भारत में वेश्यावृत्ति को क्या दर्जा दिया गया है?

What status is given to prostitution in India

वेश्यावृत्ति का इतिहास बहुत पुराना है और यह प्राचीन सभ्यताओं में मौजूद रही है। इसे आम तौर पर “दुनिया का सबसे पुराना पेशा” कहा जाता है, लेकिन भारतीय समाज में इसके प्रति दृष्टिकोण हमेशा नकारात्मक रहा है। हालांकि, भारत में वेश्यावृत्ति एक विवादास्पद और जटिल मुद्दा है। कानूनी दृष्टिकोण से, वेश्यावृत्ति का भारत में एक विशेष दर्जा है जो सामाजिक, धार्मिक, और कानूनी पहलुओं से प्रभावित है। भारत में वेश्यावृत्ति पर समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले और सरकार द्वारा किए गए संशोधन ने इस पेशे को एक सीमा तक कानूनी मान्यता दी है।

वेश्यावृत्ति का अर्थ

वेश्यावृत्ति को एक ऐसे व्यवसाय के रूप में देखा जाता है जिसमें व्यक्ति (आमतौर पर महिला) यौन संबंध प्रदान करता है और इसके बदले में धन प्राप्त करता है। इसे एक प्रकार से यौन शोषण भी माना जाता है, जिसे बिना किसी धोखाधड़ी या शोषण के नहीं किया जा सकता। भारतीय समाज में इसे एक जटिल और नैतिक दृष्टिकोण से विवादास्पद पेशा माना जाता है, लेकिन इसे अनदेखा करना भी एक वास्तविकता है, क्योंकि वेश्यावृत्ति अब तक समाज का हिस्सा रही है।

वेश्यावृत्ति और इसका कानूनी दर्जा

भारत में वेश्यावृत्ति को लेकर विभिन्न कानूनी पहलू हैं। हालांकि यह कानून के तहत पूरी तरह से अवैध नहीं है, लेकिन कई गतिविधियां अवैध मानी जाती हैं, जिनसे यह पेशा जुड़ा है। उदाहरण के लिए, वेश्यालय चलाना, बच्चों से वेश्यावृत्ति करवाना, और लोगों को सेक्स के लिए मजबूर करना आदि अपराध माने जाते हैं।

19 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वेश्यावृत्ति से जुड़े मामलों पर दिए गए ऐतिहासिक निर्णय:

  • सुप्रीम कोर्ट ने माना कि भारत के संविधान के तहत सभी नागरिकों को सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार प्राप्त है।
  • कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सेक्स वर्कर्स (यौनकर्मी) भी इस मौलिक अधिकार के तहत आते हैं।
  • यौनकर्मियों को बराबरी का अधिकार है और उन्हें किसी भी प्रकार से अपमानित या नीचा दिखाने की अनुमति नहीं है।
  • पुलिस या अन्य अधिकारी यौनकर्मियों को अनावश्यक रूप से परेशान नहीं कर सकते।
  • बिना किसी कानूनी आधार के सेक्स वर्कर्स की गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई है।
  • कोर्ट का यह फैसला सेक्स वर्कर्स को कानूनी सुरक्षा और गरिमापूर्ण जीवन जीने की मान्यता देता है।
  • यह निर्णय समाज में यौनकर्मियों के प्रति सोच को बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम माना गया।

वेश्यावृत्ति कानूनी रूप से वैध है या नहीं?

भारत में वेश्यावृत्ति कानूनी रूप से वैध मानी जाती है, लेकिन कुछ विशेष शर्तों के तहत। इसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक कानूनी पेशा माना गया है। हालांकि, इस पेशे को चलाने के दौरान कई कंडीशन्स हैं जो इसे कुछ हद तक अवैध बना देती हैं:

कानूनी रूप से वैध शर्तें:

  • धोखाधड़ी से सेक्स कार्य कराना: अगर किसी को सेक्स वर्क करने के लिए धोखा दिया जाता है या मजबूर किया जाता है तो यह अपराध है।
  • बच्चों से वेश्यावृत्ति कराना: बच्चों का यौन शोषण पूरी तरह से अपराध है।
  • वेश्यालय चलाना या उसके मालिक होना: किसी व्यक्ति का वेश्यालय चलाना या इस प्रकार की जगहों का संचालन करना अपराध है।
  • पब्लिक स्थानों पर वेश्यावृत्ति करना: यह भी अवैध है, खासकर जब यह सार्वजनिक स्थानों पर होता है और किसी की सहमति से नहीं किया जाता।
  • रोगग्रस्त सेक्स वर्कर्स के साथ यौन संबंध स्थापित करना: यह स्वास्थ्य और सुरक्षा के उल्लंघन के रूप में आता है और अवैध है।

