घर खरीदना हर व्यक्ति का बड़ा सपना होता है। लेकिन जब बिल्डर समय पर फ्लैट का पोज़ेशन (कब्ज़ा) नहीं देता, तो ये सपना परेशानियों में बदल जाता है। भारत में हर साल हज़ारों लोग इस समस्या से परेशान होते हैं। बिल्डर एक तारीख़ बताते हैं, और बाद में बार-बार बहाना बनाकर पोज़ेशन टालते रहते हैं, कभी फंड नहीं, कभी काम अधूरा, कभी विवाद, कभी जान-बूझकर देरी।
अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है, तो घबराएँ नहीं। कानून, खासकर RERA, होमबायर्स को बहुत मजबूत सुरक्षा देता है।
इस ब्लॉग में आप जानेंगे कि बिल्डर फ्लैट का पोज़ेशन क्यों टालता है, देरी होने पर आपके कानूनी अधिकार क्या हैं, रिफंड-ब्याज-मुआवज़ा कैसे मिलता है, RERA/कंज़्यूमर/सिविल कोर्ट में क्या कार्रवाई कर सकते हैं, शिकायत की प्रक्रिया क्या है और तेज़ समाधान के लिए प्रैक्टिकल स्टेप्स।
बिल्डर पोज़ेशन क्यों देर से देता है?
देरी दो तरह की होती है – सच्ची वजह से देरी और लापरवाही/धोखाधड़ी वाली देरी।
सच्ची वजहों से देरी (Genuine Delay)
- मटेरियल की कमी
- मजदूरों की हड़ताल
- सरकारी रोक या नोटिस
- पर्यावरण क्लियरेंस में देरी
इन मामलों में भी बिल्डर को आपको लिखित में जानकारी देना जरूरी है।
लापरवाही या धोखाधड़ी वाली देरी (Fraud/Negligent Delay)
- बिल्डर ने पैसा दूसरे प्रोजेक्ट में लगा दिया
- ठीक से प्लानिंग नहीं की
- जमीन मालिकों से विवाद
- जरूरी सरकारी मंज़ूरी नहीं ली
- जरूरत से ज़्यादा फ्लैट बेच दिए
- गलत वादे करके लोगों को बुकिंग कराई
ऐसी देरी में आपके कानूनी अधिकार और ज्यादा मजबूत होते हैं।
अगर बिल्डर पोज़ेशन नहीं देता तो आपके कानूनी अधिकार क्या हैं?
- पूरा रिफंड लेने का अधिकार: यदि बिल्डर तय समय पर फ्लैट नहीं देता, तो आप बुकिंग रद्द करके पूरा पैसा और उस पर ब्याज वापस लेने का अधिकार रखते हैं।
- मुआवज़े का अधिकार: देरी की वजह से हुए मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान, किराया, होम लोन EMI के बोझ और बढ़ी हुई लागत के लिए आप बिल्डर से मुआवज़ा मांग सकते हैं।
- पोज़ेशन और पेनल्टी लेने का अधिकार: अगर आप फ्लैट नहीं छोड़ना चाहते, तो आप बिल्डर से तैयार फ्लैट लेने और हर महीने की देरी के लिए पेनल्टी या ब्याज देने की मांग कर सकते हैं।
- शिकायत दर्ज करने का अधिकार: बिल्डर के खिलाफ आप RERA, कंज़्यूमर फोरम, सिविल कोर्ट में केस कर सकते हैं और अगर धोखाधड़ी हुई है तो क्रिमिनल केस भी दर्ज कर सकते हैं।
RERA के तहत रिफंड का अधिकार (सबसे मज़बूत उपाय)
RERA आने के बाद होमबायर्स के अधिकार बहुत मजबूत हो गए हैं। अगर बिल्डर पोज़ेशन देर से देता है, तो RERA आपको पूरा पैसा ब्याज सहित वापस दिलाने का अधिकार देता है। आमतौर पर ब्याज 10–12% तक होता है, लेकिन हर राज्य के नियम अलग हो सकते हैं। इसके अलावा आप मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान और देरी के लिए मुआवज़ा भी मांग सकते हैं। अगर आप रिफंड नहीं चाहते, तो RERA बिल्डर को प्रोजेक्ट पूरा करने और पोज़ेशन देने का आदेश भी दे सकता है।
RERA सबसे अच्छा फोरम क्यों है?
RERA में फैसले जल्दी होते हैं (लगभग 60 दिनों में), ऑनलाइन शिकायत दर्ज होती है, प्रक्रिया आसान है, और बिल्डर जिम्मेदारी से बच नहीं सकता। हर प्रोजेक्ट का RERA में रजिस्ट्रेशन भी जरूरी है जिससे पारदर्शिता रहती है।
RERA में शिकायत कौन कर सकता है?
