ISRO के साथ कॉन्ट्रैक्ट करने के लिए कौन-कौन से लीगल कागजात चाहिए?

What legal documents are required to enter into a contract with ISRO

ISRO भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ़ स्पेस के तहत काम करने वाली एक सरकारी संस्था है। यह देश की प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था है और कई प्रोजेक्ट्स, सेवाओं और सप्लाई के लिए अलग-अलग कंपनियों और संस्थाओं के साथ कॉन्ट्रैक्ट करती है। लेकिन ISRO के साथ कॉन्ट्रैक्ट करना आम बिजनेस डील से थोड़ा अलग होता है क्योंकि यहां सरकारी नियम, कड़ाई से पालन और दस्तावेजों की पूरी तैयारी जरूरी होती है।

अगर आप ISRO के साथ कॉन्ट्रैक्ट करना चाहते हैं, तो आपको ये समझना होगा कि कौन-कौन से कानूनी कागजात चाहिए, ताकि आपका समझौता सही, वैध और सरकार के नियमों के अनुसार हो।

इस ब्लॉग में हम आपको वो मुख्य कानूनी दस्तावेज़ बताएंगे जो ISRO के साथ कॉन्ट्रैक्ट के लिए जरूरी होते हैं, उनका महत्व समझाएंगे और ये भी बताएंगे कि आप कैसे आसानी से इन दस्तावेज़ों की तैयारी कर सकते हैं।

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ISRO और कॉन्ट्रैक्ट्स

ISRO के साथ कॉन्ट्रैक्ट क्या होता है? 

ISRO के साथ कॉन्ट्रैक्ट एक औपचारिक और कानूनी समझौता होता है, जो ISRO और किसी व्यक्ति, कंपनी या संस्था के बीच होता है। इसमें दोनों पक्षों के अधिकार, जिम्मेदारियां और जो काम या सेवा करनी है, वह साफ तौर पर लिखा होता है।

दस्तावेज़ क्यों ज़रूरी हैं? 

ISRO एक सरकारी संस्था है, इसलिए वह सख्त नियमों, पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करती है। ताकि सब कुछ सही और पारदर्शी रहे, इसलिए ISRO के साथ कॉन्ट्रैक्ट करने के लिए कुछ खास दस्तावेज़ जरूरी होते हैं, जो कानून और नियमों के हिसाब से सही हों।

कॉन्ट्रैक्ट से पहले प्रारंभिक कदम – वेंडर रजिस्ट्रेशन

किसी भी कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने से पहले, ISRO आमतौर पर वेंडर या सप्लायर्स से कहता है कि वे अपने आपको ISRO के वेंडर मैनेजमेंट सिस्टम में रजिस्टर कराएं। रजिस्ट्रेशन में कंपनी की बुनियादी जानकारी, वित्तीय विवरण और पिछले काम का अनुभव देना होता है।

रजिस्ट्रेशन के लिए ज़रूरी दस्तावेज़:

  • वेंडर रजिस्ट्रेशन फॉर्म
  • कंपनी का प्रोफाइल
  • GST रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
  • PAN कार्ड की कॉपी
  • बैंक विवरण और सॉल्वेंसी सर्टिफिकेट

यह रजिस्ट्रेशन बहुत जरूरी है क्योंकि केवल रजिस्टर्ड वेंडर्स ही ISRO की टेंडर प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं या खरीद आदेश परचेस आर्डर पा सकते हैं।

ISRO के साथ कॉन्ट्रैक्ट करने के लिए ज़रूरी कानूनी दस्तावेज़

RFP or Tender Document (निविदा दस्तावेज़)

यह ISRO की तरफ़ से जारी किया गया पहला दस्तावेज़ होता है जिसमें बताया जाता है कि उन्हें किस काम या सेवा के लिए सप्लायर चाहिए। इसमें ये सब जानकारी होती है:

  • काम का दायरा क्या है (क्या-क्या करना है)
  • कौन लोग आवेदन कर सकते हैं (योग्यता)
  • आवेदन करने की आखिरी तारीख
  • नियम और शर्तें
  • बिड को कैसे जांचा जाएगा
  • आपको अपना प्रस्ताव (बोली) इस दस्तावेज़ को ध्यान में रखते हुए देना होता है।
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Bid Submission Documents (बोली जमा करने के दस्तावेज़)

जब आप टेंडर या RFP का जवाब देते हैं, तो आपको नीचे दिए गए दस्तावेज़ जमा करने होते हैं:

  • Technical Bid (तकनीकी प्रस्ताव): इसमें आपकी कंपनी के बारे में, आपका अनुभव, और आपने पहले कौन-कौन से प्रोजेक्ट किए हैं, ये जानकारी दी जाती है।
  • Financial Bid (वित्तीय प्रस्ताव): इसमें बताया जाता है कि आप काम के लिए कितने पैसे लेंगे।
  • Compliance Certificate: ये दिखाने के लिए कि आपने ISRO के सभी नियम और तकनीकी शर्तें मानी हैं।
  • EMD (Earnest Money Deposit): ये एक तरह की सिक्योरिटी राशि होती है, जो बाद में वापस मिल जाती है अगर काम आपको नहीं मिलता या आप नियमों के अनुसार काम करते हैं।

