वाइफ द्वारा पुलिस में झूठी शिकायत करने पर पति के अधिकार क्या हैं?

What are the rights of a husband if his wife files a false complaint with the police

आज के समय में दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा और अन्य अपराधों के खिलाफ महिलाओं के संरक्षण के लिए कई सख्त कानून बनाए गए हैं। लेकिन दुख की बात है कि कुछ मामलों में इन कानूनों का दुरुपयोग भी होता है। जब पत्नी बिना सच्चाई के पति और उसके परिवार पर झूठे आरोप लगाकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराती है, तो इससे पति और उसके परिवार को मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से गंभीर नुकसान होता है। ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि पति के पास किस प्रकार के कानूनी अधिकार हैं और वह अपनी रक्षा कैसे कर सकता है।

वाइफ द्वारा झूठी पुलिस शिकायत के आम प्रकार

  • घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत झूठी रिपोर्ट
  • भारतीय न्याय संहिता की धारा 85 के तहत दहेज प्रताड़ना के झूठे आरोप
  • बलात्कार या यौन उत्पीड़न के झूठे आरोप
  • आत्महत्या के लिए उकसाने के झूठे आरोप
  • भरण-पोषण के लिए झूठे दावे

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यह समझना महत्वपूर्ण है कि यदि पत्नी की शिकायत झूठी पाई जाती है तो पति के पास प्रभावी कानूनी उपाय मौजूद हैं।

पति के कानूनी अधिकार झूठी शिकायत की स्थिति में

निष्पक्ष जांच की मांग का अधिकार

पति को यह अधिकार है कि पुलिस बिना पक्षपात के निष्पक्ष जांच करे। अगर ऐसा नहीं होता है, तो वह उच्च अधिकारियों या कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग कर सकता है।

एफआईआर की प्रति पाने का अधिकार

FIR दर्ज होते ही पति को उसकी कॉपी मांगने और प्राप्त करने का अधिकार है। इससे उसे अपने बचाव के लिए तैयारी करने में मदद मिलती है।

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अग्रिम जमानत का अधिकार

झूठी एफआईआर के मामले में पति और उसके परिवार के सदस्य भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 482 के तहत अग्रिम जमानत की अर्जी लगा सकते हैं। इससे गिरफ्तारी से बचाव संभव होता है।

एफआईआर रद्द करवाने का अधिकार

अगर शिकायत प्रथम दृष्टया झूठी प्रतीत होती है, तो पति भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 528 के तहत हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एफआईआर रद्द (Quashing) करवा सकता है।

झूठी शिकायत के खिलाफ उठाए जा सकने वाले कानूनी कदम?

धारा 528 BNSS के तहत एफआईआर रद्द करना

हाईकोर्ट में याचिका दायर कर यह साबित किया जा सकता है कि मामला झूठा और दुर्भावनापूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में इस अधिकार को मान्यता दी है।

धारा 217 BNS के तहत कार्रवाई

अगर कोई व्यक्ति पुलिस को झूठी जानकारी देता है, तो उसके खिलाफ BNS की धारा 217 के तहत कार्यवाही की जा सकती है। इसमें सजा का भी प्रावधान है।

मानहानि का दावा (BNS 356)

पति अपनी प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए पत्नी के खिलाफ फौजदारी मानहानि (Criminal Defamation) का मुकदमा कर सकता है।

झूठे सबूत देने पर कार्रवाई (BNS 227 और 228)

अगर पत्नी ने झूठे दस्तावेज या झूठे गवाह प्रस्तुत किए हैं, तो उसके खिलाफ झूठा सबूत गढ़ने के लिए अलग से केस दर्ज हो सकता है।

सिविल मुकदमा और मुआवजा दावा

पति मानसिक उत्पीड़न और वित्तीय नुकसान के लिए सिविल कोर्ट में मुआवजे का दावा भी कर सकता है।