कोई भी व्यक्तिगत खरीदार, खरीददारों का समूह या अलॉटियों की एसोसिएशन शिकायत दर्ज कर सकती है।
कंज़्यूमर कोर्ट में रिफंड का अधिकार
RERA आने के बाद भी कंज़्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट पूरी तरह लागू है। अगर बिल्डर पोज़ेशन में देरी करता है, झूठे वादे करता है, छिपे हुए चार्ज लगाता है या निर्माण पूरा नहीं करता, तो आप कंज़्यूमर कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं।
कंज़्यूमर कोर्ट क्या आदेश दे सकता है?
कोर्ट पूरा रिफंड, ब्याज, मुआवज़ा, कानूनी खर्च और पोज़ेशन देने का आदेश भी दे सकता है।
कंज़्यूमर कोर्ट के स्तर
- डिस्ट्रिक्ट कमीशन: ₹50 लाख तक के मामलों के लिए
- स्टेट कमीशन: ₹50 लाख से ₹2 करोड़ तक
- नेशनल कमीशन: ₹2 करोड़ से अधिक के मामलों के लिए
सिविल कोर्ट में क्या उपाय मिलते हैं?
अगर बिल्डर एग्रीमेंट तोड़ता है या आपके पैसे का गलत इस्तेमाल करता है, तो आप सिविल कोर्ट में केस कर सकते हैं। सिविल कोर्ट आपको रिफंड, नुकसान की भरपाई, ब्याज, और प्रोजेक्ट पूरा करने का आदेश दे सकता है।
हालाँकि, सिविल केस आमतौर पर समय लेते हैं, इसलिए खरीदार पहले RERA या कंज़्यूमर कोर्ट को चुनते हैं।
क्रिमिनल केस कब कर सकते हैं?
अगर बिल्डर ने जानबूझकर धोखा दिया है या आपका पैसा गलत तरीके से इस्तेमाल किया है, तो आप FIR दर्ज कर सकते हैं। भारतीय न्याय संहिता BNS 2023 के तहत लागू होने वाली प्रमुख धाराएँ:
- धारा 314 (पैसे का ग़लत इस्तेमाल) जब बिल्डर खरीदारों के पैसे को निजी या दूसरे प्रोजेक्ट्स में लगा देता है।
- धारा 316 (क्रिमिनल ब्रीच ऑफ़ ट्रस्ट) जब बिल्डर आपका पैसा प्रोजेक्ट पर खर्च करने के बजाय दूसरी जगह इस्तेमाल करता है।
- धारा 318 (धोखाधड़ी) जब बिल्डर जानबूझकर गलत वादा, झूठा आश्वासन या फर्जी जानकारी देकर पैसा लेता है।
- धारा 336 (फर्ज़ी दस्तावेज़ बनाना) नकली NOC, फर्जी रजिस्ट्री, गलत डाक्यूमेंट्स या गलत विवरण देकर धोखा देना।
क्रिमिनल केस का फायदा: FIR का दबाव बिल्डर को जल्दी रिफंड, समझौता या निर्माण पूरा करने के लिए मजबूर करता है। क्रिमिनल केस में गिरफ्तारी की संभावना भी होती है, जिससे मामला तेजी से सुलझ सकता है।
कानूनी कार्रवाई के लिए कौन-कौन से दस्तावेज़ ज़रूरी हैं?
- बिल्डर–बायर एग्रीमेंट
- पेमेंट की सभी रसीदें
- बैंक लोन से जुड़े कागज़
- बिल्डर के साथ आपका व्हाट्सऐप/ईमेल चैट
- सभी ब्रोशर, विज्ञापन और वादे
- निर्माण की फोटो या वीडियो
- बिल्डर द्वारा भेजे गए सभी देरी नोटिस
रिफंड और मुआवज़ा पाने की प्रक्रिया क्या है?
स्टेप 1: बिल्डर को लीगल नोटिस भेजें
सबसे पहले आपका वकील बिल्डर को एक लीगल नोटिस भेजता है, जिसमें रिफंड, मुआवज़ा, ब्याज या पोज़ेशन + पेनल्टी की मांग साफ-साफ लिखी जाती है। कई बार बिल्डर सिर्फ नोटिस मिलने पर ही समझौता कर लेता है और मामला इसी स्टेज पर सुलझ जाता है।
स्टेप 2: RERA में शिकायत दर्ज करें
अगर बिल्डर नोटिस का जवाब नहीं देता, तो आप RERA की वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत फाइल करते हैं, जिसमें सभी जरूरी कागज़, देरी का समय और अपनी मांग जैसे रिफंड + ब्याज + मुआवज़ा जोड़ते हैं। इसके बाद RERA बिल्डर को नोटिस भेजता है और केस की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
स्टेप 3: सुनवाई
सुनवाई के दौरान आप और बिल्डर दोनों अपने-अपने दस्तावेज़ और सबूत पेश करते हैं, और RERA बिल्डर से देरी की वजह पूछता है। इस दौरान आप बताते हैं कि देरी से आपको क्या-क्या नुकसान हुआ और क्यों आपको रिफंड, ब्याज या मुआवज़ा मिलना चाहिए।
स्टेप 4: अंतिम आदेश
सभी बातें सुनने के बाद RERA अंतिम आदेश देता है, जिसमें पूरा रिफंड + ब्याज, मुआवज़ा, बिल्डर पर पेनल्टी या फिर पोज़ेशन के साथ देरी का ब्याज देने का निर्देश हो सकता है। आदेश पूरी तरह केस के तथ्यों पर निर्भर करता है।
स्टेप 5: आदेश का पालन
अगर बिल्डर RERA के आदेश का पालन नहीं करता, तो RERA उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकता है, जैसे संपत्ति कुर्क करना, बैंक अकाउंट फ्रीज़ करना, रिकवरी प्रक्रिया शुरू करना, और जरूरत पड़ने पर गिरफ्तारी वारंट भी जारी करना ताकि आदेश लागू हो सके।
रिफंड या पोज़ेशन लेने का निर्णय कैसे लें?
