कोर्ट मैरिज भारत में एक वैधानिक प्रक्रिया है जो विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के अंतर्गत संपन्न होती है। यह प्रक्रिया उन जोड़ों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो सामाजिक या पारिवारिक कारणों से विवाह नहीं कर पा रहे होते। परंतु कई बार शादी के बाद वैवाहिक संबंधों में तनाव उत्पन्न होने से तलाक की स्थिति भी आ जाती है। इस लेख में हम समझेंगे कि कोर्ट मैरिज के बाद तलाक लेने की प्रक्रिया और नियम क्या हैं।
कोर्ट मैरिज क्या होती है?
कोर्ट मैरिज वह प्रक्रिया है जिसमें महिला और पुरुष बिना किसी धार्मिक रीति-रिवाज के, केवल विधिक औपचारिकताओं को पूरा कर विवाह कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में धर्म, जाति, भाषा अथवा रंग का कोई भेदभाव नहीं किया जाता। दोनों पक्षों को निर्धारित समय पर विवाह अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर विवाह की प्रक्रिया पूरी करनी होती है। विवाह प्रमाण पत्र आगे चलकर कई कानूनी कार्यों में सहायक होता है।
कोर्ट मैरिज के बाद तलाक से संबंधित नियम
तलाक के लिए न्यूनतम एक वर्ष का समय
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की धारा 29 के अनुसार, कोर्ट मैरिज करने के बाद पति-पत्नी में से कोई भी विवाह की तिथि से एक वर्ष की अवधि पूर्ण हुए बिना तलाक की याचिका दाखिल नहीं कर सकता।
अपवाद की स्थिति
यदि किसी दंपत्ति के मध्य घरेलू हिंसा, मानसिक प्रताड़ना, शारीरिक उत्पीड़न या अन्य गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं तो न्यायालय अपने विवेक से एक वर्ष से पूर्व भी तलाक की अनुमति प्रदान कर सकता है।
उदाहरण: यदि पत्नी को पति द्वारा शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा हो और उसके जीवन को खतरा हो, तो न्यायालय शीघ्र तलाक की सुनवाई कर सकता है।
आपसी सहमति से तलाक
यदि दोनों पक्ष इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि अब उनका साथ रहना संभव नहीं है तो वे विशेष विवाह अधिनियम की धारा 28 के अंतर्गत आपसी सहमति से तलाक की याचिका दायर कर सकते हैं। इसके लिए भी सामान्यतः एक वर्ष का वैवाहिक समय पूरा होना आवश्यक होता है।
कोर्ट मैरिज के बाद तलाक की प्रक्रिया
- परिवार न्यायालय में याचिका दायर करना
- दोनों पक्षों की परामर्श और समझौता प्रक्रिया
- साक्ष्य और सुनवाई की प्रक्रिया
- अंतिम निर्णय और तलाक आदेश जारी होना
क्या विदेशी नागरिक से भी भारत में कोर्ट मैरिज की जा सकती है?
हां, बिल्कुल। यदि विदेशी नागरिक के पास भारत में वैध वीजा और निवास की अनुमति है, तो वह विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के अंतर्गत भारतीय नागरिक से कोर्ट मैरिज कर सकता है।
कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया में दोनों पक्षों को केवल विवाह अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर अपने दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं। इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की जाति, धर्म, भाषा या रंग का भेदभाव नहीं किया जाता।
तलाक और विवाह निरस्तीकरण में अंतर
- तलाक: विवाह को वैधानिक रूप से समाप्त करना।
- विवाह निरस्तीकरण: विवाह को प्रारंभ से ही अमान्य या शून्य घोषित करना, जैसे कि धोखा, छल, मानसिक रोग आदि की स्थिति में।
सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के नवीनतम निर्णय
सुप्रीम कोर्ट: विशेष विवाह अधिनियम में विवाह के अधिकार की पुष्टि (2024)
मामला: XYZ बनाम भारत सरकार (2024)
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने पुनः स्पष्ट किया कि विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है, चाहे जाति, धर्म, लिंग, या समुदाय कुछ भी हो।
महत्व: अदालत ने यह कहा कि किसी भी स्थानीय पुलिस या पंचायत को Court Marriage में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट – अंतर-धार्मिक विवाहों में सुरक्षा का आदेश (2024)
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की पुलिस को निर्देशित किया कि अंतर-धार्मिक या अंतर-जातीय Court Marriage करने वाले जोड़ों को पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाए, यदि उन्हें परिवार या समाज से जान का खतरा हो।
महत्व: इस निर्णय ने Court Marriage करने वाले जोड़ों के संवैधानिक अधिकारों और स्वतंत्रता को सुरक्षित करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है।
समलैंगिक विवाह याचिका (2024)
मामला: सुप्रियो चक्रवर्ती बनाम भारत संघ (2024)
निर्णय: सुप्रीम कोर्ट ने विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से फिलहाल इनकार कर दिया, लेकिन सरकार को LGBTQ समुदाय के अधिकारों को सुरक्षित करने की दिशा में नीति तैयार करने का सुझाव दिया।
महत्व: यह मामला कोर्ट मैरिज कानून के दायरे और विकास को लेकर चर्चा में रहा।
निष्कर्ष
कोर्ट मैरिज जहां दंपत्ति को वैधानिक अधिकार और सुरक्षा प्रदान करती है, वहीं तलाक की प्रक्रिया भी विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के अनुसार पूरी तरह नियमानुसार होती है। किसी भी प्रकार की कानूनी समस्या या दुविधा की स्थिति में अनुभवी वकील की सलाह लेना अत्यंत आवश्यक होता है।
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FAQs
1. कोर्ट मैरिज के बाद तलाक कैसे लिया जा सकता है?
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के अंतर्गत परिवार न्यायालय में याचिका दायर कर तलाक लिया जा सकता है।
2. क्या कोर्ट मैरिज के तुरंत बाद तलाक लिया जा सकता है?
सामान्यतः नहीं। विवाह के एक वर्ष बाद ही तलाक की याचिका दी जा सकती है। अत्यधिक विशेष परिस्थितियों में न्यायालय अनुमति दे सकता है।
3. कोर्ट मैरिज के लिए कौन-कौन से दस्तावेज आवश्यक होते हैं?
आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आकार के फोटो आदि।
4. क्या भारतीय नागरिक विदेशी महिला से कोर्ट मैरिज कर सकता है?
हां, यदि विदेशी महिला के पास वैध वीजा और सभी आवश्यक दस्तावेज हों, तो विवाह अधिकारी के समक्ष विवाह किया जा सकता है।
5. कोर्ट मैरिज के बाद तलाक में कितना समय लगता है?
यदि आपसी सहमति से तलाक हो तो लगभग छह माह, अन्य मामलों में समय परिस्थिति और न्यायालय की प्रक्रिया पर निर्भर करता है।



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