सोचिए, अगर आप बिना किसी लिखित एग्रीमेंट के कोई घर किराए पर ले लें। ऐसे में न आपको ये पता होगा कि किराया किस तारीख को देना है, न ये पता होगा कि घर में कुछ खराब हो जाए तो मरम्मत कौन करवाएगा, और न ही ये साफ होगा कि आप वहां कितने समय तक रह सकते हैं।
ऐसी स्थिति में बाद में कई तरह की गलतफहमियां या परेशानियां हो सकती हैं। इसलिए किराए का कोई भी घर लेने से पहले लीज एग्रीमेंट बनवाना बहुत जरूरी होता है।
लीज एग्रीमेंट क्या होता है?
लीज एग्रीमेंट सिर्फ एक साधारण फॉर्म नहीं बल्कि एक कानूनी दस्तावेज़ है जो मकान मालिक (लैंडलॉर्ड) और किराएदार (टेनेंट) के बीच होता है। इसमें साफ-साफ लिखा होता है कि किराया कितना होगा, कितने समय के लिए घर दिया जा रहा है, और मकान मालिक व किराएदार की क्या-क्या जिम्मेदारियां होंगी। इससे बाद में किसी तरह का झगड़ा या गलतफहमी नहीं होती।
भारत में लीज एग्रीमेंट दो मुख्य कानूनों से नियंत्रित होता है
1. इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, 1872
यह कानून हर तरह के समझौते के नियम बताता है। लीज वैध तभी होगी जब दोनों पक्ष अपनी मर्जी से सहमत हों, मकसद सही हो, और दोनों के पास समझौता करने की योग्यता हो। अगर इनमें से कोई शर्त पूरी न हो तो लीज़ अवैध मानी जाएगी।
2. ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882 (धारा 105)
इस धारा में लीज़ की परिभाषा दी गई है, जिसके अनुसार किसी को एक निश्चित समय के लिए किराए पर मकान या जमीन देने का अधिकार। इसमें मकान मालिक और किराएदार के हक और जिम्मेदारियां, लीज खत्म करने का तरीका, नवीनीकरण और नियम टूटने पर क्या होगा, सब लिखा होता है।
लीज एग्रीमेंट के प्रकार
- रेजिडेंशियल लीज एग्रीमेंट: यह घर, फ्लैट या कमरे किराए पर लेने के लिए होता है। आमतौर पर यह 11 महीने या उससे ज्यादा के लिए होता है।
- कमर्शियल लीज एग्रीमेंट: यह दुकान, ऑफिस या फैक्ट्री जैसी जगहों के लिए होता है। यह अपेक्षाकृत लंबी अवधि और अधिक जटिल शर्तों वाला होता है।
- लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट: यह छोटा समय का होता है और मकान मालिक को बिना किराएदार का अधिकार दिए, सिर्फ कब्जा देने का तरीका होता है।
सबसे पहले आपको ये समझना जरूरी है कि आपको कौन सा लीज एग्रीमेंट चाहिए।
लीज़ और रेंट एग्रीमेंट में फर्क
| पक्ष | लीज़ एग्रीमेंट | रेंट एग्रीमेंट |
| अवधि | लंबी (1 साल से अधिक) | छोटी (11 महीने तक) |
| रजिस्ट्री | जरूरी | अनिवार्य नहीं |
| कानूनी संरक्षण | अधिक | सीमित |
| टैक्स इम्प्लिकेशन | हो सकता है | कम होता है |
स्टेप-बाय-स्टेप: प्रॉपर्टी लीज एग्रीमेंट कैसे बनाएं
स्टेप 1: ज़रूरी जानकारी इकट्ठा करें
- दोनों पक्षों के पूरे नाम और पता
- जिस प्रॉपर्टी को किराए पर लेना है उसका पता
- प्रॉपर्टी का प्रकार (रेजिडेंशियलl या कमर्शियल)
- लीज कब शुरू होगी और कब खत्म होगी
- महीने का किराया कितना होगा
- सिक्योरिटी डिपॉजिट की राशि
- ये सब जानकारी लीज एग्रीमेंट की नींव होती है।
स्टेप 2: लीज की अवधि तय करें
- ज्यादातर घर के लिए लीज 11 महीने की होती है ताकि स्टाम्प ड्यूटी कम लगे।
- दुकान या ऑफिस के लिए 1 से 5 साल या उससे ज्यादा भी हो सकती है।
- शुरू और खत्म होने की तारीख साफ लिखें।
स्टेप 3: किराया और भुगतान के नियम लिखें
- महीने का किराया कितना होगा
- किराया हर महीने किस तारीख तक देना होगा
- देर से भुगतान पर जुर्माना होगा या नहीं
- किराया कैसे देना है: नकद, चेक, बैंक ट्रांसफर या यूपीआई से