रिफंड लेना बेहतर है अगर:
- प्रोजेक्ट कई सालों से अटका है,
- बिल्डर के पास फंड नहीं हैं,
- निर्माण बहुत धीमा है,
- बिल्डर बार-बार बहाने देता है,
- आप किराया + EMI दोनों दे रहे हैं, या
- बिल्डर कानूनी झंझटों में फँसा है।
पोज़ेशन लेना बेहतर है अगर:
- निर्माण लगभग पूरा हो चुका है,
- बिल्डर की अच्छी गुडविल है, या
- आपको तुरंत घर की ज़रूरत है।
अगर बिल्डर दूसरा फ्लैट ऑफर करे तो क्या स्वीकार करना चाहिए?
कभी-कभी बिल्डर रिफंड देने की बजाय आपको दूसरा फ्लैट ऑफर कर देते हैं, जैसे छोटा फ्लैट, अलग टॉवर, ऊँची मंज़िल या किसी दूसरे प्रोजेक्ट में फ्लैट। ऐसे ऑफर तब न स्वीकार करें जब फ्लैट आपकी जरूरत के अनुसार न हो, कीमत ज्यादा हो या निर्माण पूरा न हुआ हो। हमेशा ऐसा ऑफर लेने से पहले कानूनी सलाह जरूर लें।
निष्कर्ष
फ्लैट की देरी सिर्फ असुविधा नहीं है—यह आपके भरोसे, समय और वित्तीय सुरक्षा का उल्लंघन है। लेकिन कानून पूरी तरह आपके साथ है। चाहे आप पूरा रिफंड, मुआवज़ा या पोज़ेशन + पेनल्टी चाहते हों, आपके पास बिल्डर से नुकसान वसूलने और उसे जवाबदेह बनाने के मजबूत कानूनी विकल्प हैं।
आपको खाली वादों या लंबी प्रतीक्षा में परेशान होने की जरूरत नहीं। सही कानूनी कदम, जरूरी दस्तावेज़ और समय पर कार्रवाई से आप अपनी निवेश राशि पर नियंत्रण वापस पा सकते हैं और वह राहत प्राप्त कर सकते हैं जिसके आप हक़दार हैं।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. अगर बिल्डर फ्लैट देने में देरी करे तो होमबायर क्या कर सकता है?
आप RERA, कंज़्यूमर कोर्ट या सिविल कोर्ट में शिकायत करके फ्लैट की पोज़ेशन, रिफंड, ब्याज और मुआवज़ा मांग सकते हैं।
2. रिफंड कैसे क्लेम करें अगर बिल्डर देरी करे?
सबसे पहले लीगल नोटिस भेजें, फिर RERA या कंज़्यूमर फोरम में शिकायत दर्ज करें। साथ में एग्रीमेंट, पेमेंट रसीद और देरी का सबूत लगाएँ। इसके जरिए आप रिफंड + ब्याज पा सकते हैं।
3. क्या मुआवज़ा मिल सकता है अगर बिल्डर फ्लैट समय पर न दे?
हाँ। आप पेमेंट पर ब्याज, किराया, होम लोन का ब्याज, मानसिक तनाव और कानूनी खर्च के लिए मुआवज़ा मांग सकते हैं।
4. क्या कई खरीदार मिलकर बिल्डर के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं?
हाँ। समूह शिकायत या अलॉटियों की एसोसिएशन की शिकायत दर्ज की जा सकती है। इससे कार्रवाई तेज़ होती है और बिल्डर पर अधिक पेनल्टी लग सकती है।
5. क्या RERA 2017 से पहले बुक किए गए प्रोजेक्ट्स पर लागू है?
हाँ। RERA ऐसे प्रोजेक्ट्स के खरीदारों को भी सुरक्षा देता है। अगर बिल्डर पोज़ेशन नहीं देता, तो आप रिफंड, ब्याज और मुआवज़ा क्लेम कर सकते हैं।



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