BNS 2023 के तहत रोड रेज पर सज़ा क्या है? नए आपराधिक कानून से समझें

What are the punishments for road rage under the BNS 2023 Understand the new criminal law.

अक्सर सब कुछ बहुत छोटे से झगड़े से शुरू होता है, अचानक ब्रेक लगना, किसी का हॉर्न बजाना, या ट्रैफिक में साइड मिरर का टकरा जाना। लेकिन कुछ ही सेकंड में गुस्सा बढ़ता है, बहस होती है, और कभी-कभी मामला हाथापाई तक पहुँच जाता है।

पहले लोग ऐसे मामलों को “छोटा झगड़ा” या “एक्सीडेंट” मानकर छोड़ देते थे। लेकिन अब भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 आने के बाद कानून सख्त हो गया है। अब अगर आप गुस्से में सड़क पर किसी से झगड़ा करते हैं, लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं, या किसी को चोट पहुँचाते हैं, तो यह सिर्फ गलती नहीं, एक अपराध माना जाएगा।

नया कानून सिर्फ तेज़ या लापरवाह ड्राइविंग को नहीं, बल्कि रोड रेज, हिट एंड रन, और सड़क पर हिंसक व्यवहार को भी अपराध मानता है। सीधे शब्दों में कहें तो, जो बात पहले सड़क पर सुलझ जाती थी, अब वो कोर्ट तक पहुँच सकती है

इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि BNS 2023 (भारतीय न्याय संहिता 2023) के तहत रोड रेज से जुड़ा कानून क्या कहता है, यह कानून कैसे लागू होता है, और अगर आप कभी ऐसे मामले में फँस जाएँ या खुद पीड़ित बन जाएँ, तो आपको क्या करना चाहिए।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

रोड रेज क्या होता है?

BNS 2023 (भारतीय न्याय संहिता 2023) में “रोड रेज” शब्द का सीधा ज़िक्र नहीं है, लेकिन इसमें कई धाराएँ हैं जो इस तरह के व्यवहार को कवर करती हैं। इनमें शामिल हैं —

  • सड़क पर तेज़, लापरवाह या खतरनाक ड्राइविंग करना।
  • किसी वाहन दुर्घटना के बाद झगड़ा या मारपीट करना।
  • हिट एंड रन यानी किसी को चोट पहुँचाकर या नुकसान करके मौके से भाग जाना।
  • ट्रैफिक झगड़े के दौरान किसी ड्राइवर या पैदल यात्री पर हमला करना।

इन सब हरकतों को कानून “रोड रेज” जैसी घटनाओं के रूप में देखता है और इसके लिए सज़ा का प्रावधान भी है।

पहले और अब: IPC से BNS 2023 तक का बदलाव

पुराना कानून (IPC)नया कानून (BNS 2023)मुख्य बदलाव
IPC 279 – लापरवाही से वाहन चलानाBNS 281 – असावधानी से वाहन चलानासज़ा और जिम्मेदारी दोनों अधिक स्पष्ट
IPC 304A – लापरवाही से मृत्युBNS 106 – मृत्यु का कारण बननाअब सख्त सज़ा और जमानत की कम गुंजाइश
IPC 323–325 – चोट पहुँचानाBNS 115–117 – चोट और जानलेवा हमला“जानबूझकर हिंसा” को गंभीर अपराध माना गया
IPC 506 – धमकी देनाBNS 351 – आपराधिक धमकीरोड रेज में शामिल किया गया अपराध

नया कानून यह मानता है कि: यदि कोई व्यक्ति गुस्से या बदले की भावना से वाहन का इस्तेमाल करता है, तो यह मात्र लापरवाही नहीं, बल्कि आपराधिक इरादे से किया गया अपराध है।

रोड रेज अब अपराध क्यों माना गया है?

BNS 2023 के अनुसार सार्वजनिक स्थान पर जानबूझकर की गई हिंसा को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसका उद्देश्य है कि सड़क पर गुस्सा दिखाना अब अपराध माना जाए ताकि लोग संयम रखें और दूसरों की सुरक्षा को खतरे में न डालें।

BNS के तहत कानूनी प्रावधान

धारा 106 – लापरवाही से किसी की मौत करना

अगर कोई व्यक्ति लापरवाही या तेज़ी से ऐसा काम करता है जिससे किसी की मौत हो जाए, और वह जानबूझकर हत्या नहीं होती, तो यह अपराध इस धारा के अंतर्गत आता है।

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उदाहरण: किसी की लापरवाह ड्राइविंग से किसी की मौत हो जाना।

