क्या आप जानते हैं कि भारत में पोर्न देखना अपराध नहीं है, लेकिन कुछ स्थितियों में यह आपको जेल तक पहुँचा सकता है? इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि भारत में पोर्नोग्राफी को लेकर क्या कानून हैं, कौन-से मामले में यह वैध है और किन हालातों में यह गैरकानूनी हो जाती है।
अश्लील सामग्री और पोर्नोग्राफी: क्या फर्क है?
“अश्लील साहित्य” या “पॉर्नोग्राफी” ऐसे दृश्य, शब्द या सामग्रियाँ होती हैं जिनका उद्देश्य यौन उत्तेजना पैदा करना होता है। इसमें वीडियो, तस्वीरें, ऑडियो या टेक्स्ट सभी शामिल हो सकते हैं। लेकिन हर अश्लील सामग्री कानून की दृष्टि से एक जैसी नहीं मानी जाती। इसका मूल्यांकन समाज की मानसिकता, नैतिकता और कानून के अनुसार किया जाता है।
क्या पोर्न देखना अपराध है?
नहीं, भारत में निजी रूप से पोर्न देखना अपराध नहीं है।
लेकिन अगर आप—
- अश्लील सामग्री को बनाते हैं,
- उसे बेचते, साझा करते या अपलोड करते हैं,
- या उसमें बच्चों या जबरदस्ती शामिल लोगों की क्लिप्स देखते हैं,
तो ये अपराध की श्रेणी में आता है।
भारत में पोर्नोग्राफी से जुड़े मुख्य कानून
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
- धारा 66E: यदि कोई व्यक्ति किसी की बिना इजाज़त के निजी तस्वीरें या अंग साझा करता है, तो उसे 3 साल की सजा और 2 लाख तक जुर्माना हो सकता है।
- धारा 67A: यदि कोई यौन गतिविधि दिखाने वाली सामग्री को ऑनलाइन साझा करता है, तो उसे 5 साल की सजा और 10 लाख तक जुर्माना हो सकता है।
भारतीय न्याय संहिता (BNS)
- धारा 294 और 295: अश्लील वस्तुओं को बेचना, वितरित करना, या सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करना अपराध है।
- महिला की उपस्थिति में अश्लील संकेत देना भी एक साल की सजा और जुर्माने योग्य अपराध है (मेजर सिंह केस, पंजाब)।
POCSO अधिनियम (2012)
- यदि कोई व्यक्ति बच्चों (18 वर्ष से कम) को पोर्नोग्राफिक सामग्री में दिखाता है या रिकॉर्ड करता है, तो 5 साल की सजा और जुर्माना हो सकता है।
महिला अभद्र प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1986
- विज्ञापनों, पत्रिकाओं, टीवी या किसी अन्य माध्यम से महिलाओं को अशोभनीय रूप में दिखाना इस कानून के तहत अपराध है।
निजता बनाम सार्वजनिक अपराध: क्या फर्क है?
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अपने घर में निजी रूप से पोर्न देखता है, तो वह व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार (Right to Privacy) के तहत आता है।
हालांकि, यदि—
- उस पोर्न में चाइल्ड पोर्नोग्राफी हो,
- बलात्कार, हिंसा या महिला विरोधी चित्रण हो,
- या उसे सार्वजनिक रूप से साझा किया जाए,
तो यह आपराधिक श्रेणी में आता है।
क्या पोर्नोग्राफी और मानव तस्करी जुड़ी हुई हैं?
हालांकि भारत में कई लोग स्वेच्छा से इस इंडस्ट्री में कार्यरत हैं, लेकिन यह भी सच है कि:
- कई बार महिलाओं और बच्चों को जबरदस्ती इस इंडस्ट्री में लाया जाता है,
- मानव तस्करी और पोर्न फिल्म निर्माण के बीच गहरा संबंध देखा गया है,
इसलिए जबरन कराई गई यौन क्रियाएं, विशेषकर बच्चों के साथ, सख्त आपराधिक मामलों में आती हैं।
नैतिकता और व्यक्तिगत जिम्मेदारी
भारत का कानून नैतिकता का निर्धारण हर व्यक्ति के विवेक पर छोड़ता है। आपको खुद से यह सवाल करना होता है:
- क्या मुझे यह देखना चाहिए?
- क्या इसमें किसी की गरिमा का हनन हो रहा है?
- क्या यह किसी अपराध का हिस्सा है?
यदि जवाब “हां” है, तो आपको इससे दूर रहना चाहिए।
निष्कर्ष
भारत में पोर्न देखना पूरी तरह से अवैध नहीं है, लेकिन सीमाओं को पार करना खतरनाक हो सकता है। चाइल्ड पोर्न, जबरन बनाए गए वीडियो या किसी की निजता का उल्लंघन, ये सब गंभीर अपराध हैं। इसलिए ज़रूरी है कि आप जागरूक रहें और कानून की सीमाओं को समझें।
अगर आप इस विषय से जुड़ी किसी कानूनी परेशानी में हैं या आपको लगता है कि आपकी निजता या अधिकारों का हनन हुआ है, तो लीड इंडिया के विशेषज्ञ वकीलों से तुरंत संपर्क करें। हम आपको पूरी तरह कानूनी, सुरक्षित और भरोसेमंद सलाह देंगे।
FAQs
1. क्या भारत में पोर्न देखना गैरकानूनी है?
निजी रूप से पोर्न देखना अपराध नहीं है, लेकिन चाइल्ड पोर्न या हिंसक अश्लील सामग्री देखना अवैध है।
2. क्या अश्लील वीडियो शेयर करना अपराध है?
हाँ, अश्लील वीडियो को भेजना, अपलोड करना या फैलाना IT एक्ट और IPC के तहत सज़ा योग्य अपराध है।
3. अगर कोई जबरदस्ती पोर्न दिखाए तो क्या कर सकते हैं?
आप BNS की धारा 294 और IT एक्ट की धारा 67A के तहत शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
4. चाइल्ड पोर्न रखने पर क्या सज़ा है?
POCSO एक्ट के तहत कम से कम 5 साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।
5. क्या पोर्न फिल्म बनाना भारत में वैध है?
नहीं, भारत में पोर्न बनाना या पब्लिश करना कानूनन अपराध है और इसके लिए सख्त सज़ा हो सकती है।



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