पत्नी ने अडल्ट्री किया है, क्या वह मेंटेनेंस का हक रखती है?

If your property is wrongfully occupied, can you take legal action

शादी केवल दो लोगों के बीच का रिश्ता नहीं होता, यह एक सामाजिक और कानूनी बंधन होता है जिसमें दोनों पक्षों के अधिकार और कर्तव्य तय होते हैं। लेकिन जब इस रिश्ते में विश्वास टूटता है, जैसे कि पत्नी द्वारा अडल्ट्री (विवाहेतर संबंध) किया जाना, तो पति के मन में कई सवाल उठते हैं, उनमें सबसे बड़ा सवाल यह होता है:

क्या अब पत्नी मेंटेनेंस की हकदार है? तो यह ब्लॉग इस प्रश्न को सरल भाषा में और सभी कानूनी पहलुओं के साथ विस्तार से समझाएगा।

अडल्ट्री क्या है?

IPC धारा 497 के तहत अडल्ट्री की परिभाषा

पहले, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 497 के अनुसार, यदि कोई पुरुष किसी विवाहित महिला से उसकी सहमति से शारीरिक संबंध बनाता है, तो वह अडल्ट्री कहलाता था और यह अपराध माना जाता था।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में जोसेफ शाइन बनाम भारत सरकार, 2018 केस में फैसला सुनाते हुए धारा 497 को असंवैधानिक घोषित कर दिया। अब अडल्ट्री को आपराधिक अपराध नहीं, बल्कि नैतिक गलती माना जाता है, जो तलाक जैसे विवादों में एक आधार बन सकती है।

अडल्ट्री और विवाहेतर संबंध में अंतर

अडल्ट्री का मतलब विवाह के बाहर शारीरिक संबंध बनाना होता है। विवाहेतर संबंध में केवल भावनात्मक जुड़ाव या दोस्ती हो सकती है, लेकिन अडल्ट्री में शारीरिक संबंध एक मुख्य तत्व होता है।

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मेंटेनेंस क्या होता है?

मेंटेनेंस का मतलब है कि अगर पति-पत्नी अलग हो गए हैं या तलाक हो गया है, और पत्नी खुद का खर्च नहीं चला सकती, तो पति उसे नियमित रूप से खर्च देता है ताकि उसकी आवश्यकताएँ पूरी हो सकें।

पत्नी किस कानूनी प्रावधान के तहत मेंटेनेंस मांग सकती है?

धारा 144 भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) – यह कानून कहता है कि अगर पत्नी के पास कोई कमाई नहीं है और पति उसे छोड़ देता है, तो वह कोर्ट से मेंटेनेंस मांग सकती है। यह कानून पत्नी को बेसहारा होने से बचाता है।

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धारा 24 और 25 हिंदू विवाह अधिनियम (HMA) – इसके तहत पत्नी तलाक के केस के दौरान और तलाक के बाद भी खर्च मांग सकती है –

  • धारा 24 – केस चलने के दौरान अंतरिम खर्च।
  • धारा 25 – तलाक के बाद एक बार में या हर महीने स्थायी खर्च।

प्रोटेक्शन ऑफ़ वुमन फ्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस, 2005 – अगर पत्नी को मानसिक या शारीरिक हिंसा झेलनी पड़ी है, तो वह इस कानून के तहत भी खर्च और रहने की जगह मांग सकती है, चाहे तलाक हुआ हो या नहीं।

अडल्ट्री करने वाली पत्नी को मेंटेनेंस मिलने का कानूनी परिप्रेक्ष्य

क्या अडल्ट्री के कारण पत्नी का मेंटेनेंस का अधिकार समाप्त हो जाता है?

नहीं, हमेशा नहीं। हालांकि अडल्ट्री एक कारण हो सकता है मेंटेनेंस ना देने का, लेकिन यह पूर्ण रूप से हक खत्म नहीं करता।

सुप्रीम कोर्ट निर्णय – वी. भगत बनाम श्रीमती वी. भगत

  • सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि अडल्ट्री तलाक का आधार हो सकती है, लेकिन मेंटेनेंस का फैसला केवल अडल्ट्री पर निर्भर नहीं होता। मामले की पूरी स्थिति देखी जाती है।
  • CrPC की धारा 125 / BNSS की धारा 144, गरीब या बेसहारा पत्नी को डेस्टिट्यूशन से बचाने के लिए बनाई गई है। इसमें यदि पत्नी “लिविंग इन अडल्ट्री” साबित होती है, तो मेंटेनेंस मना किया जा सकता है।
  • एक बार की गलती नहीं, लगातार संबंध में दोष: केवल एक घटना की वजह से मेंटेनेंस रोकना ठीक नहीं। इसमें महत्वपूर्ण है कि अडल्ट्री लगातार चल रही हो और पत्नी और पति अलग रह रहे हों ।

BNSS की धारा 144 का दृष्टिकोण: BNSS की धारा 144 के अनुसार, यदि पत्नी अपनी ज़िंदगी के खर्चों को संभालने में असमर्थ है और पति ने उसे छोड़ दिया है, तो उसे मेंटेनेंस मिल सकता है। लेकिन अगर वह जानबूझकर अडल्ट्री में लिप्त हो, तो कोर्ट मेंटेनेंस को अस्वीकार कर सकता है।

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अडल्ट्री के बावजूद पत्नी को मेंटेनेंस मिल सकता है – कब और क्यों?