कानूनी स्थिति:
  • यह एक संज्ञेय अपराध है, जिसमें पुलिस बिना वारंट गिरफ्तारी कर सकती है क्योंकि यह जान के नुकसान से जुड़ा है।
  • अपराध बेलेबल है, यानी आरोपी को अदालत से या पुलिस स्टेशन से जमानत मिल सकती है।
  • इस मामले की सुनवाई फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है, क्योंकि यह गंभीर लेकिन गैर-जानबूझकर अपराध है।
सज़ा:
  • अपराधी को अधिकतम 5 साल तक की कैद दी जा सकती है, जो न्यायालय परिस्थिति अनुसार तय करता है।
  • इसके साथ या अलग से जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जो अदालत अपनी विवेकानुसार तय करती है।

धारा 115 – जानबूझकर चोट पहुँचाना

अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी को दर्द, चोट, या शारीरिक तकलीफ पहुँचाता है, तो यह अपराध है। उदाहरण: झगड़े में किसी को थप्पड़ या मुक्का मारना।

कानूनी स्थिति:
  • यह गैर संज्ञेय अपराध है, यानी पुलिस को कार्रवाई के लिए कोर्ट से अनुमति लेनी पड़ती है।
  • यह अपराध बेलेबल है, इसलिए आरोपी को आसानी से जमानत मिल सकती है।
  • इसकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है, क्योंकि यह कम गंभीर श्रेणी का अपराध है।
सज़ा:
  • आरोपी को अधिकतम 1 साल तक की साधारण कैद दी जा सकती है, परिस्थितियों के आधार पर।
  • इसके अलावा ₹10,000 तक जुर्माना या दोनों सज़ाएँ साथ दी जा सकती हैं।

धारा 117 – गंभीर चोट पहुँचाना

अगर चोट बहुत गंभीर हो जैसे हड्डी टूटना, अंग कटना, आँख या कान की रोशनी/सुनने की शक्ति खोना, या जान को खतरा होना, तो यह गंभीर चोट कहलाती है।

कानूनी स्थिति:
  • यह अपराध संज्ञेय है, यानी पुलिस बिना वारंट तुरंत गिरफ्तारी कर सकती है, क्योंकि चोट गंभीर प्रकृति की होती है।
  • अपराध बेलेबल है, जिससे आरोपी को कानूनी प्रक्रिया के दौरान जमानत मिल सकती है।
  • इस अपराध की सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है, क्योंकि इसमें गंभीर शारीरिक नुकसान शामिल है।
सज़ा:
  • आरोपी को अधिकतम 7 साल तक की सख्त कैद दी जा सकती है, मामले की गंभीरता पर निर्भर।
  • अदालत साथ में जुर्माना भी लगा सकती है, ताकि पीड़ित को कुछ आर्थिक राहत मिले।

धारा 281 – लापरवाही से गाड़ी चलाना

अगर कोई व्यक्ति सार्वजनिक सड़क पर बहुत तेज़ या लापरवाही से गाड़ी चलाता है, जिससे किसी की जान या सुरक्षा को खतरा हो, तो यह अपराध है।

कानूनी स्थिति:
  • यह संज्ञेय अपराध है, यानी पुलिस वारंट के बिना भी गिरफ्तारी कर सकती है अगर ड्राइविंग से खतरा हुआ हो।
  • अपराध बेलेबल  है, इसलिए आरोपी को पुलिस स्टेशन या अदालत से जमानत मिल सकती है।
  • इस अपराध की सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है, क्योंकि यह आम जनता की सुरक्षा से जुड़ा मामला है।
सज़ा:
  • अदालत अधिकतम 6 महीने तक की कैद दे सकती है अगर व्यक्ति की गलती से खतरा उत्पन्न हुआ हो।
  • इसके अलावा ₹1,000 तक जुर्माना या दोनों सज़ाएँ एक साथ दी जा सकती हैं।

धारा 351 – आपराधिक डराना-धमकाना

अगर कोई व्यक्ति किसी को डराने या धमकाने की नीयत से कहे कि वह उसकी जान, इज़्ज़त, या संपत्ति को नुकसान पहुँचाएगा, तो यह अपराध है। उदाहरण: “अगर तूने पैसे नहीं दिए तो तुझे मार दूँगा” कहना।

