वर्कप्लेस इंजरी क्लेम कैसे करें? कर्मचारी के लिए स्टेप-बाय-स्टेप कानूनी मार्गदर्शिका

How to File a Workplace Injury Claim A Step-by-Step Legal Guide for Employees

भारत में हर साल लाखों कर्मचारी फैक्ट्री, निर्माण स्थलों, कार्यालयों, गोडाउन, परिवहन और सर्विस सेक्टर में काम करते हुए चोटिल होते हैं। कई मामलों में चोट हल्की होती है, लेकिन कई बार कर्मचारी स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं या मौत तक हो जाती है। दुख की बात है कि अधिकांश कर्मचारी यह नहीं जानते कि चोट लगने के बाद उन्हें कानूनी तौर पर क्या करना चाहिए और किस तरह का मुआवज़ा वे प्राप्त कर सकते हैं।

कई कंपनियाँ भी कर्मचारियों की अज्ञानता का फायदा उठाकर मुआवज़ा देने से बचती हैं — जैसे कि दुर्घटना छिपाना, रिपोर्ट न बनाना, मेडिकल खर्च न देना या दावा दर्ज न करने के लिए दबाव डालना। ऐसी स्थितियों में “वर्कप्लेस इंजरी क्लेम” कर्मचारी का सबसे महत्वपूर्ण कानूनी हथियार है।

वर्कप्लेस इंजरी क्लेम का अर्थ है — नौकरी करते समय लगे चोट, दुर्घटना, विकलांगता या मृत्यु पर कानून के तहत उपचार, वेतन सहायता और आर्थिक मुआवज़ा प्राप्त करने का अधिकार।

इस ब्लॉग का उद्देश्य है कर्मचारी को एक साफ, सरल और व्यावहारिक मार्गदर्शिका देना — ताकि किसी भी दुर्घटना के बाद वह तुरंत सही कदम उठा सके और कानूनी सहायता प्राप्त कर सके। यह ब्लॉग कानून, प्रक्रिया, दस्तावेज़ और महत्वपूर्ण फैसलों के साथ आपको पूरी समझ प्रदान करेगा।

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वर्कप्लेस इंजरी क्या है?

वर्कप्लेस इंजरी का मतलब है, काम करते समय या काम से जुड़ी किसी भी गतिविधि के दौरान लगी चोट, दुर्घटना या स्वास्थ्य को हुआ नुकसान। यह चोट कहीं भी लग सकती है जहाँ आप नौकरी के लिए काम कर रहे हों।

काम के दौरान चोट कैसे लग सकती है?

  • मशीन से हाथ कट जाना
  • भारी सामान उठाते समय कमर या हाथ में चोट
  • ऊँचाई से गिर जाना
  • बिजली का झटका लगना
  • केमिकल या एसिड से जलना
  • बॉयलर या टैंक फट जाना
  • निर्माण स्थल पर दुर्घटना
  • होटल/रेस्टोरेंट में खाना बनाते समय जलना
  • फैक्ट्री में मशीन खराब होकर चोट लगना
  • ये सभी “वर्कप्लेस इंजरी” मानी जाती हैं।

वर्कप्लेस इंजरी और पर्सनल इंजरी में अंतर

  • वर्कप्लेस इंजरी वह चोट है जो काम करते समय या कार्यस्थल पर होती है।
  • पर्सनल इंजरी वह चोट है जो आपके निजी कारणों से घर या बाहर होती है।

कानून सिर्फ वर्कप्लेस इंजरी पर ही मुआवज़ा देता है।

वर्कप्लेस की सीमा कहाँ तक मानी जाती है? 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि: कर्मचारी की सुरक्षा की जिम्मेदारी एम्प्लॉयर की होती है, जब तक कर्मचारी काम के दायरे में है। इसका मतलब वर्कप्लेस सिर्फ फैक्ट्री या ऑफिस तक सीमित नहीं है। इसमें शामिल हैं:

  • ऑफिस
  • गोदाम
  • निर्माण स्थल
  • कंपनी का वाहन
  • फील्ड ड्यूटी
  • वर्क-फ्रॉम-होम (कुछ स्थितियों में)

भारत में वर्कप्लेस इंजरी से जुड़े प्रमुख कानून

एम्प्लाइज स्टेट इन्शुरन्स एक्ट, 1948

अगर आपके वेतन से ESI कटता है और आपके पास ESIC कार्ड है, तो आपकी वर्कप्लेस इंजरी का पूरा क्लेम ESIC के तहत होगा।

ESI में क्या-क्या मिलता है?

