जब आप ज़मीन खरीदते हैं या विरासत में कोई प्रॉपर्टी मिलती है, तो ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि रजिस्ट्री हो गई मतलब काम पूरा हो गया। लेकिन यह अधूरा कदम है। रजिस्ट्री के बाद सबसे ज़रूरी प्रक्रिया होती है – म्यूटेशन। अगर म्यूटेशन नहीं कराया, तो सरकारी रिकॉर्ड में आपका नाम नहीं जुड़ता, जिससे आगे चलकर दिक्कतें हो सकती हैं।
यह विषय आज इसलिए चर्चा में है क्योंकि:
- कई लोग बिना म्यूटेशन के जमीन खरीद लेते हैं और भविष्य में कानूनी विवादों में फंस जाते हैं।
- कृषि योजनाएं, लोन, और सरकारी लाभ लेने के लिए म्यूटेशन अनिवार्य है।
- सरकारें अब म्यूटेशन प्रक्रिया को डिजिटल बना रही हैं, जिससे आम जनता के लिए इसका महत्व और बढ़ गया है।
भूमि रिकॉर्ड में म्यूटेशन क्या होता है?
म्यूटेशन का मतलब होता है, जब भी प्रॉपर्टी का मालिक बदलता है, तो सरकारी रिकॉर्ड में उस बदलाव को दर्ज कराना। कई राज्यों में इसे ‘दाखिल-खारिज’ भी कहा जाता है।
म्यूटेशन इन मामलों में जरूरी होता है:
- जब आप ज़मीन खरीदते या बेचते हैं
- जब आपको प्रॉपर्टी विरासत में मिलती है (माता-पिता से)
- जब कोई प्रॉपर्टी गिफ्ट में मिलती है
- वसीयत या कोर्ट के आदेश से
म्यूटेशन कराने से आपका नाम सरकारी ज़मीन रिकॉर्ड में जुड़ जाता है, जो राजस्व विभाग या नगर निगम के पास होता है।
उदाहरण: मान लीजिए आपने एक प्लॉट खरीदा और रजिस्ट्री करा ली। लेकिन अगर आपने म्यूटेशन नहीं कराया, तो सरकारी रिकॉर्ड में अब भी पुराने मालिक का नाम दिखेगा। इससे भविष्य में टैक्स भरने, मालिकाना हक साबित करने या दोबारा बिक्री के समय कानूनी अड़चनें आ सकती हैं। इसलिए रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन कराना भी उतना ही जरूरी है।
जमीन का म्यूटेशन क्यों जरूरी है?
- सरकारी रिकॉर्ड में मालिकाना हक का सबूत: म्यूटेशन कराने से सरकारी रिकॉर्ड में नए मालिक का नाम दर्ज हो जाता है। ये दिखाता है कि अब जमीन आपके नाम पर है।
- प्रॉपर्टी टैक्स भरने के लिए जरूरी: नगर निगम या राजस्व विभाग में जिसका नाम होगा, वही प्रॉपर्टी टैक्स भर सकता है। म्यूटेशन से आप टैक्स भरने के हकदार बनते हैं।
- जमीन बेचने के समय जरूरी दस्तावेज: जब आप जमीन बेचना चाहेंगे, तो खरीदार या बैंक चेक करेंगे कि आपका नाम जमीन के रिकॉर्ड में है या नहीं। म्यूटेशन नहीं होने पर परेशानी हो सकती है।
- पुराने मालिक या रिश्तेदारों के दावों से बचाव: म्यूटेशन होने से साफ हो जाता है कि अब जमीन किसकी है। इससे भविष्य में कोई और दावा नहीं कर सकता।
- प्रॉपर्टी पर लोन लेने में मदद: बैंक लोन देने से पहले यह देखते हैं कि म्यूटेशन हुआ है या नहीं। अगर रिकॉर्ड में नाम नहीं है तो लोन मिलना मुश्किल हो सकता है।
- सरकारी योजनाओं, मुआवज़े और अधिग्रहण के मामलों: अगर सरकार किसी ज़मीन को प्रोजेक्ट के लिए लेती है, तो मुआवज़ा उसी को मिलेगा जिसका नाम सरकारी रिकॉर्ड में है। म्यूटेशन होने से आपको आपका हक मिलेगा।
म्यूटेशन कितने प्रकार के होते हैं?