- किराया राशि अंकों और शब्दों दोनों में स्पष्ट रूप से लिखें।
स्टेप 4: सिक्योरिटी डिपॉजिट की जानकारी दें
- सिक्योरिटी डिपॉजिट मकान मालिक को एक तरह की सुरक्षा के तौर पर दिया जाता है।
- आमतौर पर यह 1 से 6 महीने के किराए के बराबर होता है।
- यह कब और कैसे वापस मिलेगा, साफ लिखें।
- अगर कोई कटौती होनी है (जैसे नुकसान या बकाया किराया), तो वह भी बताएं।
स्टेप 5: दोनों की जिम्मेदारियां लिखें
मकान मालिक की जिम्मेदारियां:
- प्रॉपर्टी अच्छी हालत में देना
- प्रॉपर्टी टैक्स और बड़े मरम्मत के खर्चे उठाना
किराएदार की जिम्मेदारियां:
- किराया समय पर देना
- प्रॉपर्टी का ध्यान रखना
- प्रॉपर्टी का किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में उपयोग न करना।
स्टेप 6: जरूरी नियम और शर्तें जोड़ें
- लॉक-इन पीरियड: वह न्यूनतम अवधि जिसमें कोई भी पक्ष समझौता समय से पहले समाप्त नहीं कर सकता।
- नोटिस पीरियड: अगर कोई पहले समझौता खत्म करना चाहता है तो 1-3 महीने पहले सूचित करना होगा।
- मेंटेनेंस चार्ज: सोसाइटी या बिल्डिंग के खर्चे कौन देगा।
- सबलेटिंग: किराएदार को प्रॉपर्टी किसी और को किराए पर देने की अनुमति है या नहीं।
- प्रॉपर्टी का उपयोग: सिर्फ रहने के लिए या व्यवसाय के लिए।
- पेट पॉलिसी: पालतू जानवर की अनुमति है या नहीं।
- परिवर्तन: किराएदार बिना अनुमति के बड़े बदलाव नहीं करेगा।
- प्रॉपर्टी का निरीक्षण: मकान मालिक को पहले सूचित करके ही प्रॉपर्टी देखनी होगी।
स्टेप 7: एग्रीमेंट तैयार करें
- सभी जानकारी इकट्ठा करने के बाद एग्रीमेंट बनाएं।
- आप ऑनलाइन टेम्प्लेट से या वकील से बनवा सकते हैं।
- ध्यान रखें कि भाषा सरल और साफ हो।
स्टेप 8: साइन और रजिस्ट्रेशन करें
- मकान मालिक और किराएदार दोनों हर पेज पर साइन करें।
- दो गवाहों के भी साइन जरूरी हैं।
- अगर लीज 11 महीने से ज्यादा की है तो इसे रजिस्टर कराना जरूरी है।
स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस
- हर राज्य में अलग नियम: भारत के हर राज्य में स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस के नियम और दरें अलग-अलग होती हैं।
- आमतौर पर 2%–5% स्टाम्प ड्यूटी होती है: लीज की कुल राशि पर 2% से 5% तक स्टाम्प ड्यूटी लगती है, जो राज्य पर निर्भर करती है।
- रजिस्ट्री फीस ₹1000–₹5000 तक हो सकती है: लीज एग्रीमेंट रजिस्टर कराने के लिए ₹1000 से ₹5000 तक की फीस लग सकती है, जो तय की जाती है।
- रजिस्टर्ड लीज़ का टैक्स में असर होता है: अगर लीज एग्रीमेंट रजिस्टर्ड हो, तो वह कानूनी सबूत बनता है और टैक्स से जुड़े मामलों में मान्य होता है।
आम गलतियाँ जो लीज एग्रीमेंट बनाते समय नहीं करनी चाहिए
- अगर एग्रीमेंट जल्दी खत्म करना हो, तो कितने दिन पहले बताना है – यह ज़रूर लिखा होना चाहिए।
- अगर किराया देर से देने पर जुर्माना है या मेंटेनेंस कौन देगा, ये बातें साफ-साफ लिखनी जरूरी हैं।
- अगर लीज 11 महीने से ज़्यादा की है, तो उसे रजिस्टर कराना कानूनी रूप से ज़रूरी है।
- सभी शर्तें सरल, स्पष्ट और अस्पष्टता रहित भाषा में लिखी जानी चाहिए।
- एग्रीमेंट पर साइन करने से पहले उसकी प्रत्येक शर्त को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
बॉम्बे हाईकोर्ट बनाम लीला ग्रुप और AAI (एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया), जून 2025