  • फ्री मेडिकल इलाज
  • वेतन का नुकसान (सिकनेस/इंजरी बेनिफिट)
  • अस्थायी या स्थायी विकलांगता का लाभ
  • मृत्यु की स्थिति में परिवार को सहायता
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ESI उन्हीं कर्मचारियों पर लागू होता है जिनकी सैलरी ESIC द्वारा तय सीमा के अंदर होती है।

एम्प्लाइज कंपनसेशन एक्ट, 1923

अगर आप ESI के दायरे में नहीं आते, तो आपका मुआवज़ा इसी कानून के तहत मिलेगा। इस कानून के अनुसार एम्प्लॉयर को देना होता है:

  • चोट का मुआवज़ा
  • स्थायी विकलांगता पर एकमुश्त राशि
  • मृत्यु की स्थिति में परिवार को राशि
  • इलाज का खर्च

फैक्ट्रीज एक्ट, 1948 और राज्य के लेबर कानून

इन कानूनों का उद्देश्य आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है। ये कानून एम्प्लॉयर पर यह जिम्मेदारी डालते हैं कि:

  • वह  मशीनों और कार्यस्थल की सुरक्षा बनाए
  • तुरंत मेडिकल सहायता उपलब्ध करवाए
  • दुर्घटना की सही रिपोर्टिंग और रिकॉर्ड रखे

इन सभी कानूनों का मकसद यह है कि कर्मचारी को चोट लगने पर उसे पूरा न्याय और समय पर मुआवज़ा मिले।

वर्कप्लेस इंजरी के बाद तुरंत क्या करें?

अधिकतर कर्मचारी घबराहट, देरी या सबूत ना जमा करने की वजह से अपना क्लेम खो देते हैं। नीचे दिए गए कदम आपकी सुरक्षा और हक सुनिश्चित करते हैं:

स्टेप 1: तुरंत मेडिकल इलाज करवाएँ सबसे पहले अपनी सेहत को प्राथमिकता दें। कंपनी डॉक्टर, ESIC अस्पताल (अगर ESI है) या नज़दीकी इमरजेंसी अस्पताल में जाएँ। आपका मेडिकल रिकॉर्ड सबसे महत्वपूर्ण सबूत होता है।

स्टेप 2: तुरंत सुपरवाइज़र या HR को जानकारी दें दुर्घटना उसी दिन रिपोर्ट करना ज़रूरी है। आप सुपरवाइज़र, HR, सेफ्टी ऑफिसर या एम्प्लॉयर को बता सकते हैं। कोशिश करें कि लिखित में सूचना दें—SMS, व्हाट्सऐप, ईमेल या एक सरल नोट।

स्टेप 3: सबूत इकट्ठा करें घटना स्थल की फोटो या वीडियो लें—जैसे चोट का स्थान, टूटी मशीन, आपकी चोटें, गीला फर्श, टूटी सीढ़ियाँ आदि। साथ ही सहकर्मियों से गवाही भी ले लें, यह बाद में बहुत मदद करता है।

स्टेप 4: कंपनी के एक्सीडेंट रजिस्टर में एंट्री कराएँ हर कंपनी को दुर्घटनाओं का रजिस्टर रखना होता है। HR से कहें कि आपकी दुर्घटना इसमें दर्ज करें—तारीख, समय, कैसे हादसा हुआ और क्या चोट लगी, सब लिखा जाना चाहिए।

स्टेप 5: सभी मेडिकल दस्तावेज़ सुरक्षित रखें अपने सारे मेडिकल पेपर्स संभालकर रखें—जैसे रिपोर्ट, बिल, डॉक्टर की पर्ची, एक्स-रे, MRI आदि। इन्हीं दस्तावेज़ों के आधार पर आपका मुआवज़ा तय होता है।

ESI के तहत वर्कप्लेस इंजरी क्लेम कैसे करें?