- खेती वाली ज़मीन का म्यूटेशन (गांव की ज़मीन): अगर ज़मीन खेती की है और गांव में है, तो म्यूटेशन तहसील या पटवारी ऑफिस में होता है। ये दिखाने के लिए जरूरी है कि अब ज़मीन आपके नाम पर है।
- शहर की ज़मीन या मकान का म्यूटेशन (गैर-कृषि जमीन): अगर प्रॉपर्टी मकान, दुकान या प्लॉट जैसी है और शहर में है, तो म्यूटेशन नगर निगम या नगरपालिका में कराया जाता है।
म्यूटेशन कब कराना चाहिए?
| स्थिति | कब कराएं म्यूटेशन |
| ज़मीन खरीदने या बेचने के बाद | 30 से 90 दिनों के अंदर |
| मालिक की मृत्यु पर (विरासत में ज़मीन) | मृत्यु के बाद जितनी जल्दी हो सके |
| गिफ्ट डीड होने पर | गिफ्ट डीड रजिस्टर्ड होने के तुरंत बाद |
| कोर्ट के आदेश या वसीयत पर | कानूनी जांच पूरी होने के बाद |
अगर म्यूटेशन में देर करते हैं, तो आपको जुर्माना लग सकता है या कानूनी परेशानी हो सकती है।
म्यूटेशन और रजिस्ट्री में फर्क
| बिंदु | रजिस्ट्री | म्यूटेशन |
| अर्थ | मालिकाना हक का लीगल ट्रांसफर | सरकारी रिकॉर्ड में नाम दर्ज |
| प्रक्रिया | सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में होती है | तहसील/नगर निगम/ब्लॉक में होती है |
| कानूनी स्थिति | स्वामित्व का कानूनी प्रमाण | प्रशासनिक/राजस्व रिकॉर्ड का अपडेट |
| जरूरी क्यों | बगैर रजिस्ट्री, म्यूटेशन नहीं हो सकता | सरकारी लाभों और रिकॉर्ड के लिए जरूरी |
रजिस्ट्री और म्यूटेशन दोनों ज़रूरी होते हैं, बिना रजिस्ट्री के म्यूटेशन नहीं हो सकता, और बिना म्यूटेशन के सरकारी रिकॉर्ड में आपका नाम नहीं जुड़ता।
प्रॉपर्टी म्यूटेशन की कानूनी प्रक्रिया – आसान तरीके से समझें
अगर आप ज़मीन या मकान का म्यूटेशन कराना चाहते हैं, तो ये काम इन आसान स्टेप्स में पूरा होता है:
स्टेप 1: ज़रूरी दस्तावेज़ इकट्ठा करें
- रजिस्ट्री, गिफ्ट डीड या वसीयत
- मृत्यु प्रमाण पत्र (अगर विरासत में मिली हो)
- खाता या प्रॉपर्टी टैक्स की रसीद
- एफिडेविट या इंडेम्निटी बॉन्ड
- आधार कार्ड और पैन कार्ड
- पासपोर्ट साइज फोटो
- म्यूटेशन फॉर्म (हर राज्य में अलग हो सकता है)
स्टेप 2: आवेदन जमा करें
आपके प्रॉपर्टी के हिसाब से आवेदन यहाँ जमा करना होगा:
- गांव या खेती की ज़मीन: तहसीलदार या राजस्व अधिकारी के पास
- शहर की प्रॉपर्टी: नगर निगम या नगरपालिका में
- कुछ राज्यों में आप ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं।
स्टेप 3: म्यूटेशन फीस जमा करें
फीस आमतौर पर ₹25 से ₹1000 तक होती है, जो संपत्ति के प्रकार और राज्य की नियमावली पर निर्भर करती है। सही जानकारी के लिए अपने राज्य की सरकारी वेबसाइट देखें।
स्टेप 4: अधिकारियों द्वारा जांच
- दस्तावेज़ों की जांच की जाएगी
- ज़रूरत पड़ी तो ज़मीन की जांच भी हो सकती है
- कुछ राज्यों में अखबार में नोटिस देकर आपत्ति माँगी जाती है
स्टेप 5: म्यूटेशन सर्टिफिकेट मिलना
अगर किसी ने आपत्ति नहीं की, तो आपके नाम पर रिकॉर्ड चढ़ा दिया जाता है और आपको म्यूटेशन सर्टिफिकेट दे दिया जाता है।
ऑनलाइन म्यूटेशन प्रक्रिया
अभी कई राज्य ऑनलाइन सुविधा प्रदान कर रहे हैं:
- दिल्ली – MCD ऑनलाइन म्यूटेशन पोर्टल
- महाराष्ट्र – MahaBhulekh पोर्टल
- कर्नाटक – Bhoomi पोर्टल
- उत्तर प्रदेश – Bhulekh UP पोर्टल
- पश्चिम बंगाल – BanglarBhumi पोर्टल
- तेलंगाना – Dharani पोर्टल
ऑनलाइन प्रक्रिया:
- पोर्टल पर लॉगिन करें
- “Mutation” सेक्शन में जाएं
- आवेदन भरें और दस्तावेज़ अपलोड करें
- शुल्क ऑनलाइन जमा करें
- आवेदन स्थिति ट्रैक करें
म्यूटेशन सर्टिफिकेट क्या होता है और क्यों जरूरी है?