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कानूनी स्थिति:
  • यह गैर संज्ञेय अपराध है, यानी पुलिस को गिरफ्तारी या जांच से पहले अदालत की अनुमति आवश्यक है।
  • अपराध बेलेबल  है, इसलिए आरोपी को जमानत पाने का कानूनी अधिकार होता है।
  • इस अपराध की सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है, क्योंकि इसमें मानसिक डर का तत्व शामिल है।
सज़ा:
  • सामान्य धमकी पर 2 साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं, न्यायालय के निर्णय अनुसार।
  • अगर धमकी में मौत, गंभीर चोट या आगजनी का जिक्र हो, तो 7 साल तक की कैद या जुर्माना संभव है।

धारा 352 – जानबूझकर अपमान करना ताकि झगड़ा हो

अगर कोई व्यक्ति किसी को जानबूझकर अपमानित करता है, यह जानते हुए कि इससे सामने वाला झगड़ा कर सकता है या शांति भंग हो सकती है, तो यह अपराध है।

उदाहरण: किसी को सड़क पर गाली देना या भड़काने वाली बात कहना।

कानूनी स्थिति:
  • यह गैर संज्ञेय अपराध है, यानी पुलिस को कार्रवाई से पहले अदालत की अनुमति लेनी होती है।
  • अपराध बेलेबल है, जिससे आरोपी को प्रक्रिया के दौरान जमानत मिल सकती है।
  • इस अपराध की सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है, क्योंकि यह सार्वजनिक शांति से संबंधित है।
सज़ा:
  • अदालत अधिकतम 2 साल तक की कैद दे सकती है, अगर अपराध से झगड़ा या शांति भंग हुई हो।
  • इसके साथ जुर्माना या दोनों सज़ाएँ दी जा सकती हैं।

कानून अब ज़्यादा सख्त क्यों हुआ?

  • भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 ने रोड रेज को एक गंभीर अपराध माना है, क्योंकि यह सीधे जनसुरक्षा को खतरा पहुँचाता है। यहाँ कुछ प्रमुख कारण हैं
  • NCRB की रिपोर्ट बताती है कि लापरवाह ड्राइविंग से होने वाले हादसों में हर साल हजारों लोगों की जान जाती है।
  • रोड रेज के झगड़े अक्सर बढ़कर हिंसा, हथियारों के इस्तेमाल या हिट एंड रन में बदल जाते हैं।
  • सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ने और लोगों के गुस्से भरे ड्राइविंग कल्चर के कारण सख्त कानून की ज़रूरत थी।
  • अब कानून साफ संदेश देता है — “सड़कें लड़ाई की जगह नहीं हैं, और गुस्से में की गई गलती सज़ा दिला सकती है।

रोड रेज मामलों की जांच और कोर्ट की प्रक्रिया

घटना के समय

1. पुलिस मौके पर पहुँचकर FIR दर्ज कर सकती है, संबंधित धाराओं के तहत।

2. पीड़ित व्यक्ति, आने-जानेवाला या दूसरा ड्राइवर भी शिकायत कर सकता है।

3. CCTV फुटेज, मोबाइल वीडियो, डैशकैम रिकॉर्डिंग या गवाहों के बयान इस तरह के मामलों में बहुत अहम सबूत होते हैं।

गिरफ्तारी के बाद / ट्रायल से पहले

1. अपराध की गंभीरता के अनुसार गिरफ्तारी या ज़मानत तय होती है।

2. अगर अपराध छोटा है, तो ज़मानत मिल सकती है। अगर मौत या गंभीर चोट हुई है, तो ज़मानत मिलना मुश्किल हो सकता है।

मुकदमे और सज़ा

1. कोर्ट यह देखती है कि ड्राइवर की लापरवाही या ग़ुस्से से चोट या मौत हुई या नहीं।

2. क्या आरोपी ने मौके से भागने की कोशिश की, हथियार का इस्तेमाल किया, या भीड़ हिंसा में शामिल हुआ।

3. सज़ा तय करते समय कोर्ट यह भी देखती है कि क्या यह आरोपी की पहली गलती थी, या उसने जानबूझकर हमला किया

4. पीड़ित व्यक्ति को मोटर व्हीकल एक्ट या सिविल केस के ज़रिए मुआवज़ा भी मिल सकता है।

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ड्राइवर और सड़क पर चलने वालों पर क्या असर पड़ता है?