अगर आप ESI में कवर हैं, तो क्लेम की प्रक्रिया बहुत आसान है।

  • एक्सीडेंट रिपोर्ट फॉर्म भरवाएँ एम्प्लॉयर को ESI फॉर्म 12 (एक्सीडेंट रिपोर्ट) भरकर 24 घंटे के अंदर ऑनलाइन जमा करना होता है। अगर एम्प्लॉयर फॉर्म नहीं भरता, तो आप ESIC ब्रांच ऑफिस में शिकायत कर सकते हैं।
  • ESI अस्पताल जाएँ अपने साथ ESIC कार्ड, आधार कार्ड और दुर्घटना का छोटा विवरण ले जाएँ। डॉक्टर आपको FMC (First Medical Certificate) और आगे के मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करेगा।
  • वेतन मुआवज़ा अगर चोट की वजह से आप कुछ समय काम नहीं कर पा रहे, तो ESIC आपको आपकी सैलरी का 90% साप्ताहिक भुगतान के रूप में देता है।
  • स्थायी विकलांगता क्लेम अगर चोट से स्थायी विकलांगता होती है, तो ESIC डॉक्टर आपकी विकलांगता प्रतिशत तय करेगा। मुआवज़ा आपकी सैलरी और विकलांगता प्रतिशत के आधार पर दिया जाता है।
  • मृत्यु की स्थिति में Dependents’ Benefit अगर कर्मचारी की मृत्यु वर्कप्लेस इंजरी के कारण होती है, तो परिवार को मासिक पेंशन, अंतिम संस्कार खर्च और बच्चों के लिए शिक्षा भत्ता मिलता है।
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एम्प्लाइज कंपनसेशन एक्ट के तहत क्लेम कैसे करें? (अगर ESI नहीं है)

अगर आप ESI में कवर नहीं हैं, तो आपको यह प्रक्रिया अपनानी होती है।

स्टेप 1: एम्प्लॉयर को लिखित नोटिस दें एक सरल लिखित नोटिस दें जिसमें तारीख, समय, हादसा कैसे हुआ और चोट का विवरण हो। इसकी एक कॉपी अपने पास सबूत के तौर पर रखें।

स्टेप 2: एम्प्लॉयर को लेबर कमिश्नर को रिपोर्ट करना होता है गंभीर चोट या मृत्यु की स्थिति में एम्प्लॉयर को कानूनन लेबर कमिश्नर को रिपोर्ट भेजनी पड़ती है।

स्टेप 3: सभी मेडिकल दस्तावेज़ इकट्ठा करें सभी मेडिकल रिपोर्ट, बिल, एक्स-रे आदि सुरक्षित रखें—इन्हीं के आधार पर आपका मुआवज़ा तय होगा।

स्टेप 4: एम्प्लाइज कंपनसेशन कमिश्नर के सामने क्लेम फाइल करें क्लेम में आपका विवरण, एम्प्लॉयर का नाम, सैलरी रिकॉर्ड, मेडिकल पेपर्स और दुर्घटना की जानकारी शामिल होनी चाहिए। कमिश्नर सबूत देखकर जाँच करता है और आपका मुआवज़ा तय करता है।

स्टेप 5: मुआवज़ा कैसे तय होता है मुआवज़ा आपकी उम्र, सैलरी और विकलांगता प्रतिशत पर निर्भर करता है।

  • स्थायी विकलांगता: आपकी महीने की सैलरी का 60%, उम्र के सरकारी फ़ैक्टर और डॉक्टर की दी हुई विकलांगता प्रतिशत को गुणा करके मुआवज़ा तय होता है।
  • मृत्यु: आपकी महीने की सैलरी का 50% और उम्र के फ़ैक्टर को गुणा करके मुआवज़ा राशि निकाली जाती है।

आप किस–किस चीज़ का मुआवज़ा पा सकते हैं?

  • मेडिकल खर्चे आपके इलाज पर हुए सारे खर्चे जैसे अस्पताल में भर्ती, ऑपरेशन, दवाइयाँ और टेस्ट आदि का पूरा खर्च मुआवज़े में शामिल होता है।
  • अस्थायी विकलांगता लाभ अगर चोट के कारण कुछ समय तक काम नहीं कर पा रहे हैं तो ESI आपको हर हफ़्ते पैसा देता है। EC एक्ट में कंपनी आपकी ठीक होने तक भुगतान करती है।
  • स्थायी विकलांगता लाभ अगर चोट की वजह से आपकी कमाई की क्षमता हमेशा के लिए कम हो गई है तो आपको डॉक्टर की प्रतिशत रिपोर्ट के अनुसार मुआवज़ा दिया जाता है।
  • इनकम का नुकसान लंबे इलाज, अस्पताल में रहने या बेड रेस्ट की वजह से जो सैलरी कटती है, उसका मुआवज़ा मिल सकता है।
  • मृत्यु की स्थिति में मुआवज़ा अगर कर्मचारी की मौत हो जाती है, तो परिवार को एकमुश्त मुआवज़ा, ESI की मासिक पेंशन और अंतिम संस्कार खर्च दिया जाता है।
  • काम से जुड़ी बीमारियों का मुआवज़ा कुछ कामों में केमिकल, धूल, गर्मी या तेज़ आवाज़ से बीमारियाँ हो जाती हैं। ऐसी बीमारियों के लिए भी मुआवज़ा मिलता है।

किस स्थिति में क्लेम ख़ारिज हो सकता है?

