शादी के बाद महिलाओं के अधिकार क्या हैं?

What are the rights of women after marriage

भारत में शादी को जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जाता है। परंतु शादी के बाद महिलाओं के अधिकारों को लेकर अब भी बहुत सी भ्रांतियां हैं। आज के समय में हर महिला को यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि शादी के बाद भी उनके पास कई कानूनी अधिकार सुरक्षित हैं, जो उनके सम्मान, सुरक्षा और स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि शादी के बाद महिलाओं के क्या-क्या अधिकार होते हैं और यदि उनका उल्लंघन हो तो वे कैसे न्याय प्राप्त कर सकती हैं।

विवाह के बाद महिलाओं के मौलिक अधिकार

भारत का संविधान हर महिला को कुछ मौलिक अधिकार प्रदान करता है जो शादी के बाद भी सुरक्षित रहते हैं:

  • जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (Article 21): महिला को स्वतंत्र और गरिमामय जीवन जीने का हक है।
  • समानता का अधिकार (Article 14): कानून की नजर में सभी नागरिक बराबर हैं।
  • भेदभाव निषेध (Article 15): लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता।

ये अधिकार महिलाओं को विवाह के बाद भी स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखने की गारंटी देते हैं।

क्या आप को कानूनी सलाह की जरूरत है ?

पति-पत्नी के बीच समान अधिकार

शादी के बाद पति और पत्नी दोनों के बीच समान अधिकार और कर्तव्य होते हैं:

  • वित्तीय निर्णयों में बराबरी।
  • बच्चों के पालन-पोषण में समान भागीदारी।
  • करियर चुनने और काम करने की स्वतंत्रता।
  • पारिवारिक निर्णयों में समान भूमिका।

कानून दोनों जीवनसाथियों को एक-दूसरे के सम्मान और स्वतंत्रता का आदर करने का दायित्व सौंपता है।

महिला का पति की संपत्ति पर अधिकार

हालांकि भारत में अभी “वैवाहिक संपत्ति कानून” औपचारिक रूप से लागू नहीं हुआ है, लेकिन:

  • हिंदू विवाह के तहत पत्नी पति की मृत्यु पर उसकी संपत्ति में उत्तराधिकारी होती है।
  • मुस्लिम महिला को “मेहर” और तलाक की स्थिति में “मायने” (maintenance) का अधिकार है।
  • पारसी और ईसाई महिलाओं को भी उत्तराधिकार अधिनियमों के तहत संपत्ति में हक प्राप्त होता है।
इसे भी पढ़ें:  क्या गे कपल भी ले सकते है डाइवोर्स या मेंटेनेंस ?

महत्वपूर्ण: शादी के बाद संयुक्त प्रयासों से अर्जित संपत्ति पर महिला का नैतिक और कानूनी दावा बनता है।

पत्नी का भरण-पोषण (Maintenance) का अधिकार

शादी के बाद यदि पति पत्नी का उचित भरण-पोषण नहीं करता या पत्नी को छोड़ देता है तो:

  • हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 24 और 25 के तहत पत्नी भरण-पोषण मांग सकती है।
  • CrPC की धारा 125 के तहत कोई भी महिला पति से भरण-पोषण पाने का अधिकार रखती है।
  • मुस्लिम महिला (Protection of Rights on Divorce) Act, 1986 के तहत भी अधिकार सुरक्षित है।

भरण-पोषण में शामिल होता है: निवास, भोजन, कपड़े, दवाइयां, शिक्षा और अन्य मूलभूत आवश्यकताएं।

घरेलू हिंसा से संरक्षण का अधिकार

यदि विवाह के बाद महिला को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक या यौन शोषण का सामना करना पड़े तो:

  • Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005 के तहत वह संरक्षण की मांग कर सकती है।
  • महिला को अपने निवास स्थान पर सुरक्षित रहने का अधिकार प्राप्त है।
  • कोर्ट से सुरक्षा आदेश, रेसिडेंस ऑर्डर, भरण-पोषण आदेश और मुआवजा आदेश प्राप्त किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण: घरेलू हिंसा केवल शारीरिक नहीं, मानसिक उत्पीड़न भी इसमें शामिल है।

पति की मृत्यु के बाद महिला के अधिकार

पति की मृत्यु के बाद भी महिला के पास कई कानूनी अधिकार होते हैं:

  • उत्तराधिकार का अधिकार: पति की संपत्ति में उत्तराधिकारी बनना (Hindu Succession Act, 1956)।
  • विधवा पेंशन: कई राज्यों और केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक सहायता योजनाएं।
  • ससुराल में निवास: महिला को पति के घर में रहने का अधिकार मिलता है।

अगर कोई उसे जबरन निकालता है तो वह कानून के माध्यम से सुरक्षा मांग सकती है।

इसे भी पढ़ें:  एक कपल शादी के बाद तलाक कब फाइल कर सकता है?