क्या फैसला हुआ? बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि अगर किसी लीज की समय-सीमा खत्म हो चुकी है, तो ऐसे मामलों में किराएदार को खाली कराने का मामला आर्बिट्रेशन के ज़रिए नहीं निपटाया जा सकता।
इस केस में, AAI की ओर से दी गई ज़मीन की लीज खत्म हो चुकी थी। कोर्ट ने कहा कि अब जब लीज खत्म हो गई है, तो उस ज़मीन पर बने रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं बचता, भले ही एग्रीमेंट में आर्बिट्रेशन की शर्त हो।
यह क्यों ज़रूरी है? इससे यह साफ होता है कि जब लीज की मियाद खत्म हो जाए, तो आर्बिट्रेशन क्लॉज़ के भरोसे प्रॉपर्टी पर कब्जा बनाए नहीं रखा जा सकता। ऐसे मामलों में खाली कराने की प्रक्रिया कानूनी रास्ते से ही होगी।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: 60 साल बाद किराएदार को खाली करने का आदेश, जून 2025
क्या हुआ? सुप्रीम कोर्ट ने एक पुराने मामले में फैसला सुनाया, जहाँ किराएदार 60 साल से ज़्यादा समय तक लीज खत्म होने के बाद भी प्रॉपर्टी पर कब्जा किए हुए थे। कोर्ट ने साफ कहा कि अब उन्हें प्रॉपर्टी खाली करनी होगी।
कोर्ट ने यह भी माना कि मकान मालिक की मौत के बाद उनके बच्चे भी किराएदार को खाली कराने का हक रखते हैं।
इसका क्या मतलब है? भले ही कोई किराएदार कई सालों से प्रॉपर्टी पर रह रहा हो, अगर लीज खत्म हो चुकी है और मकान मालिक या उनके वारिसों को सच में ज़रूरत है, तो कानून उनके पक्ष में होगा। धैर्य और सही कानूनी प्रक्रिया से प्रॉपर्टी वापस पाना मुमकिन है।
निष्कर्ष
लीज़ एग्रीमेंट केवल एक औपचारिक कागज़ नहीं, बल्कि आपकी संपत्ति और अधिकारों की रक्षा करने वाला एक कानूनी सुरक्षा कवच है। यह भविष्य में होने वाले विवादों को रोकने का सबसे सरल तरीका है। यह आपके हक की रक्षा करता है, दोनों पक्षों की जिम्मेदारियां तय करता है और आगे किसी झगड़े से बचाता है। चाहे आप मकान मालिक हों या किराएदार, इस प्रक्रिया को कभी नज़रअंदाज़ न करें और न ही जल्दबाज़ी में करें। थोड़ा समय लें, हर शर्त को समझें और हर बात को लिखित में रखें।
आप चाहें तो तैयार टेम्पलेट इस्तेमाल करें या किसी प्रोफेशनल से मदद लें, मकसद यही है कि एक ऐसा साफ, सही और कानूनी रूप से मान्य एग्रीमेंट बने जो दोनों के लिए फायदेमंद हो।
किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।
FAQs
1. क्या नॉटरी किया हुआ लीज एग्रीमेंट मान्य होता है?
हाँ, लेकिन सिर्फ 11 महीने तक। अगर लीज 11 महीने से ज़्यादा की है तो रजिस्ट्रेशन करवाना ज़रूरी है।
2. क्या किराएदार को लीज खत्म होने से पहले निकाला जा सकता है?
हाँ, लेकिन तभी जब वो नियम तोड़े, जैसे किराया ना देना या प्रॉपर्टी को नुकसान पहुँचाना।
3. रजिस्ट्रेशन का खर्च कौन देता है?
अक्सर दोनों पक्ष मिलकर खर्च बांटते हैं, जब तक कुछ और तय न किया गया हो।
4. अगर मकान मालिक सिक्योरिटी डिपॉजिट वापस ना करे तो क्या करें?
आप उसे कानूनी नोटिस भेज सकते हैं या छोटे मामलों की अदालत में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
5. क्या बिना लीज एग्रीमेंट के किराए पर घर देना सुरक्षित है?
नहीं, बिना लिखित एग्रीमेंट के मकान मालिक और किराएदार दोनों को कानूनी विवादों का सामना करना पड़ सकता है। लिखित एग्रीमेंट हमेशा आवश्यक है।
6. क्या ऑनलाइन बना लीज एग्रीमेंट वैध है?
हाँ, अगर वह उचित स्टाम्प ड्यूटी के साथ प्रिंट होकर दोनों पक्षों और गवाहों के हस्ताक्षर व रजिस्ट्री प्रक्रिया से गुजरा हो, तो ऑनलाइन ड्राफ्ट भी कानूनी रूप से मान्य होता है।



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