  • अगर हादसा तुरंत न बताया जाए तो दावा कमजोर पड़ जाता है, इसलिए तुरंत सूचना दें।
  • अगर अधिकृत डॉक्टर से इलाज नहीं कराते या रिपोर्ट नहीं लेते तो दावा रिजेक्ट हो सकता है। हमेशा मेडिकल कागज़ रखें।
  • ऐसी स्थिति में गवाह, फोटो या CCTV फुटेज आपके पक्ष को मज़बूत बनाते हैं।
  • अगर हादसे के समय शराब या नशा पाया गया तो दावा आमतौर पर रिजेक्ट हो जाता है।
  • हमेशा हर बात लिखित में रखें—SMS, WhatsApp, ईमेल—ताकि बाद में सबूत रहे।
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एम्प्लॉयर की ज़िम्मेदारियाँ

एम्प्लॉयर को हमेशा सुरक्षित काम का माहौल देना चाहिए, ज़रूरी सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराना चाहिए, दुर्घटना बीमा कराना चाहिए और हादसे की जानकारी समय पर रिपोर्ट करनी चाहिए। उन्हें दुर्घटनाओं का रिकॉर्ड रखना होता है और घायल कर्मचारी की इलाज में पूरी मदद करनी होती है।

अगर एम्प्लॉयर ये ज़िम्मेदारियाँ नहीं निभाते, तो उन पर जुर्माना लग सकता है, पूरा मुआवज़ा देने की ज़िम्मेदारी आ सकती है और गंभीर लापरवाही के मामलों में आपराधिक कार्रवाई भी हो सकती है।

कब आपको वकील रखना चाहिए

अक्सर छोटे मामलों में आप खुद भी क्लेम कर सकते हैं, लेकिन इन स्थितियों में वकील की मदद लेना ज़रूरी होता है:

  • अगर कंपनी हादसे को मानने से मना कर दे
  • कंपनी ESI रिपोर्ट दर्ज नहीं करे
  • मुआवज़ा मिलने में देरी हो
  • चोट गंभीर हो या स्थायी विकलांगता बन जाए
  • आपको एम्प्लाइज कंपनसेशन एक्ट के तहत क्लेम करना हो

वकील आपकी मदद क्लेम का आवेदन तैयार करने, कमिश्नर के सामने आपका केस पेश करने, ज़रूरी सबूत इकट्ठा करने और उचित सेटलमेंट करवाने में करता है, ताकि आपको सही मुआवज़ा मिल सके।

निष्कर्ष

वर्कप्लेस पर कभी भी हादसा हो सकता है, लेकिन भारतीय कानून कर्मचारियों को मज़बूत सुरक्षा देता है। अगर आप सही कदम उठाते हैं—समय पर रिपोर्ट, सबूत, मेडिकल इलाज और क्लेम फाइल करना—तो आपको इलाज, सैलरी का सपोर्ट और मुआवज़ा मिल सकता है। चाहे केस ESI का हो या एम्प्लाइज कंपनसेशन एक्ट का, आपके अधिकार बिल्कुल साफ़ हैं।

अगर कभी प्रक्रिया समझ नहीं आए या मामला जटिल हो जाए, तो किसी अनुभवी वकील की मदद लेना हमेशा फायदेमंद रहता है। इससे आप वह मुआवज़ा पा सकते हैं जिसके आप हकदार हैं।

किसी भी कानूनी सहायता के लिए लीड इंडिया से संपर्क करें। हमारे पास लीगल एक्सपर्ट की पूरी टीम है, जो आपकी हर संभव सहायता करेगी।

FAQs

1. अगर कंपनी हादसे की रिपोर्ट नहीं करती तो क्या करें?

आप सीधे ESI ब्रांच ऑफिस या लेबर कमिश्नर के पास शिकायत कर सकते हैं।

2. क्या ऑफिस के बाहर लगी चोट का भी क्लेम मिल सकता है?

हाँ, अगर आप उस समय ऑफिस से जुड़ा काम कर रहे थे।

3. चोट के दौरान क्या मुझे सैलरी मिलेगी?

ESI में आपको 90% वेतन मिलता है। एम्प्लाइज कंपनसेशन एक्ट में मालिक मुआवज़ा देता है।

4. अगर गलती थोड़ी मेरी भी थी, तो क्या क्लेम मिलेगा?

हाँ, आपको फिर भी मुआवज़ा मिल सकता है।

5. क्या कंपनी चोट के बाद मुझे नौकरी से निकाल सकती है?

नहीं, ऐसा करना ग़ैरकानूनी है। आप चुनौती दे सकते हैं।

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