म्यूटेशन सर्टिफिकेट एक सरकारी दस्तावेज़ होता है, जो यह दिखाता है कि जमीन या प्रॉपर्टी अब आपके नाम पर सरकारी रिकॉर्ड (राजस्व रिकॉर्ड) में चढ़ गई है। यह सर्टिफिकेट स्थानीय सरकारी विभाग (तहसील या नगर निगम) द्वारा जारी किया जाता है।
इसमें ये जानकारियाँ होती हैं:
- प्रॉपर्टी से जुड़ी पूरी डिटेल
- नए मालिक का नाम
- म्यूटेशन का रेफरेंस नंबर
- रिकॉर्ड में एंट्री की तारीख
ध्यान दें: म्यूटेशन सर्टिफिकेट खुद में मालिक होने का सबूत नहीं होता, लेकिन यह रजिस्ट्री के साथ मिलकर मालिकाना हक को और मजबूत करता है। बैंक लोन, संपत्ति बिक्री या सरकारी मुआवज़े के दावे के समय यह प्रमाणपत्र अत्यंत उपयोगी होता है।
महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय
जितेंद्र सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य, 2021
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि म्यूटेशन का मतलब किसी को जमीन का असली मालिकाना हक नहीं मिलता। म्यूटेशन सिर्फ सरकारी रिकॉर्ड और टैक्स भरने के लिए होता है। अगर आपको जमीन का मालिकाना हक वसीयत या किसी और तरीके से मिला है, तो अपने हक के लिए आपको सिविल कोर्ट जाना होगा। म्यूटेशन से मालिकाना हक साबित नहीं होता।
भिमाबाई महादेव कंबेकर बनाम आर्थर इम्पोर्ट एंड एक्सपोर्ट कंपनी, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि म्यूटेशन रिकॉर्ड से जमीन का मालिकाना हक नहीं बनता और न ही खत्म होता है। म्यूटेशन केवल राजस्व के काम के लिए होता है, जैसे कि टैक्स देना। इसका मालिकाना हक पर कोई असर या दावा नहीं माना जाता।
निष्कर्ष
जमीन का म्यूटेशन केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि आपकी संपत्ति की कानूनी सुरक्षा और भविष्य के विवादों से बचाव का एक मजबूत आधार है। चाहे आपने कोई फ्लैट खरीदा हो, ज़मीन विरासत में मिली हो, या माता-पिता से गिफ्ट में प्रॉपर्टी मिली हो, म्यूटेशन से आपका मालिकाना हक सरकार के रिकॉर्ड में सही तरह से दर्ज हो जाता है। इससे आप विवादों से बचते हैं, टैक्स भर सकते हैं, और प्रॉपर्टी पर अपने सभी अधिकारों का फायदा उठा सकते हैं।
अगर आपने हाल ही में प्रॉपर्टी ली है और म्यूटेशन नहीं कराया है, तो अभी करें। ये छोटा सा कदम आपके लिए लंबी अवधि में बहुत फायदे लेकर आएगा।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. क्या म्यूटेशन और रजिस्ट्री एक ही चीज़ है?
नहीं। रजिस्ट्री जमीन खरीदने या बेचने का कानूनी सबूत होती है। म्यूटेशन सरकारी रिकॉर्ड में आपके नाम को अपडेट करता है।
2. क्या म्यूटेशन करना ज़रूरी है?
कानूनी तौर पर हर राज्य में जरूरी नहीं है, लेकिन टैक्स भरने, लोन लेने और जमीन बेचने के लिए बहुत जरूरी है।
3. म्यूटेशन में कितना समय लगता है?
आम तौर पर 15 से 60 दिन लगते हैं, ये जगह और प्रॉपर्टी के प्रकार पर निर्भर करता है।
4. क्या म्यूटेशन को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?
हाँ, अगर किसी में धोखाधड़ी हो या सही वारिसों को शामिल नहीं किया गया हो तो चुनौती दी जा सकती है।
5. अगर म्यूटेशन सर्टिफिकेट खो गया हो तो क्या करें?
आप अपने नजदीकी नगरपालिका या राजस्व कार्यालय में जाकर डुप्लीकेट सर्टिफिकेट के लिए आवेदन कर सकते हैं।



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