LOI or Award Letter (काम मिलने की सूचना पत्र)

जब ISRO आपकी बोली को चुन लेता है, तो वह एक LOI (Letter of Intent) भेजता है। इसका मतलब होता है कि ISRO आपको कॉन्ट्रैक्ट देना चाहता है।

  • इसमें शुरुआती शर्तें लिखी होती हैं।
  • आपसे ये भी कहा जा सकता है कि आप इस पत्र को स्वीकार करें।

Contract Agreement / Work Order (मुख्य कॉन्ट्रैक्ट दस्तावेज़)

यह सबसे जरूरी और कानूनी दस्तावेज़ होता है। इसमें सारी चीज़ें विस्तार से लिखी होती हैं:

  • क्या काम करना है
  • कब तक करना है (समय सीमा)
  • कितनी पेमेंट मिलेगी और कैसे मिलेगी
  • गोपनीयता की शर्तें
  • विवाद होने पर समाधान कैसे होगा
  • कॉन्ट्रैक्ट कैसे खत्म किया जा सकता है

इस दस्तावेज़ पर ISRO और आपकी कंपनी, दोनों के अधिकृत व्यक्ति साइन करते हैं। इसे कानूनी रूप से मान्यता दिलाने के लिए कई बार इसे स्टाम्प और नोटरी भी करवाया जाता है।

NDA (Non-Disclosure Agreement – गोपनीयता समझौता)

ISRO कई बार ऐसे काम करवाता है जो गोपनीय होते हैं – जैसे रिसर्च, टेक्नोलॉजी आदि। इसलिए:

  • NDA दस्तावेज़ में लिखा होता है कि आप कोई भी गुप्त जानकारी किसी से भी शेयर नहीं कर सकते।
  • यह समझौता कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने के बाद भी लागू रहता है।
  • यह ISRO की जानकारी और तकनीक की सुरक्षा के लिए जरूरी होता है।

Performance Bank Guarantee (PBG – प्रदर्शन गारंटी)

ISRO कई बार आपसे बैंक गारंटी माँगता है ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि आप काम सही से और समय पर करेंगे।

  • यह एक फाइनेंशियल गारंटी होती है जो आप अपने बैंक से दिलवाते हैं।
  • यह कॉन्ट्रैक्ट की कुल राशि का एक छोटा प्रतिशत होता है (जैसे 5% या 10%)।
  • अगर आप काम सही से नहीं करते तो ISRO इस गारंटी का इस्तेमाल कर सकती है।
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Compliance Certificates and Approvals (अनुमतियाँ और अनुपालन प्रमाणपत्र)

कुछ खास तरह के कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए नीचे दिए गए अतिरिक्त प्रमाणपत्र भी ज़रूरी हो सकते हैं:

  • Quality Certificate (गुणवत्ता प्रमाणपत्र): जिससे यह साबित हो कि आपका काम गुणवत्ता के मानकों पर खरा उतरता है।
  • Environment Clearance (पर्यावरण मंजूरी): अगर आपके काम से पर्यावरण पर असर पड़ सकता है।
  • Safety Certificates (सुरक्षा प्रमाणपत्र): अगर काम किसी भी तरह से जोखिम भरा है।
  • Import-Export License (इम्पोर्ट एक्सपोर्ट लाइसेंस): अगर कोई सामान बाहर से मंगवाना या भेजना है।

ISRO के साथ कॉन्ट्रैक्ट की नियम और शर्तें क्या हो सकती हैं?

  • प्राकृतिक या अनियंत्रित घटनाओं की स्थिति: अगर कोई ऐसा हादसा हो जाए जो आपके कंट्रोल में ना हो – जैसे भूकंप, बाढ़, युद्ध या महामारी – तो इस शर्त के तहत आपको उस दौरान काम ना कर पाने के लिए ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा।
  • कॉन्ट्रैक्ट को जल्दी खत्म करने की स्थिति: इसमें लिखा होता है कि किन हालात में ISRO या आपकी कंपनी कॉन्ट्रैक्ट को बीच में ही खत्म कर सकती है। जैसे – अगर नियमों का पालन न हो रहा हो, या काम सही से ना हो रहा हो।
  • देरी या गलती पर जुर्माना: अगर आप तय समय पर काम पूरा नहीं करते या कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों का उल्लंघन करते हैं, तो ISRO आप पर जुर्माना लगा सकता है। इसे ही “liquidated damages” कहा जाता है।
  • बौद्धिक संपत्ति के अधिकार: अगर आपने कॉन्ट्रैक्ट के दौरान कोई नया डिज़ाइन, डेटा या तकनीक बनाई है, तो यह शर्त तय करती है कि उसका मालिक कौन होगा – आप या ISRO।
  • विवाद सुलझाने का तरीका और जगह: अगर भविष्य में कोई विवाद होता है, तो उसे कैसे और कहां सुलझाया जाएगा – जैसे कि कोर्ट में या किसी मध्यस्थ (arbitrator) के ज़रिए – इसकी जानकारी इस क्लॉज़ में दी जाती है।

कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करने की प्रक्रिया क्या है?