ड्राइवरों के लिए:

  • अगर आप गुस्से में किसी को गाड़ी से रोकते हैं, रास्ता रोकते हैं, मारपीट करते हैं या भाग जाते हैं, तो यह अपराध है।
  • अब सिर्फ ट्रैफिक चालान या लाइसेंस सस्पेंशन नहीं, बल्कि BNS कानून के तहत जेल और मुकदमा भी हो सकता है।
  • अगर कोर्ट ने आपको रोड रेज में दोषी ठहराया, तो बीमा कंपनी आपका क्लेम भी रिजेक्ट कर सकती है।
  • अगर कोई कमर्शियल ड्राइवर रोड रेज करता है, तो उसके मालिक या कंपनी पर भी जिम्मेदारी आ सकती है।

पीड़ित या यात्री के लिए:

  • आप अपने हक जानते रहें, FIR दर्ज करवा सकते हैं और मुआवज़े की मांग भी कर सकते हैं।
  • वीडियो या मोबाइल से रिकॉर्ड किया गया सबूत (जैसे CCTV या डैशकैम फुटेज) बहुत मददगार होता है।
  • अगर आपको चोट या नुकसान हुआ है, तो आप सिविल केस करके मुआवज़ा भी मांग सकते हैं।

अगर आप रोड रेज में आरोपी हैं या पीड़ित हैं, तो क्या करें?

अगर आप पर आरोप लगा है:

  • तुरंत किसी अनुभवी क्रिमिनल वकील से संपर्क करें।
  • डैशकैम फुटेज, गवाहों के नाम, फोटो आदि सबूत सुरक्षित रखें।
  • घटना स्थल से भागें नहीं, और अगर गलती से चले गए हों, तो तुरंत पुलिस को बताएं।
  • कोर्ट की हर सुनवाई में उपस्थित रहें, अनुपस्थित रहने पर केस और बिगड़ सकता है।

अगर आप पीड़ित हैं:

  • सही BNS धाराओं के तहत FIR दर्ज करवाएँ।
  • वाहन का नुकसान, चोटों की तस्वीरें, CCTV या मोबाइल वीडियो जैसे सबूत इकट्ठे करें।
  • तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट लें और रिपोर्ट अपने पास रखें।
  • आप मानसिक तनाव या संपत्ति के नुकसान के लिए मुआवज़ा भी मांग सकते हैं।
  • इंवेस्टिगेशन अधिकारी से संपर्क बनाए रखें और केस की स्थिति समय-समय पर जानें।

निष्कर्ष

कानून अब साफ है, सड़क यात्रा के लिए है, झगड़े के लिए नहीं। भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 के अनुसार, रोड रेज कोई मामूली गलती नहीं बल्कि गंभीर अपराध है, खासकर जब इससे किसी की जान या सुरक्षा खतरे में हो।

अगर आप गाड़ी चला रहे हैं, तो याद रखें कि एक पल का गुस्सा कई साल की सज़ा बन सकता है। और अगर आप पीड़ित हैं, तो कानून आपके साथ है, आप शिकायत कर सकते हैं और न्याय पा सकते हैं।

सड़क पर सभ्यता, धैर्य और जिम्मेदारी ही असली सुरक्षा है। इसलिए सुरक्षित चलाएँ, कानून का सम्मान करें, और दूसरों की सुरक्षा का भी ध्यान रखें। क्योंकि ज़िंदगी और कानून दोनों में, संयम ही सबसे बड़ी ताकत है।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

1. क्या रोड रेज अब गैर-जमानती अपराध है?

हाँ, अगर रोड रेज में जानलेवा हमला, गंभीर चोट या मौत शामिल है, तो यह गैर-जमानती अपराध माना जाएगा और तुरंत गिरफ्तारी हो सकती है।

2. अगर रोड रेज में किसी की मौत हो जाए तो सज़ा क्या है?

BNS धारा 106 के तहत, अगर किसी की मौत हो जाती है, तो 5 साल की जेल और जुर्माने की सज़ा दी जा सकती है।

3. क्या बिना चोट पहुँचाए रोड रेज केस बन सकता है?

हाँ, अगर किसी ने धमकी, अपमान या डराने वाला व्यवहार किया है, तो धारा 351 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है।

4. क्या आरोपी को तुरंत गिरफ़्तार किया जा सकता है?

हाँ, अगर मामला गंभीर हमला, हथियार का इस्तेमाल या सार्वजनिक खतरा दिखाता है, तो पुलिस बिना वारंट तुरंत गिरफ्तारी कर सकती है।

5. क्या Dashcam वीडियो सबूत माना जाता है?

हाँ, डैशकैम या मोबाइल वीडियो को कोर्ट में इलेक्ट्रॉनिक सबूत के रूप में स्वीकार किया जाता है और यह केस मजबूत बनाता है।

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