरिज एक्ट में 2, स्पेशल मैरिज एक्ट में 3 गवाह।
3. क्या नाम बदलने की प्रक्रिया भी है?
हां, विवाह के बाद गजट नोटिफिकेशन द्वारा नाम बदला जा सकता है।
4. क्या एजेंट के बिना आवेदन हो सकता है?
बिल्कुल! आप खुद ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों ही तरीके से आवेदन कर सकते हैं।
5. समय सीमा क्या है?
शादी के 60 दिनों के अंदर रजिस्ट्रेशन करवाना उचित है।



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