  • ISRO और आपकी कंपनी मिलकर बैठते हैं और कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों पर चर्चा करते हैं – जैसे काम का तरीका, टाइमलाइन, पेमेंट आदि।
  • बातचीत के बाद ISRO की लीगल टीम कॉन्ट्रैक्ट का एक ड्राफ्ट  तैयार करती है, जिसमें सभी शर्तें लिखी होती हैं।
  • आपकी कंपनी का लीगल एक्सपर्ट उस ड्राफ्ट को पढ़कर देखता है कि सब कुछ ठीक है या नहीं। अगर कुछ बदलना हो तो सुझाव दिया जाता है।
  • जब दोनों पक्ष शर्तों से सहमत हो जाते हैं, तो दोनों के अधिकृत व्यक्ति (Authorized Signatories) उस कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करते हैं।
  • साइन किए गए डॉक्युमेंट्स की कॉपियाँ एक-दूसरे को दी जाती हैं और फिर कॉन्ट्रैक्ट लागू हो जाता है। यानी अब काम आधिकारिक रूप से शुरू हो सकता है।
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ISRO कॉन्ट्रैक्ट में होने वाली आम कानूनी गलतियाँ

  • NDA साइन करने के बाद जानकारी लीक करना – ISRO की गुप्त जानकारी शेयर करना भारी गलती है। कॉन्ट्रैक्ट रद्द हो सकता है।
  • काम का दायरा साफ न करना – अगर ये तय नहीं है कि आपको क्या करना है, तो बाद में विवाद हो सकता है।
  • बिना लीगल सलाह कॉन्ट्रैक्ट साइन करना – जरूरी शर्तें मिस हो सकती हैं, जो नुकसानदेह हो सकती हैं।
  • आर्बिट्रेशन क्लॉज़ को नजरअंदाज़ करना – यह क्लॉज़ तय करता है कि विवाद कैसे सुलझेगा, इसे ध्यान से पढ़ें।
  • रिकॉर्ड न रखना – ईमेल्स, रिपोर्ट्स और प्रोजेक्ट का रिकॉर्ड रखें, यह आपके पक्ष में काम आएगा।

वेंडर्स के लिए महत्वपूर्ण सुझाव

  • लीगल सलाह लें: कॉन्ट्रैक्ट साइन करने से पहले किसी अच्छे वकील से सलाह जरूर लें।
  • हर शर्त ध्यान से पढ़ें: कोई छुपी हुई जिम्मेदारी या जुर्माना न छूट जाए, इसलिए हर लाइन समझकर पढ़ें।
  • संपर्क बनाए रखें: ISRO से लगातार बातचीत करते रहें और उन्हें अपडेट देते रहें।
  • समय पर काम करें: देरी से किया गया काम या लेट सबमिशन से कॉन्ट्रैक्ट रद्द हो सकता है।
  • दस्तावेज़ संभालकर रखें: सारे पेपर, ईमेल्स और कॉन्ट्रैक्ट से जुड़े दस्तावेज़ सुरक्षित रखें, ये भविष्य में काम आएंगे।

निष्कर्ष

ISRO के साथ काम करना गर्व की बात है, लेकिन इसके लिए आपकी कानूनी तैयारी जितनी मजबूत होगी, आपके सफलता के अवसर उतने ही अधिक होंगे। प्रोएक्टिव लीगल कंप्लायंस  और सही डॉक्यूमेंटेशन से आप न सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट जीत सकते हैं, बल्कि लंबी अवधि के लिए ISRO जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के साथ काम कर सकते हैं।

एक अनुभवी कॉर्पोरेट वकील की मदद जरूर लें ताकि आप हर चरण में लीगल रूप से सुरक्षित रहें।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

1. मैं ISRO के साथ Vendor के तौर पर कैसे रजिस्टर कर सकता हूँ?

आप ISRO के वेंडर पोर्टल पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इसके लिए आपको कंपनी प्रोफाइल, PAN, GST नंबर, बैंक डिटेल्स और अनुभव से जुड़े सर्टिफिकेट जमा करने होंगे।

2. क्या ISRO के साथ काम करने के लिए NDA ज़रूरी है?

हाँ, बिल्कुल। NDA साइन करना जरूरी है ताकि ISRO की गोपनीय जानकारी सुरक्षित रहे।

3. Performance Bank Guarantee (PBG) क्या होती है?

यह एक बैंक की तरफ से दी गई गारंटी होती है जो ये सुनिश्चित करती है कि वेंडर काम समय पर और सही तरीके से पूरा करेगा।

4. ISRO की टेंडर जानकारी मुझे कहाँ मिलेगी?

आप isro.gov.in/tenders और eprocure.gov.in पर जाकर सभी टेंडर नोटिस देख सकते हैं।

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