बच्चे पर अधिकार

शादी के बाद महिला का अपने बच्चों पर विशेष अधिकार होता है:

  • बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य, पालन-पोषण और धर्म संबंधी निर्णयों में भूमिका।
  • तलाक की स्थिति में भी बच्चे की कस्टडी और भरण-पोषण के लिए दावा कर सकती है।
  • बच्चों के हित में कोर्ट माँ को प्राथमिकता दे सकता है।

तलाक या अलगाव के बाद महिला के अधिकार

अगर शादी टूट जाती है या तलाक हो जाता है तो भी महिला को कई अधिकार मिलते हैं:

  • अंतरिम और स्थायी भरण-पोषण पाने का अधिकार।
  • बच्चों की कस्टडी और भरण-पोषण का दावा।
  • मानसिक उत्पीड़न, परित्याग, या धोखाधड़ी के मामलों में मुआवजा पाने का अधिकार।
  • तलाक के बाद पति की संपत्ति से न्यायसंगत हिस्से की मांग।

महिला के नाम, पहचान और करियर पर अधिकार

  • शादी के बाद नाम बदलना महिला की व्यक्तिगत पसंद है, अनिवार्य नहीं।
  • महिला अपनी शिक्षा, नौकरी और व्यवसाय को स्वतंत्र रूप से जारी रख सकती है।
  • अपने सभी दस्तावेजों (Aadhar, PAN, Passport) में स्वतंत्र पहचान बनाए रखने का अधिकार है।

दहेज निषेध और दहेज प्रताड़ना से संरक्षण का अधिकार

भारत में दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत दहेज लेना-देना अपराध है।

  • IPC की धारा 498A: पति या ससुराल पक्ष द्वारा दहेज के लिए प्रताड़ना पर सख्त कार्यवाही होती है।
  • महिला पुलिस में शिकायत दर्ज कर सकती है और अपराधियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करवा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: पति की संपत्ति पर पत्नी का अधिकार

मामला: एक महिला ने अपने पति से ₹500 करोड़ की स्थायी भरण-पोषण की मांग की, यह दावा करते हुए कि उनके पति की कुल संपत्ति ₹5000 करोड़ है।​

निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भरण-पोषण का उद्देश्य पत्नी को सम्मानजनक जीवन स्तर प्रदान करना है, न कि पति की संपत्ति के बराबर संपत्ति प्राप्त करना। कोर्ट ने ₹12 करोड़ की स्थायी भरण-पोषण राशि निर्धारित की, जिसमें पत्नी की आवश्यकताओं और पति की आय का संतुलन ध्यान में रखा गया।

इसे भी पढ़ें:  विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह के लिए आवेदन कैसे करें?

सुप्रीम कोर्ट का आदेश: सभी महिलाओं को 24 सप्ताह तक गर्भपात का अधिकार

मामला: मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) अधिनियम में विवाहित और अविवाहित महिलाओं के लिए अलग-अलग प्रावधान थे।​

निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया कि सभी महिलाएं, चाहे उनकी वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो, 24 सप्ताह तक गर्भपात का अधिकार रखती हैं। कोर्ट ने इसे संविधान के तहत समानता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के तहत मान्यता दी।

निष्कर्ष

शादी के बाद महिला का अस्तित्व और अधिकार खत्म नहीं होते, बल्कि और मजबूत होते हैं। कानून ने महिलाओं को हर स्तर पर संरक्षण और समानता दी है। एक जागरूक महिला अपने अधिकारों का प्रयोग कर एक स्वतंत्र, सम्मानित और सुरक्षित जीवन जी सकती है। जरूरत है बस जानकारी और आत्मविश्वास की।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

1. क्या शादी के बाद महिला को अपने करियर पर अधिकार है?

हाँ, महिला को स्वतंत्र रूप से काम करने और अपना करियर बनाने का पूरा अधिकार है।

2. क्या पत्नी ससुराल में रहने का कानूनी अधिकार रखती है?

हाँ, वह matrimonial home में रहने का कानूनी अधिकार रखती है।

3. अगर पति तलाक दे दे तो महिला के कौन-कौन से अधिकार बचे रहते हैं?

भरण-पोषण, बच्चों की कस्टडी, मुआवजा और सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार।

4.पति की मृत्यु के बाद महिला संपत्ति में क्या दावा कर सकती है?

वह पति की संपत्ति में उत्तराधिकारी बनती है और कानूनी हिस्सा पा सकती है।

Social Media