झूठे केस से बचाव के लिए अग्रिम कदम

  • अग्रिम जमानत के लिए तुरंत आवेदन करें।
  • सभी प्रमाण और साक्ष्य सुरक्षित रखें: जैसे कॉल रिकॉर्डिंग, चैट, ईमेल आदि।
  • वकील की सलाह पर ही पुलिस में बयान दें।
  • पुलिस कार्रवाई में पूरा सहयोग करें पर बिना लिखित अनुमति कुछ न स्वीकारें।
  • अपने बचाव में जल्दबाजी से बयानबाजी करने से बचें।
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सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णय

प्रीति गुप्ता बनाम भारत सरकार

IPC 498A के दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि झूठे मामले वैवाहिक संस्थाओं को नुकसान पहुंचाते हैं और निर्दोष व्यक्तियों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।

राजेश शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य

सुप्रीम कोर्ट ने IPC 498A के मामलों की जांच के लिए फैमिली वेलफेयर कमेटी (Family Welfare Committee) के गठन का निर्देश दिया, ताकि शिकायत की प्रारंभिक जांच हो सके और निर्दोष व्यक्तियों को तुरंत गिरफ्तारी से बचाया जा सके।

यदि समझौते की संभावना हो तो क्या करें?

  • आपसी बातचीत से विवाद सुलझाने का प्रयास करें।
  • कोर्ट के आदेश से समझौते के आधार पर मुकदमा वापस लिया जा सकता है।
  • मीडिएशन (Mediation) के माध्यम से भी समाधान निकाला जा सकता है।
  • समझौते के बाद एफआईआर रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की जा सकती है।

पुलिस या कोर्ट द्वारा झूठी शिकायत पर पतियों को मिलने वाला मुआवजा

  • गलत गिरफ्तारी पर मुआवजा पाने का दावा किया जा सकता है।
  • मानसिक आघात के लिए अलग से हर्जाना मांगा जा सकता है।
  • मुकदमे में खर्च हुई वकील फीस की भरपाई का भी अनुरोध किया जा सकता है।

झूठे आरोपों से जुड़े व्यावहारिक सुझाव

  • शांत रहें और संयम बनाए रखें।
  • सोशल मीडिया पर कोई बयानबाजी न करें।
  • हर कदम वकील की सलाह से उठाएं।
  • अपने पक्ष में हर संभव साक्ष्य इकट्ठा करें।

निष्कर्ष

पतियों को चाहिए कि वे झूठी शिकायत का सामना करते समय घबराएं नहीं बल्कि उचित कानूनी कदम उठाएं। भारत का कानून निर्दोष व्यक्तियों को सुरक्षा प्रदान करता है। यदि सही समय पर सही कानूनी सलाह ली जाए और उचित कार्रवाई की जाए तो झूठे आरोपों से पूरी तरह से मुक्ति पाई जा सकती है। हर कदम सोच-समझकर और सबूतों के साथ उठाना जरूरी है।

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FAQs

1. अगर पत्नी ने 498A के तहत झूठा केस किया है तो क्या पति को तुरंत गिरफ्तार किया जा सकता है?

नहीं, सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ऐसे मामलों में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जानी चाहिए और प्रारंभिक जांच आवश्यक है।

2. क्या समझौते के बाद केस खत्म किया जा सकता है?

हाँ, आपसी सहमति से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एफआईआर रद्द करवाई जा सकती है।

3. क्या पति झूठे केस के लिए पत्नी से मुआवजा मांग सकता है?

हाँ, मानसिक पीड़ा और वित्तीय नुकसान के लिए मुआवजा याचिका दायर की जा सकती है।

4. क्या पुलिस अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई संभव है अगर वह जानबूझकर पक्षपात करे?

हाँ, ऐसे पुलिस अधिकारी के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई संभव है।

5. क्या अग्रिम जमानत के लिए तुरंत अप्लाई करना जरूरी है?

हाँ, गिरफ्तारी से बचाव के लिए तुरंत अग्रिम जमानत (anticipatory bail) के लिए आवेदन करना चाहिए।

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