कुछ विशेष परिस्थितियाँ हैं जब अडल्ट्री करने वाली पत्नी को भी मेंटेनेंस मिल सकता है:

  • अगर पत्नी बीमार है या उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है।
  • अगर पत्नी बच्चों की देखरेख कर रही है।
  • अगर पत्नी के पास आर्थिक संसाधन नहीं हैं और पति बहुत अमीर है।
  • अगर पति खुद क्रूरता या घरेलू हिंसा में लिप्त रहा हो।

अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है कि हर व्यक्ति को गरिमामय जीवन का अधिकार है। इसलिए यदि पत्नी अडल्ट्री करने के बावजूद बेसहारा हो, तो कोर्ट उसे भरण पोषण दे सकता है।

क्या मेंटेनेंस से संबंधित अडल्ट्री के मामलों में कोर्ट का निर्णय बदल सकता है?

हां, कोर्ट हर मामले को उसकी परिस्थितियों के अनुसार देखता है:

  • पत्नी की उम्र और स्वास्थ्य
  • विवाह की अवधि
  • बच्चों की स्थिति
  • पत्नी की आर्थिक स्थिति

अगर पत्नी ने अडल्ट्री की हो लेकिन पति भी अन्य दोषों में लिप्त रहा हो, तो कोर्ट संतुलन बनाते हुए मेंटेनेंस दे सकता है।

महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 2025 को रहमान लाल देवांगन बनाम सुमन देवांगन केस में फैसला दिया कि अगर किसी पत्नी को अडल्ट्री (किसी और पुरुष के साथ रहना) के आधार पर तलाक मिल चुका है और वह तलाक के बाद भी उसी पुरुष के साथ रह रही है, तो वह भरण‑पोषण (मेंटेनेंस) की हकदार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर तलाक अडल्ट्री के कारण हुआ है, तो इसे इस बात का पक्का सबूत माना जाएगा कि पत्नी अडल्ट्री में थी और शायद अब भी है, इसलिए वह मेंटेनेंस नहीं मांग सकती।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 2024 में यह स्पष्ट किया कि केवल एक बार की अडल्ट्री को ‘लिविंग इन अडल्ट्री’ नहीं माना जा सकता, जब तक यह लगातार नहीं हो रही हो। धारा 125(4) केवल तब लागू होती है जब अडल्ट्री लगातार और बार‑बार हो रही हो। यानी, सिर्फ एक घटना की वजह से मेंटेनेंस का अधिकार खत्म नहीं हो जाता। कोर्ट ने यह साफ किया कि मेंटेनेंस न मिलने के लिए अडल्ट्री का होना लगातार और समय‑समय पर होना जरूरी है।

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निष्कर्ष

यह निर्णय यह दर्शाता है कि विवाहेतर संबंध की निरंतरता ही BNSS की धारा 144 के तहत मेंटेनेंस से वंचित करने का कारण बन सकती है। एक या दो बार की गलतियाँ कानूनी रूप से स्थायी संबंध नहीं मानी जातीं और कोर्ट मेंटेनेंस दे सकता है, जब तक पत्नी आर्थिक रूप से असहाय हो और “लिविंग इन अडल्ट्री ” साबित न हो।

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FAQs

1. क्या अडल्ट्री के बावजूद पत्नी को मेंटेनेंस का अधिकार मिलता है?

हाँ, अगर पत्नी आर्थिक रूप से असहाय है और निर्धारित समय पर “लिविंग‑इन‑अडल्ट्री” नहीं रही, तो धारा 144 BNSS के तहत कोर्ट मेंटेनेंस दे सकता है।

2. क्या अडल्ट्री के मामलों में कोर्ट का निर्णय हमेशा एक जैसा होता है?

नहीं, हर केस की परिस्थिति होती है अलग, कोर्ट अडल्ट्री की आवृत्ति, समय व सबूतों की जायज़ा लेकर फैसला करती है।

3. पत्नी ने अडल्ट्री किया है तो क्या पति से तलाक लिया जा सकता है?

हाँ, हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13(1)(i) के अंतर्गत गंभीर अडल्ट्री तलाक का मजबूत आधार बनती है।

4. क्या अडल्ट्री के बावजूद पत्नी को न्यायालय से भरण‑पोषण मिल सकता है?

अगर वह असहाय हो, बच्चों की देखभाल कर रही हो और “लिविंग‑इन‑अडल्ट्री” जीवन नहीं व्यतीत कर रही हो, तो हाँ।

5. अडल्ट्री के मामले में पति को क्या अधिकार हैं?

पति को तलाक लेने, बच्चों की कस्टडी लेने, मेंटेनेंस से इन्कार करने (जब अडल्ट्री स्पष्ट हो) का अधिकार है।

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