वेश्यावृत्ति का पेशे के रूप में विकास

प्राचीन भारत में वेश्यावृत्ति: भारत में वेश्यावृत्ति की शुरूआत प्राचीन समय में हुई थी, जब शासकों द्वारा महिलाओं का शोषण किया जाता था और उन्हें वेश्याओं के रूप में पेश किया जाता था। कुछ ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार, यह पेशा समाज के विभिन्न वर्गों में विशेष स्थान बनाए हुए था।

ब्रिटिश काल में वेश्यावृत्ति का विस्तार: ब्रिटिश शासन के दौरान वेश्यावृत्ति का पेशा कानूनी रूप से प्रोत्साहित किया गया। 1864 में लागू हुआ संक्रामक रोग एक्ट इस बात का प्रमाण है कि ब्रिटिश अधिकारियों ने इस पेशे को नियंत्रण में रखा। इस एक्ट के तहत महिलाओं को पुलिस रजिस्ट्रेशन और चिकित्सा जांच से गुजरने के लिए मजबूर किया गया था।

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ब्रिटिश सोल्जर्स और वेश्यावृत्ति: ब्रिटिश सोल्जर्स को आकर्षक महिलाओं को वेश्याओं के रूप में इस्तेमाल करने के लिए बढ़ावा दिया गया। इस समय में वेश्यावृत्ति को एक वैध पेशे के रूप में देखा गया, और इसे ब्रिटिश सैनिकों के मनोरंजन के लिए एक आवश्यक गतिविधि के रूप में स्वीकार किया गया।

वेश्यावृत्ति के खिलाफ कानूनी प्रावधान

इम्मोरल ट्रैफिक प्रिवेंशन एक्ट, 1956: यह एक केंद्रीय कानून है जो वेश्यावृत्ति से जुड़े अपराधों को रोकने का प्रयास करता है। इस एक्ट के तहत यौन तस्करी, वेश्यावृत्ति, और तस्करी के अन्य रूप को अवैध ठहराया गया है।

भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 143: यह धारा मानव तस्करी और महिलाओं का यौन शोषण करने के अपराध को कवर करती है। इस धारा के तहत वेश्यावृत्ति से जुड़े अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई की जाती है।

वेश्यावृत्ति और समाज में इसके प्रभाव

वेश्यावृत्ति को समाज में आज भी एक नकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाता है, और कई सेक्स वर्कर्स को सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला हालांकि सेक्स वर्कर्स को सम्मान और सुरक्षा का अधिकार देता है, फिर भी समाज में उनका स्थिर और सम्मानजनक स्थान स्थापित करना अभी भी एक बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य है।

सेक्स वर्कर्स के अधिकारों का संरक्षण: अब, सेक्स वर्कर्स को अपनी स्वतंत्रता, समानता, और सुरक्षा का अधिकार प्राप्त है। वे सरकार से और कानूनी संस्थाओं से स्वस्थ वातावरण, स्वास्थ्य सुविधाएं, और सामाजिक सुरक्षा प्राप्त करने के पात्र हैं।

निष्कर्ष

भारत में वेश्यावृत्ति को अब एक कानूनी पेशा के रूप में देखा जाता है, हालांकि इसके लिए कुछ सख्त शर्तें हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने यौनकर्मियों को कानूनी सुरक्षा दी है, लेकिन इसके साथ ही समाज में उनके अधिकारों और सम्मान को सुनिश्चित करना अब भी चुनौतीपूर्ण है।

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FAQs 

1. क्या भारत में वेश्यावृत्ति कानूनी है?

हाँ, वेश्यावृत्ति कानूनी रूप से वैध है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें हैं, जैसे वेश्यालय चलाना, बच्चों से वेश्यावृत्ति कराना आदि अवैध हैं।

2. वेश्यावृत्ति के लिए किस कानून का पालन किया जाता है?

भारत में इम्मोरल ट्रैफिक प्रिवेंशन एक्ट, 1956 और BNS की धारा 143 वेश्यावृत्ति से जुड़े अपराधों को नियंत्रित करते हैं।

3. क्या वेश्यावृत्ति पर सुप्रीम कोर्ट का कोई निर्णय है?

हाँ, सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में सेक्स वर्कर्स के अधिकारों को मान्यता दी और उन्हें सम्मान के साथ जीने का अधिकार दिया।

4. क्या वेश्यावृत्ति के खिलाफ कोई कदम उठाए जा रहे हैं?

जी हां, वेश्यावृत्ति से जुड़े अवैध कार्यों जैसे मानव तस्करी, बच्चों से वेश्यावृत्ति के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

5. वेश्यावृत्ति का पेशा कैसे विकसित हुआ?

ब्रिटिश राज के दौरान वेश्यावृत्ति को कानूनी रूप से प्रोत्साहित किया गया, और यह एक संगठित पेशे के रूप में फैल गया।

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